: डिजऑनर किलिंग के खिलाफ कड़े कानून की मांग : नई दिल्ली : वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और कीर्ति सिंह ने केंद्र सरकार से डिजऑनर किलिंग के खिलाफ एक कड़े केंद्रीय कानून बनाने की मांग की है जिसके दायरे में ऐसे मामलों में जांच को पटरी से उतारने वाले पुलिस अधिकारियों को भी लाने की जरूरत है.
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‘जागरण’ ने निरुपमा केस में फैसला सुनाया
दैनिक जागरण में कोडरमा डेटलाइन से एक खबर है. इस खबर में शीर्षक है ”धुलने लगा है माथे पर लगा कलंक”. खबर पढ़ते-पढ़ते आप भी मान बैठेंगे कि पाठक परिवार पर लगा दाग गलत था और यह गलत दाग जांच रिपोर्टों की बारिश में धुल रहा है. जागरण की वेबसाइट पर प्रकाशित खबर को आप भी पढ़ें. -एडिटर
परिजनों को हत्यारा बताने-मानने की जिद
कुछ लोग पुलिस जांच और अदालती कार्यवाही से पहले ही निरुपमा के हत्यारे के रूप में उनके परिजनों को फांसी पर लटका देना चाहते हैं. ऐसे लोगों को यह तक पसंद नहीं है कि निरुपमा के हत्या पर शोक संवेदना उनके परिजनों तक पहुंचाई जाए. इनका मानना है कि हत्यारों तक शोक संवेदना क्यों पहुंचाना? पर, यहां हम जानना चाहेंगे कि अगर परिवार के लोग हत्यारे हैं तो क्या सभी लोग हत्या में शामिल हैं? अगर सभी नहीं शामिल हैं तो जो लोग शामिल नहीं हैं, उन्हें अपनी बहन या बेटी की मौत का दुख न होगा? उन तक शोक संवेदना पहुंचाना गलत किस तरह होगा?
सुसाइड नहीं, मर्डर
डीजीपी बोले- जल्द खुल जाएगा राज : अंतिम एसएमएस के अर्थ तलाश रही पुलिस : परिजन भी चाहते हैं सच जल्द सामने आए : निरुपमा ने आत्महत्या नहीं की. उसकी हत्या की गई. ऐसा फोरेंसिक रिपोर्ट का कहना है. झारखंड के डीजीपी और एडीजे ने निरुपमा केस की जो प्राथमिक रिपोर्ट तैयार की है उसमें नतीजा निकाला गया है कि निरुपमा को जानबूझकर मारा गया.
निरुपमा के ‘सुसाइड नोट’ को पढ़ें
पहले यह तय हो कि निरुपमा की हत्या की गई या उसने आत्महत्या की. अगर आत्महत्या की है तो उसके लिखे सुसाइड नोट को वाकई मार्मिक कहा जाएगा. अगर उसकी हत्या की गई है तो फिर बहुत सोची-समझी साजिश के तहत की गई है और हत्या के पहले पूरी तैयारी की गई. इसी क्रम में सुसाइड नोट को भी अस्तित्व में लाया गया. हत्या की बात सच निकलने पर सुसाइड नोट को ”कथित सुसाइड नोट” कहा जाएगा. फिलहाल सुसाइड नोट के सत्यापन की खातिर उसे फारेंसिक जांच के लिए भेजा गया है.
निरुपमा मुद्दे पर जेएनयू में आज रात पब्लिक मीटिंग
निरुपमा मुद्दे पर आइसा और जेयूसीएस की तरफ से आज 10 मई को रात साढ़े नौ बजे जेएनयू के कावेरी होस्टल मेस में पब्लिक मीटिंग का आयोजन किया गया है. इसमें वक्ता हैं डीयू के इतिहासकार उमा चक्रवर्ती और आईआईएमसी के टीचर आनंद प्रधान. इस संबंध में आइसा और जेयूसीएस की तरफ से एक मेल सभी लोगों को भेजा गया है और आग्रह किया गया है कि सभी लोग अपने व्यस्त समय में से कुछ वक्त निकालकर बैठक में पहुंचेंगे ताकि निरुपमा को याद करते हुए उन्हें न्याय दिलाने के लिए एकजुट हो सकें. आमंत्रण पत्र इस प्रकार है-
इस हिंदी वेब पत्रकारिता को सलाम
[caption id="attachment_17430" align="alignleft" width="89"]शेष नारायण सिंह[/caption]पत्रकारिता के जनवादीकरण का युग : सच्चाई को कम खर्च में आम आदमी तक पहुंचाने का दौर : ये ऐसे अभिमन्यु हैं जो शासक वर्ग के खेल को समझते हैं : वेब मीडिया ने वर्तमान समाज में क्रान्ति की दस्तक दे दी है और उसका नेतृत्व कर रहे हैं आधुनिक युग के कुछ अभिमन्यु. मीडिया के महाभारत में वेब पत्रकारिता के यह अभिमन्यु शहीद नहीं होंगे.
