दाम किया आधा : छेड़ा ‘पढ़ेगा पूरा झारखंड’ अभियान : बड़े-बड़े मीडिया हाउसों से मुकाबले के लिए झारखंड में प्रभात खबर ने ऐसी योजना बनाई कि फिलहाल सभी महारथी परेशान हैं. अब तक चार रुपये में बिक रहा प्रभात खबर आज से पाठकों के पास दो रुपये में पहुंचना शुरू हो गया है. दाम कम करने को प्रभात खबर प्रबंधन ने ज्यादा से ज्यादा लोगों को अखबार बढ़ाने के मुहिम से जोड़कर इसे एक सामाजिक अभियान का रूप दे दिया है. सूत्रों का कहना है कि दरअसल दाम करना भास्कर की जानी-पहचानी रणनीति को विफल करना है.
भास्कर ग्रुप जहां कहां भी अखबार लांच करता हैं वहां शुरुआत के कुछ महीने या कुछ वर्ष, जैसी भी स्थानीय परिस्थिति हो, बेहद कम दाम पर पाठकों को अखबार देता है. तो, भास्कर रांची में अखबार लांच कर उसे कम दाम में बेचे, उसके पहले ही प्रभात खबर ने खुद पहल करके दाम आधार कर दिया है. दाम कम किए जाने के संबंध में आज प्रभात खबर में एक विशेष संपादकीय का भी प्रकाशन किया गया है, जो इस प्रकार है-
पाठकों को दो रुपये में प्रभात खबर
‘पढ़ेगा पूरा झारखंड’ अभियान के तहत आज (15 जून, 2010) से प्रभात खबर पाठकों के लिए दो रुपये में उपलब्ध है. चार रुपये में नहीं. एक अखबार की लागत कीमत लगभग नौ रुपये है. पर पाठकों को दो रुपये में क्यों? झारखंड बने 10 वर्ष होने को हैं. सात मुख्यमंत्री जा चुके हैं. अब आठवें की तलाश जारी है. न सरकार स्थिर है, न विधानसभा. इस तरह न विकास हो रहा है. न राज्य आगे जा रहा है. दुनिया को 21वीं शताब्दी में ज्ञान का युग (नॉलेज ऐरा) कहा गया है.
सूचना क्रांति का दौर. यानी सूचनाएं ही लोगों को या समाज को जागरूक या संपन्न बनाती हैं. सूचनाएं अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे, तो झारखंड में एक नयी चेतना पैदा होगी. आंदोलन और बदलाव की नयी भूख और बेचैनी होगी. राज्य में जन-जन तक राज्य की सूचनाएं पहुंचे, बदलती दुनिया की खबरें पहुंचे, देश के कोने-कोने में आ रहे बदलावों की सूचना पहुंचे, तो सही अर्थो में एक नया आंदोलन पैदा होगा. आंदोलन सृजन का. आंदोलन प्रगति का.
आंदोलन विकास का. इसलिए जन-जन तक सूचनाएं पहुंचाने के लिए ही प्रभात खबरने पाठकों को दो रुपये में अखबार उपलब्ध कराने का ऐतिहासिक निर्णय किया है, ताकि घर-घर अखबार खरीद और पढ़ सके. अब आप पाठकों से गुजारिश है कि आप ‘पढ़ें अखबार’ आंदोलन चलायें. अखबार को पास, पड़ोस, समाज हर जगह फ़ैलायें. यह सूचना युग है. इसमें शिक्षा और ज्ञान ही इंसान को आगे ले जा सकते हैं. प्रभात खबर ज्ञान का मंच बने. यह हमारी कोशिश होगी.
लंबे समय से झारखंड में यह चर्चा हो रही थी कि अखबारों की कीमत अधिक होने के कारण बड़ी संख्या में लोग अखबार नहीं खरीद पाते. बीच-बीच में अखबार समूहों ने सर्वे कराये, उसमें भी यह बात सामने आयी. झारखंड की आबादी तीन करोड़ से ज्यादा है, लेकिन उस अनुपात में यहां अखबार नहीं बिकते.
इसका सबसे प्रमुख कारण है, अखबारों का दाम ज्यादा होना. समय-समय पर पाठकों के सुझाव आये, कीमत दो रुपये रखने का. लेकिन न्यूज प्रिंट और अन्य सामग्रियों के बढ़ते भाव से यह संभव नहीं हो सका था. प्रभात खबर प्रबंधन ने महसूस किया कि दाम घटाने से झारखंड का एक बड़ा तबका, जिसकी संख्या लाखों में हो सकती है, अखबार खरीद सकता है, अखबार पढ़ सकता है.
