प्रेस विज्ञप्ति : त्रिवेणी मीडिया लिमिटेड और वीओआई नेटवर्क के ओपीनियन पोल के नतीजों के मुताबिक आगामी लोकसभा चुनाव में यूपीए गठबंधन सबसे बड़े गठबंधन के रूप में सामने आएगा और लेकिन बहुमत से दूर उसकी सीटों की संख्या 230 पर ही सिमट जाएगी। एनडीए गठबंधन 181 सीटों के साथ नंबर 2 पर रहेगा। तीसरा मोर्चा 124 सीटों संग नंबर तीन पर आ खड़ा होगा। इस बार भी कांग्रेस सबसे बड़े दल के रूप में उभर सकती है। उसे 135 से 142 के बीच में सीटें हासिल होंगी।
ज्यादा संभावना 139 सीटों की है। भाजपा को लग सकता है ज़ोर का झटका और उसका आंकड़ा 130 से 137 सीटों के बीच सिमट जाएगा। नज़दीकी अनुमान 134 सीटें मिलने का है। निर्दलियों और अन्य को 8 सीटें मिलतीं दिखाई दे रही हैं। इस सर्वे के आंकड़ों के हिसाब से देश में किसी भी पार्टी अथवा गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलता नज़र नहीं आ रहा। यानि 15वीं लोकसभा के त्रिशंकु होने के पक्के आसार हैं, अगर आखिरी क्षणों में कोई चमत्कारिक उलट-फेर न हो जाए तो। सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर कांग्रेस (139 सीटें) उभरेगी और बीजेपी (134 सीटें) नंबर दो पर रहेगी। तीसरे मोर्चे की ताकत बढ़ेगी और मायावती की बहुजन समाज पार्टी बड़ी बढ़त बनाएगी। बीएसपी को 42 सीटें मिलती दिख रही हैं। इसमें यूपी में 37, मध्य प्रदेश में 3, हरियाणा और पंजाब में 1-1 सीट बीएसपी खाते में जाएगी। थर्ड-फ्रंट की सबसे बड़ी पार्टी भी बीएसपी ही होगी। वरुण पर रासुका लगाने के बाद मायावती को यूपी में पिछली बार की 17 सीटों के मुकाबले इस बार 20 सीटों का फायदा होगा जबकि मुलायम की सपा को 23 सीटों का नुकसान झेलना पड़ेगा।
चूंकि यूपीए गठबंधन में 16 दल शामिल हैं इसलिए उसकी सीटों का आंकड़ा भी एनडीए के मुकाबले काफी ज्यादा है लेकिन इतना ज्यादा भी नहीं है कि अपने दम पर सरकार बना लें। एनडीए की हालत वाकई हैरान कर देने वाली है। पूरा ज़ोर लगा लेने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी सत्ता से काफी पीछे छूटती नज़र आ रही है। वजह बेहद साफ है क्योंकि एनडीए गठबंधन में सिर्फ 7 पार्टियां शामिल हैं उन सभी की सीटें मिलाकर आंकड़ा 186 तक ही पहुंच पा रहा है। यानि सत्ता से काफी दूर। सबसे ज्यादा फायदे में तीसरा मोर्चा दिख रहा है। 11 पार्टियों वाले इस गठबंधन की स्थिति सबसे मज़बूत है। उसे 124 सीटें मिल रही हैं। यानि इतना तो पक्का है कि अगर तीसरा मोर्चा टूटा नहीं तो एनडीए और यूपीए किसी की भी सरकार नहीं बनेगी। इस हालत में संकट की स्थिति भी पैदा हो सकती है जिसकी संभावना हाल-फिलहाल काफी कम बताई जा रही है। इसके पीछे तर्क ये दिया जा रहा है कि तीसरा मोर्चा इतना मज़बूत नहीं है कि उसमें सेंध न लगाई जा सके। इस दशा में माना जा रहा है कि कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां अपने गिले-शिकवे भुलाकर एक साथ आ सकती हैं। मुलायम सिंह-अमर सिंह से पल्ला झाड़कर UPA गठबंधन मायावती को अपने साथ मिला लेगा और कुछ छोटी पार्टियों तथा निर्दलियों के समर्थन से सरकार बना लेगा। लेकिन उस दशा में प्रधानमंत्री कौन होगा, ये देखना बेहद दिलचस्प हो जाएगा क्योंकि मायावती खुद को प्रधानमंत्री बनाने की शर्त पर ही यूपीए में शामिल होंगी।
पार्टी और गठबंधनों को मिलने वाली अनुमानित सीटें इस प्रकार से हैं-
यूपीए गठबंधन – कुल 230 सीटें
कांग्रेस- 139, डीएमके- 19, तृणमूल कांग्रेस- 15, एसपी- 14, एनसीपी- 12, आरजेडी- 11, एलजेपी- 5, जेएमएम- 3, आईयूएमएल- 2, जेकेएनसी- 3, आरपीआई- 2, पीएमके- 1, एआईएमआईएम- 1, एसडीएफ- 1, केईसी- 1, एनएलपी- 1
एनडीए गठबंधन – कुल 181 सीटें
बीजेपी- 134, जेडीयू- 17, शिवसेना- 13, एसएडी- 6, एजीपी- 5, आरएलडी- 4, आईएनएलडी- 2
तीसरा मोर्चा और क्षेत्रीय पार्टियां – कुल 124 सीटें
बीएसपी- 42, सीपीएम- 21, टीडीपी- 16, एआईएडीएमके- 14, बीजेडी- 13, जेडीएस- 4, सीपीआई- 4, फॉरवर्ड ब्लॉक- 2, आरएसपी- 3, टीआरएस- 4, एचजेसी- 1
निर्दलीय और अन्य – कुल 08 सीटें
निर्दलीय- 5, जेकेपीडीपी- 1, पीआर- 1, एनपीएफ- 1
(त्रिवेणी मीडिया लिमिटेड रीसर्च टीम और VOI नेटवर्क के इस ओपिनियन पोल में देश के आम चुनावों की पहली तस्वीर पेश करने की कोशिश की गई है। ये सर्वे 20 मार्च से 2 अप्रैल के बीच कराया गया। इसमें 44 शहरों और 239 गांवों के 18 हज़ार 753 लोगों से बातचीत की गई और उसी चर्चा के आधार पर इस सर्वे के निष्कर्ष तैयार किए गए हैं। तकनीकी तौर पर सटीकता का दायरा +7 अथवा -7 रखा गया है)