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‘पेड न्यूज’ में विधायक उमलेश फंसीं

: अमर उजाला और दैनिक जागरण ने खुद को बचा लिया : ‘पेड न्यूज’ के मुद्दे पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के बाद अब उत्तर प्रदेश की एक विधायक चुनाव आयोग की जांच के घेरे में आ गई हैं. उत्तर प्रदेश में बिसौली विधानसभा क्षेत्र से राष्ट्रीय परिवर्तन दल की विधायक उमलेश यादव को चुनाव आयोग ने एक नोटिस दिया है. उनके एक प्रतिद्वंद्वी ने यह शिकायत की थी कि उन्होंने 2007 के विधानसभा चुनाव में ‘पेड न्यूज’ का इस्तेमाल लिया था.

<p style="text-align: justify;">: <strong>अमर उजाला और दैनिक जागरण ने खुद को बचा लिया</strong> : ‘पेड न्यूज’ के मुद्दे पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के बाद अब उत्तर प्रदेश की एक विधायक चुनाव आयोग की जांच के घेरे में आ गई हैं. उत्तर प्रदेश में बिसौली विधानसभा क्षेत्र से राष्ट्रीय परिवर्तन दल की विधायक उमलेश यादव को चुनाव आयोग ने एक नोटिस दिया है. उनके एक प्रतिद्वंद्वी ने यह शिकायत की थी कि उन्होंने 2007 के विधानसभा चुनाव में ‘पेड न्यूज’ का इस्तेमाल लिया था.</p>

: अमर उजाला और दैनिक जागरण ने खुद को बचा लिया : ‘पेड न्यूज’ के मुद्दे पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के बाद अब उत्तर प्रदेश की एक विधायक चुनाव आयोग की जांच के घेरे में आ गई हैं. उत्तर प्रदेश में बिसौली विधानसभा क्षेत्र से राष्ट्रीय परिवर्तन दल की विधायक उमलेश यादव को चुनाव आयोग ने एक नोटिस दिया है. उनके एक प्रतिद्वंद्वी ने यह शिकायत की थी कि उन्होंने 2007 के विधानसभा चुनाव में ‘पेड न्यूज’ का इस्तेमाल लिया था.

उमलेश के प्रतिद्वंद्वी योगेन्द्र कुमार ने दो अखबारों अमर उजाला और दैनिक जागरण के खिलाफ शिकायत दर्ज करा कर यह आरोप लगाया था कि इन्होंने कुछ रुपये लेकर एक विज्ञापन के रूप में खबरें छापीं. प्रेस काउंसिल ने इन शिकायतों के संबंध में दो अखबारों को ‘नैतिक मूल्यों के उल्लंघन’ का दोषी बताया और आगाह किया कि मीडिया को विज्ञापन के रूप में खबरों को छापने से बचना चाहिए. गौरतलब है कि इन दोनों अखबारों ने स्वीकार किया कि विज्ञापन की सामग्री पत्रकारों ने एकत्र नहीं किया था बल्कि इसे विज्ञापन देने वाले ने मुहैया कराया था, जिसका नाम उमलेश यादव है. इस तरह से दोनों अखबारों ने खुद को पेड न्यूज में फंसने से बचा लिया है.

चुनाव आयोग ने उमलेश के चुनाव खर्च की जांच करने के बाद पाया कि उन्होंने चुनाव के असली खर्च को जाहिर नहीं किया और विज्ञापनों पर खर्च किये रुपयों का हिसाब नहीं दिया. इस तरह का उल्लंघन जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत उम्मीदवार को तीन साल के लिये अयोग्य ठहराता है. आयोग ने उमलेश से एक हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा है.

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