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दुख-दर्द

निरुपमा के शव पर थे चोट के निशान?

पत्रकार निरूपमा के शव पर चोट के निशान भी थे जिसे पोस्टमार्टम के समय मेडिकल बोर्ड की टीम ने नहीं देखा या फिर नजरअंदाज कर दिया। शव को देखने पहुंचे लोगों और खुद पत्रकारों ने भी सिर पर दायीं आंख के उपर निशान देखे थे जो फोटो में भी स्पष्ट दिखते हैं। सिविल सर्जन डा. पी. मोहन ने भी इस बिंदु पर मेडिकल बोर्ड में शामिल चिकित्सकों से सवाल किया था।

पत्रकार निरूपमा के शव पर चोट के निशान भी थे जिसे पोस्टमार्टम के समय मेडिकल बोर्ड की टीम ने नहीं देखा या फिर नजरअंदाज कर दिया। शव को देखने पहुंचे लोगों और खुद पत्रकारों ने भी सिर पर दायीं आंख के उपर निशान देखे थे जो फोटो में भी स्पष्ट दिखते हैं। सिविल सर्जन डा. पी. मोहन ने भी इस बिंदु पर मेडिकल बोर्ड में शामिल चिकित्सकों से सवाल किया था।

उन्होंने पूछा था कि फोटो में दिख रहा निशान उन्हें कैसे नहीं दिखा। उनका जवाब था कि इस ओर उनका ध्यान नहीं गया। सवाल अब भी उठ रहा है कि यह निशान कैसे बना, क्या हत्या के समय निरूपमा के विरोध से निशान बने या फिर पहले से निशान थे। झुमरी तिलैया से एक पत्रकार ने एक मेल के जरिए पुलिस से कई बातों का पता लगाने का अनुरोध किया है, वे बातें इस तरह हैं-

  1. अगर करंट लगने या फिर आत्महत्या करने की बात कही जा रही है तो इसकी जानकारी तुरंत पुलिस को क्यों नही दी गई?

  2. निरूपमा के शव को लेकर तिलैया के पार्वती क्लिनिक में जाने वाले कौन कौन थे?

  3. परिजनों के अनुसार निरूपमा की मौत कितने बजे हुई और पार्वती क्लिनिक में शव को कितने बजे ले जाया गया?

  4. निरूपमा के मोबाइल और सिम कार्ड का क्या हुआ?

  5. कथित तौर पर आत्महत्या में उसने जिस दुपट्टा से फंदा लगाया वह चार दिनों बाद क्यों मिला?

  6. निरूपमा के सिर में दायीं आंख के उपर चोट का निशान कैसे बना?

  7. जब घटना की खबर पाकर कुछ पड़ोसी पहुंचे तब निरूपमा के चेहरे पर पानी का अंश कैसे आया?

  8. प्रियभांशु यदि निरूपमा को धोखा दे रहा था तो परिजनों ने घटना के बाद ही इसका खुलासा क्यों नहीं किया?

  9. निरूपमा के पिता धर्मेन्द्र पाठक का कहना है कि वह घटना के दिन 29 अप्रैल को अपनी ड्यूटी पर गोंडा में थे तब फिर कोडरमा न्यायालय में दायर परिवाद पत्र में जिसमें घटना की तिथि 29 अप्रैल ही दर्शायी गयी है, उसमें बतौर गवाह उनका और उनके भाई शैलेन्द्र पाठक का नाम कैसे है?

  10. घटना की खबर पाकर धर्मेन्द्र पाठक गोंडा से किस ट्रेन से चलकर और कितने बजे कोडरमा स्टेशन पहुंचे।

  11. निरूपमा के सुसाइड नोट में 27 अप्रैल की तिथि को 29 अप्रैल किसने और क्यों बनाया? निरूपमा ने 29 की सुबह प्रियभांशु को एसएमएस किया था जिसमें उसने आने की बात लिखी थी तो फिर 27 को ही वह सुसाइड नोट क्यों लिखेगी?

  12. 29 अप्रैल को निरूपमा के घर के पास क्या बाहर की कोई गाडी खडी थी, हां तो उसमें क्या कोई बाहर का आदमी भी था?

  13. निरूपमा के पिता ने उस पर इस्तीफा का दबाव क्यों डाला था और बिजनेस स्टैंडर्ड के दफ्तर से उनकी क्या बात हुई थी?

