प्रताप सोमवंशी हिंदुस्तान, दिल्ली के नए स्थानीय संपादक : प्रमोद जोशी जी विदा हो गए. हिंदुस्तान छोड़ गए. 58 साल उम्र होने के चलते रिटायर हो गए. रिटायरमेंट में कई महीने बाकी थे लेकिन उन्होंने अरली रिटायरमेंट ले ली. प्रिंटलाइन से आज उनका नाम गायब हो गया. प्रताप सोमवंशी नए स्थानीय संपादक के रूप में प्रिंटलाइन में दर्शनीय हो चुके हैं. हिंदुस्तान में शशि शेखर के साम्राज्य विस्तार का एक चरण पूरा हो गया है. दिल्ली फतह कर लिया है. अब कोई कांटा नहीं रहा. दिल्ली में जो कांटे हैं भी, वो छोटे-मोटे हैं और हल्के-फुल्के प्रयास से खत्म हो जाएंगे. मृणाल पांडे के प्रधान संपादक पद से हटने और वहां शशि शेखर के विराजने के बाद से ही मृणाल जी के करीबी रहे प्रमोद जोशी के जाने की चर्चाएं शुरू हो गई थी. और वो चर्चाएं अब अपने मुकाम पर पहुंच गई हैं. बीच का रास्ता निकाला गया. न इस्तीफा, न जंग. अरली रिटायरमेंट. इस तरह प्रमोद जोशी का हिंदुस्तान और एचटी ग्रुप से नाता टूट गया.
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पीड़ा तो होती ही है… : सुषमा वर्मा
दिसंबर लास्ट में सुषमा वर्मा छुट्टी पर गईं थीं। 4 जनवरी को काम पर लौटीं तो पर्सनल डिपार्टमेंट से एक बंदा आया और एक लेटर उन्हें थमा गया। सुषमा ने खोलकर देखा तो लेटर में लिखा था कि आपका हिंदुस्तान के साथ हुआ कांट्रैक्ट खत्म किया जा रहा है। सुषमा का दिल धक हो गया। एक पल के लिए वे कुछ भी सोच नहीं पा रहीं थीं। आपको बता दें, सुषमा वर्मा हिंदुस्तान अखबार में पिछले साढ़े तैंतीस साल से हैं। अभी एसोसिएट एडिटर पद पर थीं। एडिट लिखती थीं। वूमेन इशूज पर रिपोर्ट और आर्टिकल लिखती थीं। फीचर एडिटर रही हैं। वैसे तो सुषमा का नाता हिंदुस्तान समूह से साढ़े तैंतीस साल से है क्योंकि उन्होंने इस समूह के साथ अपनी पारी 1976 में शुरू की पर अप्रत्यक्ष तौर पर सुषमा हिंदुस्तान समूह से हिंदुस्तान अखबार के जन्म से जुड़ी हुई हैं। दरअसल, उनके पिता मुकुट बिहारी वर्मा सन 1936 में हिंदुस्तान अखबार के शुरू होने से ही इसके साथ जुड़ गए थे। मुकुट बिहारी वर्मा सन 1942 से 1963 तक इस अखबार के एडिटर रहे। सबसे लंबे समय तक एडिटर रहने का रिकार्ड उन्हीं के नाम है। उन्होंने ही साप्ताहिक हिंदुस्तान की शुरुआत कराई। बाद में बांके बिहारी भटनागर को एडिटर बनवाया। सुषमा बताती हैं कि उनके भाई विनय कुमार जो नवभारत टाइम्स में हुआ करते थे और अब रिटायर हो गए हैं, ने पत्रकारिता में आने के लिए प्रेरित किया। घर का पूरा माहौल ही पत्रकारिता वाला था। सुषमा को उम्मीद नहीं थी कि उनके साथ ऐसा होगा। एक दिन अचानक उन्हें चुपके से आफिस को हमेशा के लिए छोड़कर निकल जाना होगा, ऐसी कल्पना नहीं की थी। सुषमा से भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत सिंह ने जो बातचीत की वो इस प्रकार है…
बदलाव के प्रति पूर्वाग्रह क्यों?
