फोटो ‘हींचते’ हैं मेरे शहर के फोटो पत्रकार क्योंकि फोटो हर कीमत पर, भले ही ‘मैनेज’ कर

राजेंद्र हाड़ासन् 1999 की एक रात कुछ पत्रकारों को सूचना मिली कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अजमेर आ रहे हैं। गहलोत कुछ माह पहले ही पहली बार मुख्यमंत्री बने थे और ‘सुशासन’ लाने के कारण ज्यादातर दौरे रेलगाड़ी से किया करते थे। रेल आने का समय रात करीब दो-ढाई बजे का था। एक संवाददाता, फोटोग्राफर के साथ रेलवे स्टेशन जा पहुंचा।

शाबास मदन मौर्या, जुग-जुग जियो

[caption id="attachment_20168" align="alignleft" width="170"]मदन मौर्यामदन मौर्या[/caption]एक फोटोग्राफर हैं. मदन मौर्या. दैनिक जागरण, मेरठ में हैं. वरिष्ठ हैं. कानपुर के रहने वाले हैं लेकिन जमाना हो गया उन्हें मेरठ में रहते और दैनिक जागरण के लिए फोटोग्राफरी करते. इस शख्स के साथ अगर आप दो-चार दिन गुजार लें तो आपको समझ में आ जाएगा कि मिशनर जर्नलिस्ट या मिशनरी फोटोग्राफर किसे कहते हैं. इतना खरा और साफ बोलता है कि सुनने वालों को डर लगने लगता है.

शाबास संजीव!

जगमोहन फुटेलामैं ब्यूरो देखता था जब सीधा सादा कुछ अनाड़ी सा दिखने वाला एक लड़का आया मेरे पास. उसके पास भाषा नहीं थी, उच्चारण भी गड़बड़. स्ट्रिंगरों के साथ होने वाले शोषण से भी अनजान. उसके कपड़े-जूते, हाथ में एक छोटा सा पुराना (शायद किसी से माँगा हुआ) कैमरा और हालत देख कर तरस भी आ रहा था. शुरुआती बातचीत में ही मैं समझ गया था कि पत्रकार होने की उसकी ललक ने एक बार उसे बेगारी और बेरोज़गारी के दुष्चक्र में फंसाया तो बांह पकड़ के बाहर निकालने वाला भी उसके परिवार में कोई नहीं. तर्क-वितर्क का जोड़-घटाव लगातार कह रहा था कि उसे साहिर साहब के गुमराह वाले शेर की तरह कोई अच्छा सा मोड़ देकर छोड़ दूं. लेकिन दिल था कि दिमाग की मानने को तैयार नहीं था. मुझसे मिल-सी नहीं पा रहीं थीं पर, उसकी उन छोटी छोटी आँखों के भीतर बहुत भीतर तक दिख रहा एक आत्मविश्वास था.

इन फोटोजर्नलिस्ट साथियों को सेल्यूट करती हूं

नूतन ठाकुर“अरे भाई, आप लोग तैयार हैं? थोडा जल्दी कर देते, हमें कुछ और भी कार्यक्रम कवर करने हैं…” ये शब्द थे एक बड़े हिंदी अखबार राष्ट्रीय सहारा, लखनऊ के एक फोटोग्राफर साथी के. वे हम लोगों का एक छोटा सा पर सांकेतिक रूप से महत्वपूर्ण कार्यक्रम कवर करने आये थे. जगह था लखनऊ का शहीद स्मारक. दिन बारह अक्टूबर. समय लगभग सवा छह बजे शाम. मौका था आरटीआई एक्ट के पांच साल हो जाने के अवसर पर इन वर्षों के दौरान मार दिए गए आरटीआई शाहीद्दों को श्रद्धांजलि का. अँधेरा हो गया था और उस जगह पर मात्र हम लोगों द्वारा जलाई गयी मोमबत्तियां ही कुछ प्रकाश दे रही थीं. हम लोगों की संख्या दस-बारह की रही होगी. नेशनल आरटीआई फोरम की ओर से मैं और अमिताभ जी थे. यूथ इनिशिएटिव के अखिलेश जी थे. हिमांशु, अभिषेक और आलोक थे. विधि के प्रवक्ता देवदत्त शर्मा थे और दूसरे कुछ साथी थे. श्रद्धांजलि और स्मरण का कार्यक्रम हो गया था. हिंदुस्तान टाइम्स अखबार से फोटोग्राफर अशोक दत्त जी फोटो ले कर जा चुके थे.

चाय-पानी के लिए खूब चमके कैमरों के फ्लैश

: पत्रकार एवं फोटोग्राफरों ने पंचायत चुनाव में प्रत्‍याशियों को जमकर नोचा : आजमगढ़ में पंचायत चुनाव के प्रत्याशियों के नामांकन के दौरान फोटोग्राफर्स और तथाकथित पत्रकारों की चांदी हो गई. गांव देहात से आने वाले उम्मीदवारों के नामांकन के लिए जाते समय डीएम कार्यालय पर ही ये प्रेस से जुड़े लोग प्रत्याशियों को घेर लेते थे. बाकायदा उनको माला फूल पहना कर समर्थकों को बगल में खड़ा कर फोटो और विसुअल लिए जाते थे. फिर कमर पर हाथ रख कर किनारे ले जाकर सेटिंग होती थी.

