27 फरवरी 1952 को पश्चिमी चंपारण (बिहार) में जन्मे प्रकाश झा निर्माता-निर्देशक के रूप में पूरे देश में स्थापित होने के बाद अब कई नए क्षेत्रों में भी सक्रिय हो गए हैं. राजनीति, उद्यम, मीडिया में वे कई नई चीजें कर रहे हैं. हाल-फिलहाल उन्होंने बिहार-झारखंड पर केंद्रित चैनल ‘मौर्य टीवी’ को लांच किया है. हिंदी भाषी इलाके के जन-मानस की नब्ज समझने-बूझने वाले प्रकाश ने फिल्मी दुनिया में अपनी मेहनत, समझ-बूझ और विशिष्ट शैली के चलते जो मुकाम हासिल किया है, वह अनुकरणीय है. अपनी नई फिल्म ‘राजनीति’ की शूटिंग पूरी करने के बाद ‘मौर्य टीवी’ की लांचिंग कराने के बाद इसे स्थापित कराने के लिए कमर कसे हुए प्रकाश झा से भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत सिंह ने कई मुद्दों पर बातचीत की. पेश है बातचीत के अंश-
-फिल्म की दुनिया वाले प्रकाश झा अब मीडिया की दुनिया में भी आ गए? क्या सोचकर आए?
–मैं इंटरटेनमेंट फील्ड से हूं. इसी फील्ड से ताल्लुक रखता है टीवी भी. टेलीविजन बहुत पुराने समय से करते आ ही रहे हैं. दूसरी चीज यह कि बिहार की चीजें अपनी हों, बिहार के लोग लगें, मिलें और बनाएं, बिहार का प्रोडक्शन हो ताकि कोई कहे कि भाई ये तो चैनल बिहार का है। हम अन्य चीजों में भी इनवेस्ट कर ही रहे हैं. माल-मल्टीप्लेक्स बनावा रहे हैं. फैक्ट्री लगवा रहे हैं. कई चीजें प्लान हो रही हैं. जो भी इनवेस्टमेंट संभव है, वो मैं कर रहा हूं. मीडिया भी बहुत जरूरी चीज है. हम इससे जुड़े हुए हैं. चैनल शुरू हुआ है. उद्देश्य बिहार की सोच-समझ, विचार-समाचार को सामने लाना है. और यह सब बिहार के लोग ही करें. यही मकसद है. रेडियो के तरफ भी मेरा ध्यान है. प्रिंट मीडिया की भी शुरुआत करने की योजना है. हम कोशिश कर रहे हैं.
-टीवी न्यूज चैनलों के बारे में एक मिथ है कि अगर आप जनता और सरोकार की पत्रकारिता करेंगे तो आपकी टीआरपी नहीं मिलेगी. टीआरपी के लिए उल-जुलूल चीजें दिखानी पड़ती हैं. आपकी क्या राय है?
–ये बात तो जरूर है कि लोग कंटेंट समझ नहीं पा रहे हैं. कंटेंट को किस तरह से पेश किया जाए, यह समझ नहीं पा रहे हैं. न्यूज के साथ भी बहुत सारा पैकेजिंग हो सकता है, कंटेंट हो सकता है, उसको क्रिएटिवली ला सकते हैं सामने. हमारी तो एक्सपर्टीज इसी चीज में है. अपने चैनल को न्यूज चैनल बनाना है. मौर्य टीवी में कंटेंट हम किस तरह सामने लाते हैं, देखिएगा. हम बेसिकली न्यूज को, कंटेंट को बहुत स्पेशल तरीके से सामने लाने की कोशिश कर रहे हैं।
-न्यूज चैनलों के लिए जारी होने वाली वीकली टीआरपी की व्यवस्था को खत्म करने की मांग आजकल उठ रही है. क्या आपके चैनल में भी टीआरपी को ध्यान में रखकर प्रोग्राम बनाए जाएंगे या टीआरपी के दबाव के बिना आप लोग काम करना पसंद करेंगे?