  14. निरूपमा के मामा भरतभूषण पाठक की तिलैया में किन किन लोगों से पहले से जान पहचान है?

  15. निरूपमा के पिता अभी भी अपनी पुत्री के लिये मन में इतना आक्रोश क्यों पाले हुए हैं? बार बार वो छोकरी कहकर उनका सम्बोधन क्या दर्शाता है?

  16. घटना आत्महत्या है तो कुछ स्थानीय अखबारों के जरिये प्रियभांशु के खिलाफ मैनेज्ड बयान क्यों छपवाये जा रहे हैं कि हत्या या आत्महत्या के लिये वही जिम्मेवार है?

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0 Comments

  1. gajendra singh

    May 10, 2010 at 9:11 am

    kudos to the egile journalist you got these points.

  2. mazmoon

    May 10, 2010 at 11:00 am

    is ghatna ka media trial nahin karein. police ko apna kaaam karne dijiye, baki kaaam court karegi. maksad ek hee hai ki nyay hona chahiye. media trial ke chakkar mein mamle se dhyan hat naa jaye.

  3. Chandan

    May 10, 2010 at 1:29 pm

    Sabse bada sawal to ye v hai. 1. Niruma ne priybhanshu ko 56 sms kiye lekin kodrma sp ke mutbik priyebhanshu ne ek ka v reply nahi kiya. Kya priyabhanshu niru se pichha chhudana chahta tha. 2. Niru ki maut ke 5-6 ghane ke baad yani morning me niru ke bhai ke pas pribhanshu ke dosto ka dhamki bhara call kaise aya. Yani pribhanshu ko pahle se pata tha. 3. Nirupma apne room ki chavi pribhanshu ko dekr gyi thi, maut ke baad 2 baar pribhanshu vaha kya krne gya? 4th sawal- niru ka laptop room par hi rakha tha vo crash kaise ho gya? 5th sawal- nirupma garbhvati thi is baat ki jankari hone se pribhanshu kyu inkar kar rha hai? 6th sawal – nirupma ki ek saheli ke mutabik maut se ek din pahle jhagda hua tha, kyu?

  4. santosh singh

    May 11, 2010 at 4:11 pm

    जिनके द्वारा भी ये सवाल उठाये गये हं, वे सचमुच धन्यवाद के पात्र हैं। कोडरमा के एसपी और पुलिस इन विन्दुओं पर क्या जांच कर चुकी है यदि हां तो क्या सामने आया और यदि अब तक जांच नहीं हुई है तो क्यों नहीं? मेरा मानना है कि पूरे मामले को यदि किसी ने विवादित बनाया तो वह पुलिस ही है। शुरू से ही वह मामले से जानबूझकर भटकती रही अब इसके पीछे क्या कारण है, यह भी जांच का विषय है। यह भी जांच हो कि निरूपमा क रिष्तेदारों के पुलिस अधिकारियों से कैसे सम्बन्ध हैं?

  5. Satya Prakash

    May 11, 2010 at 7:26 pm

    Daal bahut Kaala hai ..aur pata nahi kon kon hain iss daal se khichri banane me

  6. Harish

    May 11, 2010 at 9:59 pm

    सवाल दर सवाल

    अगर ये हत्या है ?

    सवाल नंबर 1 : निरूपमा ने सुसाइड नोट क्यों लिखा? सुसाइड नोट निरूपमा की हैंडराइटिंग में है और इसकी पुष्टि उसका प्रेमी प्रियभांशु भी करता है।

    सवाल नंबर 2 : निरूपमा संभ्रांत परिवार की बेटी थी। उसके पिता और भाई अच्छी सरकारी नौकरी में हैं। जिस परिवार ने लड़की को महानगर में अकेले पढ़ने भेजा, क्या ऐसा शिक्षित परिवार अपनी ही बेटी की हत्या जैसा जघन्य कदम उठा सकता है?

    अगर ये आत्महत्या है ?

    सवाल नंबर 1 : उसे उम्मीद थी कि वह अपने प्रेमी से शादी के लिए अपने घर के लोगों को मना लेगी। उसने प्रेमी प्रियभांशु को एसएमएस कर कहा था कि तुम कोई एक्सट्रीम स्टेप मत उठाना। ऐसे में वह खुद आत्महत्या जैसा कदम कैसे उठा सकती थी।

    सवाल नंबर 2: अगर यह आत्महत्या है, तो क्या पोस्टमार्टम रिपोर्ट गलत है? क्योंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में लिखा गया है कि उसकी मौत दम घुटने से हुई।

    सवाल नंबर 3: अगर यह आत्महत्या है तो निरूपमा की माथे के ऊपर दायींआंख के ऊपर चोट जैसा निशान आखिर कैसे बना? जबकि उसकी पहले की तस्वीरों में ऐसा कोई निशान नहीं है।

    सवाल नंबर 3: पंखे से टंगी निरूपमा की लाश उतारने के बाद उसे झुमरीतिलैया में पार्वती क्लिनिक ले जाया गया था। जो लोग निरूपमा को वहां ले गए थे, निरूपमा के घरवाले उनके नाम क्यों नहीं बता रहे?

    अगर फैमिली के लोग निर्दोष हैं ?

    सवाल नंबर 1 : निरूपमा के घर वाले कह रहे हैं कि प्रियभांशु ने उसका यौन शोषण किया, फिर शादी से इनकार कर दिया और इसी वजह से उसने आत्महत्या कर ली। पर, क्या फैमिली के लोग प्रियभांशु से शादी के लिए तैयार थे?

    सवाल नंबर 2 : निरूपमा को दिल्ली से कोडरमा बुलाने के लिए झूठी सूचना क्यों दी गई थी कि उसकी मां बीमार है?

    सवाल नंबर 3 : निरूपमा की मां ने शुरुआती पूछताछ में पुलिस के सामने दो-तीन तरह के बयान क्यों दिए? पहले कहा कि उसकी मौत करंट से हुई, फिर पंखे पर लटककर आत्महत्या की बात कही।

    सवाल नंबर 4 : पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार निरूपमा की मौैत उसकी लाश बरामद करने के कम से कम 24 घंटे पहले हुई। अगर ऐसा है तो परिवारवालों ने पुलिस को देर से सूचना क्यों दी?

    सवाल नंबर 5 : निरूपमा के पिताजी ने दिल्ली स्थित उसके दफ्तर में फोन कर कहा कि उनकी बेटी अब नौकरी नहीं कर सकेगी, क्योंकि उसकी मां बीमार है। क्या वो निरूपमा को दिल्ली जाने से रोक नहींरहे थे ताकि वो अपने प्रेमी के पास नहीं जा सके।

    अगर हत्या के पीछे फैमिली है?

    सवाल नंबर 1 : घटना वाले दिन घर पर कोई मेल मेंबर नहींथा। पुलिस भी मानती है कि घटना वाले दिन उसके पिता धर्मेंद्र पाठक उस दिन गोंडा, भाई समरेंद्र मुंबई और सलील हैदराबाद में थे। यानी निरूपमा के अलावा घर पर सिर्फ उसकी मां शोभा पाठक थीं। क्या वह अकेले हत्या जैसी घटना को अंजाम दे सकती हैं?

    सवाल नंबर 2 : पड़ोसी कहते हैं कि निरूपमा की मां सीधी-सादी, मिलनसार और हंसमुख महिला थीं और अपनी बेटी को बेहद प्यार करती थीं। फिर कोई मां बेटी की हत्या जैसा कदम कैसे उठा सकती है?

    सवाल नंबर 3 : निरूपमा की मां का कहना है कि 29 अप्रैल की सुबह वह पूजा करने मंदिर गई थीं। जब लौटीं तो बेटी को फांसी से लटका पाया। क्या कोई मां बेटी की हत्या के बाद पूजा करने मंदिर जा सकती है?

    डॉक्टरों की लापरवाही

    निरूपमा पाठक के शव का पोस्टमार्टम करनेवाले डाक्टरों की लापरवाही सामने आई है। पोस्टमार्टम के बाद निरूपमा के बिसरा को संरक्षित नहीं रखा गया। बिसरा जांच से कई अहम सुराग मिल सकते थे लेकिन अब बिसरा मौजूद न होने से जांच एजेंसियों की राह और मुश्किल हो गई है। आमतौर पर ऐसे मामलों में बिसरा को काफी दिन तक प्रिजर्व करके रखा जाता है ताकि उससे मौत की गुत्थी सुलझाने में मदद मिल सके। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर पी मोहन ने माना है कि बिसरा को सुरक्षित रखा जाना चाहिए था। उन्होंने इसके लिखित निर्देश दिए थे। बाद में उन्हें पता चला कि बिसरा सुरक्षित नहीं रखा गया है और उसकी जगह लिख दिया गया है कि अमाशय की दीवार साफ हैं इसलिए बिसरा को नहीं रखा जा रहा।