यह हर कोई जानता है कि प्रभात खबर ने झारखंड राज्य के निर्माण और उसके पुनर्निर्माण में अहम भूमिका अदा की है. झारखंड के प्रमुख सवालों पर अभियान चलाया. जब भी झारखंड के विकास की बात उठी, प्रभात खबर ने समझौता नहीं किया. लेकिन अखबार की कीमत के कारण यह आवाज झारखंड के जन-जन तक नहीं पहुंच सकी.
यह सूचना का युग है. जब तक हर व्यक्ति तक सूचना नहीं पहुंचेगी, कोई भी सामाजिक आंदोलन सफल नहीं होगा. प्रभात खबर चाहता है कि झारखंड के लोग जागरूक बनें, उनमें जनचेतना फ़ैले और यह आंदोलन का रूप ले. इसके लिए जरूरी है कि राज्य का हर व्यक्ति अखबार खरीद कर पढ़े. इसी प्रयास से नये झारखंड के उदय का रास्ता खुलेगा, नयी चेतना आयेगी. गांव-गांव, घर-घर अखबार चेतना के वाहक के रूप में फ़ैलेगा-पसरेगा. इस तरह अखबार एक सृजनात्मक आंदोलन को आकार देगा. पाठकों के सहयोग से. पाठकों के बूते. पाठकों की बदौलत.
प्रभात खबर प्रबंधन
chandresh sharma, corespondent. chatra-jharkhand
June 15, 2010 at 11:53 am
pravat khaber ki yah pahal wakai tarif ke kabil hai. parantu kya ye prayas aage bhi jari rahega ya bhaskar ko awakat batane ki kosis…..ki kawayad hai. pathak warg ko wakai aap gyan darsan karwana chhah rahe hai….ya akhbaro ke bich ka pratispradha darsan karwana chahte hai. ye manthan ki bat hai.quki aaj ke pahle bhi Akhbar ki kimat Ghatai ja sakti thi, fir Aaj …..is prakar ki pahal qu.
Neha
June 15, 2010 at 12:28 pm
vaise to bhaskar ab tak des ke kai saharo maie akbar ko launch kiya hai par use ey bat manan parega ki JHARKHAND maie akbar nikalna kitna muskil hai.
Nandkishore Malviya
June 15, 2010 at 12:56 pm
Yashvant ji Bhaskar ke upar yese dav nahi chalte mai na bhaskar me kam karta honu na hi pahale kiya hai our nahi karne ka ichhuk honu chunki bhopal se honu our media grup me 18 year ka anubhav hai bhaskar 1 Rs. me 24 page ka akhbar de sakta hai bhaskar ki planing ke age na jagran na hindustan na amar ujala our prbhat khabar nai dunia jaise ke bare me to soch bhi nahi sakte agar yakin na ho to natija dekh lijiyega vakt batayega.
Ravi Ranjan
June 15, 2010 at 1:08 pm
Reduction in price is the welcome decision which is taken by the Prabhat Khabhar management. Compare to other states the price of newspapers are very high in Jharkhand and Bihar. Now more number of people could buy newspaper and they will be benefited. whatever is the reason but ultimately people of Jharkhad will get advantage and they could be more familiar with the news. Now we will get quality newspaper in less price. Other popular newspapers in Jharkhad will have to reduce the price and quality because there are to be tough competition among newspapers owner.