यशवंत जी, हिंदुस्तान के प्रधान संपादक शशि शेखर पर केंद्रित आपका लेख पढ़ा। आपसे एक सवाल है कि बदलाव के प्रति इतनी पूर्वाग्रह से ग्रसित सोच क्यों? दुनिया बड़ी तेजी से बदल रही है। इसका प्रभाव हर क्षेत्र में दिख रहा है। आप भी लिट्टी-चोखा की बात करते रहते हैं पर क्या आप लैपटाप से परहेज करते हैं? क्या ऐसे बदलाव के प्रति पीठ किए रहना सबसे श्रेष्ठ काम है? आपने भी तो पुरानी बातों को नहीं ढोया। आपने पत्रकारिता की मुख्यधारा को इनकार कर दिया और भड़ास के संस्थापक संपादक बने। भड़ास की लोकप्रियता का कारण क्या है? बदलाव ही न। कुछ नया किया गया, कुछ नए तरीके से किया गया। खबर बनाने वालों की खबरें बनाई गईं और आप हिट हो गए।
शशि शेखर, जवानी आपकी भी जाएगी
हिंदुस्तान से प्रमोद जोशी, सुषमा वर्मा, शास्त्रीजी, प्रकाश मनु, विजय किशोर मानव हो रहे हैं विदा : ‘इस्तीफा नहीं दिया है’ जैसी बात कहते हुए भी हिंदुस्तान, दिल्ली के सीनियर रेजीडेंट एडिटर प्रमोद जोशी चले जाने की मुद्रा में आ गए हैं। एकाध-दो दिन आफिस वे आएंगे और जाएंगे लेकिन इस आने-जाने का सच यही है कि वे फाइनली जाने के लिए आएंगे-जाएंगे। दरअसल, एचटी मीडिया से हिंदुस्तान अखबार को अलग कर जो नई कंपनी हिंदुस्तान मीडिया वेंचर्स लिमिटेड (एचएमवीएल) की स्थापना की गई है, उसमें रिटायरमेंट की उम्र 60 की बजाय 58 साल रखी गई है। रिटायर होने की उम्र पहले 58 ही हुआ करती थी लेकिन केंद्र सरकार ने इसमें दो साल की वृद्धि की तो नियमतः सभी निजी-सरकारी संस्थानों ने भी अपने यहां 60 साल कर लिया। पर इस लोकतंत्र में नियम केवल नियम हुआ करते हैं, पालन करने योग्य नहीं हुआ करते। कई निजी कंपनियों में तो लोग 44 या 55 की उम्र में ही रिटायर कर दिए जाते हैं। ऐसा ही एक मुकदमा बनारस में चल रहा है।
मैंने इस्तीफा नहीं दिया : प्रमोद जोशी
हिंदुस्तान, दिल्ली के वरिष्ठ स्थानीय संपादक प्रमोद जोशी के बारे में कई तरह की अफवाहें हैं. एक तो यह कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है. दूसरा यह कि वे अमर उजाला जा रहे हैं. तीसरा यह कि अभी इस्तीफा नहीं दिया, मैनेजमेंट को अपने जाने के बारे में बता दिया. चौथा यह कि प्रताप सोमवंशी ने प्रमोद जोशी की जगह कार्यभार संभाल लिया. इस बारे में भड़ास4मीडिया ने सच्चाई जानने के लिए प्रमोद जोशी से बात की तो उन्होंने इस्तीफे की खबर को निराधार बताया. प्रमोद जोशी के मुताबिक- ‘मैंने कतई रिजाइन नहीं किया है. ना तो ऐसी कोई बात है.’ जब उन्हें बताया गया कि उनके इस्तीफे की अफवाह हर तरफ फैली हुई है तो उनका कहना था- ‘यह अफवाह सिर्फ अफवाह ही है, इसमें सच्चाई नहीं है.’ जब उनसे पूछा गया कि क्या वो इस्तीफा देकर अमर उजाला जा सकते हैं, जैसी की चर्चा है तो उनका जवाब था- ‘ऐसा बिलकुलल नहीं है। मैंने इस्तीफा दिया ही नहीं। बिना वजह पैनिक नहीं क्रिएट करना चाहिए। भविष्य में क्या होगा, इसे कौन बता सकता है। किसी के बारे में इस तरह कुछ कहना उचित नहीं है। अभी तक ऐसी कोई भी चीज नहीं है।’