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एक था प्रेस क्लब ग्वालियर

प्रेस क्लब हर शहर, जिले के अखबार में काम करने वालों की शान हुआ करता है। शान इसलिए क्योंकि यहां बैठकर प्रेस में काम करने वाले महसूस किया करते हैं कि उनके पास भी प्रेस के दफ्तर को छोडक़र भी बैठने का कोई ठौर है। यहां बैठकर प्रेस में काम करने वाले अपने दुख-दर्द भी बांटते हैं तो जिन्हें गला तर करने की आदत है वे अपना गला तर कर दिल का बोझ भी कम कर लिया करते हैं। ऐसा देश के हर प्रेस क्लब में शायद होता है। ऐसा ही प्रेस क्लब ग्वालियर में था।

<p style="text-align: justify;">प्रेस क्लब हर शहर, जिले के अखबार में काम करने वालों की शान हुआ करता है। शान इसलिए क्योंकि यहां बैठकर प्रेस में काम करने वाले महसूस किया करते हैं कि उनके पास भी प्रेस के दफ्तर को छोडक़र भी बैठने का कोई ठौर है। यहां बैठकर प्रेस में काम करने वाले अपने दुख-दर्द भी बांटते हैं तो जिन्हें गला तर करने की आदत है वे अपना गला तर कर दिल का बोझ भी कम कर लिया करते हैं। ऐसा देश के हर प्रेस क्लब में शायद होता है। ऐसा ही प्रेस क्लब ग्वालियर में था।</p> <p>

प्रेस क्लब हर शहर, जिले के अखबार में काम करने वालों की शान हुआ करता है। शान इसलिए क्योंकि यहां बैठकर प्रेस में काम करने वाले महसूस किया करते हैं कि उनके पास भी प्रेस के दफ्तर को छोडक़र भी बैठने का कोई ठौर है। यहां बैठकर प्रेस में काम करने वाले अपने दुख-दर्द भी बांटते हैं तो जिन्हें गला तर करने की आदत है वे अपना गला तर कर दिल का बोझ भी कम कर लिया करते हैं। ऐसा देश के हर प्रेस क्लब में शायद होता है। ऐसा ही प्रेस क्लब ग्वालियर में था।

था, इसलिए लिखा क्योंकि पिछले दस साल इस प्रेस क्लब का ताला नहीं खुला है। वैसे इस प्रेस क्लब को हासिल करने के लिए ग्वालियर के तब के युवा पत्रकारों ने खूब लड़ाई लड़ी। पसीना भी बहाया। क्योंकि जिस जगह को प्रेस वाले प्रेस क्लब के लिए चाह रहे थे, वह नगर निगम के अधीन थी। वहां बने हॉल में रेल का इंजन रखा हुआ था और लोग भाप से चलने वाले इस इंजन को देखने के लिए आया करते थे। इसका विरोध करने वालों की संख्या भी कम नहीं थी क्योंकि जमीन बीच शहर में करोड़ों की जो है।

खैर, 2000 के दशक में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ग्वालियर के प्रेस वालों की सुध ली। बीच शहर में स्थित जमीन का टुकड़ा प्रेस क्लब के लिए दिलवाया। श्री सिंह ने ही प्रेस क्लब का फीता काटा था और हालनुमा भवन प्रेस क्लब के हवाले किया। तब यहां बेहतरीन साउंड सिस्टम लगा। आनन-फानन में टेलीफोन की लाइन खिंची। नल का कनेक्शन हुआ। कुर्सियां आईं। राउंड टेबल भी लगी। इसके बाद यहां पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी आए तो चंद्रशेखर ने भी यहां प्रेस कान्फ्रेंस ली। कई दिग्गज नेताओं की यहां प्रेस कान्फ्रेंस हुई। ऐसे में आप सोच रहे हैं कि इस पूरी कहानी का इस बात से तो कोई सरोकार नहीं है जो कि शीर्षक दिया गया है कि एक था प्रेस क्लब ग्वालियर। पर आप गलत सोच रहे हैं। कहानी यहीं से शुरू होती है।

