वही हुआ, जिसकी संभावना थी। पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ के साम्राज्य का असमय अंत हो गया। पुष्पेंद्र प्रेस क्लब आफ इंडिया (पीसीआई) के महासचिव पद पर हुआ करते थे। कल 22 अगस्त को जो आपात बैठक (ईजीएम) कोषाध्यक्ष नदीम अहमद काजमी की अगुवाई में बुलाई गई थी, उसमें बहुमत से महासचिव और अध्यक्ष के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिया गया। इसके बाद पीसीआई की वर्तमान समिति को भंग कर प्रेस क्लब के अगले चुनाव तक संचालन हेतु अंतरिम कार्यकारी समिति का गठन किया गया। इस समिति का अगुवा (संयोजक) पीपी बालाचंद्रन को बनाया गया और समिति में संयोजक समेत कुल सात सदस्य (अजय कुमार, टीके राजलक्ष्मी, शाहिद फरीदी, गिरिजा शंकर, एस. सेन, वाईएस गिल) रखे गए हैं।
कल हुई ईजीएम में कोषाध्यक्ष नदीम अहमद काजमी ने क्लब अध्यक्ष और महासचिव के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया। उन्होंने आरोप पत्र में लगाए गए आरोपों को एक-एक कर पढ़ा। ये आरोप सचमुच चौंकाने वाले हैं। सबसे बड़ा आरोप तो यही था कि पुष्पेंद्र गुपचुप ढंग से एक गोपनीय बैंक एकाउंट खुलवाकर लेन-देन करते रहे हैं। दूसरा बड़ा आरोप था प्रेस क्लब में नए सदस्य बनाने पर घोषित तौर पर रोक के बावजूद गुपचुप ढंग से अपने प्रिय पात्रों को सदस्यता प्रदान करना। कोषाध्यक्ष नदीम अहमद काजमी ने आरोप लगाया कि कोषाध्यक्ष पद पर होने के बावजूद उन्हें क्लब के किसी आर्थिक लेन-देन, समझौते, उधारी, भुगतान आदि के बारे में जानकारी नहीं दी गई। जब उन्होंने अपने स्तर पर पता किया तो कई सनसनीखेज बातें मालूम हुईं। जैसे, महासचिव ने बिना किसी मंजूरी के नियम विरुद्ध लंबे-चौडे़ भुगतान किए हुए हैं।
प्रेस क्लब के उपर के हिस्से को अपनी मर्जी से ठेके पर दे दिया है। नदीम के आरोपों का जवाब ईजीएम में ही पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने दिया। उन्होंने ऐलान किया कि अगर उन पर आर्थिक गड़बड़ी के जो आरोप लगाए गए हैं, जांच में सही पाए जाते हैं तो वे प्रेस क्लब की मेंबरशिप त्याग देंगे। पुष्पेंद्र ने सभी आरोपों से इनकार किया और कहा कि उनके पास हर चीज के दस्तावेज सुरक्षित हैं, जिसे जो चाहे देख सकता है। ईजीएम में गहमागहमी के बीच राहुल जलाली ने प्रबंधन समिति भंग करने और चुनाव तक अंतरिम समिति बनाने का प्रस्ताव पेश किया जिसे मंजूर कर लिया गया। ज्ञात हो कि प्रेस क्लब आफ इंडिया में पिछले कई महीनों से घमासान चल रहा था। कोषाध्यक्ष नदीम अहमद काजमी ने महासचिव पुष्पेंद्र और अध्यक्ष परवेज अहमद पर कुशासन समेत कई आरोप लगा इन्हें हटाने के लिए मुहिम चला रहे थे। नदीम के समर्थन में धीरे-धीरे कई वरिष्ठ लोग आ गए।