यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में 29 नवम्बर को हुए पत्रकार महासंघ के चुनाव में वरिष्ठ पत्रकार नन्द कुमार मिश्र अध्यक्ष और जय किशोर वर्मा महामंत्री चुने गए। पहली बार पत्रकारों के चुनाव पुलिसिया संगीनों के साए में हुए. चुनाव में संसदीय चुनावों की तर्ज पर मतपत्रों का इस्तेमाल किया गया. इसमें जिले की छहों तहसीलों के प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकारों ने वोट डाला। कई ऐसे लोग भी वोट डालते नजर आये जिनका सक्रिय पत्रकारिता से दूर-दूर तक लेना-देना नहीं है. इनमें कुछ ठेकेदार, कुछ कोटेदार, तो कुछ व्यापारी बंधु भी थे. चुनावी सरगर्मियां शुरू होते ही तमाम लोग एक महीने में ही कई साप्ताहिक अखबारों के जिला और तहसील स्तर के संवाददाता बन गए और वोटर भी.
पत्रकारों की जमात में इनका शामिल होना पत्रकार महासंघ के संयोजकों के लिए चिंता और शोध दोनों का विषय बन गया है. इन्ही विसंगतियों को लेकर निघासन तहसील के पत्रकारों ने चुनाव बहिष्कार भी किया. पदाधिकारियों के चुनाव में मतदाताओं ने विवेक का परिचय दिया और पदाधिकारी के रूप में उन्हीं पत्रकारों को चुना जो सक्रिय पत्रकारिता से जुड़े हैं. अध्यक्ष पद पर दैनिक हिंदुस्तान और दैनिक सहारा के पूर्व जिला संवाददाता और वर्तमान में ‘राहत टाइम्स’ के जिला प्रभारी नन्द कुमार मिश्र को चुना गया जिन्होंने 357 मत हासिल कर अपने प्रतिद्वंदी ‘निष्पक्ष प्रतिदिन’ के आमिर रजा पम्मी को पराजित किया.
वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर ‘वीर भारत का शंखनाद’ के संपादक राकेश शर्मा को चुना गया जबकि कनिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर ‘आईबीएन7’ के राजीव सिंह को निर्वाचित घोषित किया गया. महामंत्री पद पर ‘मेरी जुबान’ के संपादक जय किशोर वर्मा चुने गए. संयुक्त मंत्री पद पर दैनिक सहारा के ऋषभ त्यागी निर्विरोध निर्वाचित हुए. संगठन मंत्री के रूप में कृष्ण कुमार कसेरा चुने गए तो कोषाध्यक्ष पद पर जिले के वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र सक्सेना निर्विरोध चुने गए. पत्रकार महासंघ के जरिये जिले के पत्रकारों को एक मंच पर लाने की कोशिश कितनी कामयाब होती है, इसका पता आने वाले दिनों में चलेगा लेकिन जिस तरह के पत्रकारों की जमात इकठ्ठा हुई है उससे पत्रकारिता की अस्मिता को बचाने की चुनौती भी पत्रकार महासंघ के सामने होगी.