Connect with us

Hi, what are you looking for?

दुख-दर्द

मां को भेजा जेल, गिरिजा से मिले पत्रकार

[caption id="attachment_17353" align="alignnone" width="505"]निरुपमा की मां को थाने से जेल ले जाती पुलिसनिरुपमा की मां को थाने से जेल ले जाती पुलिस[/caption]

नीरू की मौत (12) : कोडरमा से अभी-अभी सूचना मिली है कि पुलिस ने निरुपमा की हत्या का मामला दर्ज कर लिया है.

निरुपमा की मां को थाने से जेल ले जाती पुलिस

निरुपमा की मां को थाने से जेल ले जाती पुलिस

निरुपमा की मां को थाने से जेल ले जाती पुलिस

नीरू की मौत (12) : कोडरमा से अभी-अभी सूचना मिली है कि पुलिस ने निरुपमा की हत्या का मामला दर्ज कर लिया है.

एफआईआर में निरुपमा की मां को मुख्य आरोपी बनाया गया है. बाकी तीन अज्ञात लोगों की बात इस एफआईआर में कही गई है. पुलिस ने पूछताछ के बाद निरुपमा की मां को जेल भेज दिया है. पिता व दोनों भाइयों से पूछताछ की जा रही है. पुलिस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि निरुपमा की मौत के समय जो परिस्थितियां रहीं हैं, उसके आधार पर उसकी मां प्रथम दृष्टया इस हत्याकांड की मुख्य आरोपी लगती हैं. उनकी मदद तीन लोगों ने की है. ये कौन हैं, इसका पता लगाया जा रहा है.

उधर, दिल्ली में आईआईएमसी के पूर्व व वर्तमान ढेर सारे छात्र, पत्रकार आईआईएमसी के शिक्षक आनंद प्रधान की अगुवाई में महिला आयोग की अध्यक्षा गिरिजा व्यास से मिले. इन लोगों ने एक ज्ञापन गिरिजा व्यास को सौंपा और पूरे मामले की जानकारी दी. गिरिजा व्यास ने तुरंत झारखंड के डीजीपी से फोन पर बात की और 24 घंटे में इस मामले में अब तक हुई कार्यवाही की रिपोर्ट तलब की.

गिरिजा व्यास को पूरे मामले की जानकारी देते आनंद प्रधान

गिरिजा व्यास को पूरे मामले की जानकारी देते आनंद प्रधान

गिरिजा व्यास ने कहा कि वे इस मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट के हवाले करवाएंगी ताकि जल्दी से जल्दी निरुपमा के हत्यारों को दंडित कराया जा सके. गिरिजा व्यास से मिलने गए प्रतिनिधिमंडल में आनंद प्रधान के साथ दिलीप मंडल, अनुरंजन झा, अमृता राय, विनीत यादव आदि थे. इस मौके पर कई न्यूज चैनलों के रिपोर्टर मौजूद थे और इन लोगों ने इस प्रकरण पर कई लोगों के बाइट लिए व कार्यक्रम टीवी पर प्रसारित कराने का भरोसा दिया.

