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ऑनर किलिंग के खिलाफ बने कानून : जेयूसीएस

नीरू की मौत (13) : पत्रकार निरुपमा पाठक की हत्या मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग : जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसायटी (जेयूसीएस) ने युवा पत्रकार निरुपमा पाठक की हत्या के दोषियों को शीघ्र व कड़ी सजा दिलाने के लिए उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

<p style="text-align: justify;"><strong>नीरू की मौत (13) : पत्रकार निरुपमा पाठक की हत्या मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग : </strong>जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसायटी (जेयूसीएस) ने युवा पत्रकार निरुपमा पाठक की हत्या के दोषियों को शीघ्र व कड़ी सजा दिलाने के लिए उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। <br />

नीरू की मौत (13) : पत्रकार निरुपमा पाठक की हत्या मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग : जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसायटी (जेयूसीएस) ने युवा पत्रकार निरुपमा पाठक की हत्या के दोषियों को शीघ्र व कड़ी सजा दिलाने के लिए उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

जेयूसीएस ने सोमवार को निरुपमा के साथी पत्रकारों के साथ राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष गिरिजा व्यास से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा। साथ ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और प्रेस परिषद को भी पत्र भेजकर उनसे सीधे हस्तक्षेप की मांग की है। गौरतलब है कि अंग्रेजी दैनिक बिजनेस स्टैंडर्ड की पत्रकार व भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) की पूर्व छात्रा निरुपमा पाठक की 29 अप्रैल को उनके गृहनगर झारखंड के कोडरमा में हत्या कर दी गई थी।

जेयूसीएस के सदस्यों ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि पत्रकार निरुपमा की ऑनर किलिंग, साठ साल के लोकतंत्रपन को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज अभी भी अर्धसामंती युग में है जहां खाप पंचायतें समाज और प्रतिष्ठा के नाम पर हत्याएं करवा रही हैं। संगठन के ऋषि कुमार सिंह ने कहा कि निरूपमा को न्याय दिलाने के लिए पूरे मामले की उच्चस्तरीय और स्वतंत्र समिति द्वारा जांच करायी जानी चाहिए। किसी एक के बजाय हत्या में संलिप्त सभी दोषियों को कड़ी सजा मिले।

संगठन के नवीन कुमार ने कहा कि देश में आये दिन समाज और प्रतिष्ठा के नाम पर बहुतेरी निरुपमाओं की हत्याएं हो रही हैं, लिहाजा झारखंड में महिलाओं की रक्षा के लिए बने डायन एक्ट की तर्ज पर अलग से ऑनर किलिंग के खिलाफ कानून बनाया जाये। उन्होंने कहा कि हरियाणा व अन्य राज्यों में लगने वाली जातिगत पंचायतों पर प्रतिबंध लगे। जेयूसीएस के विजय प्रताप व अभिषेक रंजन सिंह ने खाप पंचायतों को प्रश्रय देने वाले राजनीतिक दलों की निंदा की और कहा कि यही दल इस तरह की सामाजिक समस्याओं को राजनैतिक मुद्दा बनाने के बजाय उसका राजनैतिक दोहन करते हैं। लिहाजा यह समस्या आजादी के बाद भी भारतीय समाज में बनी हुई है। वहीं अर्चना महतो ने कहा कि ऑनर किलिंग जैसी घटनाएं समाज के सभ्य होने पर सवालिया निशान हैं।

जेयूसीएस के चंदन शर्मा व अरूण कुमार उरांव ने साथी पत्रकार निरुपमा पाठक की हत्या के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान के शुरूआत की घोषणा की। इसके तहत पत्रकारिता के छात्रों और पत्रकारों के बीच हस्ताक्षर अभियान शुरू किया गया है। जेयूसीएस ने यह भी तय किया है जब तक निरुपमा के दोषियों को सजा नहीं हो जाती है, तब तक संगठन का यह अभियान चलता रहेगा। बैठक में अवनीश कुमार, प्रबुद्ध गौतम, सौम्या झा, पूर्णिमा, शाह आलम, विवेक, रवि राव, अभिमन्यु सिंह, श्वेता सिंह, अलका देवी ने भाग लिया।

उधर, इसी मामले में जेयूसीएस ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक पत्र भेजकर पत्रकार निरुपमा पाठक की हत्या की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. भेजा गया पत्र इस प्रकार है-