अब पत्रकार हो गए हैं एयर कंडीशन कारों में घूमने वाले। एयर कंडीशन दफ्तरों में बैठने वाले। करोड़ों रुपए की कीमती जमीन हाथ में आने के बाद ठीक वैसे ही हुआ जैसा कि होता है। प्रेस क्लब ग्वालियर के अंतिम बार चुनाव 1990 में हुए थे। तब एएच कुरैशी अध्यक्ष चुने गए और सचिव पद पर राकेश अचल की नियुक्ति हुई। आज भी प्रेस क्लब की कमान इन दोनों के हाथों में हैं।

इस प्रेस क्लब में साल में चार पांच बड़े आयोजन होते हैं। पहला बड़ा आयोजन तो एक माह से अधिक समय के लिए चलता है। यह आयोजन है सर्दी में ग्वालियर में गर्म कपड़ों की दुकान खोलने आने वाले तिब्बतियों को प्रेस क्लब की जमीन किराए पर देने का। यह तिब्बती ग्वालियर से सर्दी विदा होने के साथ ही प्रेस क्लब से विदा होते हैं। इसका किराया किसकी जेब में जाता है पर प्रेस क्लब के उत्थान में खर्च नहीं होता यह मैं दावे के साथ कह सकता हूं। क्योंकि प्रेस क्लब का ताला पिछले दस साल से खुला ही नहीं है।

तीन अन्य बड़े आयोजन भी इस तरह के होते हैं जिनका प्रेस क्लब या पत्रकारों से कुछ भी लेना-देना नहीं होता है। लेकिन यह तय है कि इन चारों आयोजनों से होने वाली कमाई (लगभग ढाई से तीन लाख रुपए किराया आता है सालाना) का एक धेला भी प्रेस क्लब को सुधारने में इस्तेमाल नहीं हुआ। दस साल से जब ताले नहीं खुले तो चोर भी इसमें से सामान समेट ले गए। कोई चोर सिक्के वाले टेलीफोन एपरेट्स उखाड़ ले गया, तो बाकी चोर साउंड सिस्टम और कुर्सियां समेट ले गए। बची टेबल तो उसे दीमक चट कर गई क्योंकि वह काफी भारी थी और चोर उसे ले जा नहीं सकते थे।

प्रेस वालों के इसमें पांव पड़ते नहीं हैं। क्योंकि ताला ही नहीं खुलता। अध्यक्ष को डर है कि अगर उन्होंने ताला खोलकर प्रेस वालों के लिए प्रेस क्लब खोल दिया तो फिर यह संस्था ही उनके हाथों से निकल जाएगी। इस संबंध में जब संस्था के सचिव राकेश अचल से बात की गई तो उन्होंने कहा, अब तो प्रेस क्लब के लिए कोई रोने वाला भी नहीं है। मैं ही साल में एक बार नगर निगम की सीढिय़ां चढ़ता हूं। एक रुपए का लीज रेंट भरता हूं। लीज रिन्यू करवाता हूं और लौट आता हूं।

लेखक प्रफुल्ल नायक ग्वालियर के तेजतर्रार पत्रकारों में शुमार किए जाते हैं. वे विभिन्न अखबारों में वरिष्ठ पदों पर कार्यरत रहे. इन दिनों ग्वालियर एक एक प्रमुख सांध्य दैनिक के एडिटर हैं.

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0 Comments

  1. prashant rajawat-pariwar today

    July 13, 2010 at 1:14 pm

    narajgi se behtr hal khojo sab g

  2. rakesh pathak gwl

    July 13, 2010 at 3:25 pm

    bilkul sahi likha prafulla bhai. is press club gwalior ko khoob chanda bhe mila chuka hai par hisab aaj tak presidesnt ne nahi diya. badhai haqikat likhne ke liye.

  3. samshad ahmad

    July 13, 2010 at 6:56 pm

    बात निकली है तो दूर तक जाय तब तो बात है लेकिन उम्मीद कम ही है क्योंकि बिरादरी भाइयों को शायद जुगाड़ के आगे कुछ सोचने का समय ही नहीं मिलता

  4. ravishankar vedoriya -rajexpress bhopal

    July 14, 2010 at 11:10 am

    prafulla sir ji apne chingari di hai yuva patrakaro ko ab aag lagani hai
    ese log jo keval apna bhala chate hai unhe pad se hatakar
    yuvao ko aange lana hoga seniar choto ko sikh dete hai lekin gwalior ke bade log kesi sikh de rahe hai vichar karna hoga

  5. pawan dixit raj express bhopal

    July 14, 2010 at 11:33 am

    sir,apne jo mudda utaya wah gwalior ke nirjiv patrakaro mai sajivni buti ka kam karne jesa hai.yadi patrakar vikhre rahe to log isprakar unke hakper kundali markar bete rahenge

  6. rahul aditya rai

    July 14, 2010 at 11:45 am

    aapne baat shuru ki hai to logon ki aankhen khulengi

  7. rahul aditya rai

    July 14, 2010 at 11:51 am

    aapne baat suru ki hai to logon ki aankhen bhi khulengi.

