एडिटर्स गिल्ड ने कुछ अखबारों व टीवी चैनलों द्वारा ‘पैसे लेकर खबर’ छापने और प्रसारित करने की कड़ी निंदा की है। एडिटर्स गिल्ड ने संपादकों से अपील की है कि वे विज्ञापन को खबर की शक्ल में प्रकाशित करने से दूर रहें। पिछले चुनावों के दौरान ‘पेड न्यूज’ की संस्कृति विकसित हुई है जो भारतीय पत्रकारिता की बुनियाद पर गंभीर खतरा है। गिल्ड ने ‘बिजनेस स्टेंडर्ड’ के संपादक टीएन नैनन की अध्यक्षता में एक एथिक्स कमेटी का गठन किया है, जो ‘पेड न्यूज’ के खतरे पर रिपोर्ट तैयार करेगी।
एडिटर्स गिल्ड की सालाना बैठक में ‘पेड न्यूज’ पर देश के वरिष्ठ संपादकों ने लगभग दो घंटे तक विचार-विमर्श करने के बाद तय किया कि इस संबंध में पूरे देश में सजगता अभियान चलाया जाएगा। अखबारों व टीवी चैनलों को विज्ञापन काउंसिल द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार विज्ञापन प्रकाशित व प्रसारित करने का पूरा अधिकार है, लेकिन यह जरूरी है कि विज्ञापन व खबर के बीच भेद किया जाए।
पाठकों को यह नहीं लगना चाहिए कि खबर के रूप में उसे विज्ञापन परोसा जा रहा है। परेशानी की बात है कि राजनीतिक दलों के अलावा निजी कंपनियां भी अब ‘पेड न्यूज’ को बढ़ावा दे रही हैं। एडिटर्स गिल्ड ने कुछ अखबारों व टीवी चैनलों द्वारा प्राइवेट ट्रीटीज के माध्यम से कंपनी विशेष को बढ़ावा देने की नीति की निंदा करते हुए कहा है कि समाचार संगठनों को कंपनियों में अपने हितों का खुलासा करना चाहिए। ‘पेड न्यूज’ की वजह से स्वतंत्र व पक्षपातहीन पत्रकारिता को गहरा आघात लगा है। कुछ मीडिया संगठनों के गलत व्यवहार की वजह से पूरे मीडिया जगत की साख पर कालिख पुत रही है।
मीडिया की खास को बचाने के लिए जरूरी है कि हम एकजुट होकर ‘पेड न्यूज’ के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करें। गिल्ड पत्रकारों के अन्य सभी संगठनों के साथ मिलकर इस मुद्दे पर देशभर में अपनी आवाज बुलंद करेंगा। एडिटर्स गिल्ड की बैठक में वरिष्ठ संपादक कुलदीप नैयर, बीजी वर्गीज, के. कत्याल, श्रवण गर्ग, आलोक मेहता, राजदीप सरदेसाई, टीएन नैनन, मधु किश्वर, कूमी कपूर, सुमित चक्रवर्ती व केएस सच्चिदानंद मूर्ति शामिल थे। साभार : नईदुनिया