–मांग तो ठीक है लेकिन जब कोई माध्यम बन जाता है प्रचार-प्रसार का तो हर आदमी जानना चाहेगा कि मेरा सामान कहां तक पहुंच रहा है, मेरी बात कहां तक पहुंच रही है. तो कहीं न कहीं, कोई न कोई, मापदंड तो बनाना ही पड़ेगा उसका. मुझे लगता है कि इसको हमें चैलेंज के रूप में लेना चाहिए. बेहतर से बेहतर कंटेंट बना कर सामने लाना चाहिए. कोई जरूरी नहीं है कि घटिया कंटेंट ही पापुलर हो. कहानी जब भी अच्छी होगी, कंटेंट जब भी अच्छा होगा, लोग उसको देखेंगे ही देखेंगे. इसमें कोई शक की बात नहीं है. मेरा मानना हमेशा यही रहता है. हमने अपने फिल्म मेकिंग करियर में कोई घटिया फिल्म नहीं बनाई. हमने अपने कंटेंट को अपने तरीके से पेश किया. ‘दामुल’ एक जमाने में बनाई थी. तब कई तरह की बातें हुईं. मैंने कंटेंट को री-पैकेज किया. ‘मृत्युदंड’ बनाई, वो चली. ‘गंगाजल’ बनाई, वो चली. ‘अपहरण’ बनाई, वो चली. कहना तो वही है जो हम कहना चाहते हैं. जो मान्यताएं है बालीवुड की, उसको मैंने आंख बंद करके फालो नहीं किया. तो हम इसमें बिलीव करते हैं कि हम कंटेंट को अपने तरीके से ले आएंगे और इसे चलाएंगे.
-बिहार और झारखंड में करप्शन एक बड़ा मुद्दा है. आपका चैनल इसे उठाएगा?
–एक न्यूज चैनल का जो दायित्व होता है, हम उसका निर्वाह करेंगे. करप्सन अगर सामने आएगा तो उसे उजागर किया जाएगा. चैनल हर मुद्दे को निष्पक्ष रूप से पेश करेगा और करना भी चाहिए.
-कई बार तो मीडिया हाउस ही भ्रष्टाचार में भागीदार हो जाते हैं?
–मैं इन-प्रिंसिपल जो सोचता हूं वो यह कि सच्चाई को हमेशा सामने लाया जाना चाहिए. हर चीज निष्पक्ष हो करके दिखाना चाहिए. अगर हम यह करते हैं तो राह से भटकेंगे नहीं.
-बिहार-झारखंड के पोलिटिशियन्स के प्रति आपका चैनल क्या रवैया अपनाएगा?
–मैं व्यक्तिगत रूप से नहीं बैठा हूं एनालिसिस करने के लिए. जो होगा वो अपना चैनल चलाएगा. अगर मैं भी गलती करूंगा तो चैनल मेरी भी गलती को बताएगा क्योंकि मैं भी तो बिहार का ही हिस्सा हूं.
-मौर्य टीवी में अंदरखाने काफी कुछ उथल-पुथल हुआ. कई लोग आए और गए. यह क्यों हुआ?
–कुछ रोडब्लाक्स थे. उनको एक बार जिम्मेदारी दी गई. पर सब कुछ ठीक से स्पष्ट नहीं हो रहा था. तब बैठ करके और बातचीत करके हमने व्यवस्था बनाई. व्यवस्था बदली गई. अभी आप देख रहे होंगे कि पिछले एक-दो महीने से सब कुछ बिल्कुल ठीक चल रहा है. सुचारू रूप से चैनल लांच हो रहा है. अब कोई दिक्कत की बात नहीं है. मीडिया में तो ऐसा होता ही रहता है. कोशिश यही रही है कि सब ठीकठाक से चले. सभी अपनी जिम्मेदारी सही तरीके से संभाल सकें. हमने तो पिछले दो साल से चैनल के लिए हर वो काम किया, जो एक व्यवस्थित चैनल के लिए जरूरी होता है. तभी बिहार का कांपैक्ट सैटेलाइट चैनल विथ प्रोडक्शन हाउस लांच हो पाया है.
-आप बिहार की धरती से निकले और प्रतिभा-मेहनत के संयोग से सफल भी हुए. एक उद्यमी के रूप में भी स्थापित हो रहे हैं. लेकिन देखा जाता है कि आमतौर पर हिंदी भाषी लोग खुद का बिजनेस या उद्यम करने में बहुत आलसी होते हैं, ऐसा क्यों?
