Connect with us

Hi, what are you looking for?

हलचल

पैसा दो, प्रेस कार्ड लो!

: 2,000 रुपए में एक साल का प्रेस कार्ड : 5 साल के लिए 5,000 रुपए : 10 साल के लिए 10,000 रुपए देय होंगे : रिन्यूअल के लिए क्रमशः 1,000, 3,000 तथा 5,000 रुपए अदा करने होंगे : ये कहानी अमृतसर की है. आल इंडिया ह्यूमन राइट्स एसोसिएशन (एहरा) ने पत्रकारिता को भी बेचने में गुरेज नहीं किया। संस्था के आला अधिकारियों ने अपनी जेबें भरने के लिए देशभर में पैसे ले-लेकर पत्रकार बनाए और पहचान पत्र के बहाने उनसे मोटी रकम वसूल की।

<p style="text-align: justify;">: <strong>2,000 रुपए में एक साल का प्रेस कार्ड : 5 साल के लिए 5,000 रुपए : 10 साल के लिए 10,000 रुपए देय होंगे : रिन्यूअल के लिए क्रमशः 1,000, 3,000 तथा 5,000 रुपए अदा करने होंगे</strong> : ये कहानी अमृतसर की है. आल इंडिया ह्यूमन राइट्स एसोसिएशन (एहरा) ने पत्रकारिता को भी बेचने में गुरेज नहीं किया। संस्था के आला अधिकारियों ने अपनी जेबें भरने के लिए देशभर में पैसे ले-लेकर पत्रकार बनाए और पहचान पत्र के बहाने उनसे मोटी रकम वसूल की।</p>

: 2,000 रुपए में एक साल का प्रेस कार्ड : 5 साल के लिए 5,000 रुपए : 10 साल के लिए 10,000 रुपए देय होंगे : रिन्यूअल के लिए क्रमशः 1,000, 3,000 तथा 5,000 रुपए अदा करने होंगे : ये कहानी अमृतसर की है. आल इंडिया ह्यूमन राइट्स एसोसिएशन (एहरा) ने पत्रकारिता को भी बेचने में गुरेज नहीं किया। संस्था के आला अधिकारियों ने अपनी जेबें भरने के लिए देशभर में पैसे ले-लेकर पत्रकार बनाए और पहचान पत्र के बहाने उनसे मोटी रकम वसूल की।

बात यहीं तक हो तो गनीमत थी, मगर संस्था ने अपनी नेशनल कमेटी में बिना सहमति के देश के प्रतिष्ठित जजों तथा सीबीआई निदेशकों के नाम का भी इस्तेमाल कर लिया है। यह खुलासा संस्था में उठे विवाद के बाद हुआ है। एहरा की तरफ से पाक्षिक पत्रिका ‘एहरा ह्यूमन राइट्स’ हिंदी-इंग्लिश में निकाली जाती है। कहने के लिए इसमें समसामयिक ज्वलंत मुद्दों को उठाया जाता है, मगर हकीकत यह है कि इसे सिर्फ एहरा के प्रचार-प्रसार के लिए ही अब तक इस्तेमाल किया गया है। किसी भी प्रैस (अखबार अथवा पत्रिका) में यह विधान नहीं है कि अपने रिपोर्टर्स को पैसे लेकर प्रैस का पहचान पत्र जारी किया जाए, मगर एहरा ने अपने मैंबर बनाने के लिए लोगों से वसूली तो की ही, प्रैस कार्ड भी पैसा लेकर जारी किया है।

अब तक इसने छब्बीस हजार लोगों को कार्ड जारी किए हैं, जिनमें से 70 फीसदी प्रैस के नाम पर हैं। इसके द्वारा निकाली जा रही पत्रिका का कोई अंक उठाकर देखें तो उसमें बाकायदा इसका इश्तिहार भी जारी किया गया है। उक्त इश्तिहार के मुताबिक 2,000 रुपए देकर एक साल का प्रैस कार्ड जारी किया जाएगा। पांच साल के लिए 5,000 रुपए तथा दस साल के लिए 10,000 रुपए देय होंगे, जबकि रिन्यूअल के लिए उक्त क्रम में उम्मीदवार को 1,000, 3,000 तथा 5,000 रुपए अदा करने होंगे।

प्रैस कार्ड के साथ एनजीओ कार्ड, सर्टिफिकेट तथा पत्रिका को देने की बात कही गई है। इसी तरह से विदेशों के लिए 500 से लेकर 1,500 यूएस डालर फीस का जिक्र है। आरटीई से हुए खुलासे के मुताबिक संस्था ने पत्रकारिता के नाम पर करोड़ों रुपए बटोर लिए। इस तरह के कार्ड अकेले अमृतसर में 1,200 से अधिक बांटे गए हैं। यही नहीं, संस्था के एक आला अधिकारी ने अपने को इंटरनैशनल जर्नलिस्ट फ्रंट भोपाल का अध्यक्ष बताया है। इस बाबत फ्रंट के आर्गेनाइजर केसी यादव का आरोप है कि उक्त व्यक्ति ने उनकी संस्था का नाम इस्तेमाल किया है। ऐसा कोई आदमी फ्रंट का अध्यक्ष नहीं है।

