हिंदुस्तान, दिल्ली के वरिष्ठ स्थानीय संपादक प्रमोद जोशी के बारे में कई तरह की अफवाहें हैं. एक तो यह कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है. दूसरा यह कि वे अमर उजाला जा रहे हैं. तीसरा यह कि अभी इस्तीफा नहीं दिया, मैनेजमेंट को अपने जाने के बारे में बता दिया. चौथा यह कि प्रताप सोमवंशी ने प्रमोद जोशी की जगह कार्यभार संभाल लिया. इस बारे में भड़ास4मीडिया ने सच्चाई जानने के लिए प्रमोद जोशी से बात की तो उन्होंने इस्तीफे की खबर को निराधार बताया. प्रमोद जोशी के मुताबिक- ‘मैंने कतई रिजाइन नहीं किया है. ना तो ऐसी कोई बात है.’ जब उन्हें बताया गया कि उनके इस्तीफे की अफवाह हर तरफ फैली हुई है तो उनका कहना था- ‘यह अफवाह सिर्फ अफवाह ही है, इसमें सच्चाई नहीं है.’ जब उनसे पूछा गया कि क्या वो इस्तीफा देकर अमर उजाला जा सकते हैं, जैसी की चर्चा है तो उनका जवाब था- ‘ऐसा बिलकुलल नहीं है। मैंने इस्तीफा दिया ही नहीं। बिना वजह पैनिक नहीं क्रिएट करना चाहिए। भविष्य में क्या होगा, इसे कौन बता सकता है। किसी के बारे में इस तरह कुछ कहना उचित नहीं है। अभी तक ऐसी कोई भी चीज नहीं है।’
वैसे, हिंदुस्तान से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि प्रमोद जोशी ने पहले ही हिंदुस्तान प्रबंधन को संकेत दे दिया था कि वे अगर इसी तरह उपेक्षित किए जाते रहे तो संस्थान से अलग कोई रास्ता तलाशने पर विचार कर सकते हैं। तब प्रबंधन ने उन्हें आश्वस्त किया था कि उनके सम्मान और गरिमा में किसी किस्म की कमी नहीं होने दी जाएगी। सूत्रों के मुताबिक शशि शेखर के प्रधान संपादक बनने और शशि शेखर द्वारा अपने खासमखास प्रताप सोमवंशी को स्थानीय संपादक के पद पर दिल्ली लाने से प्रमोद जोशी की स्थिति थोड़ी कमजोर पड़ी है। वे उपेक्षित-से हो गए हैं। सूत्रों का कहना है कि शशि शेखर कतई नहीं चाहेंगे कि उनके कार्यकाल में प्रमोद जोशी दिल्ली में लंबे समय तक स्थानीय संपादक पद पर बने रहें। वे हिंदुस्तान मुख्यालय में हर बड़े पद पर, खासकर स्थानीय संपादक पद पर तो अपने करीबी को बिठाना ही चाहेंगे।
सूत्रों के मुताबिक प्रमोद जोशी की वरिष्ठता और हिंदुस्तान प्रबंधन में उनकी पैठ को देखते हुए उनसे इस्तीफा देने के लिए शशि शेखर कतई नहीं कह सकते। ऐसे में एक ही रास्ता बचता है और वह है आफिस में ऐसा माहौल क्रिएट कर देना जिससे प्रमोद जोशी खुद ब खुद इस्तीफा देने को मजबूर हो जाएं। इसी रणनीति के तहत प्रमोद जोशी के सारे कार्यों को शशि शेखर ने अपने खास लोगों में वितरित कर दिया है। प्रताप सोमवंशी और सुधांशु श्रीवास्तव दिल्ली में शशि शेखर की टीम के मुख्य स्तंभ के रूप में नंबर दो और नंबर तीन की हैसियत में सारे कामधाम देख रहे हैं। नंबर दो की पोजीशन में होते हुए भी प्रमोद जोशी उपेक्षित हैं और अखबार के संचालन में उनकी भूमिका अब न के बराबर रह गई है। ऐसे में संभव है कि अपनी उपेक्षा को देखते हुए प्रमोद जोशी ने सम्मानजनक तरीके से विदा होने के लिए प्रबंधन के सामने हिंदुस्तान को अलविदा कहने की मंशा फिर से जता दी हो। पर सूत्रों के मुताबिक प्रमोद जी अभी नहीं जा रहे हैं, उनके जाने में थोड़ा वक्त लग सकता है।