Click to comment

0 Comments

  1. याज्ञवल्‍क्‍य

    May 3, 2010 at 2:26 pm

    प्रिय यशवंत जी, आपके ब्‍लॉग के माध्‍यम से निरूपमा प्रकरण मालूम चला, किश्‍तों में छपी दास्‍तां के दौरान पिता का लिखा पत्र भी पढा, यह तयशूदा बात है कि, हत्‍या हमेशा गलत है, लेकिन श्रीमान जरा उस पिता के पत्र के मर्म को भी समझें उसकी तकलीफ समझें उनकी कौन सी बात गलत है, आप का ब्‍लॉग जिस पत्र को धमकी करार दे रहा है, वह सार्थक शब्‍दों में कही गई विदूषी बिटिया से एक पिता का पत्र है, यह जरूर है कि, हत्‍या हो या आत्‍महत्‍या इसकी सत्‍य विवेचना जरूरी है। और जैसा आपके ब्‍लॉग कह रहे है यह विवेचना भी जारी है, लेकिन कहीं ऐसा तो नहीं कि, अब मीडिया टायल कर रहा है, और सब कूछ गडमगडड हो रहा है। जिस विश्‍वास से बिटिया को पूरे परिवार ने भेजा वह बिटिया गर्भवती होकर आई और गर्भवती होने के बाद उन्‍हे याने निरूपमा को यह लगा कि, परिवार का समर्थन लेना चाहिए, जरा दो पल ठहर कर इस ओर भी तो सोचिए कि, पूरे परिवार को कैसा लगा होगा, और यह क्‍यों कर ही शूरू से यह माना जाए कि, उसकी हत्‍या अथवा आत्‍महत्‍या के प्रेरक दूष्‍प्रेरक उसके पिता या परिजन ही है। इस पूरे मामले का एक पक्ष वह यूवक भी है जो आपके ब्‍लॉग से मिली जानकारी के अनूसार कूछ कह पाने की स्‍िथति में नही है। एक भू्ण का जनक कूछ सवाल उस यूवक से भी होने चाहिए ।

  2. har pehlu ko dekho

    May 3, 2010 at 8:14 pm

    नीरु कि यदि हत्या हुई ही तो इन्साफ मिलना चाहिये और उस के हत्यारो को सजा भी..लेकिन सब से बडा सवाल यह भी ही कि नीरु के पेट में भ्रूण कि जो बात पोसट-मार्टम रेपोर्ट मी कही गयी है ऐसी बात को हम में से कितने पत्रकार भाई अपनी-बेहन बेटी के लिये कबूल करेंगे ..? जाहिर है कोई भी नही……फिर भी में चाहता हु कि यदि हत्या हुई है तो यह मामले का हल नही था और हत्यारो को फांसी मिळणी चाहिये..साथ ही इस मंच से यह सन्देश भी जाना चाहिए की प्यार करना गुनाह नहीं है लेकिन प्यार में शादी से पहले ही इस तरह से सारी हद पार कर जाना भी किसी रूप में सही नहीं है ….

  3. kumar bhawesh

    May 4, 2010 at 7:29 am

    बोलेंगे तो बोलोगे कि बोलता है.
    किसी भी कीमत पर निरुपमा के हत्यारों को बख्सा नहीं जाना चाहिए. किसी को भी किसी की जान लेने का कोई हक नहीं है चाहे जान लेने वाले माँ बाप ही क्यों न हो. परन्तु केवल निरुपमा की हत्या के लिए उनके माँ बाप को गलियाने वाले हमारे भाई लोगो ये प्रियभान्शु कहा छुपा है. कहा है ये अलबेला जानवर जो निरुपमा की हत्या के बाद किसी माद में घुस कर छुप गया है. ऐसे ऐसे लोग IIMC जैसे विश्व स्तरीय संस्थान का भी नाम बदनाम करते है. माना की ये महोदय निरुपमा को प्यार करते थे. परन्तु ये भी पता लगाना हमारा और आपका कर्तव्य है की ये आँखों से उतरकर देह तक सिमित रहने वाला प्यार था या की दिल तक. महोदय ये प्यार की कैसी परिभासा है कि जिसे आप प्यार करते हो उसे बिनब्याही माँ बना दो? निरुपमा कि उम्र जैसी कि मुझे मालूम है २३ वर्ष थी यानि कि वो बहुत ज्यादा परिपक्व थी ऐसी भी बात नहीं है. माता पिता अगर भरोसा करके हमें बिना अभिभावक के घर से दूर विस्वास कर के भेजते है तो इसका ये सिला? अरे प्रियभान्शु साहब आप तो IIMC जैसे संश्थान से पढ़कर पत्रकारिता कि मिशाल पेश करते. आपने समाज को ये क्या सन्देश दे दिया. सफरर तो अभी केवल निरुपमा का ही परिवार है निरुपमा कि जान, मरने के बाद बिन ब्याही माँ का तगमा, परिवार को जेल. प्रियभान्शु का क्या गया.
    प्यार, बेटी, और जात पात पर भाषण पिलाने वालो कभी तुम भी बाप बनोगे फिर भड़ास पर लिख के तो बताना कि जिसे पटाना हो मेरी बेटी को पटा कर बिन ब्याहों माँ बना दो. शर्म करो शर्म, वैसे हर हाल में निरुपमा के कातिलो का पता चले इसके लिए आनंद सर का मिशन स्वागत योग्य है कही न कही कहानी में ट्विस्ट जरुर है. क्योकि निरुपमा के पिता के पत्र से ऐसा कदापि नहीं लगता है कि वे कातिल हो सकते है.
    भवेश