निरुपमा के शव पर थे चोट के निशान?
पत्रकार निरूपमा के शव पर चोट के निशान भी थे जिसे पोस्टमार्टम के समय मेडिकल बोर्ड की टीम ने नहीं देखा या फिर नजरअंदाज कर दिया। शव को देखने पहुंचे लोगों और खुद पत्रकारों ने भी सिर पर दायीं आंख के उपर निशान देखे थे जो फोटो में भी स्पष्ट दिखते हैं। सिविल सर्जन डा. पी. मोहन ने भी इस बिंदु पर मेडिकल बोर्ड में शामिल चिकित्सकों से सवाल किया था।
ये है निरुपमा-प्रियभांशु एसएमएस संवाद
‘Justice for Nirupama Campaign’ से जुड़े लोगों ने निरुपमा-प्रियभांशु के बीच आए-गए एसएमएस को सार्वजनिक किया है. प्रियभांशु निरुपमा को ‘मैथिली’ नाम से बोलता था. मोबाइल में उसका नाम ‘रंजन्स मैथिली’ लिख रखा था. एसएमएस संवाद से निरुपमा-प्रियभांशु के बीच लगाव के स्तर का पता चलता है. ‘Justice for Nirupama Campaign’ की विज्ञप्ति व निरुपमा-प्रियभांशु एसएमएस संवाद यूं है-
कहां है मोबाइल? किधर गए थे बाप-भाई??
‘निरुपमा को न्याय अभियान’ से जुड़े लोगों ने कुछ सवाल पूछे हैं. ये वाकई ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब जानने की कोशिश पुलिस के लोगों को करनी चाहिए लेकिन पुलिस बुनियादी सवालों का जवाब जानने की जगह कम महत्वपूर्ण सवालों के जवाब खोजने में उलझी है और इससे लगता है कि पुलिस पूरे मामले की जांच को भटकाना चाह रही है. प्रियभांशु के मित्रों ने जो सवाल पूछे हैं, वो इस प्रकार हैं-
Facts about Nirupama-Priyabhanshu
‘Justice for Nirupama Campaign’ चला रहे निरूपमा के प्रेमी प्रियभांशु के मित्रों की तरफ से यह विज्ञप्ति आई है. इसमें निरूपमा-प्रियभांशु के रिश्ते के संबंध में कई तथ्य बताए गए हैं और कई जानकारियां दी गई हैं. साथ ही कुछ मांग भी की गई है. सबसे पहले देखते हैं कि मांग क्या है, उसके ठीक बाद में फैक्टशीट. : Press Release : New Delhi, 8 May. “Justice for Nirupama” campaign has demanded high level CBI inquiry into Nirupama murder case. It said that local police is messing and derailing the whole investigation. The campaign has appealed the Jharkhand Government to ensure fair investigation with high level supervision. The Campaign is highly surprised, shocked and pained to see the frivolous charges leveled against Priyabhanshu by the family members of Nirupama. The initial investigation has already established that her family members are habitual liars as they are changing their statement from the beginning.
इंडिया गेट पर नहीं, जंतर-मंतर पहुंचें
निरूपमा को न्याय अभियान के तहत इंडिया गेट पर शनिवार यानी आज शाम 6 बजे प्रस्तावित कैंडल लाइट शांति सभा अब जंतर-मंतर पर होगी. पुलिस ने इंडिया गेट पर सभा करने की इजाजत नहीं दी है और इसके लिए जंतर-मंतर आवंटित किया गया है.
