धीरेंद्र श्रीवास्तव के दैनिक जागरण, मुजफ्फरपुर से इस्तीफा देने के बाद दैनिक जागरण की बिहार की यूनिटों में खलबली मची हुई है. प्रबंधन संपादकीय प्रभारियों को यहां से वहां करने में लगा हुआ है. पिछले दिनों आलोक मिश्रा को पटना से मुजफ्फरपुर भेजा गया था तो नए डेवलपमेंट के अनुसार उन्हें वापस पटना बुला लिया गया है और उनकी जगह धनबाद के प्रभारी उमेश शुक्ला को भेजे जाने का फैसला लिया गया. सूत्रों के अनुसार पटना से कमल सक्सेना को भी मुजफ्फरपुर जाने को कहा गया है. वे सेकेंड मैन के रूप में काम संभालेंगे. उधर, उमेश शुक्ला के मुजफ्फरपुर जाने से धनबाद में संपादकीय प्रभारी की खाली होने वाली कुर्सी पर बिठाने के लिए पटना में स्टेट ब्यूरो में कार्यरत शशि भूषण के नाम को फाइनल किया गया है.
दैनिक भास्कर, अलवर के संपादकीय प्रभारी श्याम शर्मा का तबादला कर दिया गया है और उनकी जगह दैनिक भास्कर, हिसार के प्रभारी प्रदीप भटनागर को भेजा गया है. कल जारी एक आंतरिक मेल में प्रदीप भटनागर को अलवर पहुंचकर 16 फरवरी तक कार्यभार संभालने को कहा गया है. मेल में यह नहीं बताया गया है कि श्याम शर्मा को कहां भेजा जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक श्याम शर्मा को फिलहाल जयपुर बुलाए जाने की संभावना है. वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि वे संस्थान को अलविदा भी कह सकते हैं.
Ram
February 10, 2010 at 1:21 pm
धीरेंद्र जी को दैनिक जागरण में पश्चिम बंगाल व बिहार में कई बार संकटमोचक की स्थिति में देखा गया। सिलीगुड़ी में उन्होंने अखबार को चमकाया। फिर संकटग्रस्त मुजफ्फरपुर संस्करण में नयी जान फूंकी। उनके जाने से दैनिक जागरण को असर तो पड़ेगा ही। संपादकीय प्रभारियों के तबादले और सेकेंड मैन की नियुक्ति से ही साफ पता चल रहा है कि जागरण प्रबंधन डैमेज कंट्रोल में जुटा है। अच्छा है…।
raj
February 10, 2010 at 6:14 pm
Aadarniya SHASHI bhiaya sadar pranam aapko is nayee kamyabi ke lie dher sari subhkamna.
archi agrwal
February 10, 2010 at 8:05 pm
श्री धीरेन्द्र जी, भड़ास पर पढ़ा कि आपने दैनिक जागरण से इस्तीफा दे दिया। सन्नाटे में आना तय था। आप चैनल में जा रहे हैं, सो नई पारी के लिए धन्यवाद। जागरण जैसे बड़ा अखबार की सोच इतनी संकुचित है। इसे भी जानने का अवसर मिला। हमारे परिवार में दैनिक जागरण की अस्सी प्रतियां आती हैं। आपका जाना ठीक उसी तरह लगा जैसे घर बनाने वाला ही घर छोड़कर चला गया हो। वर्ष २००६ की घटना आपके जाने का सुनकर ही ताजा हो गया। आपका फलाहार कार्यक्रम, जिसमें सभी वर्ग के लोग एक साथ और एक पांत में बैठकर फल खाते थे। अब कौन इस कार्यक्रम को आगे बढाएगा। इस कार्यक्रम के जरिए आपने कई दुश्मनों को दोस्त बना दिया। उत्तर बिहार के सभी जिले के लोगों ने इस कार्यक्रम को अपना लिया था। कार्यक्रम के समय सभी लोग आपकी बाट जोहते थे। ऐसा लगता था कि आप आएंगे, आपके बैठने पर ही कार्यक्रम शुरू हो। नवरात्र के समय में हर दिन सैकड़ों जगहों पर यह कार्यक्रम होता था। धीरेन्द्र श्रीवास्तव जी, इस साल भी उत्तर बिहार में आपको यह कार्यक्रम कराना होगा। उत्तर प्रदेश के होकर भी आप बिहारी हो गए थे। जिस जिले में आप जाते थे वहीं के होकर रह जाते थे। आपकी नई पारी शुरू होने के बाद सभी को इंतजार है कि नया चैनल के संपादक होकर भी आप इस कार्यक्रम को आगे बढाए। अब तो आपका क्षेत्र भी बड़ा हो गया है। ऐसे में पूरे भारत में आप इस कार्यक्रम को शुरू करवाकर यादगार बना दे। यही गुजारिश है। आपका मोबाइल स्विच ऑफ रहने से बात नहीं हो सकी। आपका जाना दैनिक जागरण प्रबंधन को भारी पड़ेगा। ऐसा लगता है कि बड़े अखबार को भी ऐसा ही संपादक चाहिए जो उसकी अंगुलियों पर नाच सके। जाहिर है कि आप वैसा नहीं करते होंगे। आप की प्रतिभा को उत्तर बिहार के लोगों ने देखा है, आप जहां भी रहेंगे चमकते दिखेंगे। दुख है, गम है, परंतु आप सूरज की तरह चमकते रहे। यही दुआ है।
rahul
February 10, 2010 at 8:59 pm
