हिंदुस्तान अखबार के एचटी मीडिया से अलग नई कंपनी ‘हिंदुस्तान वेंचर्स मीडिया लिमिटेड’ (एचएमवीएल) के छतरी तले आने के महीने भर के भीतर ही इस अखबार से जुड़े सबसे जमीनी पत्रकारों, जिन्हें स्ट्रिंगर और सुपर स्ट्रिंगर कहा जाता है, पर गाज गिरी है। शशि शेखर के राज में जिस तरह अमर उजाला में दस रुपये के शपथ पत्र पर जूनियर पत्रकारों से हस्ताक्षर करवाया गया था और जिसमें लिखा था कि वे पत्रकारिता शौकिया तौर पर कर रहे हैं, उनका मुख्य बिजनेस कुछ और है, उसी तरह शशि शेखर के राज में ही अब हिंदुस्तान के स्ट्रिंगरों और सुपर स्ट्रिंगरों से शपथ पत्र भरवाया जा रहा है कि…
”पत्रकारिता में रूचि होने के कारण मैंने हिंदुस्तान वेंचर्स मीडिया लिमिटेड से शौकिया समाचार संप्रेषण की अनुमति के लिए आवेदन किया है. यह कि मेरा मुख्य व्यवसाय पत्रकारिता नहीं है बल्कि मुख्य व्यवसाय कुछ और है और शौकिया समाचार संप्रेषण मैं केवल अपनी व्यक्तिगत रुचि होने के कारण करना चाहता हूं और प्रतिफल के रूप में प्रतिष्ठान से कोई धनराशि प्राप्त नहीं करूंगा. समाचार संप्रेषण का खर्च देना हिंदुस्तान वेंचर्स मीडिया लिमिटेड के स्वविवेक पर निर्भर है. अवैतनिक रूप से समाचार संप्रेषण करने के कारण मेरा किसी भी प्रकार का हिंदुस्तान वेंचर्स मीडिया लिमिटेड पर नहीं होगा. संस्थान जब भी चाहे मेरे द्वारा भेजे गये समाचारों का प्रकाशन बंद कर सकता है. इसमें शपथकर्ता को कोई आपत्ति नहीं होगी. इसी तरह शपथकर्ता भी जब चाहे समाचार संप्रेषण बंद कर सकता है और संस्थान किसी प्रकार का शपथकर्ता पर क्लेम आदि नहीं कर सकता है. वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट या किसी भी श्रम अधिनियम का कोई भी प्रावधान किसी भी तरह किसी भी स्तर पर मेरे उक्त रूचि के क्षेत्र में शौकिया रूप से काम करने के लिए मेरे व प्रकाशन के मध्य लागू नहीं होगे. क्योंकि शपथकर्ता संस्थान के सेवायोजन में नहीं है बल्कि अपनी व्यक्तिगत अभिरुचि को विकसित करने हेतु शौकिया रूप से समाचार संप्रेषण कर रहा है….”
उपरोक्त लाइनें हिंदुस्तान प्रबंधन द्वारा भेजे गए शपथ पत्र की लाइनें से थोड़ी-बहुत अलग हो सकती है पर भावार्थत यही है। जो वर्षों से स्ट्रिंगर या सुपर स्ट्रिंगर के रूप में हिंदुस्तान में काम कर रहे हैं, उनके लिए अलग से शपथपत्र आया है जो उनके नाम से है, शपथपत्र में उन्हें दिए जा रहे मानदेय का भी उल्लेख है। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के एक ब्यूरो में जब शपथपत्र के साथ हिंदुस्तान, लखनऊ के मैनेजमेंट का एक अधिकारी पहुंचा तो स्ट्रिंगरों में रोष फैल गया। एक स्ट्रिंगर जो 15 साल से हिंदुस्तान के साथ है और जिसे तनख्वाह के रूप में 5600 रुपये मिलते हैं, शपथपत्र देखने के बाद फूट-फूट कर रोने लगा। उसे उम्मीद थी कि जल्द ही हिंदुस्तान प्रबंधन उसे स्थाई नौकरी दे देगा, पर हुआ उल्टा। कई लोग तो इतने नाराज हुआ कि मैनेजमेंट के अधिकारी को गालियां देने लगे। सूत्रों के मुताबिक स्ट्रिंगर इसे अपने साथ छल मान रहे हैं।
उधर, प्रबंधन के लोगों का कहना है कि हम लोग स्ट्रिंगर और सुपर स्ट्रिंगर की व्यवस्था खत्म करना चाहते हैं इसलिए जो अच्छा काम कर रहे हैं उन्हें तो परमानेंट कर देंगे लेकिन जिनका काम औसत है उनसे शपथपत्र भरवाया जा रहा है ताकि वे अपनी मर्जी से जब तक चाहें हिंदुस्तान के लिए काम करते रहें या फिर हिंदुस्तान प्रबंधन की जब तक मर्जी हो, उनसे काम लेता रहे।