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भोपाल में पेड पत्रकार वार्ता और पत्रकारों की लड़ाई

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में इन दिनों ‘पेड पत्रकार वार्ता’ की बड़ी चर्चा है. इस पेड पत्रकार वार्ता में मंत्री की चापलूसी किए जाने के प्रकरण को जब एक अखबार ने प्रकाशित किया तो इससे बौखलाए दूसरे पत्रकार ने खबर छापने वाले संपादक की ऐसी-तैसी अपने छोटे से अखबार में कर दी. इस पूरे प्रकरण पर हम यहां सबसे पहले अरशद अली खान की रिपोर्ट दे रहे हैं, फिर पीपुल्स समाचार में प्रकाशित पेड पत्रकार वार्ता में आयोजकों की तरफ से की गई चापलूसी से संबंधित खबर दे रहे हैं और आखिर में पीपुल्स में छपी खबर से गुस्साए पत्रकार द्वारा एक अखबार में पीपुल्स के नए संपादक के बारे में प्रकाशित उल्टी-सीधी खबर की कटिंग को अपलोड कर रहे हैं. -एडिटर

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में इन दिनों ‘पेड पत्रकार वार्ता’ की बड़ी चर्चा है. इस पेड पत्रकार वार्ता में मंत्री की चापलूसी किए जाने के प्रकरण को जब एक अखबार ने प्रकाशित किया तो इससे बौखलाए दूसरे पत्रकार ने खबर छापने वाले संपादक की ऐसी-तैसी अपने छोटे से अखबार में कर दी. इस पूरे प्रकरण पर हम यहां सबसे पहले अरशद अली खान की रिपोर्ट दे रहे हैं, फिर पीपुल्स समाचार में प्रकाशित पेड पत्रकार वार्ता में आयोजकों की तरफ से की गई चापलूसी से संबंधित खबर दे रहे हैं और आखिर में पीपुल्स में छपी खबर से गुस्साए पत्रकार द्वारा एक अखबार में पीपुल्स के नए संपादक के बारे में प्रकाशित उल्टी-सीधी खबर की कटिंग को अपलोड कर रहे हैं. -एडिटर


और अब पेड पत्रकार वार्ता

चाटुकारिता की सभी हदें पार कर दी सेंट्रल प्रेस क्लब ने : पूरे देश में इस समय पेड पत्रकारिता को लेकर हल्ला मचा हुआ है। इस सम्बंध में आयोजित संगोष्ठियों में वक्ता पेड पत्रकारिता का ठीकरा अख़बार मालिको के सिर फोड़ रहे हैं, लेकिन जिस प्रकार से मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित एक पत्रकार वार्ता को लेकर सवाल उठ रहे हैं, उससे यह बात साफ हो गयी है कि पेड न्यूज के मामले में ये भी बराबर के हिस्सेदार हैं। म.प्र. के नक्शे में भोपाल ऐसी जगह है जहां के पत्रकार धंधेबाज पत्रकारिता के लिए पूरे देश में जाने जाते हैं।

इनके बारे में कहा जाता है कि यह चांदी कूटने के लिए किसी भी हद तक गिर सकते हैं। यही कारण है कि सरकरी कार्यालयों के चपरासी भी इन्हें मुंह लगाना पसंद नही करता। पत्रकारों के नाम पर चल रहे सेंट्रल प्रेस क्लब ने पत्रकारों की बची-खुची इज्ज़त भी सरेआम उस समय नीलाम कर दी जब पत्रकार वार्ता की आड़ में केन्द्रीय राज्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की आरती उतारी गयी। गिरने की सभी हदें पार करते हुय क्लब के सदस्यों ने समूचे पत्रकार जगत को जिस प्रकार से शर्मसार किया है, उसकी मिसाल मिलना मुश्किल है।

