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दुख-दर्द

निरुपमा की मौत और टीवी-प्रिंट वालों की चुप्पी

निरुपमा पाठकनीरू की मौत (11) : क्या टीवी उन्हीं के लिए इंसाफ मांगता है जिनमें टीआरपी एलिमेंट हो : यह एक लड़की का मामला नहीं बल्कि लड़कियों की पूरी कौम पर तमाचा है : बिना नाख़ून-दांत के शेर महिला आयोग को भी इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए : यशवंत भाई, नीरू मसले पर सबसे पहले तो आपको बहुत बधाई. वैसे इसे यदि बधाई कहूँ तू शायद शब्द छोटा होगा. आपने पत्रकारीय मानदंडों और उस तमीज का पालन किया है जो हर पत्रकार से अपेक्षित होती है. इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि सड़ी से सड़ी ख़बरों को जबरदस्ती घंटों तक हमें जबरिया झिलाने वाले न्यूज़ चैनलों और अखबारों से ये खबर लगभग नदारत सी ही है.

निरुपमा पाठक

निरुपमा पाठकनीरू की मौत (11) : क्या टीवी उन्हीं के लिए इंसाफ मांगता है जिनमें टीआरपी एलिमेंट हो : यह एक लड़की का मामला नहीं बल्कि लड़कियों की पूरी कौम पर तमाचा है : बिना नाख़ून-दांत के शेर महिला आयोग को भी इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए : यशवंत भाई, नीरू मसले पर सबसे पहले तो आपको बहुत बधाई. वैसे इसे यदि बधाई कहूँ तू शायद शब्द छोटा होगा. आपने पत्रकारीय मानदंडों और उस तमीज का पालन किया है जो हर पत्रकार से अपेक्षित होती है. इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि सड़ी से सड़ी ख़बरों को जबरदस्ती घंटों तक हमें जबरिया झिलाने वाले न्यूज़ चैनलों और अखबारों से ये खबर लगभग नदारत सी ही है.

आश्चर्य होता है और दुःख भी, लिखने में कष्ट भी हो रहा है क्योंकि अब तक हम ये समझ गए हैं कि टीवी उनके लिए ही इन्साफ मांगता है जिनमे टीआरपी एलिमेंट हो. मसलन उसका प्रोफाइल बढ़िया हो. वो दिखने में सुन्दर हो तो क्या कहने. टीआरपी स्टेट से आती हो तो टीवी उसे लपकने में ज़रा भी देर नहीं करता.

 

आप और भड़ास4मीडिया के पाठक ज़रा सा पीछे देखें. जेसिका लाल, रुचिका, आरुशी जैसे कई मामलों में टीवी ने कई घंटे खर्चे और एक तरह से समानांतर इन्वेस्ट्गेसन करके खुद को खोजी दिखाने की कोशिश की फिर ऐसा क्या हुआ जो उन्हें नीरू के मामले में नहीं दिखता…? क्या वे विद्वान लोग ये सोचते हैं कि इसमें टीआरपी फेक्टर नहीं है…? इस मामले को यूँ ठंडा नहीं होने दिया जाना चाहिए. कई बार मैंने आपके भड़ास4मीडिया में प्रकाशित ख़बरों से असहमति भी रखी, उसके बावजूद इस बात से मैं निर्विवाद तौर पर ये कह सकती हूँ पत्रकारों से जुडी समस्यायों और उनके सरोकारों को सबसे ज्यादा मंच मिला भड़ास4मीडिया पर. ख़ासतौर पर इस घटना के लिए आपकी सराहना जितनी की जाए कम है.

अभी बेशक ये जल्दबाजी होगा कहना कि उसका मर्डर हुआ लेकिन फिर भी किन हालातों में उसकी मौत हुई, ये भी चैनलों और अखबारों के लिए खबर तो है लेकिन उसे लिया नहीं गया. एक खबर भड़ास4मीडिया पर ही पढी कि नीरू प्रेग्नेंट थी, उनके पिता का संस्कारों वाला मैसेज भी पढ़ा. क्या उनके पिता को यही संस्कार दिए गए हैं कि जिस फूल सी बेटी को उन्होंने जन्म दिया उसे इस तरह से मरने दिया जाए. उन्होंने जाति के नाम पर जितने भी गुनाह गिनाये हैं (गुनाह शब्द मेरा नहीं है उनका ही नजरिया है) उन सबसे बड़ा तो ये गुनाह है जो उनकी बेटी को असमय मौत के मुंह में धकेल रहा था. इस मामले का सच बेशक सामने आना चाहिए क्योंकि ये सिर्फ एक बेटी का मामला नहीं है बल्कि लड़कियों की पूरी कौम पर तमाचा है. खाप को लेकर बात बात में हल्ला मचाने वाले बिना नाख़ून-दांत के शेर महिला आयोग को भी इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए.

लेखिका जान्हवी स्वतंत्र पत्रकार हैं.

