अमर उजाला, हल्द्वानी के स्थानीय संपादक पद से हटाए गए वरिष्ठ पत्रकार आशीष बागची का कहना है कि प्रबंधन ने कंपनी की तरक्की के लिए जब भी कोई फैसला लिया तो मुझे कभी आपत्ति नहीं हुई। जहां तक मुझसे इस्तीफा लिए जाने की बात है तो यह पूरी तरह बकवास है। मैंने खुद इस्तीफा दिया है। निशीथ जोशी मुझे रिलीव कराने आए थे।
आशीष बागची ने कहा कि मैं जब तक अमर उजाला में रहा, कंपनी की सेवा करता रहा। जब मैं हलद्वानी आया था तो अखबार का सरकुलेशन पचास हजार था और अब यह बढ़कर 82 हजार हो गया है। यहां से बिजनेस भी अच्छा खासा बढ़ा है। तो मैं इसे अपनी उपलब्धि मानता हूं। बाकी आना जाना तो लगा रहता है। इन सब चीजों को खेल भावना से लेना चाहिए।
आशीष बागची ने कहा- ‘मुझे अतुल जी और राहुल जी ने इतने समय तक सेवा का मौका दिया, इसलिए मैं उनका आभारी हूं। मैं बत्तीस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं। बाकी जहां तक तमाम तरह की चर्चाओं की बात है तो कोई भी संपादक कहीं से हटता है तो उसके बारे में सौ तरह की बातें बनाई और फैलाई जाती है। हकीकत इस सबके विपरीत होता है। इन चीजों से मैं परेशान नहीं होता।’
नई पारी के बारे में आशीष बागची ने बताया कि वे अभी कहीं जा नहीं रहे हैं। वे कुछ दिनों तक आराम करेंगे। फिर फैसला करेंगे कि आगे क्या करना है।
आशीष बागची ने अपने करियर की शुरुआत बनारस से निकलने वाले वीकली अखबार ‘चौराहा’ से की फिर नार्दर्न इंडिया पत्रिका (एनआईपी) के बनारस ब्यूरो का हिस्सा बने। कुछ दिनों तक इलाहाबाद में अमृत प्रभात और लीडर में रहे। जनवार्ता में भी काम किया। फिर आज अखबार के हिस्से बने। उसके बाद जागरण और हिंदुस्तान में वरिष्ठ पदों पर दायित्वों का निर्वाह किया।