निरूपमा, मेरी दोस्त, मेरी भाभी
आज मेरी जुबान लड़खड़ा रही है….मेरे गले से शब्द नहीं निकल रहे….मैंने कभी नहीं सोचा था कि अपने बीच से ही किसी को खबर बनते देखूंगा….कल तक जो निरुपमा मेरी एक दोस्त हुआ करती थी और दोस्त से ज्यादा मेरे करीबी दोस्त प्रियभांशु की होने वाली जीवनसंगिनी यानि हमारी भाभी….आज वो साल की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री बन चुकी है….मेरे सामने उसी निरुपमा पाठक की स्टोरी वाइस ओवर के लिए आती है….एक आम स्टोरी की तरह जब मैं इस स्टोरी को अपनी आवाज में ढालने की कोशिश करता हूं तो मेरी जुबान लड़खड़ाने लगती है….मेरे गले से शब्द नहीं निकलते….इस स्टोरी को पढ़ता-पढ़ता मैं अपने अतीत में लौट जाता हूं….मुझे याद आने लगते हैं वो दिन जब आईआईएमसी में प्रियभांशु और निरुपमा एकांत पाने के लिए हम लोगों से भागते-फिरते थे और हम जहां वो जाते उन्हें परेशान करने के लिए वही धमक जाते….हमारा एक अच्छा दोस्त होने के बावजूद प्रियभांशु के चेहरे पर गुस्से की भंगिमाएं होतीं लेकिन हमारी भाभी यानि नीरु के मुखड़े पर प्यारी सी मुस्कान….हम नीरु को ज्यादातर भाभी कहकर ही बुलाते थे.
खेल नहीं है विवाह पूर्व शारीरिक संबंध
निरूपमा हत्याकांड ने नया मोड़ ले लिया है और इससे साबित हो गया है कि स्वच्छंद जीवन की वकालत करने वाले लोग फंस सकते हैं। शुरू में खबर यह थी कि ब्राह्मण परिवार की निरूपमा कथित नीची जाति के युवक से प्रेम करती थी और उसी से विवाह करना चाहती थी जो उसके परिवार वालों को मंजूर नहीं था और इसलिए उसकी हत्या कर दी गई। हत्या के मामले में पुलिस ने निरूपमा की मां को गिरफ्तार भी कर लिया पर अब निरूपमा की मां की शिकायत पर उसके प्रेमी प्रियभांशु रंजन से पूछताछ हो रही है और कोई आश्चर्य नहीं होगा अगर उसे गिरफ्तार कर आगे की कार्रवाई के लिए कोडरमा / तिलैया ले जाया जाए। वयस्क युवक युवती को किसी से भी प्रेम करने और किसी के भी साथ रहने तथा इच्छा हो तो शारीरिक संबंध बनाने की वकालत करने वाले लोग तकरीबन चुप हैं। चलिए, मान लेते हैं कि प्रियभांशु को फंसाया गया है पर निरूपमा की मां ने हत्या की या कराई है यह भी साफ नहीं है। इसलिए, यह भी मान लेते हैं कि निरूपमा ने खुदकुशी ही की है।
निरुपमा के प्रेमी प्रियभांशु के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज
नीरू की मौत (20) : बलात्कार, धोखाधड़ी और आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला : मां सुधा पाठक की याचिका पर कोडरमा की अदालत ने पुलिस को दिए आदेश : कोडरमा पुलिस की टीम ने प्रियभांशु का मोबाइल जब्त किया : काल डिटेल और एसएमएस खंगाले जाएंगे : प्रियभांशु के कमरे से निरुपमा का लैपटाप भी पुलिस ने जब्त किया : बेटी के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए मां सुधा पाठक पैरोल पर रिहा : दिल्ली में इंडिया गेट पर निरुपमा को न्याय दिलाने के लिए कैंडल लाइट सभा का कल होगा आयोजन : निरुपमा को न्याय दिलाने की लड़ाई कोर्ट-कानून की उलझाव भरी गलियों में जाकर फंसती दिख रही है. पता चला है कि आज कोडरमा की एक अदालत ने पुलिस को आदेश दिया है कि वह निरुपमा के दोस्त प्रियभांशु रंजन के खिलाफ बलात्कार और यौन उत्पीड़न का केस दर्ज करे. कोर्ट में गईं थीं निरुपमा की मां सुधा पाठक. उन्होंने याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि प्रियभांशु शादी का प्रलोभन देकर उसकी बेटी का यौन शोषण करता रहा.
ताकि फिर कोई निरूपमा पाठक न मरे
नीरू की मौत (19) : जेयूसीएस ने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए आंदोलन चलाने का फैसला लिया : वरिष्ठ पत्रकार अनिल चमड़िया ने कहा कि कानून महत्वपूर्ण नहीं होता बल्कि उसकी व्याख्या महत्वपूर्ण होती है। हम एक ऐसे समय में हैं जब कानून की व्य़ाख्या समाज के एक विशेष तबके के हितों के पक्ष में की जा रही है। वे गुरूवार को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में आयोजित एक बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक का आयोजन निरूपमा पाठक की याद में जर्नलिस्ट यूनियन फार सिविल सोसाईटी (जेयूसीएस) व जामिया के छात्रों की तरफ से किया गया था। निरूपमा की पिछले दिनों उनके गृहनगर कोडरमा में विजातिय लड़के से शादी के फैसले के बाद हत्या कर दी गयी थी।
प्रियभांशु से पूछताछ के लिए आ रही है पुलिस
नीरू की मौत (18) : पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों से खफा हैं कोडरमा के एसपी : न शव पुलिस को सौंपा और न बिसरा-भ्रूण सुरक्षित रखा : 6 मार्च को शादी करने वाले थे पर घरवालों को मनाना चाहती थी निरुपमा : दो ने हांथ-पांव पकड़ा और तीसरे ने तकिये से मुंह-नाक बंद दबाया : फोरेंसिक टीम ने पूरे घर की जांच व छानबीन की :
जहां नारी मारी जाए, नीरू मारी जाए
नीरू की मौत (16) : निरुपमा की कुछ और तस्वीरें मिली हैं, खिलखिलाती, घूमती, फोटो खिंचाती, चहंकती नीरू दिख रही है इन तस्वीरों में. पर जाने किसकी नजर लग गई उसे. जरा देखिए.
नीरू ने गलत किया, उसे माफ कर देना था
नीरू की मौत (15) : धर्मेंद्र पाठक की चिट्ठी के एक-एक शब्द में दर्शन है : सवाल क्यों नहीं पूछा जाना चाहिए कि कुंआरी लड़की कैसे गर्भवती हो गई? : सनातनी व्यवस्था में पला-बढ़ा इंसान अपनी बेटी को पत्र के माध्यम से धमकी भला क्यों देगा? : उस भोगवादी संस्कृति का क्या करेंगे जिसका शिकार नीरू हुई? : यहां अमेरिकन कल्चर नहीं चलेगा, यह भारत है : प्रिय भाई यशवंत, निरुपमा प्रकरण को सही तरीके से उठाने के लिए बधाई भी, धन्यवाद भी. निरुपमा जिस शहर की लड़की है, उस शहर से मेरा बहुत गहरा नाता है. मैं और डा. संतोष मानव (डिप्टी एडिटर, दैनिक भास्कर, ग्वालियर) उसी शहर के हैं. हम दोनों भाई तो वहीं की पैदाइश हैं. दैनिक जागरण के सीनियर सब एडिटर चंदन जायसवाल ने मुझे फोन पर बताया कि भइया आपके शहर की एक लेडी जर्नलिस्ट ने खुदकुशी कर ली है. रात के साढ़े 12 बजे थे. मैं गोरखपुर में सो रहा था. आपके पोर्टल पर देखा तो सारी जानकारी मिली. मन दुखी हुआ. मैंने नीरू के पिता धर्मेंद्र पाठक की चिट्ठी भी पढ़ी.
नीरू, हम सब तुम्हें प्यार करते हैं
नीरू की मौत (14) : इन तस्वीरों से जाहिर है कि जाने कितने सपने देखे थे उसने : मौत का बदला इस समाज से लिया जाना चाहिए : प्रेम करने वालों को खूंखार परिवार, परिजन, समाज, पिता, भाई, रिश्तेदार से बचाना होगा :
ऑनर किलिंग के खिलाफ बने कानून : जेयूसीएस
नीरू की मौत (13) : पत्रकार निरुपमा पाठक की हत्या मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग : जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसायटी (जेयूसीएस) ने युवा पत्रकार निरुपमा पाठक की हत्या के दोषियों को शीघ्र व कड़ी सजा दिलाने के लिए उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
मां को भेजा जेल, गिरिजा से मिले पत्रकार
[caption id="attachment_17353" align="alignnone" width="505"]निरुपमा की मां को थाने से जेल ले जाती पुलिस[/caption]
नीरू की मौत (12) : कोडरमा से अभी-अभी सूचना मिली है कि पुलिस ने निरुपमा की हत्या का मामला दर्ज कर लिया है.