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0 Comments

  1. ashok

    May 3, 2010 at 2:44 pm

    नहीं जहान्वी मीडिया को गाली मत दीजिए. पीटीआई, बीबीसी, भास्कर, टीवी9 सहित कई चैनल और अखबारों ने इसे दिखाया और छापा है. एनडीटीवी ने तो लगभग मिशन ही बना लिया है. हमें उन्हें शुक्रिया भी कहना चाहिए.

  2. Abhishek kumar

    May 3, 2010 at 4:02 pm

    The post mortem report indicates the girl was smothered with a pillow. The girl was also found to be 8 to 12 weeks pregnant,” said G Kranti Kumar, SP, Koderma.

    iske mutabik to PRIYABHANSHU ko bhi saja honi chahiye kyonki bhartiya vivah kanun ke antargat shadi se pahle pregnant karna kanuni jurm hai…

    Z Ness, star news india tv sabhi news channel is baat ko daba rahen…. aadhi news kyon dikha rahen hain ???? nirupma ke maa baap bhai to doshi hain hi lekin………????

  3. dharmendra

    May 3, 2010 at 7:53 pm

    yaswant ji aap hamre comment to lagayenge nahi ek baar visfot .com par “घर घर में खाप का पाप” par hui tipaniyon ko jarur padh lijiyaga ye tipani yahan lagane ke liye nahi apke padhne ki liye hai ho sake to use copy karke yahan laga den bhadas par bhi kuch achhe commet aane chahiya to logon ko sahi jankari mile…

  4. dharmendra

    May 3, 2010 at 7:57 pm

    yashwant ji “घर घर में खाप का पाप” par ye tipaniya hai jo apke padhne ke liye bhej raha hun…

    विजय झा on 03 May, 2010 22:38;20

    भाई पुष्यमित्र आप कहना क्या चाह रहे हो ?
    माँ – बाप अपने बेटा या बेटी को दिल्ली या मुंबई भेजता है, अपना स्वर्णिम भविष्य निर्माण के लिए, ना की बिन ब्याही माँ बनाने के लिए और ना ही हरामी की औलाद पैदा करने के लिए. जैसा की इस लड़की के साथ हुआ है.

    एक बात और जब अपने पे आता है ना तो सारे आदर्शवादिता धरा के धरा रह जाता है. दुसरे के जलते घर में हाथ सेंकना बहुत आसान है————————————–.

    क्या उस लड़का का कोई दोष नहीं जो उस अभागी लड़की को बिन ब्याही माँ बना दिया ? क्या हमारा और आपका कोई उत्तरदायित्व नहीं , जो समाज में किसी को हरामी की औलाद से विभूषित ना होना पड़े, इसके लिए वातावरण का निर्माण करे. जिससे भविष्य में फिर कोई निरुपमा आत्म हत्या करने को प्रेरित हो या फिर किसी बाप को अपनी लाडली को अपने ही हाथों लोकलाज के डर से गला दबाना पड़े.
    1
    चक्रधर on 04 May, 2010 00:00;48

    विजय झा जी, क्या आपको मालूम है कि दोनों की शादी पांच मार्च को ही होनेवाली थी. इसके लिए आर्य समाज मंदिर भी बुक कर लिया गया था लेकिन लड़की ने ही कहा कि घर की सहमति लेकर शादी करेंगे.

    और सिर्फ पंडितों के मंत्रोच्चार में अग्नि के सात फेरे लेना ही शादी होती है क्या? आपको शायद पता न हो, हाल में ही सुप्रीम कोर्ट ने भी बिना विवाह किसी जोड़े के शारीरिक संबंध को आपराधिक करार नहीं दिया जा सकता.
    0
    big boss on 04 May, 2010 00:11;50

    बंधू,
    आप किस खुलेपन की पैरोकारी कर रहे हैं? हमें अगर किसी की मौत पर मर्सिया ही पढना है तो बात वहीँ की वहीँ रह जायेगी. आखिर घर-परिवार और उसके संस्कार भी कुछ होते हैं. आखिर जातिगत बंधन भी तो हमारे देश में सदियों से चला आ रहा है? लड़की पत्रकार हो जाए, या डाक्टर हो जाए या किसी और प्रोफेसों में चली जाए तो वह उस परिवार की मान्यताओं और सोच से अलग थोड़े हो जाती है, जहाँ उसका जनम हुआ है. निरुपमा की मौत का जिम्मेदार कौन है, इसकी तफ्तीश पुलिस करेगी, पर कम से कम उस कमबख्त लड़के को भी नहीं बक्शा जाना चाहिए जिसके फुसलावे में एक नौजवान लड़की अपने परिवार की मान्यताओं को छोड़ने को तैयार हो जाती है.
    बंधू दुआ कीजिये कि किसी परिवार में ऎसी नौबत ही न आये, जहाँ लड़कियां अपने माता-पिता की इच्छाओं के खिलाफ कदम बढ़ने को मजबूर हों. भारत को भारत रहने दीजिये, अमेरिका-योरोप मत बनाईये. जो परिवार अपने घर के सदस्य को पढ़ा-लिखाकर बड़ा करता है, संस्कार देता है, क्या उसका कोई हक नहीं बनता?
    वैसे भी जिस युग में लड़कियां लड़कियों से और लड़के- लड़कों से गृहस्थी चलने की बात कर रहे हों, वहां वैवाहिक सम्बन्ध तो चोटिल होंगे ही.
    जिस देश में विवाह पहले, प्यार बाद में हुआ है, वहां प्यार कि महक जीवन भर रहती है. विवाह पूर्व प्यार कि महक शायद कागजी होती है…..
    0
    on 04 May, 2010 00:21;22

