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संपादक से परेशान तीन पत्रकारों ने प्रभात खबर छोड़ा

भड़ास4मीडिया को एक मेल के जरिए सूचित किया गया है कि प्रभात खबर, पटना के तीन कर्मचारियों ने अखबार को अलविदा कह दिया है. इनमें प्रादेशिक डेस्क इंचार्ज सुशील झा के अलावा सब एडिटर अनिल कुमार और संतोष सिंह शामिल हैं. इस सामूहिक अलविदे के बाद से संस्थान में हलचल मच गयी है. कहा जा रहा है कि ये तीनों स्थानीय संपादक स्वयं प्रकाश के तानाशाही वाले रवैये से परेशान थे.

<p style="text-align: justify;">भड़ास4मीडिया को एक मेल के जरिए सूचित किया गया है कि प्रभात खबर, पटना के तीन कर्मचारियों ने अखबार को अलविदा कह दिया है. इनमें प्रादेशिक डेस्क इंचार्ज सुशील झा के अलावा सब एडिटर अनिल कुमार और संतोष सिंह शामिल हैं. इस सामूहिक अलविदे के बाद से संस्थान में हलचल मच गयी है. कहा जा रहा है कि ये तीनों स्थानीय संपादक स्वयं प्रकाश के तानाशाही वाले रवैये से परेशान थे.</p> <p>

भड़ास4मीडिया को एक मेल के जरिए सूचित किया गया है कि प्रभात खबर, पटना के तीन कर्मचारियों ने अखबार को अलविदा कह दिया है. इनमें प्रादेशिक डेस्क इंचार्ज सुशील झा के अलावा सब एडिटर अनिल कुमार और संतोष सिंह शामिल हैं. इस सामूहिक अलविदे के बाद से संस्थान में हलचल मच गयी है. कहा जा रहा है कि ये तीनों स्थानीय संपादक स्वयं प्रकाश के तानाशाही वाले रवैये से परेशान थे.

इस्तीफा देने वाले सुशील झा पहले प्रभात खबर, धनबाद में थे. वहां से वे सेवेन डेज वीकली में गए. अनिल कुमार पहले आज में काम करते थे. संतोष कुमार हिन्दुस्तान से प्रभात खबर आये थे. स्वयं प्रकाश के कार्यकाल में अगस्त 2009 से जुलाई 2010 तक सात कर्मचारियों ने अखबार छोड़ा है. इनमें सुशील सिंह (तत्कालीन प्रादेशिक डेस्क इंचार्ज), सह इंचार्ज उपेन्द्र पांडेय, सब एडीटर शक्ति पांडेय और अमित कुमार हैं. इधर भास्कर की लांचिंग के मददेनजर झारखंड और बिहार में अन्य अखबार अपने वर्करों को प्रलोभन देकर संस्थान से जोड़े रखने की कवायद में जुटा है. ऐसी स्थिति में प्रभात खबर से वर्करों का लगातार पलायन अच्छा संकेत नहीं है.

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0 Comments

  1. vikasshukla

    July 8, 2010 at 3:45 pm

    sampadakon ki manmani ka natiza hai yeh

  2. RANJAN

    July 8, 2010 at 3:57 pm

    ho sakta ha koi matter hoga par apsi sahmati se hal kar lena chahiye tha

  3. liuytsdfasdf

    July 8, 2010 at 8:31 pm

    यसवंत ?

    १.पटना प्रभात खबर के एडिटर को जनता है तू
    २.इनके बारे में तनाशाह है ये पहले किशी के बारे में जान ले फिर किशी पर उंगली उठाये ?
    ३. झा अनिल और संतोष कामचोर थे इसकी जानकारी तुमको थी ?
    ४. तुमने पटना मानव संसाधन में झा अनिल और संतोष के बारे में पता किया था ?
    ५. भास्कर के आने के बाद क्या होगा नहीं होगा ये तय तुम नहीं करो नहीं पंडित बन जाओगे ?
    ६.अपना पोर्टल को सही खबर दो नहो तो तेरा दुकान बंद हो जायेगा और तुम पटना के एडिटर के पैर पकड़ का एक नौकरी ?
    ७. यसवंत तुम काफी कमीना हो जिसकी खाते हो उसी थाली में छेद कर देते हो
    ८. तुम प्रभात खबर को जानते हो की नहीं ?
    ९. तुम हरिवंस प्रभात खबर के जानते हो की नहीं ?
    १०. अगर तुम जानते हो तो पटना के एडिटर कौन है ?
    ११.अब बकवास पोर्टल पर डालना बंद करो आखिर में पटना के एडिटर से माफी मांग लो वो क्या है माफी मांग लो फिर पता तुम को चल जायेगा

    तुम्हारा एक ?

  4. hareram

    July 8, 2010 at 9:28 pm

    yashwant jee, kirpya es khabar ko update kar le. swayam prakeash singh k aane kbaad 7 nahi 10 ne chhoda hai. aur sab achhi jagah pe hain. sirf unke liye hi samasya the kyuki we unki gali khane ko taiyar nahi the. chakit karnewali baat to ye hai ki pradhan sampadak haribansh jee ko ye kyo nahi samajh me aa raha hai ki unka RE hi sahi nahi hai. use knowledge kam hai. he don’t know about news paper and don’t have news sense. he is a dictator. haribansh jee ko swayam prakash k pahle ki sthiti pe gaur karna chahiye. we kyu nahi pata karte ki akhir emplyoee unka akhbar kyu chhod rahe hain? we janemane patrakar hain. bus itna bata du ki us RE k bare jitna likha jaye kam hai.

  5. parichhit

    July 9, 2010 at 4:44 am

    patrkaron se jyada to fochka(golguppe) bechane wale kamate hain,chhorengen nahin to mar jayenge,jinda rahne ke liye chhrana hi hoga,,,

  6. hardware rcsmerho

    July 9, 2010 at 7:35 am

    यसवंत ?

    १.पटना प्रभात खबर के एडिटर को जनता है तू
    २.इनके बारे में तनाशाह है ये पहले किशी के बारे में जान ले फिर किशी पर उंगली उठाये ?
    ३. झा अनिल और संतोष कामचोर थे इसकी जानकारी तुमको थी ?
    ४. तुमने पटना मानव संसाधन में झा अनिल और संतोष के बारे में पता किया था ?
    ५. भास्कर के आने के बाद क्या होगा नहीं होगा ये तय तुम नहीं करो नहीं पंडित बन जाओगे ?
    ६.अपना पोर्टल को सही खबर दो नहो तो तेरा दुकान बंद हो जायेगा और तुम पटना के एडिटर के पैर पकड़ का एक नौकरी ?
    ७. यसवंत तुम काफी कमीना हो जिसकी खाते हो उसी थाली में छेद कर देते हो
    ८. तुम प्रभात खबर को जानते हो की नहीं ?
    ९. तुम हरिवंस प्रभात खबर के जानते हो की नहीं ?
    १०. अगर तुम जानते हो तो पटना के एडिटर कौन है ?
    ११.अब बकवास पोर्टल पर डालना बंद करो आखिर में पटना के एडिटर से माफी मांग लो वो क्या है माफी मांग लो फिर पता तुम को चल जायेगा तानासाह है की कलयुग का भगवान है

    तुम्हारा एक ?

  7. Haresh Kumar

    July 9, 2010 at 7:45 am

    written by hardware rcsmerho, July 09, 2010

    जिस किसी ने भी कमेंट लिखा है, उसे इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कई बार हम वस्तुस्थित को जाने बिना बहुत कुछ कह जाते हैं, जो अच्छी बात नहीं होती है। स्वयं श्री हरिवंश जी को इस मामले में हस्तक्षेप करके मामले का पटाक्षेप करना चाहिएऔर जिनकी गलती है उसे सजा मिलनी चाहिए। नहीं तो इससे संस्थान की भी बदनामी होती है। नकारात्मक प्रचार भी अच्छा नहीं होता है।

  8. Rajesh yadav

    July 9, 2010 at 10:00 am

    मैं स्वंय प्रकाश जी भाई साहब को जानता हूं और उनके साथ काम भी किया हूं। वे तो तानाशाही चलाने वाले बात नहीं करते है। उनका काम कराने का तरीका बहुत अच्छा है। जिस तरह से काम करवाते हैं वैसा तो कोई एडिटर नहीं कर सकता है। ये सब संस्थान छोड़ने का एक बहाना है। किसी पर कलंक लगाकर भाग जाते है। इनके चलते संस्थान छोड़ रहे है।

  9. sushil jha

    July 9, 2010 at 1:56 pm

    Mai aaj 6.40 me apne bare me bhadas par padha. kuchh doston se malum hua ki mere bare me chhapa hai. maine abhi tak koi tyagpatra nahi diya hai. Apni swasthya samasya ke karan chhutti le rakhi hai. mujhe aaj tak kam se kam kisi sampadak se pareshani nahi hue. 2001 se 2006 tak Prabhat khabar, Dhanbad me raha. 4 vidwan sampadakon ke sath kam kiya. sabhi ne mujhe promote kiya. seven days weekly me bhi mujhe mahatvapurn jimmevari ( news- coordinator) ki mili. vaha bhi editor ke sanidhya me kafi kuchh sikhane ko mila. dec,2008 me mail behtar benner aur future ko dekhte hue Prabhat khabar join kiya. mujhe ab tak yahan do sampadako ke sath kam karne ka mouka mila. ab tak mujhe koi pareshani nahi hue. baki workwron ke bare me mai kuchh bata nahi sakata. fir bhi kripya mera mantvya lekar mere bare me kuchh likhna chahiye…. maini PK ko abhi tak alvida nahi kaha hai. bhavishya koi nahi janta———— sushil jha

  10. Sushil Kumar Jha

    July 9, 2010 at 2:40 pm

    यशवंत जी
    मैंने आज ६.४० बजे भड़ास पर अपने बारे में पढ़ा. अचरज हुआ यह जानकर कि मैंने प्रभात खबर छोड़ दिया. मैंने अपनी स्वास्थ्य समस्या और कुछ पारिवारिक परेशानियों के कारण छुट्टी ले रखी है. मुझे आज तक किसी भी संपादक से कोई परेशानी नहीं हुई . होगी भी नहीं, क्योंकि मेरा अपना अलग स्वाभाव है. काम करने का अलग तरीका.
    प्रभात खबर धनबाद में चार संपादकों के साथ काम किया. सभी ने मेरी क्षमता के मुताबिक मुझे प्रोमोट किया. सेवेन डेज में तो मुझे काफी महत्वपूर्ण जिम्मेवारी दी गयी. २००८ में मैं पटना प्रभात खबर में ज्वाइन किया. यहाँ भी अब तक दोनों संपादकों से अच्छी तालमेल रही है. अन्य कर्मियों के बारे में मैं बता नहीं सकता. कृपया एक बार मुझसे संपर्क कर लिया जाता तो सच्चाई पता चल जाती. कारण , जब ऐसी खबरें सामने आती है, तो संपादक महोदय को गुमराह करने वाले कामचोर, अयोग्य, पैरवी पूतों क़ी बांछें खिल जाती है. संपादक को अपना बताने के फ़िराक में सच्चाई से परे उलूल जुलूल कॉमेंट्स लिखने लग जाते हैं. वे भूल जाते हैं कि वे पत्रकार हैं या खलासी. बुद्धिजीवी संयम नहीं खोते, दुष्ट ऐसे ही मौकों की तलाश में रहते हैं. —– सुशील झा

  11. एक पत्रकार

    July 9, 2010 at 3:12 pm

    स्वंय प्रकाश काफी धमंडी इंसान है,अपने आपको न जाने क्या समझते हैं,प्रभात खबर को उनसे बहुत नुकसान होने वाला है भविष्य में,कोई अच्छा पत्रकार उनकी स्टाइल से काम कर ले,ये बहुत बड़ी बात होगी।

  12. manish bhatt

    July 9, 2010 at 6:42 pm

    sushil ji kaya bat kanha ho kaya hal hia seven dys weeekly me ddn se me apke sath tha apna mo no dena.

  13. Sarita Singh

    July 10, 2010 at 4:53 am

    मैं स्वयं प्रकाश को नहीं जानती, लेकिन जिस संपादक का समर्थक अपना नाम छिपाकर यशवंत को गाली और धमकी दे रहा हो, वह संपादक कैसा होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
    सच कहा गया है, हाथी चले बाजार कुत्ते भौंके हजार….
    ऐसे संपादकों के कुत्ते जितना भूंकेंगे, भड़ास4मीडिया की लोकप्रियता उतनी ही बढ़ेगी।

  14. Sarita Singh

    July 10, 2010 at 4:54 am

    मैं स्वयं प्रकाश को नहीं जानती, लेकिन जिस संपादक का समर्थक अपना नाम छिपाकर यशवंत को गाली और धमकी दे रहा हो, वह संपादक कैसा होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
    सच कहा गया है, हाथी चले बाजार कुत्ते भौंके हजार….
    ऐसे संपादकों के कुत्ते जितना भूंकेंगे, भड़ास4मीडिया की लोकप्रियता उतनी ही बढ़ेगी।

  15. rajesh kishore

    July 10, 2010 at 7:35 am

    1. sabhi jane wale kamchor hai to abhay singh, prateek,ritesh & mitha jahar vineet ko aap kis category me rakhenge.
    2. employee ko yah kehna ki gala kat denge, sharaab pi kar kam karte hain aur jor jor se bol kar sab ake samne datna kya yah tanasahi attitude nahi hai.
    3. aapke rath ke sarthi madhavendra ka aabid prem kuch jada hi hai. district bureau se ghalmel. kya yah sahi hai.
    4.meeting me ek bade neta ke khilaf apsabd bolna. kya yah tanasahi nahi hai.

  16. rishita

    July 21, 2010 at 11:52 am

    MANANIYA SARITAJI.
    BHADAS 4 MEDIA BLOG PAR AAPKA COMMENTS PADH K MUJHE BHI AAP PE KUCH COMMENTS KARNE KA MAN HUA.MAI BAS AAPSE KUCH QSNS PUCHNA CHAHATI HOON. AGAR POSSIBLE HO TO PLS REPLY KAREIN
    1-KYA AAPKO PATA HAI 1 EDOTOR KI RESPONSIBILITIES?
    2-AS A EDITOR AGAR AAPKE PAAS LIMITED RESOURCES HO AUR APKO UNHI ME ACHHA KAAM KARNA HAI TO AAP KAMCHORON K BICH ME KAISE KAAM KARENGI?
    3.MAIN KISI KA SIDE NAHI LE RAHI HU LEKIN MAINE AS A RESIDENT EDITOR EK ENGLISH PAPER ME KAAM KIYA HAI. as an R/E aapke upar kuch responsibilities hoti hain. aur uske upar chief editor ka pressure. agar kabhi mauka mile to kisi achhe editor se ye qsn kar ke dekhna.

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