भोपाल के पलाश होटल में आयोजित इस आयोजन को कुछ पत्रकारों ने पेड पत्रकार वार्ता का नाम दिया है, जो शत-प्रतिश्त सही भी है। यह पत्रकार वर्ता अब तक की सबसे अनोखी और निराली पत्रकार वार्ता थी, जिसमें पत्रकारों की बजाए आयोजकों द्वारा प्रायोजित प्रश्न पूछे गए। यही नहीं, आयोजकों ने पूरी कोशिश की कि कहीं किसी सवाल पर मंत्री जी नाराज ना हो जाएं, मंत्री जी की शान में जमकर कसीदे गढ़े गए, अगर कुछ बाकी था तो क्लब के सदस्यो द्वारा मंच पर लेटकर सिंधिया के तलुए चाटना।

इस अपमान जनक घटना के बाद जब इस बात की खोज की गयी की ऐसी क्या मजबूरी थी जो आयोजकों को मंत्री के सामने इस हद तक गिरना पड़ा। पड़ताल में यह बात सामने आयी की आयोजकों की नज़रे पत्रकार दिनेश गुप्ता के जाने के बाद दैनिक हिंदुस्तान में खाली हुए ब्यूरो चीफ के पद पर है, क्लब के लोग इस पद पर कब्जा करके अपनी दुकान चलाने चाहते हैं। गौरतलब है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया दैनिक हिन्दुस्तान के ट्रस्टी भी हैं और एचटी ग्रुप में सिंधिया फेमिली का पहले से काफी पूछ रही है। पद की लालसा में प्रेस क्लब के लोगों ने जो रास्ता अपनाया है उसकी जितनी निंदा की जाए कम है।

        -भोपाल से अरशद अली खान



 

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0 Comments

  1. mazmoon

    April 19, 2010 at 12:49 pm

    shame shame,
    patrakaron sudhar jao, sharm karo. chaploosee hee karni hai to dalle kyon nahin ban jate, khoob kamai ho jayegi.

  2. kabeer

    April 19, 2010 at 4:39 pm

    arshad bhai ki khabar is baat ka elaan kar rahi he ki patrkaron ko sharmsaar karne wale ense partkaron ko media jagat se khadedna jaroori ho gaya he.patrkaarita ko sharmsaar karne waale vijay daas jaise logon ko nanga karke chorahe par latkaya jay.achhchha hota daas patrkaarita ki jagah dalaali karta.

  3. veerendra bansal

    April 19, 2010 at 4:51 pm

    press club ne jo kiya vo galat hai kisi vi rajneta ke caplusi ke liye prss club nhi hai or usse v jyada galat us journalist ne kiya jisne press club ki ninda karne vale sampadak ke nijta par he news prakasit kar di

  4. varun

    April 20, 2010 at 3:34 am

    bhopal main jo kuch hua usmain sara dosh kawal un chapluse patrkaron ki galti batana nyaysangat nahi hoga, kya kabi hamne ye socha hai ki akhbaron aur channels main jab reporters ko salery majduron ki tarhe di jaayegi to ve log kesa result denge aag ager ye ghatna hui hai to uske liye media managment par bhi ungli uthni hi chahiye…….jago aur apne soshan ke khilaf utao pyaron varna ek din media mar jayega,,,,,,,,,,,,,,,

  5. sapan yagyawalkya

    April 20, 2010 at 8:06 am

    hamara bhopal bhi tarakki par hai. Sapan Yagyawalkya. Bareli(MP)

  6. raj

    April 20, 2010 at 8:28 am

    bhopal to waise bhi badnam raha hai patrkarita ke name par sab kuchh karne ko lekar….kutto ki tarah ladte hai waha ke patrakar

  7. BANA LAL SINGH RAJPUT

    April 20, 2010 at 9:10 am

    arshad bhai apne jo likha vah theek hai, par kya keval patrakar akele ped news ke mudde me safal ho sakte hai. dusra patrakar itna gira hua nahi hai. patrakar ko gira hua banane me press maliko ka yogdan hai.kyoki use yah addat press maliko ne hi dali hali hai.

  8. Dinesh

    April 20, 2010 at 9:57 am

    कलम घसीटों तुम्हें नमनहै

    जला रहे हैं वो मेरा बस्तर
    तो तुमको इस पर बड़ा सुकूं है
    बड़े विचारक हो तुम तो भाई
    पढ़े कहाँ जो ये तालीम पाई
    ”शरम” लफ्ज़ है, नाम क्या ये सुना है
    तो देखो न दर्पण, तुम्हें क्यों न आयी?
    पहन कर के खादी के कुरते विचारक
    समझते हो मैं तोप ही लिख रहा हूँ
    चने बिक रहे हैं, उसी लेखनी पर
    इसी बात का तुमको होगा सुकूं
    रद्दी के ही भाव, पर बिक रहा हूँ
    जरा सोच पर अपनी पोछा लगाओ
    मिट्टी चखो, जड़ को देखो कहाँ है
    सूखे से पत्ते सा लेखन तुम्हारा
    वहीं बह गया
    जहाँ बहती पवन है

    कलम घसीटों तुम्हें नमन है।

    अगर नक्सली सोच में तथ्य है तो
    गलत क्या कि कश्मीर में गर लपट है
    सिक्किम का रोना, धोना असम का
    नागा की धरती के झगड़ों में दम है
    ताली बजाओ अगर रेल फूकीं
    गुड़िया की कुर्सी के नीचे में बम है
    लिट्टे पे चिट्ठे लिखो शान से फिर
    जाने दो जाते हैं गर जान से फिर
    बेटे तुम्हारे भी, अम्मा तुम्हारी
    सीना फुला कर के कहना शहादत
    मेरी भी दुआ लो, मिले उनको जन्नत
    कलम हाँथ में तो खुदा बन गये हो
    अरे इतना गहरा कुवाँ बन गये हो
    फिर भी न मिलता चुल्लू में पानी
    हमारे ही तुम आस्तीनों में पल कर
    हमारा ही बुनते रहे तुम कफ़न है

    कलम घसीटों तुम्हें नमन है।

    बातें बड़ी तुमको आती बनानी
    हकीकत की कातिल तुम्हारी कहानी
    सिक्के का पहलू दिखाते हो हमको
    मगर खोटे सिक्के कभी चल सके हैं?
    बताओ गुफाओं में, जंगल में ही क्यों
    ये क्रांति का ठेका लिये फिर रहे हैं
    फ़कत इस लिये कि है जंगल में मंगल
    जो बाहर ये आये तो सच खुल रहेगा
    नकाबों के पीछे लुटेरे छुपे हैं
    किसी के भी हक की नहीं है लड़ाई
    फटे को छुपाने को की है कढाई
    मगर बुद्धिजीवी का लेबल लगाने
    सियाही को पानी बना कर
    फसाने बनाने के दोषी, अधिक जानवर हैं
    उन्हें ये पता है वो क्या कर रहे हैं
    लेखन नहीं, सत्य का अपहरण है

    कलम घसीटों तुम्हें नमन है।

    लिखो, लेखनी तो है रोटी तुम्हारी
    मगर हर निवाले में बोटी हमारी
    समर्थन करो, लाल बस्तर बना दो
    कब्रों के फिर आँकड़े तुम लिखोगे
    यह भी लिखोगे तरक्की नहीं है
    बच्चों ने अब तक किताबें न देखी
    सूरज नहीं है, उजाले न देखे
    कभी पेट भरते निवाले न देखे
    मगर इसकी जड़ में वही तो छिपे हैं
    बोदी को बंदूक जिसने थमायी
    जिसे इंकलाबी बताते हो विद्वन
    कफननोच हैं वो, ये उसकी कमाई
    लिखने से पहले लेखन की अस्मत
    खुद ही न लूटो, मेरी प्रार्थना है
    संजीवनी चाहिये तुमको मुर्दों
    समझो, कहाँ सोच तेरी दफन है

    कलम घसीटों तुम्हें नमन है..

  9. rri

    April 20, 2010 at 3:23 pm

    us meet the press me mujhe bhi bulaya tha. mene vaha dekha ki hirdesh dixit mukta pathak jaise patrikarita ke dalal sabse aage baithe hai to me uthkar aagaya. yah meet the press pankaj pathak ko hindustan ka samvaaddata banvaane ke liye rakhi gai thi. vijay dass ji ka aajkaj akhbaarwale kam jameendaar jaaydaa ho gaye hai. patrakaaro ke naam se jameeno ka kaam ho raha hai.
    aapka
    bhopal ka sabse chota patrakar

  10. eye4media.blogspot.com

    April 21, 2010 at 6:59 am

    Kuchh in nojawanon ka bhi dhyn rakhe
    Jis program ke baare me pepols ne likha hai usme sabhi diggaj or varishth patrkar the. usi karykram me bheed badane ke liye makhanlal patrkarita vishv vidyalay ke vidyarthiyon ko bulaya gaya or fir unhi ke samne ye tamasha kiya gaya. is tameshe ke baad bhi ye ummed karne ki junior patrkaron ki izzat kare or netaon ke paas na jaaye to ye kese sanbhab hai.
    [url]eye4media[/www.eye4media.blogspot.com

  11. manish gaur

    April 22, 2010 at 3:47 pm

    khabarchi ne khabar to achhi dee hai . par afsos. us akhbar ke malik ko hindi nahi aati. bechara bachav bhi ahi kar sakti.

  12. Sandeep singh

    April 22, 2010 at 3:49 pm

    bahut buri baat h patrakaron sudhar jao, sharm karo.
    achhchha hota patrkaarita ki jagah dalaali karta sudhar jao bhaiyo m bhi aa raha hu.

  13. s. prithpal singh

    June 8, 2010 at 5:32 pm

    haanji,
    1 aisa hai patrakaar bandhu chaaploosi har jagah hai lakin ujaagar sirf maharaj wala case he kyu huya ?
    aisa is liye ki jin logo dwara yeh prachaarit kiya ja raha hai wo khud kisi sattadhari ki chaaplosi kar rahe hai kyunki unhe apne akhbaar ke maliko dwara diya gaya masik package jo poora karna hai jahir hai jo bahut mushkil se he hote hai kyuki aaj ke behad pratispardha wale jagat mai akhbaaro channelo ki bheed hai jo patrakarita nahi balki patrakarita ki aad mai sattadhari ya kisi bhi adhar mai fase ke dalaal ka kaam kar rahe hai. tou aise mai shaashan ki aur se milne wale bader bade lambe chaudey aur moti kamaai ka sadhan prashashnik vigyapan milte rahe isliye maharaj ki is meeting ko chaaplossi bataya ja raha hai.

    2 kya sattadhari party ke liye patrakaar dallali/ ya chapplossi nahi kar rahe?

    ji haa bilkul kar rahe hai bhopal mai patrakaaro ke bhesh mai bhu maafia drugs maafia history sheeter sarkaar ki dalaali kar rahe hai lakin kisi akhbaar ne isey prakashit nahi kiya.

    3 patrakaaro ke liye sanghthan bannaey ka uddeshya kya tha?

    ji haa ab baat karte hai pradesh mai dukaandari ka jaria ban chuke tathakathit patrkar sanghthan jaise shram jeevi patrakaar sangh, malwa patrakaar sangh, mp journalist assotion jaise or bhi pata nahi kitney sangthan hai jo sattadhario ke dalaali kar rahe hai or aapas mai he lad rahe hai asal mai ye patrakaar hai he nahi ye tou patrakarita ke naam par kala dhabba hai.
    chalo 1 minute ke liye maan bhi lete hai ki patrakaro ko majboot banaane ke liye sanghthan ki jaroorat hai jisey sweekar kiya jata hai lakin kya 1 sanghthan se kaam nahi ho sakta tha sanghthan pe sanghthan pehle 1 fir 2, 3, 4, 5, 6, 7,8, 9, aise he 2 sekda farji patrakaro dwara banaye gaye ye sanghthan sirf or sirf kaali kamaai ka he jaria hai

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