–मेहनत तो करते हैं लोग. सफल होना भी चाहते हैं. लेकिन समस्या यह होती है कि हम लोगों की जो जमीन है, बिहार की, यूपी की, हिंदी भाषी क्षेत्र की, वो बहुत उर्वर जमीन है. यहां जो लोग हैं वो थोड़े सुख के आदी होते हैं. जमीन पर जो भी रहते हैं, सुख के आदी हो जाते हैं. ये अनफारचुनेट बात है. जब हम लोग बाहर जाते हैं और तरह-तरह की कठिनाइयों को झेलते हैं तो हमारी प्रोडेक्टिविटी बहुत बढ़ जाती है. हम जब वापस अपनी जमीन पर चले जाते हैं तो हम फिर आलसी हो जाते हैं. हम प्रोडक्टिविटी में नहीं रहते हैं. हमे कहीं न कहीं से खाना मिल जाता है. ये प्राब्लम है हम लोगों के साथ. हमारी संपदा ही हमारी प्राब्लम है. तो इसलिए लोगों में जो ललक होती है इनवेस्ट करने की, काम करने की, वो ललक हमारे यहां कम मिलती है. पर चीजें बदल रही हैं. आने वाले जनरेशन के बच्चे इतिहास बदलेंगे. बिहार-यूपी समेत हिंदी भाषी के बच्चे काफी कंपटेटिव हो रहे हैं. वो इतिहास बदलेंगे.
-आप खुद का जो मीडिया हाउस खड़ा कर रहे हैं, उसमें कैसा वर्क कल्चर देखना चाहते हैं?
अभी तो हम ग्रो कर रहे है मेरे भाई. जैसे-जैसे ग्रोथ मीडिया हाउस की होगी, वो लोग जो इसे चला रहे हैं, उनकी भी ग्रोथ होगी. हम लोग हमेशा से मिल-जुलकर काम करने में विश्वास करते रहे हैं. हमारी संस्कृति तो आज तक यही रही है कि हम एक दूसरे को मान-सम्मान दें, एक दूसरे के साथ मिल कर काम करें. हमारी फिल्म कंपनी में लोग हमारे साथ 20-20 वर्षों से जुड़े हुए हैं और काम कर रहे हैं. हमारे साथ उनकी भी ग्रोथ हुई है. हम इसी फिलासफी को यहां भी रखेंगे. हमारा मानना है कि वी वर्क टूगेदर, वी लिव टूगेदर, वी लर्न टूगेदर एंड वी ग्रो टूगेदर।
-प्रकाश झा बिहार की राजनीति करना चाहते हैं?
देखिए हमारी राजनीति बहुत क्लीयर है. हमारी राजनीति पार्टी, पालिटिक्स और समीकरण की राजनीति नहीं है. आप कभी भी हमको इन प्लेटफार्मों पर नहीं पाए होंगे और न पाएंगे. हमारी राजनीति इकानामी से जुड़ी हुई है. वेल्थ जनरेशन से जुड़ी हुई है. हम अगर एमपी बनना भी चाहते थे तो हम एक ऐसी पोजीशन पर आना चाहते थे ताकि रिसोर्सेज एक्सेस कर सकें. हमने जो भी काम किया वह जाति-पाति से परे हटकर किया. हमने सुगर फैक्ट्री लगाने का काम किया, माल-मल्टीप्लेक्स बनाने का काम किया, टेलीविजन चैनल लाने का काम किया. ये सब विकास के ही काम तो हैं. हम तो इनवेस्टमेंट कर रहे हैं. लोगों के साथ काम करना है, यही हमारी राजनीति है मेरे भाई. आपने हमें कभी ऐसे प्लेटफार्म पर पाया है जहां जाति-पाति समीकरण की बात हो रही हो? ये मेरी राजनीति ही नहीं है. मैं तो ये चाहता हूं कि सबके सब लोग मिल-जुल करके काम करें. बिहार के बारे में सोचें. सोचें कि बिहार में धन की उत्पत्ति कैसे हो. आज एक प्लेटफार्म बना है. वर्षों बाद बिहार के प्रति लोगों में अच्छी भावना आ रही है. इससे कितना दिल खुश होता है.
-प्रकाश जी, आपको चैनल लांचिंग पर ढेर सारी शुभकामनाएं.
मुझे आप सभी लोगों की शुभकामनाएं चाहिए. हम जो करना चाहते हैं अगर कर ले गए तो उसमें सिर्फ मेरा नहीं बल्कि पूरे बिहार और समाज का भला है. आपको धन्यवाद.
Satyendra Kumar
January 14, 2010 at 10:16 am
I really appreciate your views, sincerely I am willing to work with you .