  8. prashant rajawat-pariwar today

    July 15, 2010 at 12:42 pm

    pawan dixit g gwalior k patrakaro ko nirjev kahne se pahle apni gireban dhekho. patrakar bhawan bhopal. althou i m not from gwalior– 9981139358

  9. M. V.V.Kumar

    July 15, 2010 at 6:00 pm

    shri praful ji, badhai ho gwalior press club ki hakikat samne lane ke liya. Puratatv vibhag ko chiyahe ki apni Gwalior ki Historical list me Ab press club ka nam bhi jod le.- m.v.v.kumar Raipur danik bhaskar (cg)

  10. arvind singh chuhan 9425111712

    July 16, 2010 at 8:32 am

    bhi nayak ji prees club ki jang me tan man or dhan se me aap ke saath hu

  11. arvind singh chuhan 9425111712

    July 16, 2010 at 8:42 am

    bhai nayak ji press club ki jang me ham aap ke saath he

  12. ravishankar vedoriya gwalior

    July 16, 2010 at 10:45 am

    prasant tumahi baat pawan ke liye nirjiv kahna tak thik hai
    lekin tum mat bhulo ki abhi is samay tum gwalior mai kaam kar rahe ho patrakaro se judi press club ki baat tum per bhi lagu hoti hai abhi gwalior mai rahte ho

  13. Sushil Dubey, Indore

    July 17, 2010 at 5:10 pm

    Bhai Nayakji, Aapki Jankari ke liye bata doon ki Shayad Indore Press Club hi Desh ka Ekmatra Aisa Press Club hai, jahan SHARABKHORI nahin hoti. Iske sath hi yahan Loktantrik tarike se Pratinidhiyon ka Chunav bhi hota hai. Aap kabhi Indore Aaen aur Indore Press Club ki sachai ko dekhen. Ye mujh jaise Adna Patrakar ke lie Garv ki baat hai ki Main bhi Iska Sadsya hoon.

  14. santosh jha

    July 18, 2010 at 4:08 pm

    ABHI TO JO BHI LEKHA WO ACHHA HAI
    LADAI KB SE LADNA HAI TALA KULWANE KY LIYE
    KAHI PAR TO BHEDNE KO MILEGA
    SANTOSH JHA DB STAR GWALIOR

  15. santosh jha

    July 18, 2010 at 4:12 pm

    ABHI TO JO BHI LEKHA WO ACHHA HAI
    LADAI KB SE LADNA HAI TALA KULWANE KY LIYE
    KAHI PAR TO BHEDNE KO MILEGA
    SANTOSH JHA DB STAR GWALIOR

  16. p.d.soni gwalior

    July 20, 2010 at 4:55 pm

    NAYAK JI ,AAPNE BAHUT ACHCHA BEBAK LIKHA HE ISSE NAI PIDI KO HISTORY JANNE KA MOUKA MILEGA ,OR HUM SAB AAPKE SATH HE ,TALA KHULWANE KE PRAYAS KARO.

  17. Umesh Malviya

    June 4, 2013 at 8:57 pm

    Dear Prafull bhai,
    I appreciate your views about miserable conditions of the said Press Club. You had the courage to come forward and share this crucial issue. Something could have been done to improve things during last 2 years. Can you put some updates.
    Best regards,
    Umesh Malviya
    Editor-in-Chief
    Ucmv
    Mumbai/Bhopal/Nasik

  18. Umesh Malviya

    June 4, 2013 at 9:01 pm

    Dear Prafull Bhai,
    I appreciate your courage to share the miserable condition of the said press club. Some improvement might have been done during last two years. Any updates on this issue?
    Best Regards,
    Umesh Malviya
    Editor-in-Chief
    UcmV
    Mumbai/Bhopal/Nasik

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