छिछोरे छायाकार और पत्रकारिता की छीछालेदर

: फतेहपुर में खुलेआम पंचायत चुनाव लड़ रहे प्रत्‍याशियों से वसूला जा रहा है पैसा :  पंचायत चुनाव ने फतेहपुर की पत्रकारिता को नए सिरे से कसौटी में कसने की जरुरत महसूस करा रहा है. चुनाव में नामांकन कराने आये जिला पंचायत सदस्य प्रत्याशियों के फोटो खींचने को लेकर छायाकारों द्वारा खुलमखुल्‍ला धन उगाही की जा रही है. खुलेआम बेशर्मी भरा खेल कोर्ट कैम्पस के अंदर देखकर काउंसिलों सहित वादकारी और समर्थक पूरी पत्रकारिता को लानत भेज रहे हैं.

यूं क्रियेट हुई ग्रहण की ‘यूनिक फोटो’

[caption id="attachment_15466" align="alignnone"]वाह गुरु, लग नहीं रहा कि अपन सब भारत के वासी हैं![/caption]

बीते दिनों इलाहाबाद के एक फोटोग्राफर का कमाल पूरे मीडिया जगत के लिए उल्लेखनीय रहा। वह इसलिए कि उसके प्रायोजित चित्र को एक बड़ी फोटो एजेसी ने सभी अखबारों के लिए जारी कर दिया। किसने छापा, किसने नहीं, ये तो अखबारों की मर्जी, लेकिन फोटोग्राफर प्रायोजन के जरिए थोड़ी हकीकत-थोड़ा फसाना रचने में कामयाब रहा। अपने फोटोग्राफी नेटवर्क के लिए यह फोटो एजेंसी पूरी दुनिया में सबसे विश्वसनीय एजेंसी मानी जाती है।

जुगाड़ में हो दम तो फोटो बना लेंगे हम

टाइम्स आफ इंडिया, गुड़गांव में प्रकाशित स्टोरीदो फोटोग्राफरों ने बीयर पी, तीसरे ने फोटो उतारी, अगले दिन खबर के साथ छप गई : टाइम्स आफ इंडिया की साप्ताहिक पत्रिका ‘गुड़गांव प्लस’ के 22 जुलाई 09 के अंक में एक खबर छपी सचित्र, Getting high, not dry शीर्षक से। इस खबर के साथ सारा खेल फोटो का था। खबर थी कि गुड़गांव में शराब पीने के बाद हिंसा और उत्पात की घटनाएं बढ़ रही हैं। किस तरह शराब की दुकानें धड़ल्ले से खुल रही हैं और दुकानों के सामने ही लोग जमकर बीयर-शराब पीते हैं, इसके बारे में खबर में विस्तार से बताया गया। जाहिर है, ऐसी किसी खबर के साथ साक्ष्य के तौर पर मौके की कोई फोटो भी प्रस्तुत की जाए तो उसकी पठनीयता में जान आ जाएगी।

पुलिस ने फोटोग्राफर का हाथ और कैमरा तोड़ा

दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर पत्रकार आईजी से मिले : फरीदाबाद में संजय कालोनी पुलिस चौकी के सामने हुई पथराव-हिंसा की घटना में पुलिस लाठीचार्ज में गंभीर रूप से घायल हुए प्रेस फोटोग्राफर नवीन शर्मा के मामले में हरियाणा पत्रकार संघ के बैनर तले पत्रकारों का प्रतिनिधिमंडल आईजी पीके अग्रवाल से मिला। पत्रकारों ने नवीन शर्मा की बर्बरतापूर्वक पिटाई करने के आरोपी पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठाई। प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई जिला प्रधान नवीन धमीजा ने की। ज्ञात रहे कि गौच्छी गांव के लोगों ने पिछले दिनों संजय कालोनी पुलिस चौकी पर एक युवक की पिटाई के मामले में कार्रवाई न होने पर जमकर हंगामा किया था।

आग मुकाबिल हो तो कैमरा निकालो…

[caption id="attachment_15297" align="alignleft"]ज्ञान प्रकाशज्ञान प्रकाश[/caption]माफ कीजिएगा, किसी शायर की पंक्तियों को दाएं-बाएं करके हेडिंग बना दी। आग यूपी कांग्रेस की अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी के घर में लगाई गई थी। बकौल कांग्रेसी आग लगाने वाले बीएसपी के लोग थे और बकौल बहनजी.. कांग्रेसियों ने खुद फूंका है रीता का घर…। पुलिस तमाशबीन थी, ये चैनलों ने भी खूब दिखाया। लेकिन पुलिस खुद आग लगवा रही थी, ये कहानी बयान की तस्वीरों ने। जब आग लगाई जा रही थी, तो वहां पहुंचे थे अमर उजाला लखनऊ के जांबाज फोटोग्राफर ज्ञान प्रकाश (प्यार से लोग ज्ञान को स्वामी कहते हैं यही प्रचलित नाम भी है ज्ञान का)। गुंडे आग लगा रहे थे, पुलिस उनकी मदद कर रही थी। ज्ञान अपना काम कर रहे थे..। जरा सोचिए रात में अगर तस्वीर ली जा रही हो तो फ्लैश भी जरूर चमकेगा। और आगजनी में वर्दीवाले गुंडों की सामने से भी तस्वीरें खींचीं ज्ञान प्रकाश ने। बिना इसकी परवाह किए कि यूपी के जंगलराज में उनका क्या होगा।