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नए न्यूज चैनलों को मंजूरी पर रोक

स्पेक्ट्रम स्पेस पर ट्राई की सिफारिशों का इंतजार : मंजूरी देने की नीति में भी होगा बदलाव : अब और नहीं. बस, और नहीं. सूचना और प्रसारण मंत्रालय का तो यही कहना है. यह कथन नए न्यूज चैनलों को मंजूरी देने से संबंधित है. आईबी मिनिस्ट्री ने तय किया है कि ट्रैफिक ओवरलोड, बैंडविथ और स्पेक्ट्रम स्पेस की कमी की वजह से नए न्यूज चैनलों को मंजूरी देने के काम को फिलहाल रोक दिया जाए. मंत्रालय का कहना है कि स्पेक्ट्रम स्पेस को लेकर जब तक ट्राई की सिफारिशें नहीं आ जातीं, तब तक किसी भी नए न्यूज चैनल के आवेदन को ओके नहीं किया जाएगा. अब तक करीब 500 से ज्यादा न्यूज चैनलों को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से मंजूरी दी जा चुकी है और अभी भी सौ से ज्यादा आवेदन स्वीकृति के लिए लाइन में पड़े हुए हैं. सरकार के पास नए न्यूज चैनलों को लेकर कई तरह की शिकायतें भी पहुंची हैं. इसके कारण न्यूज चैनल खोलने की शर्तों और मंजूरी के लिए मानकों को भी नए सिरे से तैयार किए जाने की तैयारी है. मतलब साफ है. कुकुरमुत्तों की तरह न्यूज चैनलों के उग आने से जो दिक्कतें पत्रकार और मीडिया जगत महसूस कर रहा है, झेल रहा है, उसकी गंध, उसकी तपिश सरकार तक भी पहुंचने लगी है. यकीन न हो तो मंत्रालय की ओर से जारी नोटिस के शुरुआती दो पैरे को ध्यान से पढ़िए-

<p align="justify"><strong>स्पेक्ट्रम स्पेस पर ट्राई की सिफारिशों का इंतजार : मंजूरी देने की नीति में भी होगा बदलाव : </strong>अब और नहीं. बस, और नहीं. सूचना और प्रसारण मंत्रालय का तो यही कहना है. यह कथन नए न्यूज चैनलों को मंजूरी देने से संबंधित है. आईबी मिनिस्ट्री ने तय किया है कि ट्रैफिक ओवरलोड, बैंडविथ और स्पेक्ट्रम स्पेस की कमी की वजह से नए न्यूज चैनलों को मंजूरी देने के काम को फिलहाल रोक दिया जाए. मंत्रालय का कहना है कि स्पेक्ट्रम स्पेस को लेकर जब तक ट्राई की सिफारिशें नहीं आ जातीं, तब तक किसी भी नए न्यूज चैनल के आवेदन को ओके नहीं किया जाएगा. अब तक करीब 500 से ज्यादा न्यूज चैनलों को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से मंजूरी दी जा चुकी है और अभी भी सौ से ज्यादा आवेदन स्वीकृति के लिए लाइन में पड़े हुए हैं. सरकार के पास नए न्यूज चैनलों को लेकर कई तरह की शिकायतें भी पहुंची हैं. इसके कारण न्यूज चैनल खोलने की शर्तों और मंजूरी के लिए मानकों को भी नए सिरे से तैयार किए जाने की तैयारी है. मतलब साफ है. कुकुरमुत्तों की तरह न्यूज चैनलों के उग आने से जो दिक्कतें पत्रकार और मीडिया जगत महसूस कर रहा है, झेल रहा है, उसकी गंध, उसकी तपिश सरकार तक भी पहुंचने लगी है. यकीन न हो तो मंत्रालय की ओर से जारी नोटिस के शुरुआती दो पैरे को ध्यान से पढ़िए- </p>

