: मीडिया न्यूज की एक और हिंदी वेबसाइट : खबर लेने वालों की इस कदर खबर ली जाएगी, इससे कुछ साल पहले हम सभी बेखबर थे. लेकिन भड़ास4मीडिया ने जो सिलसिला शुरू किया, उसे आगे बढ़ाने को कई वरिष्ठ-कनिष्ठ लोग आगे आ गए हैं. जाहिर है, अकेले शुरू हुआ यह सफर कारवां में तब्दील हो चुका है. दुनिया को समानता और न्याय की नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाले मीडिया हाउस कितने अनैतिक हैं, उनके अंदर की दुनिया कितनी स्याह है, इसका खुलासा करने का सिलसिला तेज हो चुका है. कई लोग अपने सीमित संसाधनों में बिना लाभ हानि की आशा के मीडिया न्यूज को साहस के साथ प्रकाशित प्रसारित कर रहे हैं.
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मैंने खुद इस्तीफा दिया : आशीष बागची
[caption id="attachment_15689" align="alignleft"]आशीष बागची[/caption]अमर उजाला, हल्द्वानी के स्थानीय संपादक पद से हटाए गए वरिष्ठ पत्रकार आशीष बागची का कहना है कि प्रबंधन ने कंपनी की तरक्की के लिए जब भी कोई फैसला लिया तो मुझे कभी आपत्ति नहीं हुई। जहां तक मुझसे इस्तीफा लिए जाने की बात है तो यह पूरी तरह बकवास है। मैंने खुद इस्तीफा दिया है। निशीथ जोशी मुझे रिलीव कराने आए थे।
अमर उजाला प्रबंधन ने अपने आरई से इस्तीफा लिया
अमर उजाला, हल्द्वानी के स्थानीय संपादक आशीष बागची के बारे में सूचना मिल रही है कि अमर उजाला प्रबंधन ने उनसे इस्तीफा ले लिया है। आज सुबह देहरादून से निशीथ जोशी ने हल्द्वानी जाकर बागची को कार्यमुक्त किया। बताया जा रहा है कि अमर उजाला, देहरादून में डिप्टी न्यूज एडिटर पद पर कार्य कर रहे आलोक शुक्ला को हल्द्वानी यूनिट का नया आरई बनाया गया है।
उम्मीद है शशिशेखर बदलेंगे
[caption id="attachment_15689" align="alignleft"]आशीष बागची[/caption]कई लोगों के विचार पढ़े। सभी लोगों ने अपने-अपने हिसाब से हिंदुस्तान के नये ग्रुप एडिटर शशिशेखर का आकलन किया है। सभी धन्यवाद के पात्र हैं। चूंकि, मैं शशि के काफी पुराने और करीबी मित्रों में से एक हूं, इसलिए कह सकता हूं कि गलत किसी ने भी नहीं लिखा- जैसा कि पत्रकारिता को दरोगा स्टाइल में चलाना, संपादक या फिर रिपोर्टर की लानत मलानत करना, बिना देखे-सुने आसपास कौन है आदि। शशि उस समय यह भूल जाते हैं कि जिस व्यक्ति को फटकारा जा रहा है, उसकी मानसिकता पर कैसा असर पड़ रहा है, वह या उसका कोई घरवाला गंभीर रूप से बीमार है, वह डाक्टर से चेकअप करा रहा है, पूजा पर बैठा है, मंदिर में दर्शन करने जा रहा है या कि वह इस समय कहां-किन परिस्थितियों-किस मानसिकता-किस जगह है।
‘युवाओं के लिए मिसाल हैं शशि शेखर’
[caption id="attachment_15689" align="alignleft"]आशीष बागची[/caption]पदमपति शर्मा का मृणालजी, शशिशेखर और एचटी प्रबंधन विषयक विचार पढ़ा। यहां आपको बता दूं कि मैं जितना पदमपति शर्मा से जुड़ा हूं, उतना ही शशिशेखर के साथ भी जुड़ा हूं और मृणालजी का एक शिकार रहा हूं। इसके साथ ही मैं शशिशेखर के शुरुआती पत्रकारिता जीवन और उनकी विकास यात्रा का निकट साक्षी रहा हूं। उनसे मेरा संपर्क तीन दशक से भी अधिक पुराना है। कहने में संकोच नहीं कि उनके बारे में जितना मैं जानता हूं, उतना शायद ही कोई जानता होगा। मैं मृणालजी के बारे में कुछ नहीं कहना चाहता और न उनसे शशि की कोई तुलना करना चाहता। दोनों की अलग-अलग शख्सियत है। शशि उन लोगों, खासकर युवाओं के लिए एक मिसाल हैं जो जीवन की कठिन डगर में बिना आपा खोए निरंतर आगे बढ़ने में विश्वास रखते हैं और हर नये अनुभव से सीख लेते हैं। शशि ने पत्रकारिता की शुरुआत बनारस के ‘आज’ से की। पहले सिटी रिपोर्टिंग की फिर बाबू विश्वनाथ सिंह, बाबू दूधनाथ सिंह व शिवप्रसाद श्रीवास्तव के सानिध्य में अनुवाद को निखारा।