‘कैम न्यूज’ नाम से जो चैनल गिरीश जुनेजा और उनके करीबी लोग ला रहे थे, उस पर संकट के बादल घिर गए हैं. बताया जा रहा है कि इस चैनल के मालिक प्रिंस सोलंकी के पास पैसा ही नहीं है. इसी कारण उनके कई चेक बाउंस हो गए. कुछ तो इतने कम पैसे के चेक बाउंस हुए कि लोगों ने दांतो तले उंगलियां दबा ली. सूत्रों के मुताबिक कैम न्यूज के नाम पर गिरीश जुनेजा ने जितने लोगों को भर्ती किया है, उनमें से ज्यादातर को पहले ही महीने की सेलरी नहीं मिली. बताया जा रहा है कि प्रिंस सोलंकी ने अगले दो दिनों में सेलरी देने का आश्वासन दिया है. सीईओ के रूप में जुड़े एनएनआई एजेंसी वाले उमेश कुमार भी इस चैनल से अलग हो गए हैं.
सूत्रों का कहना है कि प्रिंस सोलंकी ‘सीएनएन टुडे’ नामक अखबार निकालते हैं. उन्हें कुछ लोगों ने ‘कैम न्यूज’ नाम से चैनल लाने की बात समझा दी. वेस्ट यूपी में रीयल स्टेट और स्क्रैप का काम करने वाले प्रिंस के बारे में बताया जाता है कि जब इनके पास पैसा होता है तो दिल खोलकर लुटाते हैं, जब खत्म हो जाता है तो फिर पैसा कमाने के लिए निकल पड़ते हैं. तो जब उनके पास पैसा आया तो लोगों ने चैनल शुरू करने की बात समझा दी.
जब तक चैनल का ढांचा तैयार होता, जाने किस वजह से प्रिंस सोलंकी का पैसा खत्म हो गया. अब वे द्वारे-द्वारे घूम रहे हैं, पैसे जुटा रहे हैं और कुछ दिनों में सेलरी देने का आश्वासन दे रहे हैं. कहने वाले तो यही कह रहे हैं कि अच्छा हुआ, प्रिंस का पैसा पहले ही महीने खत्म हो गया वरना चैनल लांच होने के बाद खत्म होता तो तब जाने कितने लोगों का कितने महीनों का पैसा और बकाया मारा जाता. जिन वेंडर्स ने कैम न्यूज के लिए किराए पर सामान व उपकरण दिया था, वे सब अपने-अपने सामान उठा ले गए हैं.
सूत्र बताते हैं कि सबसे बुरी स्थिति में फंस गए हैं गिरीश जुनेजा. जनसंदेश से वे अपनी पूरी टीम लेकर आए थे पर उनकी टीम न इधर की रही और न उधर की. कई नए लोगों को भी उन्होंने अप्वाइंट कर लिया था. उन पर लोगों को सेलरी दिलाने की नैतिक जिम्मेदारी आ गई है. हालांकि कहा यह भी जा रहा है कि यह शुरुआती झटका है और जल्द ही चैनल लांच करने की प्रक्रिया फिर शुरू होगी पर लोग जानते हैं कि इस तरह के आश्वासनों का मतलब क्या होता है.
A Q K
January 19, 2010 at 11:03 am
YASWANT JI AAP SAHI KEH RAHEY HEY PAR YAHI BAAT AAP TT MATLAB TIME TODAY KE MALIKO KO SAMJHA DETE TO AAJ TT CHANNEL SE JODI TEEM JO KABHI BE SAHRA KA SAHARA HUA KARTI THI AAJ KHUD BE SAHARA NAHI HOTI ABGHAR KE RAHEY NA GHAT KE