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वरिष्ठों के खराब व्यवहार से मानसिक रोगी हुईं दो लड़कियां

सीनियर्स बनें मार्गदर्शक न कि राजनीतिज्ञ : अमृतसर क्षेत्र में पत्रकारिता करते हुए मुझे तीन साल हो चुके हैं। इस दौरान मैंने 6 महीने लोकल चैनल, दो साल भास्कर में स्टिंगर के तौर पर फुल टाइम काम किया और अब दैनिक उतम हिंदू में स्टाफ रिपोर्टर की भूमिका निभा रहा हूं। इन तीन सालों के दौरान मेरे साथ ऐसे 18 युवाओं ने भी काम किया, जो आज पत्रकारों के अभद्र व्यवहार के कारण इस क्षेत्र से कोसों दूर जा चुके हैं। इस क्षेत्र में काम करने के दौरान कइयों के साथ तो ऐसा व्यवहार किया गया, जिसके कारण वे आज मानसिक रोगी भी हो चुके हैं। इसमें से दो लड़किया थीं।

<p align="justify"><font color="#003366">सीनियर्स बनें मार्गदर्शक न कि राजनीतिज्ञ : </font>अमृतसर क्षेत्र में पत्रकारिता करते हुए मुझे तीन साल हो चुके हैं। इस दौरान मैंने 6 महीने लोकल चैनल, दो साल भास्कर में स्टिंगर के तौर पर फुल टाइम काम किया और अब दैनिक उतम हिंदू में स्टाफ रिपोर्टर की भूमिका निभा रहा हूं। इन तीन सालों के दौरान मेरे साथ ऐसे 18 युवाओं ने भी काम किया, जो आज पत्रकारों के अभद्र व्यवहार के कारण इस क्षेत्र से कोसों दूर जा चुके हैं। इस क्षेत्र में काम करने के दौरान कइयों के साथ तो ऐसा व्यवहार किया गया, जिसके कारण वे आज मानसिक रोगी भी हो चुके हैं। इसमें से दो लड़किया थीं। </p>

सीनियर्स बनें मार्गदर्शक न कि राजनीतिज्ञ : अमृतसर क्षेत्र में पत्रकारिता करते हुए मुझे तीन साल हो चुके हैं। इस दौरान मैंने 6 महीने लोकल चैनल, दो साल भास्कर में स्टिंगर के तौर पर फुल टाइम काम किया और अब दैनिक उतम हिंदू में स्टाफ रिपोर्टर की भूमिका निभा रहा हूं। इन तीन सालों के दौरान मेरे साथ ऐसे 18 युवाओं ने भी काम किया, जो आज पत्रकारों के अभद्र व्यवहार के कारण इस क्षेत्र से कोसों दूर जा चुके हैं। इस क्षेत्र में काम करने के दौरान कइयों के साथ तो ऐसा व्यवहार किया गया, जिसके कारण वे आज मानसिक रोगी भी हो चुके हैं। इसमें से दो लड़किया थीं।

एक बार मेरे सीनियर ने मुझे जबरदस्ती मेंटल हास्पिटल ले जाने की जिद से आफिस में बखेड़ा भी खड़ा किया। मैं नौकरी नहीं छोड़ सकता था क्योंकि मेरी आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी। आज मैं अपनी एजुकेशन के साथ-साथ इस क्षेत्र में बिना रुके सक्रिय हूं, इसके लिए मैं कई वरिष्ठों का आभारी हूं। अगर मुझे प्रताड़ित न किया जाता तो कई चीजें मैं सीख न पाया होता, देश-दुनिया और दुनियादारी का ज्ञान न हो पाता। 2010 की शुरुआत में मेरी एक ऐसे युवक से मुलाकात हुई, जो पत्रकारिता करने के लिए किसी बड़ी कंपनी में 14,000 रुपये की जॉब छोड़कर प्रिंट मीडिया के एक बड़े ग्रुप के साथ जुड़ गया और 1000 रुपये महीने में काम करने लगा। लेकिन बाद में गलती का अहसास होने पर उसने घर का रास्ता नाप लिया। ऐसे कई नए चेहरे हर साल कालेज पास करने के बाद प्रिंट एंव इलेक्ट्रानिक मीडिया में नजर आते हैं, लेकिन सीनियर्स द्वारा युवाओं का शोषण किए जाने से ढेर सारे लोग अपने-अपने घरों को लौट जाते हैं।

मैं सोचता हूं कि हमारे सीनियर्स को मार्गदर्शक बनना चाहिए, न कि राजनीतिज्ञ। माफी चाहूंगा कि आज मुझे यह बात अपने पत्रकार साथियों को याद करानी पड़ रही हैं। लेकिन अब यह जरूरी है क्योंकि हमीं में से कुछ लोग इतने स्वार्थी हो जाते हैं कि किसी दूसरे की कामयाबी को रोकने के लिए अपने स्तर को नीचे गिरा लेते हैं। इसके कारण जाने कितने युवा पत्रकार पत्रकारिता के क्षेत्र में कामयाबी न पाने की शर्म के कारण समाज के लोगों के बीच बैठना पसंद नहीं करते। इस बात को आपके समक्ष रखने का मुख्या उदेश्य यही है कि भविष्य में आपकी कोई गलती किसी के जीवन को गलत रास्तों पर न धकेल दे। अगर आपके आस-पास किसी का शोषण हो रहा है तो उसे रोकने की कोशिश करें। उम्मीद है जो मैं कहना चाह रहा हूं वह आप समझ रहे होंगे।

धन्यवाद

रघु राजा

रिपोर्टर, दैनिक उतम हिंदू

अमृतसर

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0 Comments

  1. MRIGYA

    March 11, 2010 at 2:18 am

    YE KOI IN DO LDKIYON KI KAHANI NHI HAI,AKSAR CHANNELS ME VARISHTHHA KARMCHRI,AISA VYVHAR KARTE HAI JISE DEKHKAR LAGTA HAI KI PATRAKARITA KE KSHETRA ME AAKAR KOI GUNAH KAR DIYA,AAJ AGAR KOI JUGAD HO YA AAP KISI VISHESH ILAAKE SE HAIN TO APKO PATRAKARITA KA P BHI JANNE KI ZARURAT NAHI VARNA TO KAB KISI YOGYA VYAKTI KO JO SAALO SE IMAANDARI SE KAAM KAR RAHA HAI,USE EK JHATKE SE SABSE NICHLE JAGH PAR PATAK DIYA JATA HAI. AISE ME MANSIK ROGI NAHI BANEGA TO KYA BANEGA.MJBURI KE CHALTE SAB BARDASHT KIYA JATA HAI KYONKI PAISA AJ KI SABSE AHEM ZARURAT HAI.NOKRI KHO DENE KA DAR VO SAB KUCHH KARATA HAI JO HUMNE NA KABHI KIYA NA KARVAAYA.LAKIN EK SAWAAL HAR US VYAKTI SE KI KYA WO PAIDAISHI PATRAKAR HAIN YA UNHE KABHI KUCHH SIKHNE KI ZARURAT HI NAHI PADI,YA PHIR GHAR ME BHI VO PARIJANO SE AISA HI VYAVHAAR KARTE HAIN.KHUD KO KABHI APNE SE NEECHE KAAM KAR RAHE LOGON KI JAGAH RAKHKAR DEKHEN SHAYAAD EHSAAS HO,BASHARTE INSAANI EHSAAS BAAKI HO.

  2. vicky

    March 10, 2010 at 8:02 am

    raghu ji main bhi aapse puri tarah sehmat hoon. waise amritsar mein bahut se reporter aise bhi hain jinka itna shoshan kiya jata hain ki unhe raat ko neend bhi nahin aati !! kuch bhi ho raghu ji aapne apni jo bhi feeling jahir ki hain usse seniors ko kuch toh sharm ayegi……….

  3. mayank jain

    March 9, 2010 at 11:55 am

    raghu ji aap ki baat bilkul sahi hai. lakine hum in bato ko ignore karke keval kaam per dhyan denge to koi senior humara kuch nahi bigad payega. sahi time ka wait karene humari pratibha ke aage sub pani barenge.

  4. ashu

    March 9, 2010 at 12:05 pm

    sahi baat he par kya kebal senior he doshi he? unke paas anubhav ka khajana he use pane ke liye pariksha to dena he hogi .senior hame beta man kar kaam sekha de to paper line ke liya achcha hoga:-*

  5. ashu

    March 9, 2010 at 12:06 pm

    ashish soni sr. sub editor rajexpress bpl

  6. deepesh jain

    March 9, 2010 at 8:32 am

    bilkul sahi hai mere hakikat likhne ke liye maine tumhe salam kata hon.

  7. gauri narang

    March 9, 2010 at 7:54 am

    this is the right way to show the social problems in corporate world.explotation is the problem which is happen wid women employees in media also.

  8. sapan yagyawalkya

    March 8, 2010 at 10:27 pm

    Patrakarita main naye aane wale log urja se bharpur hote hain. yadi varishthon ke anubhav aur is urja main samanvay ho jaye to sone main suhaga hai.sapan yagyawalkya BareliMP

  9. Rishi Naagar

    March 8, 2010 at 8:09 am

    Dear raghu raja ji…you are at least in right hands now…Mr Irwin Khanna and his son are gems of the persons and dont mistake to leave them. You may get less but you will learn a lot. You may have people like Neer and others, beware of them, they are all spineless people, without ethics and morals. Good Luck and go ahead!

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