स्पेक्ट्रम स्पेस पर ट्राई की सिफारिशों का इंतजार : मंजूरी देने की नीति में भी होगा बदलाव : अब और नहीं. बस, और नहीं. सूचना और प्रसारण मंत्रालय का तो यही कहना है. यह कथन नए न्यूज चैनलों को मंजूरी देने से संबंधित है. आईबी मिनिस्ट्री ने तय किया है कि ट्रैफिक ओवरलोड, बैंडविथ और स्पेक्ट्रम स्पेस की कमी की वजह से नए न्यूज चैनलों को मंजूरी देने के काम को फिलहाल रोक दिया जाए. मंत्रालय का कहना है कि स्पेक्ट्रम स्पेस को लेकर जब तक ट्राई की सिफारिशें नहीं आ जातीं, तब तक किसी भी नए न्यूज चैनल के आवेदन को ओके नहीं किया जाएगा. अब तक करीब 500 से ज्यादा न्यूज चैनलों को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से मंजूरी दी जा चुकी है और अभी भी सौ से ज्यादा आवेदन स्वीकृति के लिए लाइन में पड़े हुए हैं. सरकार के पास नए न्यूज चैनलों को लेकर कई तरह की शिकायतें भी पहुंची हैं. इसके कारण न्यूज चैनल खोलने की शर्तों और मंजूरी के लिए मानकों को भी नए सिरे से तैयार किए जाने की तैयारी है. मतलब साफ है. कुकुरमुत्तों की तरह न्यूज चैनलों के उग आने से जो दिक्कतें पत्रकार और मीडिया जगत महसूस कर रहा है, झेल रहा है, उसकी गंध, उसकी तपिश सरकार तक भी पहुंचने लगी है. यकीन न हो तो मंत्रालय की ओर से जारी नोटिस के शुरुआती दो पैरे को ध्यान से पढ़िए-

“The policy guidelines for downlinking of television channels and guidelines for uplinking from India were notified on 11.11.2005 and 2.12.2005, respectively. Applications are received from the companies seeking permission to downlink TV channels in India and uplink TV channels from India as per these guidelines. Permissions are given only after the prescribed eligibility criteria are fulfilled by the applicant companies.

It has been observed that although improved technologies have resulted in better utilization of the available spectrum and transponder capacities, the spectrum and transponder capacities for satellite TV channels are not unlimited. A need is felt to revisit the present policy for uplinking and downlinking with respect to the approach towards grant of permission including the eligibility criteria and the terms and conditions of the permission. With the passage of time, a number of issues have arisen for consideration in this regard on which recommendations of Telecom Regulatory Authority of India (TRAI) have been sought.”

मतलब साफ है कि नए न्यूज चैनलों की ब्लैकमेलिंग, धमकियों और धन उगाही की प्रवृत्ति की चर्चा दूर-दूर तक होने लगी है. कोई भी घपलेबाज बिल्डर, भ्रष्ट नेता, शिक्षा माफिया जिस आसानी से पैसे के बल पर न्यूज चैनल चलाने का लाइसेंस हासिल कर खुद को रंगा सियार दिखाते हुए अपनी मीडिया की दुकान सजा लेता है, वह सब प्रक्रिया आगे इतना आसान नहीं रहने वाली है. मंत्रालय ने जो नोटिस जारी किया है, उसका आखिरी पैरा, जो स्पष्ट तौर पर बताता है कि नए न्यूज चैनलों को मंजूरी देने के काम को अगले आदेश तक रोक दिया गया है, वह इस प्रकार है-

“Pending receipt of TRAI’s recommendations on the issues and decisions thereon, it has been decided to suspend receiving applications for permissions to uplink TV channels from India and downlink TV channels in India under uplinking/downlinking guidelines with immediate effect, till further notice.”

कहा जा सकता है कि देर आए, दुरुस्त आए.

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0 Comments

  1. sarabjeet

    January 22, 2010 at 5:03 am

    bahut der kar di huzur aate aate…..
    sarkar ki aankh ab khuli hai? jaane kitno ki life barbaad kar di en naye channels ne. jinhe manjuri mil chuki hai, unki license ki bhi samikchh honi chahiye.
    gr8 news boss!! cheers.
    sarabjeet
    punjab

  2. saurabh mittal(co-ordinater--khuli kahaniya)

    January 22, 2010 at 5:04 am

    i am very hapy with this order of governmet to stop the licensensing for new news channel.now the 4th pole of democracy become corrupt,which is very shameful for us.

  3. divya

    January 22, 2010 at 5:09 am

    thank GOD….
    kukur mutte news channels pe rok lag gayee..

