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आजकल पुतले बेचने लगा हूं मैं

पुतला दहनपत्रकार की लाइफ क्या होती है, यह सभी को पता है. पिछले काफी दिनों से तंगी के दौर से गुजर रहा था. ऊपर से ऐसे नेताओं के फ़ोन जो पुतला फूंकते हुए अपना फोटो खिंचवा कर अखबार में लगवाना चाहते हैं. पिछल्ले पंद्रह दिनों से 35 ख़बरें पुतला फूंकने की कर चुका हूं. ये पुतले फूंके जाते हैं काशीपुर मेन तिराहे पर. तनख्वाह नहीं आ रही है और कोई विज्ञापन भी नहीं दे रहा है. ऐसे में मुझे एक आइडिया आया. मैंने पुतला फूंकने वालों के मोबाइल नंबर ले लिए और उनको कहा कि अगर मैं आप को पुतले भी बना कर दूं तो आप मुझे कुछ न कुछ तो दे ही दोगे. सौदा पट गया और मेरा धंधा आज कल मस्त चल रहा है. एक पुतला 200 रुपए में देता हूं. साथ में ही एक खबर की गारंटी भी. दिन में अब पुतले भी ज्यादा फुंकवा रहा हूं. मैं और मेरा सहयोगी, दोनों मिल कर रात को तीन पुतले तैयार करते हैं.

पुतला दहन

पुतला दहनपत्रकार की लाइफ क्या होती है, यह सभी को पता है. पिछले काफी दिनों से तंगी के दौर से गुजर रहा था. ऊपर से ऐसे नेताओं के फ़ोन जो पुतला फूंकते हुए अपना फोटो खिंचवा कर अखबार में लगवाना चाहते हैं. पिछल्ले पंद्रह दिनों से 35 ख़बरें पुतला फूंकने की कर चुका हूं. ये पुतले फूंके जाते हैं काशीपुर मेन तिराहे पर. तनख्वाह नहीं आ रही है और कोई विज्ञापन भी नहीं दे रहा है. ऐसे में मुझे एक आइडिया आया. मैंने पुतला फूंकने वालों के मोबाइल नंबर ले लिए और उनको कहा कि अगर मैं आप को पुतले भी बना कर दूं तो आप मुझे कुछ न कुछ तो दे ही दोगे. सौदा पट गया और मेरा धंधा आज कल मस्त चल रहा है. एक पुतला 200 रुपए में देता हूं. साथ में ही एक खबर की गारंटी भी. दिन में अब पुतले भी ज्यादा फुंकवा रहा हूं. मैं और मेरा सहयोगी, दोनों मिल कर रात को तीन पुतले तैयार करते हैं.

रात को ही नेताओं को मुझे बताना पड़ता है, या यूं कहिए कि आइडिया देना पड़ता है कि कल तुम किस बात पर पुतला फूंक सकते हो और कैसे तुम्हारा फोटो एकदम झकास छप सकता है. सुबह तक तीन नेता तैयार हो जाते हैं और हमें 500 रुपए बच जाते हैं. न्यूजपेपर के पाठकों को अभी तक समझ में नहीं आ पा रहा है कि आखिर आज कल अखबार में पुतले फूंकने के समाचार इतने सारे क्यों आ रहे हैं. क्या शहर के नेता एकदम से आंदोलित हो गए हैं? वे जानेंगे भी कैसे, ये तो अंदर की बात है. पर इस अंदर की बात को भड़ास4मीडिया के लिए इसलिए दे रहा हूं ताकि मेरे जैसे कई पत्रकार भाई इस आइडिया से प्रेरित होकर अपने-अपने शहरों में यह धंधा कर सकते हैं. यह पार्ट टाइम धंधा इतना तो पैसा दे ही देगा कि हम अपना गुजारा कर सके, तनख्वाह आए या न आए और विज्ञापन मिले या न मिले. मेरा एक अनुरोध है. काशीपुर में कृपा करके मेरा कोई मुकाबला न करे. बोले तो, मेरा कोई प्रतिद्वंद्वी न पैदा हो. ऐसा इसलिए क्योंकि मैंने अपने पुतलों का पेटेंट करवा लिया है. मेरे किसी भी पत्रकार भाई के पास ईमानदारी से पैसे कमाने का ऐसी ही कोई और आइडिया हो तो जरूर बताना. खबर की खबर और कमाई की कमाई. है ना, आम के आम और गुठलियों के दाम!!

