संघ के लोग नाराज : पहले पेज पर खंडन छापने को कहा : सहारा ने आज संपादक के नाम पत्र में स्पष्टीकरण प्रकाशित किया : इंटरव्यू प्रकाशित करने वाले पत्रकार का नाम है राकेश आर्य : संघ ने सहारा के रवैए से नाराज होकर सार्वजनिक भर्त्सना करने का इरादा किया : प्रेस काउंसिल और कोर्ट जाने पर भी विचार : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत का साक्षात्कार लेने के लिए दर्जनों पत्रकार इच्छुक हैं। यह स्वाभाविक भी है। भागवत एक बड़े संगठन के मुखिया हैं। आजकल भाजपा में जिस तरह अंदरूनी बवाल मचा हुआ है, उसके चलते पत्रकारों में मोहन भागवत से साक्षात्कार के लिए होड़ हो तो यह कोई अस्वाभाविक बात नहीं है। मोहन भागवत की प्रेस कांफ्रेंस में खूब भीड़ उमड़ती है। यह बात उनके हाल के दिल्ली के प्रेस कांफ्रेंस में दिखाई पड़ी। 28 अगस्त को संघ कार्यालय में करीब 300 से अधिक मीडियाकर्मी उनके प्रेस वार्ता के लिए उपस्थित थे। मोहन भागवत ने पिछले दिनों सिर्फ अंग्रेजी न्यूज चैनल टाइम्स नाऊ को साक्षात्कार दिया। इससे दूसरे न्यूज़ चैनल थोड़े नाराज भी हैं। किसी अख़बार या पत्रिका को मोहन भागवत ने अब तक कोई साक्षात्कार नहीं दिया है।
संघ के लोगों का कहना है कि उनका साक्षात्कार पूर्व निर्धारित होता है। किसी पत्रकार द्वारा समय मांगे जाने की पुष्टि भी आधिकारिक रूप से कार्यालय द्वारा की जाती है। संघ सूत्रों के अनुसार दर्जनों संपादकों एवं पत्रकारों द्वारा साक्षात्कार के लिए समय माँगा गया परन्तु किसी को समय नहीं दिया जा सका है। पर एक अखबार ने मोहन भागवत का फर्जी इंटरव्यू प्रकाशित कर दिया। 30 अगस्त 2009 को राष्ट्रीय सहारा ने पृष्ठ 10 पर मोहन भागवत का एक बड़ा साक्षात्कार प्रकाशित किया जिसका शीर्षक था “संघ संकोच नहीं, लिहाज करता है”। कथित साक्षात्कार राकेश आर्य ने किया। वे कई वर्षों से सहारा में कम कर रहे हैं। साक्षात्कार छपते ही संघ और मीडिया जगत में खलबली मच गई। हिन्दी के अनेक संपादकों ने फ़ोन कर एतराज जाहिर भी किया कि उन्हें क्यों नही साक्षात्कार दिया गया?
उधर संघ कार्यालय में विद्यमान संघ के सभी बड़े अधिकारी एवं मोहन भागवत चकित रह गए कि बिना सिर पैर का ‘आधारहीन’ साक्षत्कार कैसे छप गया। संघ ने राष्ट्रीय सहारा से सम्पर्क कर 30 अगस्त को बता दिया कि राकेश आर्य मोहन भागवत से मिले ही नहीं तो साक्षात्कार का प्रश्न ही नहीं उठता है। प्रबंधन से लेकर संपादकों द्वारा औपचारिक एवं अनौपचारिक स्तरों पर संघ को मनाने का प्रयास हुआ कि संघ एक दिन का मोहलत दे, जिससे कि वे खंडन छाप सकें। संघ के सूत्रों के अनुसार खंडन उसी दिन भेज दिया गया था। संघ का लीगल सेल भी सक्रिय हो गया। रात को करीब 11 बजे तक लोग बात करते रहे। दर्जनों पत्रकारों को अनौपचारिक रूप से ‘पैरवी करने के लिए लगाया गया कि संघ इस गलती पर आख बंद कर ले। पर प्रयास निरर्थक साबित हुआ। एक दिन का समय दिया गया, इस शर्त पर कि वे प्रथम पृष्ठ पर यह छापेंगे कि साक्षात्कार काल्पनिक और मनगढ़ंत था। परन्तु सहारा अपने आश्वासन से पीछे हट गया।
इसने आज एक सितम्बर के अंक में संपादक के नाम पत्र में राकेश आर्य का एक पत्र छापा- “हफ्ते के इंटरव्यू के सम्बन्ध में स्पष्टीकरण” शीर्षक से। इसमे आर्य ने लिखा है कि भागवत जब मेरठ से दिल्ली (12, 13, 14 जुलाई की मीटिंग के बाद) आ रहे थे तो उनसे अनौपचारिक बात की गई, जिसे उन्होंने 30 अगस्त को औपचारिक साक्षात्कार के रूप में छाप दिया। संघ सूत्रों के अनुसार भागवत उनसे तब मिले ही नहीं थे। संघ में हर बात का ध्यान रखा जाता है और इसका रिकॉर्ड भी होता है कि कौन इसके मुखिया से कब और किस उद्देश्य से मिला है। संघ सूत्रों के अनुसार संघ के लोग एक दो दिन में प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सार्वजनिक रूप से उस काल्पनिक साक्षात्कार की भर्त्सना करेंगे। संघ के लोग प्रेस काउंसिल और न्यायालय जाने पर भी गंभीरता से विचार कर रहे हैं।