    क्या कहते हैं सुसाइड नोट

    पुलिस की जांच का एक अहम बिंदू निरूपमा के शव के पास हिंदी और अंग्रेजी में लिखे दो सुसाइड नोट हैं। पुलिस को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर जब निरूपमा की हत्या कर दी गई तो फिर उसने खुद सुसाइड नोट क्यों और कैसे लिखा। वो भी एक नहीं दो भाषाओं में। पुलिस का भेजा इसलिए भी चकरा रहा है क्योंकि निरूपमा का परिवार और उसके प्रेमी का कहना है कि सुसाइड नोट में निरूपमा की हैंडराइटिंग है। पुलिस ने भी निरुपमा के नोटबुक से हैंडराइटिंग मिलाई और उसे भी ये निरूपमा की हैंडराइटिंग ही लग रही है। पुलिस सुसाइड नोट की गुत्थी में उलझ गई है।

    निरूपमा को हॉस्पिटल ले जाने वाले कौन थे?

    निरूपमा पाठक की मौत के मामले की जांच करते हुए कोडरमा के एसपी जी क्रांति कुमार, डीएसपी चंद्रशेखर प्रसाद और मामले के जांचकर्ता राजीव रंजन उसके झुमरीतिलैया के चित्रगुप्त नगर स्थित आवास पर आए और परिजनों से लंबी पूछताछ की। साथ ही घटनास्थल की बारीकी से जांच की। जांच में यह बात सामने आयी है कि निरुपमा को जब पार्वती क्लिनिक ले जाया गया था तो उसकी मौत हो चुकी थी। पर अब तक उसे वहां कौन-कौन लेकर गये थे, इसका खुलासा नहीं हो सका है।

    निरुपमा के शव पर थे चोट के निशान?

    पत्रकार निरूपमा के शव पर चोट के निशान भी थे जिसे पोस्टमार्टम के समय मेडिकल बोर्ड की टीम ने नहीं देखा या फिर नजरअंदाज कर दिया। शव को देखने पहुंचे लोगों और खुद पत्रकारों ने भी सिर पर दायीं आंख के ऊपर निशान देखे थे जो फोटो में भी स्पष्ट दिखते हैं। सिविल सर्जन डॉ. पी मोहन ने भी इस बिंदु पर मेडिकल बोर्ड में शामिल चिकित्सकों से यह सवाल किया था और पूछा था कि फोटो में दिख रहा निशान उन्हें कैसे नहीं दिखा। उनका जवाब था इस और उनका ध्यान नहीं गया। सवाल अब भी उठ रहा है कि यह निशान कैसे बना, क्या हत्या के समय निरूपमा के विरोध से निशान बने या फिर पहले से निशान थे। ऐसे ही सवालों की वजह से पुलिस पोस्टमार्टम करनेवाले डाक्टरों से पूछताछ कर रही है।

  7. pankaj jha ( bhind mp )

    May 12, 2010 at 11:20 am

    Harish ji ka camment padnae se or pariwar valon ke savalon se pata chal raha hai ki pariwar valon ko betee ke marne ka koi dukha hi nahi hai kyo ki unko keesi par shak hi nahi hai or vo is baat par jor bhi nahi de rahe hai ki hattaya ki gai hai ya jo bhi ho bhagvan nirupama ji ki aatma ko shanti de

  8. Harish

    May 13, 2010 at 5:13 am

    निरूपमा मामले की जांच से हत्या के संकेत
    रांची। झारखंड पुलिस ने बुधवार को कहा कि निरूपमा पाठक मामले की जांच की प्रगति रिपोर्ट में अब तक की जांच में इस बात की पुष्ट संकेत है कि यह मामला हत्या का है।

    आज कोडरमा पुलिस ने पुलिस महानिदेशक नियाज अहमद के आदेशानुसार निरूपमा पाठक मामले की जांच की प्रगति रिपोर्ट उनके सामने प्रस्तुत की। मामले की जांच में हुई प्रगति और इसकी दिशा पर पुलिस महानिदेशक ने संतोष व्यक्त किया।