पश्चिमी चंपारण में गांधी का आश्रम भितिहरवा। एक कार्यक्रम का आयोजन, मंच सजा था। बड़े-बड़े लोग शामिल हुए थे। एक आवाज आई अब धीरेन्द्र जी संबोधन करेंगे। नाम सुनते ही सारे लोग मंच की ओर घूम पड़े। तालियों की गडग़ड़ाहट। मंच पर आए धीरेन्द्र जी, गांधी आश्रम की स्थिति देख उनके नेत्र डबडबा रहे थे। ये कुछ करना चाहते थे। इसी वक्त कई अधिकारियों ने भितिहरवा में गांधी आश्रम के विकास के लिए घोषणाओं की झड़ी लगा दी। धीरेन्द्र जी अब जागरण में नहीं हैं। ये एक बड़े पद पर एक चैनल में चले गए। लेकिन भितिहरवा के लोग उन्हें याद कर रहे हैं। गांधी भूमि उन्हें फिर बुला रही है। एक बार कस्तुरबा गांधी विद्यालय की छात्राओं को पता चला कि धीरेन्द्र जी उनके क्षेत्र में हैं, सबने स्वागत किया। कोई सोच भी नहीं सकता था कि किसी व्यक्ति को इतना सम्मान भी मिल सकता है। दरभंगा के महाराजाधिराज की तिजोरी खुलने के दिन धीरेन्द्र जी भी पहुंचे थे। पटना से आए पुरातत्व विभाग के अफसरों को लोग भूल गये, याद रहे सिर्फ संपादक जी। बेनीपुर का गांव उपेक्षित, धूल से भरा। कोई पूछनेवाला नहीं। धीरेन्द्र जी ने एक पन्ने का फीचर निकाल दिया। अफसर उस स्थल की ओर दौड़े, लग गई घोषणाओं की झड़ी। बहुमुखी प्रतिभा के इस व्यक्ति को कोई समझ ही नहीं सका। किसी को दुखी न देख सकनेवाले धीरेन्द्र जी को आज जागरण ने भूला दिया। वर्ष २००६ में इन्होंने पूरे उत्तर बिहार में फलाहार कार्यक्रम शुरू किया। इस कार्यक्रम के जरिए इन्होंने कई दुश्मनों को दोस्त बना दिया। उत्तर बिहार के सभी जिले के लोगों ने इस कार्यक्रम को अपना लिया था। कार्यक्रम के समय सभी लोग इनकी बाट जोहते थे। ऐसा लगता था कि ये आएंगे। नवरात्र के समय में हर दिन सैकड़ों जगहों पर यह कार्यक्रम होता था। इसे कौन भूल सकता है। नहीं धीरेन्द्र जी आपको कोई नहीं भूल सकता।
PUSPASAH SHARMA
February 11, 2010 at 4:48 am
MUJE SHYAM SHARMA KAYKARAN NIKARI CHODANI PADI.AJ MAY WEEKLY PAPER MAY KAM KAR RHA HU. ENHAY TO JOURNLISM SAY OUT KARNA CHIYE. YEH TOKALANK HAY
hitesh mehindarta
February 11, 2010 at 5:16 am
muje shyamsharma nay patrkarita say dur kar dia. enkay kahnay par may bjp leader sayek lakh pupaye laykar ala tha. bhaskar koenhay nikaldena hoga. hitesah
om prakash baleta
February 11, 2010 at 8:59 am
aap ko taja news danay kay liye thanks.
shyam sharma do sal pahle alwar may sampadikye prabhari ban kay aye thay. enhonay karib ed darzon logo ko nokri chodane kay liye majboor kar diya. enmay kai to das sal purane reporter thay.
shyam sharma nay khub vivaadspad khabray likhe jinka aim paisa kamana tha. enhonaye 5 lakh rupaye bjp walo say liye. alwar may en kay tabale say khusi hay.
bhaskar group ko en kay karnomo ke janch karne chaye.
om prakash sharma. balata
dh
February 11, 2010 at 2:33 pm
[quote][/quote] hi hello
vijay
February 11, 2010 at 7:15 pm
ye saare comments ek hi aadmi likh raha hai Dharmendra Adlakha jinko Bhaskar se barkhast kar diya gaya tha. Dharmendra ki wife ne inka prem prasang pakad liya tha. ashleel SMS wife ne pakde to pol khul gayi. pooja or dharmendra dono ki noukari chali gayi.ab ye humko fansa raha hai.Shyam Sharma kaisa bhi hai hum apni ladai khud hi ladenge, hamaare naam ka durupyog nahin karein.
B M
February 12, 2010 at 7:25 am
aadarneeya Sir,
aapke tabadale ki khabar sunkar jhatka laga. aapne hamein bahut kuchh sikhaya, mathadheeshon se ladna seekhaya.kamjoron ko sahas diya aur kaam ke har pahloo ke baare me bataya. aapke saath kaam karne ka anubhav hamaare kaam aayega. aapne sabki rajneeti khatam kar di.Alwar me Imaandari ki misal kayam ki, hame aapke baare me shahar me sunkar garva hota hai.khabaron ki setting karne vaale the vo apne karmon se bahar nikal gaye. bhaskar ka ek tarah se shudhikaran ho gaya.