MANJIT SRIVASTAVA
January 14, 2010 at 10:22 am
प्रकाश जी, आपको चैनल लांचिंग पर ढेर सारी शुभकामनाएं.
manjit srivastava.
cneb news, noida
guest
January 14, 2010 at 10:49 am
३ लाख का interview अच्छा है
ranjit kumar ,ranchi
January 14, 2010 at 11:04 am
सबसे पहले आपको चैनल लांचिंग पर ढेर सारी शुभकामनाएं.
आपने लिखा है यहां जो लोग हैं वो थोड़े सुख के आदी होते हैं. जमीन पर जो भी रहते हैं, सुख के आदी हो जाते हैं. यह बात कहीं ना कहीं आपके उपर भि लागू होती है। आपने लिखा है कि समाज के विकाश के लिये कैइ काम कर रहे है लेकिन इस्के पिछे भि आपका भि यहि सोंच है कि कैसे ज्यदा से ज्यादा पैसे कमाया जाये। अगर सच मे आप समाज के लिये कुछ करना चाह्ते है तो आप अपने कमाइ का आधा पैसा से चोटे चोटे उध्योग लगा कर गांव को दान कर दे । रही मिडिया कि बात तो आज कि इस्थिति यह बन गइ है कि पत्रकार बनने के लिये सिर्फ़ एक सोर्स कि जरूरत हती है इस्से ज्यादा कुछ नही।क्या डाक्टर का बेटा डाक्टर बन सकता है इस्लिये आप अपने चैनल को इस कन्टेन्ट से बचाने कि कोशिश करेन्गे तभी समाज का भला होगा।
Rajesh Raj
January 15, 2010 at 11:00 am
बिहार एक ऐसा राज्य हो गया है जिसपर कोई भी भड़ास निकल लो… किसी राज्य में कही चोरी हो गयी, डकैती हो गयी, मारपीट हो गयी.. कह दो इसमें बिहारी गैंग का हाथ था… कोई भी कह सकता है पुलिस, नेता, छुटभैये नेता. कही किसी को नौकरी नहीं मिली… कह दो बिहारी यूपी वालो ने हथिया लिया… किसी राज्य में गरीबी, भ्रष्टाचार बढ़ता दिखाई दे दे तो कह दो की यह भी बिहार बन रहा है… यानि अपनी हर गलती, हर अक्षमता को बिहारियो के सर फोड़ दो… लोग मन भी लेते है… क्योकि कुछ तो सही होता है… कुछ मान लेने से दिल खी भड़ास निकल जाती है… ऐसे माहौल में दुसरो राज्यों में बसे उन बिहारियो पर क्या बीतती होगी जो एक अदद नौकरी या कारोबार कर रहे होते है जिन्हें खुद ऐसी बातो से नफरत होती है… उन्हें भी यही लगता है की काश बिहार की स्थिति संभालती और वो वापस अपने प्रान्त में लौट पाते… शायद वैसे ही जैसे अप्रवासी भारतीय बेहतर मौके पाकर अपने वतन लौटने को तैयार रहते है… प्रकाश झा ऐसे हर सपने को एक आधार देते है… उन्होंने साबित किया है की चाहो तो अपने प्रान्त के लिए, उसके वासियों के लिए बहुत कुछ किया जा सकता है… बिहारियो को भी गर्व से जीने का, सर उठाकर बात कहने का. बिहार पर गर्व कराने का मौका दिया जा सकता है… बहुत से बिहार के सपूत है जो दुसरे राज्य, या देश में बहुत अच्छा कर कर रहे है… उन्हें भी आगे आना चाहिए,, बिहार को सिर्फ नेत्तृत्व चाहिए,, एक बेहतर, सही और इमानदार नेतृत्व, मौके तो पैदा हो ही जायेंगे.. पंजाब आदर्श बन सकता है तो उन्ही भोगोलिक और प्राकृतिक सम्पदा के बूते बिहार क्यों नहीं… कई मामलो में तो बिहार पंजाब से ज्यादा बेहतर स्थिति में है… कई परिश्तिया अनुकूल है…. मौसम, मिटटी , पानी, श्रम, प्रतिभा, और मौको की तीव्र चाह वाली नई पीढ़ी. फिर क्यों नहीं हो सकता है विकास, क्यों नहीं हो सकता है बदलाव, क्या चंद लोग, अवसरवादी लोग बिहार की किस्मत पर ग्रहण बनकर बैठे रह जायेंग… आखिर इस रात का अंत होगा… प्रकाश उसी रात को ख़त्म करने वाले प्रकाश का दूत है… नई पीढ़ी को उन्होंने सिखाया है… कुछ सोचो, कुछ करो, करवा खुद बन जायेगा….
राजेश राज
Mukesh Kumar jha
January 16, 2010 at 8:07 am
जय बिहार ….
बिहार उन्नति के पथ पर अग्रसर है. झाजी की तरह हम सभी की सोच हो तो बिहार का कायाकल्प हो सकता है. यहाँ की फिजां बदल सकती है. एक नया इतिहास बन सकता है. इस कार्य में सभी का योगदान महत्वपूर्ण है . झाजी ने जो पहल की है, वह स्वागत योग्य कदम है .
avinash kumar jha
January 17, 2010 at 5:05 am
prakash ji aapke filmo se aapki soch dekhane ko mili…yadi usi soch ke sath media chetra me bhi kadam rakha hai to hum iska tahe dil se swagat karte hai…lakin media trp ke khel me itna aage nikal chuki hai ki kuch bhi kahna mumkin nahi….iska example hai ndtv content n news clearity me is in top bt ….aapko morya channel ki suruaat per dhero badhayian aur …hume intzer rahega aapke soch ko media chetra me dekhane ka
faiz
January 19, 2010 at 1:53 pm
jha ji aap bihar me media kranti lakar , ek nai disha de sakte hai , hum sabhi bhartiyon ki taraf se best of luck.
nnyadav
January 19, 2010 at 4:15 pm
i have seen some of youe movies and serials on tv if you continue same ethics definetlly channel will grow very fast.
mihir kumar
February 9, 2010 at 1:17 pm
Prakash jee ,I am very thankfull to start channel.What ever you have seen the reality about bihar I hope people would have to seen the reality of bihar
deepak
February 13, 2010 at 4:35 am
prakash ji appko bhahut badai . app jaishe logo ki ojah se bihari appna sir garav se ucca karta hai.. mai bhi media ka student hu aur isko (bhadas) roj padta hu…….
vijaykumarsaini
March 5, 2010 at 12:44 pm
प्रकाश जी, आपको चैनल लांचिंग पर ढेर सारी शुभकामनाएं
mahendra jha
March 22, 2010 at 12:26 pm
maurya tv ko abhi or aage jana hi
sahi guidence ki jarut hi
pankaj jha
May 11, 2010 at 2:41 pm
chenel ki lonchiing par aapko hardik shubh kamnayan (9540262069)
vaibhav mishra
May 19, 2010 at 11:34 am
sir aapko bahut-2 shubhkamnaye
sir aaj ke samay me t v channel launch karna koi badi bat nahi hai ,badi bat hai us ko sucharu rup se chalana .
aaj har city me apx 3-4 news channel hai, per aaj logo ka media per se belive kam ho gaya hai ya ye kahe ki lagbhag khatam hi ho gaya hai .
but jo bhi log peet patrkarita se nafrat karte hai
wo sabhi log aap se aasha karte hai ki jis tarah aapne bollywood ki hawa ke rukh ko modte hue bahut si aadarsh movie di hai . jo kabhi koi director soch bhi nahi sakta hai ,wo mukam hasil kiya hai aapne.
sir agar aap ye comment pade to ye mat samjhna ki me aapki kushamdid kar raha hu me aapko isliye aisa kah raha hu ki aapse logo ki bahut sari aashaye,ummede judi hai .
plz TRP ke khel me uljhe bina bihar ki janta ko sach se hi rubru karaiyaga
i m also a jounelism student
अमित गर्ग. राजस्थान पत्रिका. बेंगलूरु
July 1, 2010 at 12:00 pm
मुद्दों की ‘राजनीति’
-फिल्म निर्माता-निर्देशन प्रकाश झा ने कहा
मैंने राजनीति फिल्म जरूर बनाई है लेकिन, असल राजनीति न पहले मेरे वश में थी न आज मेरे वश में है। राजनीति के जरिए मैं यह दिखाना चाहता हूं कि समाज में वास्तविक रूप से हो क्या रहा है जबकि, राजनीति और राजनेताओं के संघर्ष का आधार क्या है। मेरा स्पष्ट मानना है कि आज की राजनीति मूल्यों तथा किसी के दु:खों व आवश्यकताओं को आधार बनाकर कतई नहीं की जा रही है। राजनीति विषय भी मेरे लिए उसी प्रकार गंभीर है, जिसके लिए मुझे और मेरी फिल्मों को जाना जाता है। फिल्म के जरिए मैंने न तो किसी का दिल दु:खाने की कोशिश की है और न ही किसी का महिमा-मंडन करने की। अपनी आने वाली फिल्म राजनीति के प्रमोशन के सिलसिले में बेंगलूरु आए निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा ने फिल्म तथा निजी जिंदगी से जुड़े विभिन्न पहलुओं को राजस्थान पत्रिका. बेंगलूरु के संवाददाता अमित गर्ग के साथ साझा किया। प्रस्तुत हैं बातचीत के संपादित अंश।
पत्रिका: फिल्म के जरिए आपने बिहार की राजनीति को प्रमुख आधार बनाया है?
प्रकाश: राजनीति में केवल बिहार के ही राजनीति परिवेश को विषय-वस्तु का आधार बनाया गया है, ऐसा कतई नहीं है। राजनीति में पूरे देश के राजनीतिक हालातों तथा राजनेताओं के चरित्रों को प्रमुखता से उठाया गया है। यह केवल किसी क्षेत्र विशेष की राजनीति नहीं है बल्कि, इसमें राष्ट्रीय राजनीति का पूरा खाका खींचने की कोशिश की गई है।
पत्रिका: माना जा रहा है कि फिल्म के जरिए आपे कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी का बखान किया है?
प्रकाश: फिल्म में मैंने किसी राजनीतिक दल अथवा किसी राजनेता विशेष पर आक्षेप करने से पूरी दूरी बनाई है। आरोप-प्रत्यारोप के स्थान पर मैंने राजनीति हालातों से पर्दा उठाती एक साफ-सुथरी फिल्म देने की कोशिश की है। मैंने प्रमुख राजनीतिक दलों तथा राजनेताओं को अपने किरदारों में ढालने की कोशिश की है, जिसकी सफलता जनता तय करेगी।
पत्रिका: संकेत रूप में राजनीति करने के लिए चुनाव लडऩा जरूरी था?
प्रकाश: हां, मैंने चुनाव लड़ा था। लेकिन मैं राजनीति का कभी खिलाड़ी रहा ही नहीं और बन भी नहीं पाया। मेरी हार हुई, जिसके बारे में मैं पहले से ही जानता था। मेरे चुनाव लडऩे के पीछे एक स्पष्ट संकेत था, उद्देश्य था कि राजनीति में अच्छे लोग भी चुनाव लड़ सकते हैं। परिणाम चाहे जो भी रहें। मैंने चुनाव लड़ा और संकेत देने में सफल भी रहा।
पत्रिका: भविष्य में मौका मिला तो क्या फिर से चुनाव लड़ेंगे?
प्रकाश: अब मौका मिले या ना मिले लेकिन, मैं चुनाव नहीं लडू्गा। क्योंकि भविष्य में जब लोकसभा चुनाव होंगे तब मेरी उम्र करीब 62 वर्ष हो जाएगी। यह उम्र सेवानिवृत्ति की उम्र है न कि काम करने की। अब चुनाव लडऩा मेरे लिए संभव नहीं होगा, उसके स्थान पर मैं अपने निजी कार्यों को पूरा करने को प्राथमिकता दूंगा।
पत्रिका: कहीं ऐसा तो नहीं है कि आपने अपनी चुनावी हार को फिल्म में दिखाया हो?
प्रकाश: आपने ठीक कहा, मैंने अपने राजनीति अनुभवों को भी इसमें बताने की कोशिश की है। मेरा राजनीति में कोई खास कॅरियर तो है नहीं। लेकिन ये कह सकते हैं कि राजनीतिक गुरों को सीखने की मेरी कोशिश तथा अनुभवों को मैंने फिल्म में इस्तेमाल किया है। फिल्म को लिखने की शुरूआत मैंने छह वर्ष पहले अंजुम के साथ की थी, जो मुझे और अंजुम को आज भी अच्छी तरह याद है।
पत्रिका: राजनीति के जरिए किस प्रकार का संदेश देना चाहते हैं?
प्रकाश: फिल्म के जरिए मैंने कोई संदेश देने की कोशिश नहीं की है। ये भी कह सकते हैं कि मैं ऐसा करना भी नहीं चाहता था। लेकिन मैंने इस फिल्म के जरिए गरीबी, भ्रष्टाचार, नैतिक मूल्यों के पतन जैसे गंभीर मुद्दों को उठाया है। मेरी कोशिश इस फिल्म के पीछे सिर्फ इतनी है कि मैं दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करने के साथ उन्हें कुछ सोचने पर भी मजबूर करूं।