नीरू की मौत (2) : बिजनेस स्टैंडर्ड अंग्रेजी में कार्यरत निरुपमा पाठक जिस पत्रकार मित्र से शादी करना चाहती थीं उनका नाम है प्रियभांशु रंजन. प्रियभांशु समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा में काम करते हैं. प्रियभांशु और निरुपमा, दोनों के कामन फ्रेंड हैं विभुराज चौधरी जो कुछ दिनों पहले तक पीटीआई-भाषा में हुआ करते थे. पर फिलहाल इस्तीफा दे चुके हैं.
प्रियभांशु दुखद सूचना के बाद बात करने की स्थिति में नहीं हैं. विभुराज स्तब्ध हैं. विभुराज भड़ास4मीडिया से बातचीत में कहते हैं कि ”निरुपमा-प्रियभांशु की दिल्ली में शादी के लिए हम लोग सारी तैयारी कर चुके थे. आर्य समाज मंदिर में जाकर शादी कर लेने की बात तय हुई थी लेकिन निरुपमा का कहना था कि शादी शानदार तरीके से होगी और घरवालों की सहमति से होगी. निरुपमा को अपने पिता और परिजनों पर भरोसा था कि उन लोगों ने जिस खुलेपन और भरोसे के कारण उसे आईआईएमसी में पढ़ने व पत्रकारिता करने दिल्ली भेजा, उसी खुलेपन वाली सोच के साथ वे विजातीय प्रेम विवाह करने की अनुमति भी दे देंगे. पर ऐसा न हो सका. निरुपमा मनाने गई पर वहां से लौटकर वो खुद नहीं आई बल्कि उसके न रहने की खबर आई.”
निरुपमा शायद गलत सोच रही थी. समाज व परिवार खुल तो गए हैं लेकिन बहुत थोड़े-से. जहां उनके सामने अपने परिवार रूपी पारंपरिक पैतृक ढांचे के कथित मान-सम्मान की बात आ खड़ी होती है तो फिर वे बेटी को भूल जाते हैं और कथित समाज, कथित परंपरा व कथित इज्जत के पक्ष में खड़े हो जाते हैं. बताया जा रहा है कि निरुपमा जिस प्रियभांशु रंजन से शादी करने जा रहीं थीं, वे जाति से कायस्थ हैं. निरुपमा खुद कुलीन ब्राह्मण परिवार से हैं.
निरुपमा अपने घर 19 अप्रैल को गईं. उनका कोडरमा से वापसी का रिजर्वेशन 28 अप्रैल को था. बताया जाता है कि परिवार वालों ने उन्हें दिल्ली आने नहीं दिया. परिजनों को लगा कि अगर ये दिल्ली गई तो अबकी विजातीय शादी करके ही लौटेगी. उसे जबरन रोक लिया गया. अगले दिन निरुपमा का मैसेज दिल्ली में अपने एक जानने वाले पत्रकार के पास आया कि वह यहां से दिल्ली आने की कोशिश कर रही है. पर उसी दिन दोपहर में वहां से फोन आया कि निरुपमा की लाश मिली है.
पता चला है कि घटना के वक्त निरुपमा के पिता व बड़े भाई आउट आफ स्टेशन थे. पिता व बड़े भाई दोनों सरकारी नौकरी में हैं. निरुपमा का परिवार संपन्न है और पढ़ा-लिखा है. घटना के समय घर पर निरुपमा के साथ मां व छोटा भाई था. बताया जा रहा है कि या तो परिजनों ने जबरन निरुपमा को फांसी पर लटका दिया है या फिर उस पर इतना मानसिक दबाव डाला गया कि उसने बजाय दिल्ली जाने के, आत्महत्या कर लेने जैसा कदम उठा लिया. निरुपमा के शव का अभी पोस्टमार्ट नहीं हुआ है. दिल्ली से निरुपमा के पत्रकार मित्र कोशिश में हैं कि वहां पर पूरी छानबीन व जांच के बाद ही शव का अंतिम संस्कार कराया जाए.
Deependra singh solanki
May 2, 2010 at 7:43 pm
yah baihad dukhad gatana hai
gopalrai
May 4, 2010 at 1:22 pm
Priyabhanshu Ranjan ke khilaf balatkar ka mukadama hona chahiye.Agar usane shadi karali hoti to aaj Nirupama zinda hoti. Bina shadi ke usane use garbhavati kara diya kya yah samijik badnami nahi hai kisi ladaki ke ma ya baap ke liye.
shaishwa kumar
May 4, 2010 at 2:42 pm
Gopalrai ji jaise log hi Nirupama ki maut ke liye jimmedar hai! Unhe samajh hi nahi aa raha ki is dukhad maut oar kya pratikriya karni hai!
shaishwa kumar
May 4, 2010 at 2:44 pm
gopalrai jaise log hi Nirupma ki maut ke jimmedar hai! Unhe samajh hi nahi ki is dukhad ghatna par kya pratikriya karni chahiye!