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दुख-दर्द

एक खबर जो खबर न बन सकी

महोदय, मैं आपको उस खबर की जानकारी देना चाह रहा हूं जो मीडिया जगत के लिये खबर होकर भी खबर नहीं बन सकी तो डींगे हांकने वाले आला अधिकारी भी खामोश बैठे हैं. यह मामला मध्य प्रदेश के सतना जिला अस्पताल की एक ऐसी महिला चिकित्सक का है जो बच्चों की गहन चिकित्सा ईकाई (एससीएनयू) में नियुक्त रही और उसने एक जिंदा नवजात को सिर्फ इसलिये मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया क्योंकि उसे अपने नर्सिंग होम जाना था और उसे लग रहा था कि जल्द ही वह बच्चा मर जायेगा. हालांकि इसके लिये नर्सिंग स्टाफ द्वारा मना भी किया गया लेकिन उसने यह कह दिया कि बच्चे को बचना तो है नहीं. तुम परेशान मत होओ. यह कह कर वह चली गई.

<p align="justify">महोदय, मैं आपको उस खबर की जानकारी देना चाह रहा हूं जो मीडिया जगत के लिये खबर होकर भी खबर नहीं बन सकी तो डींगे हांकने वाले आला अधिकारी भी खामोश बैठे हैं. यह मामला मध्य प्रदेश के सतना जिला अस्पताल की एक ऐसी महिला चिकित्सक का है जो बच्चों की गहन चिकित्सा ईकाई (एससीएनयू) में नियुक्त रही और उसने एक जिंदा नवजात को सिर्फ इसलिये मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया क्योंकि उसे अपने नर्सिंग होम जाना था और उसे लग रहा था कि जल्द ही वह बच्चा मर जायेगा. हालांकि इसके लिये नर्सिंग स्टाफ द्वारा मना भी किया गया लेकिन उसने यह कह दिया कि बच्चे को बचना तो है नहीं. तुम परेशान मत होओ. यह कह कर वह चली गई. </p>

महोदय, मैं आपको उस खबर की जानकारी देना चाह रहा हूं जो मीडिया जगत के लिये खबर होकर भी खबर नहीं बन सकी तो डींगे हांकने वाले आला अधिकारी भी खामोश बैठे हैं. यह मामला मध्य प्रदेश के सतना जिला अस्पताल की एक ऐसी महिला चिकित्सक का है जो बच्चों की गहन चिकित्सा ईकाई (एससीएनयू) में नियुक्त रही और उसने एक जिंदा नवजात को सिर्फ इसलिये मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया क्योंकि उसे अपने नर्सिंग होम जाना था और उसे लग रहा था कि जल्द ही वह बच्चा मर जायेगा. हालांकि इसके लिये नर्सिंग स्टाफ द्वारा मना भी किया गया लेकिन उसने यह कह दिया कि बच्चे को बचना तो है नहीं. तुम परेशान मत होओ. यह कह कर वह चली गई.

तब अन्य डाक्टरों को बुलाया गया और उसका उपचार प्रारंभ किया गया और स्थिति नियंत्रण में आने पर उसे मेडिकल कालेज रिफर किया गया. इस मामले को दबाने के जहां पूरे उपाय किये गये तो कलेक्टर के संज्ञान में आने के बाद भी इस मामले में खामोशी ही ओढ़ रखी गयी है. वहीं प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव श्री मोहंती भी इनके काफी क्लोज बताये जाते हैं. अब अपने आप में स्पष्ट है कि इतना गंभीर मामला होकर भी कोई कार्यवाही क्यों नहीं हो रही. मेरा आप सबसे निवेदन है कि इस मामले को यदि देश प्रदेश स्तर पर उठा सकते हैं तो शायद चिकित्सा जगत व दीन हीन मरीजों पर उपकार होगा. यह घटना अभी एक माह के अंदर की ही है. आपकी जरूरतों के लिये मैं संबंधित मोबाइल नम्बर भी दे रहा हूं.

सिविल सर्जन जिला अस्पताल सतना- डॉ प्रमोद पाठक 09425810372

सीएमएचओ सतना – डॉ. आर.एस. दण्डोतिया 09826448899

एससीएनयू इंचार्ज – डॉ. आर.पी.पटेल 09826136160

कलेक्टर सतना – सुखबीर सिंह 9893738222

एक पत्रकार द्वारा भड़ास4मीडिया को भेजा गया पत्र

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0 Comments

  1. PRITI PANDEY

    January 22, 2010 at 2:20 am

    GOOD STORY RATHER IT IS SOMETHING WHICH INDICATES INHUMANITY, BRUTALITY & ABOVE ALL SAD COMPROMISE WITH THE SITUATIONS. BOSS KEEP IT UP.

  2. jayant chaddha

    January 22, 2010 at 5:08 am

    दर्दनाक स्टोरी है… काश वक्त पर पता चल जाती…।

  3. Haresh Kumar

    January 22, 2010 at 5:31 am

    पैसे के लोभ में आज आदमी इस कदर गिर चुका है कि उसे सही- गलत का एहसास ही नहीं। वह तो सिर्फ पैसा कमाने की मशीन बन चुका है। ऐसे में उससे उम्मीद करना बेमानी हैं कि वह इंसानियत की रक्षा करे। अगर कोई पैसे वाले की संतान होता तो क्या उसे इसी तरह छोड़कर चली जातीं नहीं कभी नहीं, गरीबों को रोने का भी हक नहीं है वह पैदा ही इसलिए लेता है कि न्यूज़ चैनल को मशाला मिलता रहे, ऐसे में समाज के जागरूक लोगों का कर्तव्य बनता है कि इस तरह के असामाजिक तत्वों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाए , जिससे भविष्य में कोई और इस तरह के गलत हरकत करने से पहले सौ बार सोचे। चिकित्सक के पेशा को भगवान का दर्जा प्राप्त है और आज कल चिकित्सक किसी का अंग चोरी कर लेते हैं, फिर किसी पैसे वाले को बेच देता है।नज़ीर का कथन सही है आदमी -आदमी को खाता है (पैसे के लिए कुछ भी कर सकता है) कभी अपने बूढ़े मां-बाप को धक्के दे कर ठोकरें खाने को मज़बूर कर देता है। तो कभी उसकी लाचारी पे आंसू बहाता है। आपसे अनुरोध है कि आप इन समाज विरोधी तत्वों को सबक सिखाने में हर संभव कदम उठायें हम सभी आपके साथ हैं। जय हिन्द जय भारत !

  4. Sanjay

    January 22, 2010 at 5:44 am

    Sorry, Dosto garib or LOW profile insano ke dukh unki BETIYO se BALATKAR par storiya nahi banti he han mamla HIGH profile logo ka ho to aaj ka media “maan na maan me tera mehmaan” vale andaj me khod-khod kar roj naye angle se storiya karta he ye ghatna is baat ka sabut he “HE NA”.

  5. dharmdeo

    January 22, 2010 at 6:21 am

    ase lprwah doctero ki doctred ki digree chhin leni chahiye inka pesa mrijo ka ilaj krana nahi blki ye sirfh paise ko pachante hai

  6. rahul sharma

    January 22, 2010 at 12:52 pm

    jis bhi patrkar sathi ne is mamle ko ujagar kiya hai, nishchit hi wo badhai ka patr hai. magar is mamle main ab tak koi karwai nahin hona aur lokal istar par iska khabar nahin ban pana media jagat ki kamjor padti dhar ko bhi ujagar karta hai. iske sath hi prashasan ki mansikta aur karyasheli bhi darshata hai.

  7. dharmendra kumar sharma

    January 22, 2010 at 1:04 pm

    भैया घर घर देखा एक ही लेखा,

  8. avinash kumar jha

    January 22, 2010 at 4:25 pm

    is story per kya coverage hua plz yaswant ji avasy collect ki jiyega.
    bahut khatarnak situation per paunch chuka hai yeh compromiseing nature.is per ab nigahe nahi tani gayi to vibhatsa roop dekne ko milega…bahut sukriya gumanam patrakar ka n yaswant ji jo aap yeh vichar-prachar manch muhaya karaye hai.

  9. pks

    January 23, 2010 at 7:18 am

    ye bat papers me usi din chap chuki hai, rahi bat karwahi ki to ye kam media ka nahi hai. 5 din palhe sambha comm. ko is bat se sabhi ne augat kara dia gaya , laikn koi karwai nahi hui. cm change kar lijiya sab kuch sahi ho jaye, ye bat unke bhi jankari me hai. jilye ke bade officer inhi mam ke yaha jate to karwai kaya khakh hogi.yahe ke yek no one paper ke malik mam ke nursining home me jate hai to kaya mamala uthega.

  10. S Kumar Singh

    January 23, 2010 at 2:18 pm

    ये तो अमानवियता की हद है। पहले तो मैडम से कहे कि वो अपने पूरे परिवार का मृत्यु प्रमाण-पत्र भी बनवाकर रख लें, क्योंकि भरोसा नहीं कब क्या हो जाए। या फिर उनके पास ये पावर रहे ना रहे। इनकी डिग्री भी छिनी जानी चाहिए। मामला पूरा फिल्म नायक जैसा हो गया है। साला सब ह…..मी है। सच ही कहा अगर ये मामला हाई प्रोफाइल होता, तो अब तक सबकी वाट लग गई होती। मीडिया के हाथ में अभी भी ताक़त है, चाहे तो मैडम को सज़ा ज़रूर मिल सकती है।

  11. srikant

    January 24, 2010 at 11:35 pm

    मामला हाईप्रोफाइल ही है इसी लिये नहीं उजागर हो रहा है. पहला तो यह कि जिस डाक्टर ने यह प्रमाण पत्र दिया है उसके दैनिक भास्कर के मालिक अजय अग्रवाल से संबंध बेहतर है. इसके एक पुराने मामले में वे स्वयं मामला मैनेज करने उसके नर्सिंग होम गये थे इसका खुलासा एक गुमनाम शख्स की साइट http://newspostmartem.blogspot.com/2009/11/blog-post_12.html में किया गया है. उसके बाद मृत्यु प्रमाण पत्र का मामला जब सामने आया तो यह चिकित्सक अपने संबंध के आधार पर म.प्र. के स्वास्थ्य आयुक्त मोहंती का नाम लेकर बच रही है. इससे बड़ा प्रमाण क्या होगा कि यह संविदा चिकित्सक जिसे कलेक्टर स्वयं हटा सकते हैं मामले की पूरी जांच के बाद भी शासन को लिखने को आदेश देते हैं जबकि कुछ दिन पहले वे स्वयं एक संविदा चिकित्सक को हटा चुके हैं. जनसंख्या स्थिरिकरण के मामले में भी यह चिकित्सक अपने दिल्ली के लिंक का प्रयोग कर लाखों का भुगतान करा चुकी हैं. अधिकारियों को अमरजीत सिंन्हा के संबंधों का भी हवाला देने से नहीं चूकती. रही बात अखबार में यह खबर प्रकाशित होने की तो यह खबर नहीं प्रकाशित हुई बल्कि यहां संभागायुक्त का दौरा हुआ था तो कुछ रिपोर्टरों ने उनसे इस खबर पर कार्यवाही न होने की शिकायत जरूर की थी और उनका जांच कराएंगे वाला जवाब चार लाइनों में छापा गया था.

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