  4. manhar kumar

    May 4, 2010 at 8:13 am

    हिंसा किसी भी तरह ठीक नहीं पर अगर निरूपमा के साथ लोगों की संवेदना है तो कुछ संवेदना उसकी फैमली के साथ भी होना चाहिेए बेटी को पढ़ा कर ऊंचे स्थान पर देखना
    ही एक पिता ही कामना होती है अब हमारा समाज बेटा बेटी के भेद को मिटाने की ओर है बिनब्याही बेटी मां बनती है तो कलेजा मां बाप भाई का फटता है -कितने प्रगतिवादी सोच के लोग इस प्रकार की घटना के लिए तैयार ?

  5. rajiv kishor

    May 4, 2010 at 8:47 am

    we want justice for nirupama at any cost. Lets stamd togather for this.

  6. raj

    May 4, 2010 at 10:55 am

    thane me ek sharif ghar ki maa ko jaate dekh lagta hai…maa agle janm me aisi beti paida mat karna…

  7. कमल शर्मा

    May 4, 2010 at 1:36 pm

    हत्‍या या आत्‍महत्‍या दोनों का विरोध होना चाहिए। सजा मिलनी चाहिए आरोपियों को लेकिन पहले प्रियभांशु को तलब कर उससे यह सवाल पूछना चाहिए कि क्‍या प्रेम सेक्‍स के लिए किया था। शादी तक तो ठहर जाते।

  8. aditya

    May 7, 2010 at 4:47 am

    समाज के नैतिक प्रहरी बने बुधिजिवियो और मीडिया से मेरा एक ही प्रश्न है की जो माँ बेटी को जन्म देती है दूध पिलाती है और एक सहेली की तरह उसके शारीरिक और मानशिक बदलावों के समय साथ देती है वो एकाएक उसका वध क्यों कर देगी ? अगर ये सत्य भी है तो सवाल है क्यों ? उस पिता पे क्या गुजर रहा होगा उसके मित्र और रह चलते लोग ताने देंगे ? और मीडिया न्यायपालिका बन रही है जो हर घटना पर तुरंत फैसला दे देती है ये काफी दुखद है इस पुरे घटना की निष्पक्ष विवेचना होनी चाहिए जैसा की याज्ञवल्क्य जी ने बखूबी कहा है समाज को दुखी उस वक्त तो होना ही चाहिए जब किसी की हत्या या आत्महत्या हो रही हो पर इससे पहले इस बात पर चिंतित होना चाहिए की एक जवान लड़की कुंवारी माँ बन्ने के बाद अपने घर वालो के पास चली जाती है मदद की अपेक्षा में. जो युवक इस कारस्तानी में बराबरी का दोषी है उससे कोई कुछ क्यों नहीं पूछता ? जात पात जब तक नहीं हटता प्रेमी युगल की तो बलि चढ़ती ही रहेगी. घरियाली अंशु बहाने और चिंतित होने से अच्छा है एक सार्थक बदलाव लेन की कोशिश की जाए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement