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जरदारी पर जूता दिखाना महंगा पड़ा चैनलों को

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी पर जूता फेंकने की खबर दिखाने वाले दो न्यूज चैनलों को पाकिस्तान में केबल नेटवर्क से हटा दिया गया है. इन न्यूज चैनलों के नाम हैं- ‘जिओ’ और ‘एआरवाई’. सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के कार्यकर्ता भी इन दो न्यूज चैनलों से खफा हैं और इनके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.

<p style="text-align: justify;">पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी पर जूता फेंकने की खबर दिखाने वाले दो न्यूज चैनलों को पाकिस्तान में केबल नेटवर्क से हटा दिया गया है. इन न्यूज चैनलों के नाम हैं- ‘जिओ’ और ‘एआरवाई’. सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के कार्यकर्ता भी इन दो न्यूज चैनलों से खफा हैं और इनके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.</p> <p>

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी पर जूता फेंकने की खबर दिखाने वाले दो न्यूज चैनलों को पाकिस्तान में केबल नेटवर्क से हटा दिया गया है. इन न्यूज चैनलों के नाम हैं- ‘जिओ’ और ‘एआरवाई’. सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के कार्यकर्ता भी इन दो न्यूज चैनलों से खफा हैं और इनके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.

‘जिओ’ चैनल के मैनेजिंग डायरेक्टर अजहर अब्बास का भी कहना है कि कराची और सिंध प्रांत के कई हिस्सों में उनके चैनल का प्रसारण नहीं हो रहा है. एआरवाई न्यूज के वरिष्ठ अधिकारी मोहसिन रजा का कहना है कि पीपीपी कार्यकर्ताओं की धमकी के चलते उनके चैनल को नहीं दिखाया जा रहा है. उनका कहना है कि चैनल इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने पर विचार कर रहा है. दोनों चैनलों ने खबर दिखाई थी कि हाल की ब्रिटेन यात्रा के दौरान एक व्यक्ति ने जरदारी पर जूता फेंका था पर जूता जरदारी के पास नहीं पहुंचा.

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0 Comments

  1. shiv

    August 12, 2010 at 5:35 pm

    patrakar sahi baat ko kahane ke liye swtantra hote hai….yah wakiya pakistan ke liye ek sharmnaak baat hai…

  2. sweta

    August 12, 2010 at 9:54 am

    पाकिस्तान में ये आम बात है क्योंकि वहां जम्हूरियत अभी बच्चा है…कच्ची है……लेकिन इसके लिए भारत सहित विश्व के सभी देशों के पत्रकारों को मिलकर आवाज उठाने की जरुरत है….जिससे पाकिस्तान में भी पत्रकारिता नेताओं के चंगुल से आजाद रह सके……

  3. V.S.Nandan

    August 12, 2010 at 7:49 pm

    sweta jee apne desh ki chinta karo na dusre ke fate me tang kyon ada rahe ho. apni samshya to sulajhti nahi sarpanch ki bhumika nibhane chale……….

  4. girish kesharwani

    August 14, 2010 at 9:40 am

    पकिस्तान चाहे कितना भी ढोल पिट ले वह लोकतांत्रिक राष्ट्र है पर सच्चाई यही है वहां अभी भी तालिबानी राज कायम है, भारत ही सच्चा लोक तांत्रिक राष्ट्र है इस बात को हम दमदारी से कह सकते हैं उदाहरण के तौर पर भारतीय मीडिया ने कामन वेल्थ गेम में भ्रष्टाचार को जिस दमदारी से दिखाया है यह इसी बात का सबूत है भारतीय मीडिया यहाँ लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है |
    गिरीश केशरवानी
    p7 न्यूज़ रायपुर (छ.ग.)

  5. nitin sabrangi

    August 16, 2010 at 7:24 am

    Media ki azadi pa bandish hai. ek wakt ayega jab pakistan ko es talebani harkat ki kimat chukani hogi.

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