    पुलिस महानिदेशक ने बताया कि इस मामले की जांच पुलिस खुले दिमाग से कर रही है और उसकी जांच में पुलिस को किसी भी प्रकार की दुविधा नही है। अहमद ने कहा कि मीडिया में इस मामले की जांच को लेकर उठाई जा रही संशय की बातों से पुलिस की जांच पर कोई प्रभाव नही पडा है और पुलिस अपने मामले की जांच पर पूरी तरह केंद्रित है।

    नियाज ने कहा अब तक की जांच में इस बात की पुष्ट संकेत है कि यह मामला हत्या का है। इस संबंध में अभी इससे अधिक कुछ नही कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच पुलिस यथाशीघ्र पूरी करके इसका पर्दाफाश कर देगी।

    उन्होंने बताया कि कोडरमा पुलिस की जांच की प्रगति रिपोर्ट में पोस्टमार्टम रिपोर्ट की खामियों का जिक्र के साथ साथ मामल की जांच की दिशा और जांच तेजी से पूरा करने के लिए उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकारी दी गई है।

    नियाज ने कहा कि कोडरमा पुलिस को उन्होंने इस मामले में बरामद मोबाइल फोनों तथा लैप टाप्स के आंकडों की जांच शीघ्र पूरी करने और अन्य महत्वपूर्ण गवाहों से पूछताछ करने को कहा है। गौररतलब है कि दिल्ली के एक नामी अखबार की 23 वर्षीया पत्रकार निरूपमा पाठक अपने घर में 29 अपै्रल को संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाई गई थी जिसके बाद पुलिस ने प्राथमिक जांच और अंत्य परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर उसकी मां सुधा पाठक के खिलाफ गैरत के लिए की गई हत्या का मामला दर्ज कर उसे तीन मई को गिरफ्तार कर लिया था।

    बाद में कोडरमा के न्यायिक मजिस्ट्रेट एनके अग्रवाल के आदेश पर पुलिस ने सुधा पाठक की याचिका के आधार पर निरूपमा के प्रेमी पत्रकार प्रियभांशु रंजन के खिलाफ भी भारतीय दंड संहिता की धारा 306, 376, 420 और 506 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया था। इस बीच इस मामले के अंत्य परीक्षण रिपोर्ट पर विशेषज्ञ राय के लिए उसे कोडरमा के सर्जन पी मोहन ने आज रांची के रिम्स अस्पताल में भेजा है।

  9. Harish

    May 13, 2010 at 5:16 am

    पुलिस का दावा, निरुपमा की हत्या हुई थी
    रांची, जागरण संवाददाता: पत्रकार निरुपमा पाठक की हत्या हुई थी। कोडरमा पुलिस की जांच रिपोर्ट में इस बात का पता चला है। बुधवार को कोडरमा पुलिस ने पुलिस महानिदेशक नेयाज अहमद को मामले की जांच रिपोर्ट सौंपी। नेयाज अहमद ने बताया कि अब तक की जांच में इस बात की पुष्ट संकेत हैं कि यह मामला हत्या का है। मामले की जांच में हुई प्रगति और इसकी दिशा पर डीजीपी ने संतोष व्यक्त किया।

    हत्या कब हुई? किसने की? इस सवाल पर डीजीपी ने कहा, अभी जांच चल रही है। शीघ्र सारी बातों का पता चल जाएगा। इस मामले की जांच पुलिस खुले दिमाग से कर रही है और उसकी जांच में पुलिस को किसी भी प्रकार की दुविधा नहीं है। अहमद ने कहा, मीडिया में इस मामले की जांच को लेकर उठाई जा रही बातों से पुलिस की जांच पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।

    कोडरमा पुलिस की जांच की प्रगति रिपोर्ट में पोस्टमार्टम रिपोर्ट की खामियों के जिक्र के साथ ही जांच में तेजी के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी गई है। डीजीपी ने कहा कि कोडरमा पुलिस को उन्होंने इस मामले में बरामद मोबाइल फोन तथा लैपटाप के आंकड़ों की जांच शीघ्र पूरी करने और अन्य महत्वपूर्ण गवाहों से पूछताछ करने को कहा है। गौरतलब है कि दिल्ली के एक अखबार की 22 वर्षीया पत्रकार निरुपमा पाठक तिलैया के अपने घर में 29 अपै्रल को संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाई गई थी। इसके बाद पुलिस ने प्राथमिक जांच और अंत्य परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर उसकी मां सुधा पाठक के खिलाफ सम्मान के लिए की गई हत्या का मामला दर्ज कर उसे तीन मई को गिरफ्तार कर लिया था।

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