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छंटनीबाज राघव बहल ने लिखी किताब

: सैकड़ों को अचानक सड़क पर लाने वाले शख्स ने ‘महानता’ की दिशा में लगाई एक और छलांग : छंटनी के नाम पर सैकड़ों मीडियाकर्मियों की एक साथ नौकरियां लेने वाला कुख्यात छंटनीबाज मीडिया उद्यमी राघव बहल अब किताब का लेखक भी बन गया है. उसने भारत और चीन पर केंद्रित ‘सुपर पावर’ नाम से एक किताब लिखी है. पता नहीं, खुद लिख है या किसी और से लिखवाया है. बड़े लोग अक्सर पैसे देकर दूसरों से लिखवाकर अपने नाम से छाप देते हैं.

<p style="text-align: justify;">:<strong> सैकड़ों को अचानक सड़क पर लाने वाले शख्स ने 'महानता' की दिशा में लगाई एक और छलांग </strong>: छंटनी के नाम पर सैकड़ों मीडियाकर्मियों की एक साथ नौकरियां लेने वाला कुख्यात छंटनीबाज मीडिया उद्यमी राघव बहल अब किताब का लेखक भी बन गया है. उसने भारत और चीन पर केंद्रित 'सुपर पावर' नाम से एक किताब लिखी है. पता नहीं, खुद लिख है या किसी और से लिखवाया है. बड़े लोग अक्सर पैसे देकर दूसरों से लिखवाकर अपने नाम से छाप देते हैं.</p>

: सैकड़ों को अचानक सड़क पर लाने वाले शख्स ने ‘महानता’ की दिशा में लगाई एक और छलांग : छंटनी के नाम पर सैकड़ों मीडियाकर्मियों की एक साथ नौकरियां लेने वाला कुख्यात छंटनीबाज मीडिया उद्यमी राघव बहल अब किताब का लेखक भी बन गया है. उसने भारत और चीन पर केंद्रित ‘सुपर पावर’ नाम से एक किताब लिखी है. पता नहीं, खुद लिख है या किसी और से लिखवाया है. बड़े लोग अक्सर पैसे देकर दूसरों से लिखवाकर अपने नाम से छाप देते हैं.

बड़े लोगों के ऐसे फर्जीवाड़ों के सैकड़ों उदाहरण मिल जाएंगे. कहते भी हैं, समरथ को नहीं दोष गुसाईं. वे जो कर जाएं, सब दोषमुक्त है. कई बड़े हिंदी अखबारों के मालिकों-संपादकों के संपादकीय व लेखों का लेखन उन्हीं के यहां काम करने वाला कोई पत्रकार करता है. राघव बहल के मामले में क्या है, यह तो नहीं पता लेकिन इतना पता है कि उनकी किताब की जय जय करने ढेर सारे कथित बड़े बड़े लोग आए थे. वजह भी है. अब अगर किसी बड़े आदमी ने किताब को जन्म दिया है तो उसका समारोह भी भव्य होना ही चाहिए. बड़ा आदमी घटिया काम करे तो भी उसका प्रचार-प्रसार-लोकार्पण-उदघाटन बड़े तामझाम से किया जाता है. यहां तो बात किताब के विमोचन की थी. सो, एक से बढ़कर एक नामी गिरामी लोग राघव बहल की किताब के विमोचन समारोह में पहुंचे. कमलनाथ, नंदन नीलकेनी, बिमल जालान, शेखर गुप्ता, एस. दामोदरन, राजदीप सरदेसाई, मणि शंकर अय्यर जैसे लोगों ने किताब की तारीफ में तारीफ के पुल बांध दिए. सबने राघव बहल की जय जय की.

राघव बहल नेटवर्क18 समूह का संस्थापक और मैनेजिंग डायरेक्टर है. काफी संघर्ष करके और खूब मेहनत करके इसने अपना मीडिया इंप्यार खड़ा किया. लेकिन जब एक बार आदमी बड़ा हो जाता है तो अपनी असली औकात भूल जाता है. हर आदमी की असली औकात होती है आदमियत, मनुष्यता, मानवीयता. पर  आर्थिक रूप से समृद्ध हुआ आदमी सबसे पहले भूलता है आदमियत, मनुष्यता, मानवीयता. पश्चिम के ढर्रे पर अपने देश में भी उद्यमी बनने व आर्थिक रूप से उन्नति करने का चलन है. सो, पश्चिम की तरह यहां के भी उद्यमी आर्थिक रूप से सफल होकर संवेदनहीन व मनुष्य विरोधी हो जाते हैं. राघव बहल ने पिछले दिनों अपने ग्रुप के कई चैनलों से अचानक सैकड़ों लोगों को सड़क पर ला दिया. उस प्रकरण की पूरी कहानी भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित की जा चुकी है, उसे दुबारा पढ़ने के लिए क्लिक कर सकते हैं-

250 कर्मियों के पेट पर लात मारने के अपराधी हैं ये दो

अचानक इतना स्टाफ फालतू क्यों नजर आने लगा?

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0 Comments

  1. xyz

    August 18, 2010 at 9:30 am

    Dear Yashwant,

    Aap kaafi achcha likhte hain aur Raghav bahal ke baare mein jo likha, wo humare qanoon ka dosh hai .
    Par ek aham sawal :- Aap apni website ki vishwasniyata ko banaye rakhne ke liye har kisi ko KUCH BHI – BINA PROOF KE likhne ki parampara ko band kar de. Aap ka andaaz achcha hai aur shaayad neeyat bhi , par tariqua ajeeb hai . agar kisi ko bhi kuch bhi likne ki parampara ko aap yun hi aage badhaate rahe to kal ko koi ye bhi kah sakta hai ki YASHWANT BADA KHARAB AUR GANDA INSAAN HAI. aur agar aap IMAANDAAR honge to ise bhi publish karenge , par is se YAHWANT jaise logon ki BEWAZAH pratishtha giregi .Abhivyakti ki AAZAADI ka matlab ye nahi, ki jo man mein aaya wo saarwajanik taur par chaap de ya bol de , PAHLE US BAAT KA SATYAAPAN KARE AUR PHIR CHAAPEIN , ANYATHA YAHAN LOG AADARSH SE AADARSH VYAKTI KA CHARITRAHANAN KARNE SE BAAZ NAHI AATE. UNHE SIRF bhadas4media JAISA PLATEFORM CHAAIYE . BHAGWAAN NE MUH DIYA HAI AUR bhadas4media JAISA PLATEFORM to log ye samajhte hain ki BINA THOS PRAMAAN ke kuch bhi bolna, abhivyakti ki swatantrata hai. PAR EK ZIMMEDAAR PUBLISHER KO SAMJHANA CHAAIYE KI Abhivyakti ki swatantrata AUR uske prabhav ka asar samaaj aur vyakti par kis tarah padta hai ? AASHA HAI KI KAL KO KOI bhadas4media KE ZARIYE YE KAHE KI Yashwant bada kharab aur ganda aadmi hai, US SE PAHLE AAP UN LOGON SE PRAMAAN MANGIYE jo BEWAZAH yashwant jaise achche vichaaron waale vyakti par ungli uthaane ke liye BHADAS4MEDIA ka istemaal dhaddale se karta hai, SIRF APNI BHADAS NIKAALANE KE LIYE . PAR USE YE SAMAJHANA CHAAIYE KI APNI BHADAS NIKAALNE KE HUM BINA PRAMAAN KE KISI KO BHI GAALI DETE RAHE YA PHIR USKAA CHARITRHANAN KARTE RAHE. UMMID ! AAP IS SUJHAV PAR GAUR KARENGE. SARWAADHIKAAR AAP KE PAAS SURKSHIT HAI, LIHAZAA SIRF REQUEST KAR SAKTA HUN.

  2. Amit lal

    August 18, 2010 at 12:58 pm

    helo Mr. xyz…atlest show ur guts to tell ur name. dont lecture a person like yashwant jee.

  3. Sadashiv Tripathi

    August 18, 2010 at 1:43 pm

    Jaswant Bhai!
    Eh Jine Bahut Umda Hai. Sadhubad!!!!! हर आदमी की असली औकात होती है आदमियत, मनुष्यता, मानवीयता. पर आर्थिक रूप से समृद्ध हुआ आदमी सबसे पहले भूलता है आदमियत, मनुष्यता, मानवीयता.

  4. arvind singh

    August 18, 2010 at 2:13 pm

    tv 18 group se jude kuch safedposh logo ke liye sabbot ki darkar XYZ tume hai kya…bahut hai ….par iske liye tumhari aukat us level ki honi chaiye ke tumhe kuch bataya jaye….. tum abhi is kali duniya ke liye balak ho….balak he raho…..
    may be bahel is ur father…mother…watever….but he is not a gud person….UNDERSTAND….aisi kitabe raddi ke bhav bhi nahee bikti….aur kitabe wo likhte hai jinhe adarshwad ka dhong karna hota hai…varna lekhak to kuch bhi likhe wo kitab itihas ban he jati hai….

  5. Sagar

    August 18, 2010 at 8:25 pm

    Tv 18 group me naukari ya vahan se Advert. nahin mila kya jaswant bhai

  6. ajit singh yadav

    August 19, 2010 at 3:04 pm

    बड़े लोगों के ऐसे फर्जीवाड़ों के सैकड़ों उदाहरण मिल जाएंगे.;D

  7. saurabh m

    August 21, 2010 at 9:45 am

    persons such as raghv bahel are businessman. they don’t concern for employees. aur rajdeep sardesai, shekhar gupta ya manishankar aiyar koi krantikari toh nahi jo book launch par nahi jaye. woh bhi apni halat se majboor hai.
    gist yeh hai ki business mai fayda aur levish lifestyle jab priority ho toh kisi garib ki naukri jaane ki chinta kise hogi.

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