    जो छिपकर मुंह मारते हैं वही सबसे अधिक नैतिकता और भारतीयता की दुहाई देते हैं. यह कितना बड़ा फिलोस्पर है जो कह रहा है कि बैल को पीछे रखो और गाड़ी को आगे कर दो. जनाब फरमा रहे हैं कि पहले शादी कर लो फिर प्यार कर लेना. इसी में तो पूरा देश तहस नहस हो रहा है. और ये संस्कृति के ठेकेदार अपना झण्डा उठाये घूम रहे हैं और ऐसे जघन्य अपराधों के बाद भी इनके मुंह में जबान बची हुई है.
    0
    Hitlar on 04 May, 2010 00:48;21

    मित्र जी,
    आपकी बात मुझे सौ फीसदी जँची नहीं, मैं झा जी की बात से सहमत हूँ और आपकी जानकारी के लिए बता दूँ की निरुपमा गर्भवती थी और उसने इस बात को हथियार बनाने की कोशिश की ताकि वो आपने घर वालों को मना सके l
    जहां तक आपका कहना है की घर घर में खाप तो ये गलत है l प्रेम विवाह बिहार / झारखण्ड या और भी दुसरे प्रदेशों में हो रहे है और बाकायदा घर वालों की मर्जी से l लेकिन हर बात को मनवाने का एक तरीका होता है ये नहीं की आप बिन व्याही माँ बन जाओ और संस्कारी माँ बाप से सामने बड़ी ही बेशर्मी से कहो की मैं बिन व्याही माँ बनाने वाली हूँ इसी वजह से आप मुझे मेरे पसंद के लड़के से शादी करने दे l
    जहां तक दिवंगत निरुपमा का सवाल है वो चाहती तो अपने जैसी लाखों माध्यमवर्गीय लड़कियों के लिए आदर्श बन सक्तो थी लेकिन उसने भी वही किया जी महानगर की भ्रष्ट संस्कृति के शिकार युवा करते है l
    मैं विजातीय विवाह के विरोध में नहीं हूँ पर बचपन से पाल पोस कर बड़ा करने वाले माँ बाप की भावनाए भी कोई मायने रखती है l हर वक्त आप अपनी भावनाओं में बह कर फैसला नहीं कर सकते क्योंकी सही फैसला कोई तभी ले सकता है जब वो पूरी तरह अनुभवी हो l
    मित्र जी लगता है आप भी NDTV ब्रांड है जो सिर्फ संस्कृति भ्रष्ट करने वाले पत्रकारों को आश्रय देती है l बिहार / झारखण्ड और दुसरे ग्रामीण इलाकों के वासी ही समझते है की हिन्दू संस्कृति और रक्त शुद्धता क्या कहलाती है, बच्चों को संस्कार कैसे दिए जाएँ उनसे पूछे l
    आप भी किसी बच्चे के पिता होंगे आपको कैसा लगता जब आपकी बेटी आपसे आ कर कहे की मैं किसी के बच्चे की माँ बनाने वाली हूँ l
    jara निरुपमा के माँ बाप के dard को samajhne की कोशिश kare, एक tarafa lekh khuch भी saabit नहीं karta है

  5. सुजीत गुप्ता

    May 4, 2010 at 2:25 am

    लगता है[b] जान्हवी मोहतरमा जी[/b] ना तो टीवी देखती है और ना ही अखबार पढ़ती हैं. इसलिए ये बोल रही है कि टीवी-प्रिंट वाले चुप्पी कर बैठे है. [b] निरुपमा [/b] कि खबर लगभग हर न्यूज़ चैनल कि हेडलाईन थी. एनडीटीवी ने तो अपनी ओभी वैन भी झुमरी तिलैया भेज रखी थी और वो भी दो-दो रिपोर्टरों के साथ. अगर कसाब पर फैसले कि खबर ना होती तो निरुपमा कि खबर का कुछ और ही मुकाम होता, लेकिन [b]’जस्टिस फॉर निरुपमा'[/b] अभियान जारी रहेगा..

    और यशवंत जी आपको इस अभियान को बढ़ाने के लिए धन्यवाद ..

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