हिन्दी पत्रकारिता के शिखर पुरुष प्रभाष जोशी के सहज और संवेदनशील व्यवहार ने मेरे मन को छू लिया था. मुझे याद है, प्रभाष जी सिलीगुड़ी में लायंस क्लब की कांफ्रेंस में हिस्सा लेने आये थे. उस समय मैं प्रभात खबर में काम करता था. प्रभाष जी की आने की खबर मिलने के बाद मैं होटल में उनसे मिलने गया. मन में टेंशन कि इतने बड़े मनीषी से मिल रहा हूं, क्या बात करूंगा. होटल में प्रभाष जी ने मुझे आपने पास बैठाया.
जब उन्हें पता चला कि प्रभात खबर का सिलीगुड़ी में एडिशन है तो तुरंत बोले- चलो, ऑफिस चलते हैं. हम सब के लिए यह सबसे सुनहरा पल था. प्रभात खबर के ऑफिस में प्रभाष जी पूरे दो घंटे तक रहे. पूरी टीम से बात की. पत्रकारिता के नए विजन और ट्रेंड के बारे में बताया. कहा, जो रचेगा वो ही इस देश में बचेगा.
उन्होंने कहा- हरिवंश जी से बात कराओ. हरिवंश जी से फोन पर बातचीत में प्रभाष जी ने कहा कि देश में अख़बार तो प्रभात खबर है, बाकी तो बस नाम और दाम के लिए अखबार निकाल रहे हैं. प्रभाष जी ने प्रभात खबर ऑफिस में हरेक साथी के साथ दिल खोल कर बात की. कहा- अब तो फिर से इच्छा होती है कि रात भर जाग कर अखबार निकाला जाये. उनकी इस मुलाकात की याद हमेशा रहेगी. इस मनीषी को नमन.
लेखक दिलीप डुग्गर प्रभात खबर के सिलीगुड़ी एडिशन के संपादकीय प्रभारी रहे हैं. फिलहाल वे रेडियो मिस्टी के वाइस प्रेसिडेंट हैं.