निरुपमा की मौत और टीवी-प्रिंट वालों की चुप्पी
नीरू की मौत (11) : क्या टीवी उन्हीं के लिए इंसाफ मांगता है जिनमें टीआरपी एलिमेंट हो : यह एक लड़की का मामला नहीं बल्कि लड़कियों की पूरी कौम पर तमाचा है : बिना नाख़ून-दांत के शेर महिला आयोग को भी इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए : यशवंत भाई, नीरू मसले पर सबसे पहले तो आपको बहुत बधाई. वैसे इसे यदि बधाई कहूँ तू शायद शब्द छोटा होगा. आपने पत्रकारीय मानदंडों और उस तमीज का पालन किया है जो हर पत्रकार से अपेक्षित होती है. इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि सड़ी से सड़ी ख़बरों को जबरदस्ती घंटों तक हमें जबरिया झिलाने वाले न्यूज़ चैनलों और अखबारों से ये खबर लगभग नदारत सी ही है.
पिता बोले- पोस्टमार्टम रिपोर्ट गलत!
नीरू की मौत (10) : परिजनों को थाने ले गई पुलिस : थाने में तनावग्रस्त दिखे परिजन : पुलिस सभी से अलग-अलग पूछताछ कर रही : निरुपमा के पिता, मां और भाइयों की ये है तस्वीर : पत्र लिखकर बेटी को धमका चुके थे पिता : कोडरमा से सूचना मिली है कि निरुपमा पाठक की हत्या के मामले में जांच आगे बढ़ाने के लिए पुलिस ने निरुपमा के परिजनों को उठा लिया है और उन्हें थाने लाकर पूछताछ की जा रही है. सूत्रों के मुताबिक निरुपमा के पिता ने पुलिस से कहा कि मामला आत्महत्या का है. जब उन्हें पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बारे में बताया गया तो उन्होंने पोस्टमार्टम रिपोर्ट को ही गलत ठहरा दिया. बताया जा रहा है कि निरुपमा की मांग, भाइयों व पिता से अलग-अलग पूछताछ कर रही है.
‘जस्टिस फॉर निरुपमा’ अभियान शुरू
नीरू की मौत (9) : पहले चरण में महिला आयोग का दरवाजा खटखटाने पहुंचे आईआईएमसियन : निरुपमा के हत्यारों को जेल के पीछे पहुंचाने के लिए जस्टिस फॉर निरुपमा नामक कंपेन आईआईएमसी के पूर्व व वर्तमान छात्रों ने शुरू कर दिया है. आज ये लोग महिला आयोग की अध्यक्षा गिरिजा व्यास से मिलने पहुंचे हैं. इन छात्रों ने ‘जस्टिस फॉर निरुपमा’ अभियान के लिए हिमांशु शेखर और रणवीर को कोआर्डिनेशन का काम सौंपा है. गिरिजा व्यास से मिलने जाने से पहले हिमांशु और रणवीर ने ढेर सारे प्रबुद्ध लोगों को मेल भेजकर अपने अभियान की जानकारी दी और गिरिजा व्यास से आज मिलने जाने के कार्यक्रम का खुलासा किया. संपूर्ण मेल इस प्रकार है…
अगर ये हत्या है तो दोहरा हत्याकांड है
नीरू की मौत (8) : नीरू हमें माफ़ करना : फर्ज़ी सुसाइड नोट? आत्महत्या का नाटक? हत्या की पूरी तैयारी.?? अपनी ही बेटी की हत्या? उसका कुसूर क्या था… प्रेम करना? या प्रेम को विवाह में बदलने की इच्छा? और अगर ये हत्या है तो फिर ये दोहरा हत्याकांड है. निरुपमा की तस्वीर को कम से कम दो-तीन बार ध्यान से ज़रूर देखिएगा. आपको तस्वीर में कहीं न कहीं अपनी बेटी-बहन ज़रूर नज़र आएगी. और अगर नहीं आती है तो फिर अपने आप को आइने में दो-चार बार ज़रूर देखिएगा कि आपमें इंसान होने के कितने लक्षण बचे हैं. पर सवाल आपके इंसान होने या न होने का भी नहीं है, सवाल तो केवल और केवल ये है कि आखिर कैसे और कब हम इंसान होने की मूलभूत अहर्ताएं भी हासिल कर पाएंगे.
ये है पोस्टमार्टम रिपोर्ट
नीरू की मौत (7) : निरुपमा की मौत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट की एक प्रति भड़ास4मीडिया के भी पास है. तीन डाक्टरों की टीम ने 30 अप्रैल को निरुपमा के शव का पोस्टमार्टम किया.
दम घोंटकर मारा गया निरुपमा को
अपडेटेड खबर : नीरू की मौत (6) : पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने किया खुलासा : पूरी योजना और तैयारी से की गई हत्या : आत्महत्या का रूप देने के लिए फर्जी सुसाइड नोट भी लिख छोड़ा : अभी-अभी सूचना मिली है कि बिजनेस स्टैंडर्ड की जर्नलिस्ट निरूपमा पाठक की मौत आत्महत्या करने से नहीं बल्कि दम घुटने से हुई. यह जानकारी निरुपमा के शव की पोस्टमार्टम से मिली है. इस तरह यह स्पष्ट हो गया है कि विजातीय प्रेम विवाह करने के लिए परिजनों को मनाने गई निरुपमा को उसके ही परिवार वालों ने पहले तकिये से दबाकर दम घोंट डाला होगा फिर उसे पंखे से लटकाकर आत्महत्या का रूप दे दिया. हत्या को आत्महत्या की शक्ल देने की पूरी कोशिश की गई.
निरुपमा के लिए आईआईएमसी में आज शांति सभा
नीरू की मौत (5) : भारतीय जनसंचार संस्थान के 2008-09 सत्र की रेडियो और टीवी पत्रकारिता की छात्रा निरुपमा पाठक के निधन से उनके सभी दोस्त और जानने वाले सदमे में हैं. निरुपमा के परिचितों को विश्वास ही नहीं हो रहा है कि निरुपमा इस दुनिया में अब नहीं रहीं.
मुर्दा समाज देखे शव में तब्दील नीरू की तस्वीर
[caption id="attachment_17343" align="alignleft" width="71"]शव में तब्दील नीरू[/caption]नीरू की मौत (4) : इस मरी हुई निरुपमा को देखिए. कोडरमा के अस्पताल में चिरनिद्रा में बेसुध सोई हुई निरुपमा को देखिए. पत्थदिल इंसान भी इसकी कहानी सुन-पढ़कर पिघल जाएगा. पर हमारा मुर्दा समाज और मुर्दा परंपराएं जिंदा रहेंगी. इन्हें मौत न आएगी. देखिए-देखिए. किस तरह बेजान, अकेले, निष्प्राण, शांत पड़ी हुई है यह लड़की.
आईआईएमसी से ही निरुपमा-प्रियभांशु साथ थे
[caption id="attachment_17341" align="alignleft" width="99"]निरुपमा पाठक[/caption]नीरू की मौत (3) : निरुपमा उर्फ नीरू नहीं रहीं. ढेर सारी यादें छोड़ गईं हैं अपने जानने वालों के पास, अपने साथ पढ़ने वालों के पास, अपने साथ काम करने वालों के पास. आईआईएमसी में जब प्रवेश के लिए निरुपमा आईं थीं, तभी इंटरव्यू के वक्त उनकी मुलाकात प्रियभांशु से हो गई थी और उसी के बाद से दोनों करीब आते गए.
प्रियभांशु रंजन से शादी करने वाली थीं निरुपमा
नीरू की मौत (2) : बिजनेस स्टैंडर्ड अंग्रेजी में कार्यरत निरुपमा पाठक जिस पत्रकार मित्र से शादी करना चाहती थीं उनका नाम है प्रियभांशु रंजन. प्रियभांशु समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा में काम करते हैं. प्रियभांशु और निरुपमा, दोनों के कामन फ्रेंड हैं विभुराज चौधरी जो कुछ दिनों पहले तक पीटीआई-भाषा में हुआ करते थे. पर फिलहाल इस्तीफा दे चुके हैं.
बिजनेस स्टैंडर्ड की निरुपमा की लाश मिली
नीरू की मौत (1) : विजातीय प्रेम विवाह के लिए पापा को राजी करने घर गईं थीं : महिला मीडियाकर्मियों के लिए आजकल आफत के दिन हैं. पुरुष प्रभुत्व वाला समाज इनकी जिंदगी-करियर में मौत का कुआं बना हुआ है. स्टार न्यूज की सायमा सहर की दास्तान सबके सामने आई तो अब एक और महिला मीडियाकर्मी के बारे में स्तब्धकारी खबर आ रही है.