रिपोर्टर पद से इस्तीफा देकर डबल सेलरी में जिम इंस्ट्रक्टर का काम शुरू किया : अगर पांच साल बाद मेरी सेलरी सिर्फ साढ़े आठ हजार रुपये है तो मैं गलत जगह फंसा हूं. इतने समय तक मैं कुछ भी और काम करता तो इससे ज्यादा पाता. इसीलिए मैंने पत्रकारिता को बाय बोल दिया है. बाडी बिल्डिंग की शौक के कारण फिलवक्त मैं जिम इंस्ट्रक्टर के रूप में काम गाजियाबाद में काम करने लगा हूं. यहां मुझे मीडिया से डबल पैसे मिल रहे हैं और काम भी सिर्फ आठ घंटे का है, दिन में एक बजे से लेकर रात में नौ बजे तक. न कोई टेंशन न कोई फ्रस्ट्रेशन. बाकी समय में मैं बैंक और सिविल की तैयारी कर रहा हूं.
यह कहना है कि विभोर गौर का जिन्होंने हाल-फिलहाल डीएलए, गाजियाबाद में रिपोर्टर के पद से इस्तीफा दे दिया है. विभोर पांच साल से मीडिया में हैं. दो साल अमर उजाला और दो साल दैनिक जागरण के साथ गुजारे. मीडिया के अपने खराब अनुभवों के बारे में विभोर कहते हैं कि जब वे बुलंदशहर जिले के सिकंदराबाद इलाके में दैनिक जागरण के लिए कार्यरत थे तो हिंदुस्तान, मेरठ से बुलावा आया. तब जागरण के प्रभारी राजवीर सिंह ने वादा किया था कि वे मुझे जूनियर सब एडिटर बनवा देंगे. उनके आश्वासन पर रुक गया. दो महीने बाद बजाय जूनियर सब एडिटर बनाने के, मेरी यह कहते हुए छंटनी कर दी गई कि तुम विश्वसनीय नहीं हो. आप आप ही बताइए, अगर इस तरह के विश्वासघात मीडिया में होते हों तो कोई कैसे सुखी रह सकता है.