लेखक प्रेम अरोड़ा काशीपुर में रहते हैं और कई न्यूज चैनलों में काम कर चुके हैं. उन्होंने ये जो लिख भेजा है, उससे समझ में नहीं आ रहा कि वे वाकई पुतला बेचने लगे हैं या पत्रकारों की स्थिति पर व्यंग्य लेखन किया है. वैसे, प्रेम से संपर्क 09012043100 के जरिए किया जा सकता है.

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0 Comments

  1. रचित पंकज

    February 9, 2010 at 9:53 am

    बिल्कुल ठीक टिप्पणी है आप की यशवंत जी। रोज क्या हफ़्ते भर में भी एक पुतला नहीं फुंक सकता नैनीताल में। पर्यटकों के शहर में यह मुमकिन ही नहीं। और पर्यटक भी अभी दुबके हुए हैं। पर यह ज़रूर है कि कंघी बेची खूब है, प्रेम अरोडा ने। बधाई प्रेम जी।

  2. pradeep srivastava

    February 9, 2010 at 11:24 am

    भाई प्रेम अरोरा जी ,
    आप पुतले फूंक रहे हैं ,लेकिन नैनीताल में इतने पुतले की मांग
    कब से होने लगी,पुतलों की मांग तो इन दिनों आंध्र प्रदेश के तेलंगाना में हो रही है.
    जहाँ हर रोज कम से कम आधा दर्जन पुतले फूंके जाते है . बताना चाहूँगा कि तेलंगाना के
    सभी दस जिलों में रोज पुतले फूंके जा रहे हैं.
    क्यों कि यहाँ पर पिछले दो माह से अलग राज्य तेलंगाना की मांग चल रही है. ऐसे में पुतले का धंधा
    यहाँ पर अधिक हो सकता है.
    प्रदीप श्रीवास्तव
    निज़ामाबाद

  3. vivek bajpai

    February 9, 2010 at 12:28 pm

    bhai ji namaskar..
    waise apne vyavsay to badiya khoj nikala hai..
    lekin apke putalo ki khapat ka mamala palle nahi pad raha hai..waise ap rajdhani dili ki or kuch karen to kamai aur bad sakti hai…
    khair…jo bo ho lekhani ka dam to apne dikhla hi diya…
    vivek bajpai s1 news noida.

  4. saleem malik

    February 9, 2010 at 12:46 pm

    yashvant ji
    prem babu nainital me nahin balki udham singh nagar jile ki kashipur tehsil ariye ne rahte hen…………
    bando ko kamfuej mat karo

  5. KALAMWALA-GUNDA

    February 9, 2010 at 3:09 pm

    koi khamosh rah kar kitana kuchh kah jata h , ye bat hume shreeemaan prem ji sikhani chahiye…….. dhanewad shreeeeemaaaaaan.

  6. singesh thakur

    February 10, 2010 at 2:54 am

    accha vywsay hai aapka
    aur kuch nahin mila

  7. arun panwar

    February 10, 2010 at 6:06 am

    thank u sir ,,
    aapka business kaisa chal rha h??
    aur aapne ye business kiya b h,,ya nhi??
    iske baare me jyadaa toh pata nhi h,lekin
    iske jariye jo news collect karne ka aur usse present
    karne ka aapka jo way h!!!!!!
    yakinan isse naye journalist ko next step uthane
    me kaafi kuch madad milegi!!!!!!
    sir ji again thnx

  8. S.K.Verma

    February 10, 2010 at 10:35 am

    bhaiya Prem ji] apnu rajya ki rajdhani me aa jaao] jahan ka famous ghantaghar shamshan ghat ban chuka hai. Rojana itne putle bikenage ki patrakaarita part time dhandha ban jaayega.

  9. ashish tiwari

    February 14, 2010 at 2:29 pm

    its really grt idea……keep it up….. here in allahabad so many media managers r working so cheep acts to make 30 sec visual news….. if this is realjuranlism then i am shamed on this forth pillor of democrecyyy…………..shame……shame….shame

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