अध्यक्ष

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग

नई दिल्ली

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महोदय,

युवा पत्रकार निरुपमा  पाठक की 29 अप्रैल को उसके  गृहनगर झारखंड के कोडरमा  में हत्या कर दी गई  थी। पोस्टमार्टम में  इस बात के स्पष्ट सबूत हैं कि उसकी हत्या गला घुटने से हुई है। जबकि निरुपमा के परिजनों ने शुरूआती दौर में निरुपमा की मौत की वजह करंट लगना बतायी थी और स्थानीय पुलिस प्रथम दृष्टया फांसी लगाकर आत्महत्या की बात कही थी। निरुपमा के कमरे से पुलिस ने एक सुसाइड नोट भी बरामद किया था। 22 वर्षीय निरुपमा पाठक पुत्री धर्मेंद्र पाठक देश के प्रतिष्ठित भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) के रेडियो-टेलीविजन पत्रकारिता वर्ष 2008-09 की छात्रा थी और पिछले एक वर्ष से दिल्ली स्थित अंग्रेजी दैनिक बिजनेस स्टैंडर्ड में कार्यरत थी।

निरुपमा की हत्या का मामला ऑनर किलिंग का है। निरुपमा के मित्रों का कहना है कि उसके घरवालों को निरुपमा के विजातीय लड़के से विवाह करने के फैसले पर ऐतराज था। घरवालों ने निरुपमा को एक षडयंत्र के तहत मां के बीमार होने की झूठी सूचना देकर घर बुला लिया। निरुपमा को 28 अप्रैल को वापस दिल्ली लौटना था, लेकिन घरवालों ने उसे दिल्ली आने से जबदस्ती रोका। इस दौरान निरुपमा को किसी से भी सम्पर्क नहीं करने दिया। 29 अप्रैल को निरुपमा ने सहपाठी रहे पत्रकार प्रियभांशु को बताया कि “यह हम दोनों की आखिरी बातचीत है, परिवारवाले मुझे दिल्ली नहीं आने दे रहे हैं। भैया के दोस्त मुझपर नज़र बनाए हुए हैं।” (देखें-दैनिक हिंदुस्तान, 03 मई, 10) उसी दिन (29 अप्रैल 2010) निरुपमा अपने कमरे में मृत पायी गई थी।

लिहाजा हम आयोग से ऑनर  किलिंग के इस मामले  में सीधे हस्तक्षेप करने  की मांग करते हैं। ताकि  निरुपमा को न्याय मिल सके। साथ ही हम आयोग से यह भी मांग करते है कि देश में जिस तरह सामाजिक परम्परा की दुहाई देकर या प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाकर युवक-युवतियों की हत्या की जा रही है, उस पर अंकुश लगाने के लिए आयोग और राज्य सरकारों को निर्देशित करे।

समाज में युवाओं को मनपसंद के जीवनसाथी चुनने के अधिकार की रक्षा की जाये और ऐसे युवाओं को पूरी सुरक्षा मुहैय्या करायी जाये, ताकि किसी और निरुपमा पाठक की ऑनर किलिंग के नाम पर हत्या ना हो। इसके लिए देश में ऑनर किलिंग को रोकने के लिए एक कड़ा कानून बनाया जाना चाहिए।

भवदीय

ऋषि कुमार  सिंह, विजय प्रताप, नवीन कुमार, चंदन शर्मा, अवनीश राय, अभिषेक रंजन सिंह, अरुण कुमार उरांव, प्रबुद्ध गौतम, अर्चना महतो, सौम्या झा, राजीव यादव, शाह आलम, विवेक मिश्रा, रवि राव, प्रिया मिश्रा, शाहनवाज़ आलम, राकेश, लक्ष्मण प्रसाद, अनिल, देवाशीष प्रसून, चंद्रीका, संदीप, प्रवीण मालवीय, ओम नागर, श्वेता सिंह, अलका देवी, नाज़िया, पंकज उपाध्याय, तारिक़, मसीहुद्दीन संजरी, राघवेंद्र प्रताप सिंह व अन्य।

जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसायटी (जेयूसीएस) ई-36, गणेशनगर, नई दिल्ली-92 की तरफ से जारी

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0 Comments

  1. lokpalsethi

    May 4, 2010 at 12:21 pm

    what a sad incident. Even educated people still blindly follow the caste system in this age when word is opening

  2. shaishwa kumar

    May 4, 2010 at 3:07 pm

    JUCS ke bhaio ko prayas ke liye badhai!

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