  4. Anand Raj

    January 22, 2010 at 5:41 am

    सरकार द्वार लिया गया ये फैसला बिल्कुल सही है।अब मीडिया की आड़ में काले धन को सफेद धन में बदलने वालों पर लगाम लगेगी।

  5. raj k

    January 22, 2010 at 6:38 am

    Yashwant ji, ek to aapne khabar late de wo bhi galat di hai, ye khabar 18 jan ki hai. Khabar ye hai ki naye channels ki manjoori par nahi balki naye aawedano par rok lagi hai wo agle adesh tak. kripya galat khabar mat phelaiye isse bhram phelta hai. Ye khabar to 2-3 din se prakashit ho rahi hai. Jin channels ke aawedan par manjoori prakriya chal rahi hai wo samanya roop me chalti rahegi. kripya sudhar kijiye.

  6. manish gupta

    January 22, 2010 at 8:05 am

    सरकार का ये कदम वारई काबिले तारिफ है लेकिन ये मसला भारतीय मीडिया पर ज्यादा प्रभावी नही हो पाएगा ।इससे पहले भी मीडिया पर सरकार ने अपना दबाव बनाने की कोशिश की थी लेकिन कुछ नहीं हुआ । ये बातें सिर्फ कागजों तक ही सही हैं असलियत कुछ और ही है ।

  7. vijay mishra

    January 22, 2010 at 8:37 am

    is faisale ka shayad hi koyi patrakar virodha karega lekin aane me thodi deri ho gayi lekin ye kaha ja sakata hai ki der aaye durusat aaye

  8. raj kumar sahu, janjgir

    January 22, 2010 at 8:40 am

    yah jaruri hai. vaise bhi desh mein news chinlon ki baadh aa gai hai. isi ko hi niyantrit karne mein suchna va prasaran mantralay ka pasina chhot raha hai.

  9. jaishankersuman

    January 22, 2010 at 10:21 am

    चैनलों की मंजूरी पर रोक लगाना इस लिए गलत है की इससे और भ्रष्टाचारी सक्रिय होंगे क्योकि की जो इमानदार है उसे चैनलों की मंजूरी लेने में परेशानी होगी और जिनके पास बलैक मणी है वे तो किसी न किसी तरह से हासिल कर ही लेगा , जितना शक्त कानून होगा उतना ही भ्रष्टाचार बढेगा पत्रकारिता में कौन इमानदार है और जो है उनके घरो में दो वक्त की सही ढंग से रोटी नहीं मिलती अगर रोटी मिल गई तो उनके बच्चो की परवरिश औरो पत्रकार की तरह नहीं होती , इसलिए पत्रकारिता में ईमानदारी और बेमानी की बात करना ईमानदारी को तमाचा मरने वाली बात कही जाएगी , और जो चैनलों या अखबारों के मालिक है वे तो इसलिए मिडिया में आते की उनकी कोई काम न रुके , आम लोगो से न तो पत्रकार को मतलब है और न ही मालिक को ,एक गरीब के बेटी के बलात्कार हो जाये तो चैनल में इसलिए खबर नहीं बनती की उसका प्रोफाइल नहीं है और किसी गरीब या किसान के बेटे की हत्या हो जाये तो अखबार में किसी कोने में छापेगा और किसी हाई प्रोफाइल की बेटी का कोई हाथ गलती से पकड़ ले तो मिडिया मे हेड लाइन खबर है , इसलिए मेरा मानना है की लाईशेंश शिर्फ़ उन पत्रकारों को दी जानी चाहिए जो सालो से अच्छी पत्रकारिता की हो और उनके लाईशेंश रद्द करने चाहिए जिनके पत्रकारिता के सही मापदंड गलत है

  10. preetam wandhare

    January 22, 2010 at 10:31 am

    500 news channel ki wajah se kam se kam 10,000 logonko rojgar milta. suchana prasarna mantralaya ne 10,000 logon ka rojgar china hai. yeh faisala bahut galat hai.

  11. sanjay mishra editor mumbai news

    January 22, 2010 at 11:08 am

    नए चैनल का आवेदन सरकार यदि पारित भी कर दे तो क्या फर्क इससे पड़ेगा ? समझने वाली बात है की टीवी पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम ज्यादा से ज्यादा मध्यम वर्ग देखता है बावजूद इसके मध्यम वर्ग से जुडी घटनाओं को दरकिनार कर दिया जाता है..स्लम इलाकों में बनने वाली खबर को तवज्जो नहीं मिल पाता जबकि देखा जाय तो किसी भी चैनल की टीआरपी इन्ही इलाकों से बढती है चूँकि ज्यादा से ज्यादा दर्शक वहीँ से होते हैं..मसलन के तौर पर अभिषेक बच्चन का विवाह ऐश्वर्या राय के साथ क्या तय हुआ सारी की सारी मीडिया वहां भेड़ बकरी की तरह से जमा हो गई नौबत तो यहाँ तक आ गयी की उस दौरान वहां पर काबिज सुरक्षा कर्मियों से मीडिया को दो दो हाथ करने पड़े जिसे युद्ध स्तर की पत्रकारिता यदि हम कहें तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी वहीँ दूसरी ओर सान्ताक्रुज़ पूर्व स्थित गोलीबार में एक विवाहित महिला को उसके ससुराल वालों ने इस कदर प्रताड़ित किया कि तंग आकर उसने आत्म हत्या कर ली लेकिन बड़े दुर्भाग्य कि बात है कि न्यूज़ कवरेज करने वहां कोई मीडिया नहीं पहुंची चूँकि प्रोफाइल लो बताया गया इसका मतलब खबर सिर्फ अमीरों से बनती है गरीब का वहां कोई वजूद नहीं है आखिर लोकतंत्र के चतुर्थ स्तम्भ को अपमानित करने पर कुछ लोग क्यों अमादा हैं , ऐसे में नया चैनल लांच करके कोई कौन सा तीर मार लेगा इसलिए वाकई में नए चैनल का पंजीकरण रोक देना सरकार का फैसला किसी न किसी मायने में सही है……

  12. faiz

    January 22, 2010 at 12:00 pm

    sarkar ek achcha faisla.

  13. Shobhit Jindal, Zoom Mumbai

    January 22, 2010 at 12:29 pm

    नये न्यूज़ चैनल्स को स्पेक्ट्रम स्पेस का बहाना बनाना उनकी मंजूरी पर रोक लगाने वाला आई बी मिनिस्ट्री का ये फैंसला कहीं से भी तर्कसंगत नज़र नहीं आता…..ये कदम उठाकर सरकार एक चोर दरवाज़ा तलाश रही है मीडिया पर लगाम लगाने का और मीडिया पर लगाम कसने वाले विधेयक को लाने का……लेकिन वो ये भूल जाती है कि अगर आज आम आदमी को कोई समस्या है तो वो पुलिस के पास जाने से डरने लगा है पहले वो मीडिया के पास आता है….क्योंकि वो मीडिया के साथ ज़्यादा सुरक्षित महसूस करता है….और सरकार को अच्छी तरह से मालूम है कि अगर नये न्यूज़ चैनल्स को मंजूरी दी गयी तो मीडिया का प्रचार प्रसार बढ़ने के साथ साथ उसकी ताकत भी बढ़ जायेगी, और कॉंपिटिशन के दौर में ये चैनल्स सरकार की पोल पट्टी खोलने से रुकेंगे नहीं…..सो वो इस सिलसिले को स्पेक्ट्रम स्पेस ना होने का बहाना बनाकर यहीं पर रोक देना चाहती है। जो कतई स्वीकार्य नहीं, और वैसे भी जब से मीडिया में में विदेशी निवेश चालू हुआ है तब से सरकार को ये डर खाये जा रहा है कि ये विदेशी चैनल्स अपने पैसे की ताकत का फायदा उठाकर उसे बेनकाब करने से बाज़ नहीं आयेंगे और इसी वजह से तमाम बड़े चैनल्स के लाईसेंस तक रोक दिये गये हैं। इसीलिये अच्छा यही होगा कि पूरे मीडिया जगत को एकजुट होकर सरकार के इस फैंसले का विरोध करना चाहिये।

  14. Abhilash Tiwari

    January 22, 2010 at 12:29 pm

    That is the good step of IB ministry.The corruption in media is increasing day by day if we want to controle over it than it is necessary to take a hard step on this direction.

  15. Shobhit Jindal, Zoom Mumbai

    January 22, 2010 at 12:31 pm

    सरकार का ये फैंसला एकदम ग़लत है क्योंकि वो अपनी पोलपट्टी खुलने के डर से ऐसा बिल्कुल नहीं होने देगी

  16. ajay

    January 22, 2010 at 1:36 pm

    agar aisa hai toh fir jinhe manjuri di hai. unki janch ki jaaye. kai news channel toh aise hai jo sirf kagjo mai hai ya fir kisi aur ko bechne ke liye hai.

  17. fayaad khan

    January 22, 2010 at 2:48 pm

    it is great that blackmailers will be restricted to join the fourth pillar of democracy..also.govt.must do with this cable mafia not showing all the news channels..

  18. rajeev

    January 22, 2010 at 3:51 pm

    bahut jyada ho gye hain news channel isliye ab aur nahi ..agar ye thik hai to.. baut jyada ho gye hain polticians & political parties is liye ab aur nhi..

  19. Chandan Singh

    January 22, 2010 at 5:00 pm

    ise to bahut pahle hi hona tha…..lekin mai ek bat un media gharo mai baithe guru ghantalo ko jaroor batana chahunga ki kam se kam ab bhi ptrakarita ko baksh de…. khas kar electronic media ne jis trah se ptrakarita ko bebsai ka rop de dia hai…….use ab bakas de….

  20. desh deepak singh

    January 22, 2010 at 5:51 pm

    deyr aye durust aye bus upper waley itna karam karna ki patrakarita key badey madadhees ismey apni rooti na seynkey

  21. Navin

    January 23, 2010 at 12:10 am

    ये तो सही है पर छोटे छोटे शहरों मे चलने वाले तथाकथित समाचार चैनलो पर सरकार की नज़र क्यों नहीं पडती जो बिना लाइसेंस के बेखौफ़ हो कर समाचारों का प्रसारण करते है

  22. ek shubhchintak

    January 23, 2010 at 3:51 am

    ye sarkar ka 1 bahut socha suljha faisla hai. isse kam se kam aapradhik kism k log ko media ki aad lekar apne kaale karnamo ko anjaam nahi de sakenge. waise bhi in logo ke chalte patrakaro ko khjasi nirasha hath lagi hai, aur patrakarita ko 1 grahan lag gaya tha. is par kuch had tak to kuch samay ke liye media jagat ko rahat milegi.

  23. Ankit Mishra, Barabanki(UP)

    January 23, 2010 at 7:33 am

    Sarkar Ka ek Achca Fhaisla.

  24. sanjay pandey video editor

    January 23, 2010 at 9:00 am

    agar gov. ne licen. na dene ka faishal diya hai to…..sabhi media school ko bhi band karwa de kyon ki lakho media students kahan jayenge…..unke future ka bhi dhyan rakha jaye….

  25. susheel

    January 23, 2010 at 12:40 pm

    sarakar ka faisala ekdam thik hai jo log channel ke dam par kale dhan ko safed mai tabdil kar lete hai

  26. abhimanyu allahabad

    January 23, 2010 at 3:12 pm

    NAYE CHANNEL KO LAISENCE DENA PAR TO SARKAR NE ROK LAGA DI HAI PAR UN PURANE CHANNEL KE BARE ME SARKAR KYO NAHI SOCHTI JO CHANNEL KI AAND ME APNI MANMANI KAR RAHE HAI.

  27. anil dutt sharma

    January 23, 2010 at 4:30 pm

    this step is correct, but desides this govt should also take a look on the deteriorating conditions of the emplyooes of small channels, which are feeded on ‘chillars’. There are various other problems related to this field, just have a look on it…..yahan dal mein bahut kuch kala hai

  28. Arjun Chaudhary

    January 24, 2010 at 5:47 am

    licence diya jaaye par dene se pehle ye dekh liya jaaye ki kya koi criminal ya poltician piche se paise to nahi laga raha channel me kyonki aise hi logo ne media or dhande wali me koi fark nahi chora .inki wajah se aaj sanvidhaan ka chautha stambh apni garima khota jaa raha hai

  29. Arjun Chaudhary, Reporter, delhi

    January 24, 2010 at 5:58 am

    sarkar ka ye faisla sahi bhi hai or nahi bhi sahi isliye hai kyonki media ke andar dalaal,criminal,or politician log aag gaye hai jin logo ne apna paisa laga kar media ko dhande wali bana dia hai. in logo ki wajah se hi sanvidhaan ka chutha stambh aaj apni garima khota jaa raha hai. or ye faisla galat isliye hai kyonki jiske andar pratibha or junnon hai media ko aasman ki bulandio tak pauchaane ka un logo ke is faisle se hosle or armaan tut jaayenge

  30. Rohit Gupta

    February 2, 2010 at 9:20 am

    इस तरह के फैसले से कुकुरमुत्ते की की तरह फैले फर्जी न्यूज़ चैनल तो बंद होंगे ही और तो और बड़े बड़े उद्योग पतियों व माफियाओ जो की गलत ढंग से न्यूज़ चैनल की आड़ में अपना फायदा निकलते है !
    बिलकुल सही है !

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