दो फोटोग्राफरों ने बीयर पी, तीसरे ने फोटो उतारी, अगले दिन खबर के साथ छप गई : टाइम्स आफ इंडिया की साप्ताहिक पत्रिका ‘गुड़गांव प्लस’ के 22 जुलाई 09 के अंक में एक खबर छपी सचित्र, Getting high, not dry शीर्षक से। इस खबर के साथ सारा खेल फोटो का था। खबर थी कि गुड़गांव में शराब पीने के बाद हिंसा और उत्पात की घटनाएं बढ़ रही हैं। किस तरह शराब की दुकानें धड़ल्ले से खुल रही हैं और दुकानों के सामने ही लोग जमकर बीयर-शराब पीते हैं, इसके बारे में खबर में विस्तार से बताया गया। जाहिर है, ऐसी किसी खबर के साथ साक्ष्य के तौर पर मौके की कोई फोटो भी प्रस्तुत की जाए तो उसकी पठनीयता में जान आ जाएगी।
अब फोटो कहां से लाई जाए? यह समस्या फोटोग्राफर की रही। खैर, ये इंतजाम भी हो गया, लेकिन कैसे? यही से खुलना शुरू होता है ‘खबर के पीछे की खबर’ के रहस्य, जो सूत्रों के हवाले से बी4एम के सामने इस तरह उदघाटित होता है-
आप यहां दाईं ओर प्रस्तुत चित्र का अवलोकन करें, और पहचानने की कोशिश करें कि ये चेहरे, जो Getting high, not dry शीर्षक खबर में प्रस्तुत किए गए हैं, कौन हैं। स्वाभाविक है, आपकी जिज्ञासा तब और बढ़ जाएगी, जब उनका भेद खोल दिया जाए, जो शराब-बीयर के की दुकान के सामने बोतल से पीने का दृश्य क्रिएट कर रहे हैं। तो जनाब, ये और कोई नहीं, अपने अखबारी भाई-बंधु ही हैं, जो आपसी जुगाड़ से अपनी ही फोटो खींच कर खबर के बीच चेंप लेते हैं। भला पाठक बेचारों को क्या पता कि फोटो किन दारूबाजों की हैं!
अब आइए, हम आपको बता ही देते हैं कि ये जनाब कौन-कौन हैं-
इनमें जिन दो लोगों को शराब पीते हुए दिखाया गया है, वे दोनों ही प्रेस फोटोग्राफर्स हैं। ग्रे टी-शर्ट वाले टाइम्स आफ इंडिया और मेल टुडे के लिए काम करते हैं। दूसरे व्हाइट टी-शर्ट वाले दैनिक भास्कर के लिए फोटो खींचते हैं। इस दृश्य को टाइम्स आफ इंडिया के फोटोग्राफर ने अपने कैमरे से क्लिक किया। लीजिए, तैयार हो गई तस्वीर और खबर बनी रखी है पहले से। पाठक बेचारा खबर पढ़कर डरे तो डरे, हमसे क्या मतलब। सच में कहा गया है- जुगाड़ में हो दम, तो क्या कर लेंगे हम!