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दो अखबारों की गर्दन मरोड़ दी

एक देश का, दूसरा विदेश का : एक ने गलत कैप्शन छापा, दूसरे ने सरकार की पोल खोली : वजह चाहें जो भी हो, लेकिन भुगतना पड़ा है दो अखबारों और इनमें कार्यरत कर्मियों को. जम्मू-कश्मीर के एक अखबार को इसलिए बंद करा दिया गया क्योंकि सोनिया गांधी की तस्वीर के नीचे घटिया किस्म का कैप्शन लगा दिया गया था. सोनिया की यह तस्वीर जम्मू-कश्मीर के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सैफुद्दीन सोज के साथ 30 मई को प्रकाशित हुई. इसी तस्वीर पर आपत्तिजनक-अपमानजनक कैप्शन लगाकर अखबार पब्लिश करा दिया गया था.

<p style="text-align: justify;"><strong>एक देश का, दूसरा विदेश का : एक ने गलत कैप्शन छापा, दूसरे ने सरकार की पोल खोली :</strong> वजह चाहें जो भी हो, लेकिन भुगतना पड़ा है दो अखबारों और इनमें कार्यरत कर्मियों को. जम्मू-कश्मीर के एक अखबार को इसलिए बंद करा दिया गया क्योंकि सोनिया गांधी की तस्वीर के नीचे घटिया किस्म का कैप्शन लगा दिया गया था. सोनिया की यह तस्वीर जम्मू-कश्मीर के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सैफुद्दीन सोज के साथ 30 मई को प्रकाशित हुई. इसी तस्वीर पर आपत्तिजनक-अपमानजनक कैप्शन लगाकर अखबार पब्लिश करा दिया गया था.</p>

एक देश का, दूसरा विदेश का : एक ने गलत कैप्शन छापा, दूसरे ने सरकार की पोल खोली : वजह चाहें जो भी हो, लेकिन भुगतना पड़ा है दो अखबारों और इनमें कार्यरत कर्मियों को. जम्मू-कश्मीर के एक अखबार को इसलिए बंद करा दिया गया क्योंकि सोनिया गांधी की तस्वीर के नीचे घटिया किस्म का कैप्शन लगा दिया गया था. सोनिया की यह तस्वीर जम्मू-कश्मीर के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सैफुद्दीन सोज के साथ 30 मई को प्रकाशित हुई. इसी तस्वीर पर आपत्तिजनक-अपमानजनक कैप्शन लगाकर अखबार पब्लिश करा दिया गया था.

यह अखबार उर्दू का है. नाम है ‘अलसाफा’. श्रीनगर से प्रकाशित होने वाले इस अखबार के आफिस को पुलिस ने सील कर दिया. इस अखबार के संपादक अशरफ शब्बान को 23 जून तक की मोहलत दी गई है. अगर वे 23 जून तक श्रीनगर के जिला मजिस्ट्रेट के सामने उपस्थित होकर अपना पक्ष नहीं रखते हैं तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है. श्रीनगर के जिला मजिस्ट्रेट का कहना है कि अभद्र टिप्पणी के कारण अराजकता फैलने की आशंका थी, इस कारण प्रशासन को अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए यह कदम उठाना पड़ा. कश्मीर के कई पत्रकार संगठनों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है जबकि कुछ का कहना है कि अखबार बंद करा देना उचित कदम नहीं है. अखबार प्रबंधन के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जा सकती थी लेकिन अखबार बंद कराने से लोकतांत्रिक परंपराओं की हत्या की गई है. अखबार बंद कर दिए जाने जैसी कार्रवाइयों के कारण भविष्य में लोग साहस के साथ सच बोलने से डरेंगे. 

दूसरी खबर ढाका से है. बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के मुखपत्र को सत्ताधारी पार्टी के इशारे पर बंद करा दिया गया है. पुलिस ने मुखपत्र ‘अमार देश’ के ढाका स्थित दफ्तर को सील कर अखबार के संपादक एम. रहमान को गिरफ्तार कर लिया है. इससे पहले बीएनपी के मुखपत्र के प्रकाशन को सरकार द्वारा अवैध घोषित कर दिया गया था. खालिदा जिया की पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के मुखपत्र के संपादक को गिरफ्तार करने में पुलिस को अखबार में कार्यरत कर्मियों के पुरजोर विरोध को झेलना पड़ा. बीएनपी ने सरकारी विभागों और पुलिस की निंदी की है. पार्टी का आरोप है कि सरकारी लोग कानून के तहत नहीं बल्कि सरकार व सत्ताधारी पार्टी के निजी एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं और बिना किसी कानूनी दस्तावेज के अखबार बंद कराने जैसे कारनामे अंजाम दे रहे हैं. बताया जाता है कि ‘अमार देश’ अखबार में सरकार विरोधी खबरें लगातार छप रही थीं जिससे पुलिस-प्रशासन की नजरें इस पर टेढ़ी थी और सत्ता में बैठे लोगों की हरी झंडी मिलते ही इसे बंद करा दिया गया.

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0 Comments

  1. कमल शर्मा

    June 4, 2010 at 9:03 am

    श्रीनगर के अखबार अलसाफा ने जो अभद्र फोटो कैप्‍शन छापा उसके लिए अखबार के मालिक एवं संपादक को दंड दिया जाना चाहिए, उनके खिलाफा कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन पूरे अखबार पर ताला जड देना, उचित नहीं है। अखबार को पूरी तरह बंद कर देने से उसमे काम कर रहे कई पत्रकारों, गैर पत्रकारों की रोजी रोटी ही चली गई। सरकार को इन प्रभावित कर्मियों के भरण पोषण की व्‍यवस्‍था करनी चाहिए। अपने संपादक या मालिक की गलती का दंड उसका स्‍टाफ क्‍यों भोगे। ताला जडने से पहले स्‍टॉफ वालों के लिए नौकरी की क्‍या व्‍यवस्‍था की। दूसरा वहां के जो पत्रकार संगठन सरकार के कदम का स्‍वागत कर रहे हैं क्‍या वे वहां के निर्दोष कर्मचारियों को हर महीने सेलेरी आदि देंगे या रोजगार देंगे। या ये संगठन सरकार के फंड से चलते हैं जो निर्दोष लोगों के रोजगार का साधन बंद होने पर स्‍वागत कर रहे हैं। जो दोषी है उसे दंड दो। अन्‍य बात, अभद्र टिप्‍पणी से अराजकता फैल सकती थी, तोगडिया जैसे कई नेता हर दल में ऐसे नेता, वे जब अनाप शनाप बकते हैं तो क्‍या उससे अराजकता फैलने का डर नहीं है। सरकार आगे से बकवास करने वाले नेताओं के मुंह पर भी ताला लगाएं।

  2. Munna Las

    June 4, 2010 at 1:46 pm

    Hello!!!

  3. akbar

    June 5, 2010 at 6:02 am

    ;g yksdra= gS HkkbZ] ;gka ij ljdkj pkgs tks dj ldrh gS pkgs og ehfM;k gks ;k dksbZ laxBu]

  4. govind goyal,sriganganagar

    June 5, 2010 at 12:13 pm

    media ke naam par kuchh bhee karne kee aajadi nahin honi chahiye.

  5. rkkadian

    June 6, 2010 at 7:52 am

    Bilkul Sahi Baat he Sir

  6. pardeep sharma

    June 7, 2010 at 9:09 am

    jo sangthan sarkar ke adesho ko thik bata rahe he lagata he ki sarkar unke ghar me rashan dal kar jati he kyoki unko samachar se judhe karm chariyo ka v unke parijano ka koi khyal nahi he yah fir ve sarkari paltu kute ki trah bhoknte he dosto kisi ki khilafat karo lekin dhang se apne sabhi bhaiyo ka v unke parivaro ka jarur khyal rakhe nahi to pata nahi tum par bhi kab sarkar ki gaj gir jaye kyoki sarkar matlab ke liye patrkaro ka istemal karti he apko to chaiye ki apne sangthan ko majbut kar sarkar ke virudh avaj uthaye

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