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पंजाब केसरी ने तोड़ा युवा पत्रकारों का सपना?

आखिर गलती क्या है हम लोगों की? यह सवाल हम अपने आप से 5 महीने से पूछ रहे हैं। पांच माह पूर्व जो विज्ञापन पंजाब केसरी में ‘पूर्वी दिल्ली के लिए आवश्यकता है रिपोर्टरों की’ के शीर्षक से लगा था, उस बहकावे में अपने घरों को छोड़कर सैकड़ों किलोमीटर दूर रह रहे युवा पत्रकार फंस गये। उसी का फायदा पंजाब केसरी के प्रबन्धन ने उठाया। आखिरकार वेतन ना मिलने से आजिज आकर वो नौकरी छोड़ने की तैयारी करने लगे।

<p align="justify">आखिर गलती क्या है हम लोगों की? यह सवाल हम अपने आप से 5 महीने से पूछ रहे हैं। पांच माह पूर्व जो विज्ञापन पंजाब केसरी में ‘पूर्वी दिल्ली के लिए आवश्यकता है रिपोर्टरों की’ के शीर्षक से लगा था, उस बहकावे में अपने घरों को छोड़कर सैकड़ों किलोमीटर दूर रह रहे युवा पत्रकार फंस गये। उसी का फायदा पंजाब केसरी के प्रबन्धन ने उठाया। आखिरकार वेतन ना मिलने से आजिज आकर वो नौकरी छोड़ने की तैयारी करने लगे। </p>

आखिर गलती क्या है हम लोगों की? यह सवाल हम अपने आप से 5 महीने से पूछ रहे हैं। पांच माह पूर्व जो विज्ञापन पंजाब केसरी में ‘पूर्वी दिल्ली के लिए आवश्यकता है रिपोर्टरों की’ के शीर्षक से लगा था, उस बहकावे में अपने घरों को छोड़कर सैकड़ों किलोमीटर दूर रह रहे युवा पत्रकार फंस गये। उसी का फायदा पंजाब केसरी के प्रबन्धन ने उठाया। आखिरकार वेतन ना मिलने से आजिज आकर वो नौकरी छोड़ने की तैयारी करने लगे।

इसी बीच पंजाब केसरी के सर्वेसर्वा अश्वनी कुमार का फरमान आया कि वो मीटिंग कर इस समस्या का कुछ निदान करेंगे। युवा पत्रकार खुशी से झूमने लगे और मिलने वाले वेतन से पांच माह में अपने खर्चे के कारण हुए कर्जे को निपटाने की सोचने लगे। सबको झटका तब लगा जब माननीय अश्वनी कुमार ने कहा कि अभी तक आप लोग ट्रेनिंग पर हैं, एक जनवरी से आपको सेलरी मिलेगी। फिर क्या था, सारे अरमानों पर पानी फिर गया। कोई खुद को पंजाब केसरी संस्थान द्वारा ठगा महसूस कर रहा था। कोई अपनी किस्मत को कोस रहा था। हमारे ब्यूरो हेड यह कहकर अपना पल्ला झाड़ रहे थे कि मैंने पूरा प्रयास किया था लेकिन कोई असर नही हुआ।

मैं भड़ास4मीडिया के माध्यम से पंजाब केसरी के सर्वेसर्वा अश्वनी कुमार से ये पूछना चाहता हूं कि उस पंजाब केसरी के अखबार में छपे विज्ञापन में यह क्यों नही लिखा था कि पहले ट्रेनिंग दी जायेगी, फिर एक जनवरी से सेलरी मिलेगी। इन पत्रकारों का इन्टरव्यू भी पंजाब केसरी के वजीरपुर स्थित मुख्य कार्यालय में उच्च पद पर आसीन जैन साहब ने लिया था। अश्वनी कुमार के वो बड़े-बडे़ लेख, वो समाज सुधारक वाली भाषा शैली क्या केवल छलावा मात्र है ?  

-एक पीड़ित युवा पत्रकार के पत्र पर आधारित

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0 Comments

  1. jagmohan shakaal

    January 17, 2010 at 1:53 pm

    punjab kesri ki galti nahi hain aaj jab se tv channel aa gaye hain jab se ye fild main glamaur aaya hain tv or akhbar main es parkar se logo ke sath ho bhi raha or kucch muft main seva de bhi aa rahe hain esi liye naye aane wale mere dosto ye na akhbar ki galti hain na tv log chate hain jab muft main seva mil rahi haintoh fir kiyo kharcha kia jaye esi parkar ki choch ke chand log espese ko dhanda baba rahe hain

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