Haresh Kumar
June 15, 2010 at 1:59 pm
मीडिया के धंधे में टिकने के लिए सब कुछ दांव पर लगाना पड़ेगा। अभी तो सिर्फ दाम ही कम हुए हैं। बाद में अधिक सप्लीमेंट भी देना पड़ेगा, आखिर प्रतिद्वंदी आपसे मैनेजमेंट में तगड़ा हैं और पैसे की भी ताकत ज्यादा है, हो सकता है वो आपके कुछ जुझारु पत्रकारों को भी अपने साथ कर ले। आखिर में पैसा बोलता है। एक बार फिर से प्रभात खबर प्रबंधन को जूझना होगा, जैसा कि माननीय हरिवंश जी ने इससे पहले झारखंड में प्रभात खबर के 30 से अधिक साथियों को हिन्दुस्तान समूह द्वारा अपने साथ कर लिए जाने के बाद भी अखबार का प्रकाशन करके एक जोड़दार तमाचा प्रतिद्वंदी समूह को मारा था। आशा है, प्रभात खबर आने वाली चुनौतियों से जूझने में सक्षम होगा और माननीय श्री के.के.गोयनका जी के कुशल नेतृत्व में झारखंड में अपनी पताका फहराता रहेगा और देश के अन्य हिस्से में भी अपना विस्तार करेगा। हमें ही नहीं प्रभात खबर के पाठकों को इसके अंक का बेसब्री से इंतजार रहता है। प्रभात खबर ने जिस तरह से झारखंड की समस्याओं को उजागर किया है, पत्रकारिता जगत में एक मिशाल है। प्रभात खबर ने ही सबसे पहले चारा घोटाला एवं अन्य घोटाले को उजागर कर अपने पत्रकारिता के धर्म को निभाया है। प्रभात खबर सही में आम आदमी का अखबार है। झारखंड जैसे खनिज संपन्न राज्य के नेताओं द्वारा जारी लूट संस्कृति के कारण आज झारखंड की ऐसी हालत हो गई है। अगर समय रहते जनता जागरुक नहीं हुई तो झारखंड को गर्त में जाने से कोई नहीं रोक सकता। अखबार इसमें अपनी महती भूमिका से बच नही् सकता। लोगों को जागरुक करना अखबार का काम है। उन्हें लूट-खसोट से अवगत कराना भी अखबार का ही काम है।
हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि प्रभात खबर चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है।
Rajesh yadav
June 15, 2010 at 2:18 pm
sanmarg bbsr
JHARKHAND ME AKBAR NIKLANA KITAN MUSKIL HAI
PARBHAT KHABAR BHUT HE ACHE KAM KIYA HAI
JO BHASKAR K ANE KE PAHLE HI KAR DIY HAI
करमु प्रसाद, वेस्ट बोकारो
June 15, 2010 at 2:54 pm
प्रभात खबर के इस फैसले को महज व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा की कोशिश कहना गलत होगा. प्रभात खबर की झारखंड में अपनी अलग पहचान है. यह अखबार झारखंड में सरकार के लिए दस्तावेजों का काम करती है. चारा घोटाले से लेकर अभी जेपीएससी के गोरखधंधे सहित झारखंड बिहार के तमाम बड़े घोटालों का पर्दाफाश इसी अख़बार ने किया. झारखंड के अखबार प्रभात खबर का ही अनुसरण करते हैं. प्रभात खबर 5 रु. भी हो जाए तो इसके असली पाठक नहीं डिगेंगे.
करमु प्रसाद, वेस्ट बोकारो
June 15, 2010 at 2:55 pm
प्रभात खबर के इस फैसले को महज व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा की कोशिश कहना गलत होगा. प्रभात खबर की झारखंड में अपनी अलग पहचान है. यह अखबार झारखंड में सरकार के लिए दस्तावेजों का काम करती है. चारा घोटाले से लेकर अभी जेपीएससी के गोरखधंधे सहित झारखंड बिहार के तमाम बड़े घोटालों का पर्दाफाश इसी अख़बार ने किया. झारखंड के अखबार प्रभात खबर का ही अनुसरण करते हैं. प्रभात खबर 5 रु. भी हो जाए तो इसके असली पाठक नहीं डिगेंगे.
SANJAYSINGH
June 15, 2010 at 3:37 pm
PRABHAT KHABAR K SHATH HI HINDUSTAN BHI HAWKER SE 2/- ME BHECHNE KO BOL DIYA HAI, KAL SE DAINIK JAGARAN BHI. SABSE HATKAR AB SANMARG RS.-1/ ME BHECHNE KI GHOSHNA KIYA HAI. USKA NARA HAI-
KHABRON ME HIT, SAKE PAKEKT ME FIT RS.- 1 ME SANMARG.
DENKHE AAGE KYA HOGA
neemit
June 15, 2010 at 5:29 pm
yeh koi samajik abhiyan nahi balki bazar main barkrar rahne ka sangarsh. waise ye price war hain mere dost aage-aage deko hota hai kya?
BIJAY SINGH
June 16, 2010 at 10:58 am
ISSE KAHTE HAIN -PRABHAT PAR CHADA DAINIK BHASKAR KA BHOOT.
AB BUSINESS BACHAYE RAKHNE KE LIYE KUCH NA KUCH TO KARNA HI HOGA NA.PRABHT KHABAR NE JHARKHAND ME EK ACHCHI MUKAM HASIL KIYA HAI ,AISI HALAT ME BHASKAR KE AANE KE BAAD USPE ASAR PADNA LAJIMI HAI.TO KYON NA ABHI SE PRECAUTION LE LIYA JAYE.GALAT BHI KYA HAI ISSME ,AKHIR VYAPAAR HAI.
p kumar
June 16, 2010 at 1:35 pm
hello neha plz email id do
pk kanpur
sk mukesh
June 17, 2010 at 3:37 pm
ise kahte hain nahle pe dahla maarna……..