मौत के तीन साल बाद बनाया समारोह का चीफ गेस्ट : संस्था ने नैशनल कमेटी में जो नाम शामिल किए हैं। आरटीआई से हुए खुलासे में उनका कहीं जिक्र ही नहीं है। जैसे कि चेयरमैन पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह को बताया गया है, मगर हकीकत में इस नाम की जगह सुनील सेठी का नाम दर्ज है।

इसी तरह से दूसरे चेयरमैन कैफी आजमी तथा तीसरे चेयरमैन के नाम की जगह सांसद व सिने स्टार सुनील दत्त लिखा है, मगर आरटीआई में ऐसा कुछ नहीं है। और तो और कानूनी सलाहकारों में जस्टिस पीएन भगवती, जस्टिस आरएन मिश्रा तथा जस्टिस एएस कुरैसी का नाम भी इस्तेमाल किया गया है। इस संदर्भ में जस्टिस कुरैसी ने बताया कि देश का कोई भी जज ऐसी संस्था का कानूनी सलाहकार नहीं है। उनका कहना है कि यह उनके नाम तथा प्रतिष्ठा का गलत इस्तेमाल है और वह इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने जा रहे हैं।

आरोप है कि दस दिसंबर 2008 में वर्ल्ड ह्यूमन राइट्स डे के मौके पर अमृतसर में आयोजित समारोह में संस्था के एक आला अधिकारी ने दावा किया था कि जस्टिस नरूला बीमार होने के कारण आयोजन में नहीं आ रहे हैं, जबकि हकीकत यह है कि जस्टिस नरूला की दो जून 2005 को डेथ हो चुकी है। और तो और संस्था की वेबसाईट पर मरहूम जस्टिस नरूला का नाम अभी प्रयोग किया जा रहा है। इसी तरह से एडवाइजरी कमेटी में अपना नाम शामिल किए जाने पर नाराज सीबीआई के पूर्व निदेशक जोगिंदर सिंह ने कहा कि एहरा के प्रोग्राम में गए जरूर थे, मगर उनका संस्था से कोई लेना-देना नहीं है।

मुझे फंसाया जा रहा : दुआ

”साजिश के तहत मुझे फंसाया जा रहा है। संस्था में सारा कुछ पारदर्शी है। हवा सिंह तंवर संस्था के महासचिव रहे हैं और सारी की सारी जिम्मेदारी उनकी है। ऐसे में अगर कोई गड़बड़ी हुई है तो वह जिम्मेदार हैं मैं नहीं।” – एमयू दुआ, अध्यक्ष एहरा

Advertisement. Scroll to continue reading.

(साभार : दैनिक भास्कर)

7 Comments

7 Comments

  1. xyz

    September 10, 2010 at 3:52 am

    Paisa lekar PRESS ka I-CARD bana ne ka chalan to ab aam ho chala hai ! kai aise chote-chote channels hain jo **Frenchisee** , **State Bureau** aur **District Bureau** bana ke naam par hazaaron-laakhon rupaye le rahe hain ! Koi ise **security amount** ke naam par le raha hai to koi **Frenchisee** ke naam par .
    pizza hut , domestic goods, kapade , automobiles ke showroom aur dealership kholane ke liye jis tarah amount maanga jaata hai , usi tarah ab kai TV channels paisa maan rahe hain . kyonki ye Aise TV channels hain jo NEWS ko bikane waali cheeze maan kar hi is peshe mein aaye hain .
    Unka maan na hai ki advertisement ka alaawa bhi kamaai ke bahut zariye hain, bus TV channels ka licence le lo , paisa to aa jaayega . Itna hi nahi . ab to kai channels aise hain , jo apne employee ko dhang ki salary tak nahi de pa rahe par dhada-dhad ek ke baad kai channel ke licence nikal kar , ya to use lease par de rahe hain ya dusare ke naam par Transfer kar rahe hain ! Information & Broadcast ministry ko is taraf dhyaan dena chaaiye !
    Par is ke liye sirf aise so-called channels ke maliq log hi zimmedaar nahi hain , balki paisa dekar PRESS ka I-CARD lekar patrakaar ban ne waale bhi doshi hain. unka bhi plan yahi rahta hai ki ek baar paisa dekar I-CARD to hathiyaa liya jaaye , Paise ki **Bharpayee** ke to kai raaste paida ho jaayenge !
    Aise channels ki list saamne zarur aani chaaiye jo kisi bhi naam ( chaahe **Frenchisee** ke naam ya **State Bureau** aur **District Bureau** ke naam) par paise lekar PRESS ka I-CARD de rahe hain !

  2. Shuddatam Jain

    September 10, 2010 at 8:17 am

    Agar Aisa Hota Hai Ki Paisa Do Or Press Card Lo To Reporting Ek Business Ban Jayega Or Logo Ka Press Par Se Vishwash Uth Jayega Phir Har Admi Hi Reporter Banna Chahega

  3. saini

    September 11, 2010 at 4:28 pm

    ye sab galat hai
    is per govt. ko kuch karna chahiye

  4. Saurabh mishra

    September 14, 2010 at 9:28 am

    Ye bahut bura hai media ke bhavisya ke liye .

  5. Ritik kumar

    May 18, 2019 at 11:19 pm

    8439233139 fon se baat kar le na

  6. Rehan khan

    June 1, 2019 at 7:16 pm

    2000

  7. Aakash saxena

    August 2, 2019 at 2:07 am

    Hello mujhe press card banawana hai

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Advertisement

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement