Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

ये राज है बाबू, यहां कुछ भी हो सकता है!

: इंदौर में एक लाख कापियां बेचना चाहते हैं : प्रसार विभाग को जरूरत 400 की, आया एक भी नहीं : स्टाफ पर खबरों की खरीद-फरोख्त के लिए दबाव : राज एक्सप्रेस का इंदौर संस्करण अब तीन रुपये का हो गया है. इस तरह राज दैनिक भास्कर के बाद इंदौर का सबसे महंगा अखबार है. अब राज एक्सप्रेस का प्रबंधन चाहता है कि इंदौर में कम से कम एक लाख कॉपियां बेची जाए. प्रबंधन ने इसके लिए सर्कुलेशन के 400 लोगों का स्टॉफ नियुक्त करने की तैयारी की थी.

<p style="text-align: justify;">:<strong> इंदौर में एक लाख कापियां बेचना चाहते हैं : प्रसार विभाग को जरूरत 400 की, आया एक भी नहीं</strong> : <strong>स्टाफ पर खबरों की खरीद-फरोख्त के लिए दबाव </strong>: राज एक्सप्रेस का इंदौर संस्करण अब तीन रुपये का हो गया है. इस तरह राज दैनिक भास्कर के बाद इंदौर का सबसे महंगा अखबार है. अब राज एक्सप्रेस का प्रबंधन चाहता है कि इंदौर में कम से कम एक लाख कॉपियां बेची जाए. प्रबंधन ने इसके लिए सर्कुलेशन के 400 लोगों का स्टॉफ नियुक्त करने की तैयारी की थी.</p>

: इंदौर में एक लाख कापियां बेचना चाहते हैं : प्रसार विभाग को जरूरत 400 की, आया एक भी नहीं : स्टाफ पर खबरों की खरीद-फरोख्त के लिए दबाव : राज एक्सप्रेस का इंदौर संस्करण अब तीन रुपये का हो गया है. इस तरह राज दैनिक भास्कर के बाद इंदौर का सबसे महंगा अखबार है. अब राज एक्सप्रेस का प्रबंधन चाहता है कि इंदौर में कम से कम एक लाख कॉपियां बेची जाए. प्रबंधन ने इसके लिए सर्कुलेशन के 400 लोगों का स्टॉफ नियुक्त करने की तैयारी की थी.

लेकिन अफसोस की बात यह कि अब तक एक भी आवेदन राज एक्सप्रेस के दफ्तर में नहीं पहुँचा. कारण यह कि अखबार से जुड़ा हर व्यक्ति जानता है कि इंदौर में एक लाख के आंकड़े तक पहुँचना हँसी खेल नहीं नहीं है. वह भी राज एक्सप्रेस जैसे अखबार के लिए जिसके मैनेजमेंट की सनक के कई किस्से रोज हवा में रहते हैं. यहाँ रातों रात किसी को भी संपादक, समूह संपादक, वाईस प्रेसीडेंट सर्कुलेशन और इसी तरह के पद बाँट दिए जाते हैं. एक लाख सर्कुलेशन भी इसी तरह की सनक का एक हिस्सा है. मैनेजमेंट को 400 पदों के जवाब में एक भी आवेदन न मिलने से ही समझ लेना चाहिए कि राज को लेकर इंदौर में क्या सोच है.

मध्य प्रदेश की पत्रकारिता में राज एक्सप्रेस प्रयोगों के लिए पहचाना जाने वाला अखबार है. इंदौर से अखबार का पूरा संस्करण निकलता था, लेकिन करीब साल भर से इंदौर संस्करण के कामकाज को सीमित कर दिया और मूल अखबार के सभी पेज भोपाल से भेजना शुरू कर दिए. इंदौर में एक पुल आऊट बनता है. यानी पूरा अखबार भोपाल की खबरों और फोटो से भरा रहता है, पर उसे इंदौर में बेचने की कोशिश की जाती है. जबकि इंदौर और भोपाल के पाठकों में काफी फर्क है. लेकिन मैनेजमेंट की सनक कि हम तो ऐसा अखबार ही निकालेंगे, खरीदना और पढ़ना हो, तो यही पढ़ो! राज एक्सप्रेस में प्रबंधन का मतलब है अरूण सहलोत. वे मूलत: बिल्डर हैं पर अब अपने कामकाज को बचाने के लिए अखबार का सहारा लेते हैं. खास बात यह कि उनका साथ देने वालों में कभी हृदयेश दीक्षित हुआ करते थे, जो तीन साल तक समूह संपादक रहे, अब उनकी जगह रविंद्र जैन ने ली है. उनकी उपलब्धियाँ भी हृदयेश की तरह शून्य है. पर सहलोत के जी हुजूरिए बनकर वे चांदी के सिक्के चलाने की कोशिश में हैं.

मूल मुद्दा यह कि मध्य प्रदेश की पत्रकरिता जो काफी समृद्ध हुआ करती थी, अब पूरी तरह नौसिखियों और ऐसे लोगों के हाथ में चली गई है जो खबरों की खरीद फरोख्त में जरा भी कोताही नहीं बरतते. यहाँ पूरे स्टॉफ को इस बात के लिए हमेशा दबाव में रखा जाता है कि चाहे जैसे भी हो, अखबार को कमाई करके देना है. एक लाख का सर्कुलेशन का फंडा और 400 लोगों की नियुक्ति की कोशिश इसी का हिस्सा है. जबकि, सबको पता है कि एड़ी चोटी का जोर लगाकर भी इंदौर में अब किसी के लिए पचास हजार तक भी पहुँचना मुश्किल है.

राज एक्सप्रेस में वरिष्ठ पद पर कार्यरत एक मीडियाकर्मी की चिट्ठी पर आधारित. उन्होंने अपना नाम न प्रकाशित करने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा है कि पत्र में लिखी गई प्रत्येक बात सच है. राज प्रबंधन अगर अपनी तरफ से कुछ कहना चाहता है तो उनका स्वागत है. वे अपनी प्रतिक्रिया [email protected] पर मेल कर सकते हैं. -एडिटर

Click to comment

0 Comments

  1. kamta prasad

    August 19, 2010 at 4:48 am

    इनके यहां एक डीजीएम थे उपदेश अवस्‍थी, लखनऊ में वे आंख के अंधे गांठ के पूरे व्‍यक्ति की तलाश कर रहे थे जो उन्‍हें यहां से संस्‍करण छाप कर पहले दिन से मुनाफा दिलाये। अखबार को कहीं और छपना था। मुनाफे के लिए बनिये पगलाये रहते हैं यह बात तो समझ में आती है लेकिन इतने मूर्ख भी वे हो सकते हैं इसका पता आज चला।

  2. rakesh pathak gwalior

    August 19, 2010 at 8:02 am

    bilkul sahi likha hai. ravendra jain ke bare me koun nahi janta. dekhne bali baat yaha hai ki ravindra jain zeeeee hajoooooore kar kab tak tik pate hai. bhadas par he pada tha ki inka betan ek lakh Rs maheena hai.

  3. indore se

    August 19, 2010 at 8:41 am

    राज ही क्यों, पीपुल्स क्या कम है
    खबर पढ़ी कि राज एक्सप्रेस इंदौर में काम करने वालों सर्कुलेशन बढ़ाने के लिए प्रबंधन का दबाव है। राज एक्सप्रेस में कितना दबाव है यह तो नहीं बता सकता पर पीपुल्स समाचार इंदौर में क्या चल रहा है, इसका खुलासा अवश्य कर सकता हूं। यहां भी अखबार सर्कुलेशन की जंग में दम तोड़ रहा है पर पिछले दिनों इस अखबार का सर्कुलेशन संभालने वाले एक सीनियर व्यक्ति के साथ इंदौर से पधारे अखबार के सबसे बड़े नौकर ने जो कुछ भी किया, उसे लेकर पीपुल्स समाचार इंदौर में काम करने वाले सभी लोग दहशत में हैं। इस सबसे बड़े नौकर ने सर्कुलेशन संभालने वाले इस छोटे नौकर के साथ जी भर के बदसलूकी की। वो भी आधी रात को। रात में उनकी क्या हालत रहती है, यह बात मालिकों से लेकर अखबार में काम करने वाले किसी भी नौकर से नहीं छिपी है। इसी हालत में उन्होंने छोटे नौकर को कॉलर पकडक़र पूरे दफ्तर में घुमाया और सभी के सामने यह कहकर प्रताडि़त किया कि मैं पाई-पाई का हिसाब लेकर रहूंगा। इसके बाद उनके मुखारबिंद से जो शब्द निकले, वे तो यहां लिखे ही नहीं जा सकते। वहीं जैसे ही यह बात भोपाल में बैठे मालिकों के कानों में पहुंची की भोपाल से इंदौर पहुंचे शख्स ने इंदौर में काम करने वाले छोटे नौकर के साथ बदसलूकी की है तो भोपाल से तुरंत मालिक के रिश्तेदार इंदौर पहुंचे और बदसलूकी करने वाले को अपने साथ लेकर भोपाल ले गए। हालांकि यह काम करना बड़े नौकर का जॉब का हिस्सा नहीं है फिर भी इन्होंने मर्यादा से बाहर जाकर अपना कथित टे्रलर जमकर पेला। सभी लोग खामोश रहे। चुपचाप इनकी दादागिरी सहते रहे। नौकरी जो करनी है। वहीं जिस व्यक्ति के साथ बदसलूकी हुई वह नौकरी छोडऩे का मन बना चुका है। दरअसल यह सब मामला अखबार के साथ दी जाने वाली फ्री गिफ्ट को लेकर जुड़ा हुआ है। अखबार प्रबंधन का कहना है कि तमाम गिफ्ट बांटने के बाद भी अखबार इंदौर में उठ क्यों नहीं पा रहा। यहां यह भी बताना मुनासिब है कि इंदौर में अखबार को लांच हुए एक साल होने को आ रहा है पर अखबार के अभी तक पूरे ब्यूरो नहीं खुल पाए हैं। इसलिए न तो अखबार इंदौर में जम पा रहा है न ही इंदौर से बाहर दिख पा रहा है।

  4. bpl

    August 19, 2010 at 10:41 am

    raj or peoples to fir bhi thik hai arun sahlot k naksekadam par chalte huye daddaji farmhouse ne weekly shuru kia or surkulation me 4 logo ko rakha or unse kaha gaya 1 din me akhbar ki 100booking k sath famhouse bhi book karvaye natiza sarculation wale bhag khade huye itna hi nahi editorial me bhi 1 bande se poora kaam karana chahte they vo bhi gaye asal me daddaji ke sanchalak sare kaam gundagardi k style me karvana chahte hai

  5. Rajeev Dixit

    August 21, 2010 at 12:07 pm

    Yashwant Je Namaskar, Es mai koi do rai nahe k Raj mai Dada geere or Chaaplusee He Chalte hai…?????? Bhai Raj K Barey mai kon nahe Janta… yahaa par to Raj k employee he khud ko surakshit nahe mantey…? Pata nahe C.M.D Kab Sanak Jai…??? Raj Ka graaf kam honey ka yahe karan hai…????? Ak Bhadaseyaaa

  6. aman

    August 21, 2010 at 7:02 pm

    PEOPLES KI HALAT PATLI HO CHUKI HAI YAHA KE MALIK BHI RAJ KE MALIK KI TARAH HI HAI INKO BHI AKHBAAR CHALANA NAHI AATA .JABALPUR ME TO YE PEHLE DIN HI DUM TOD GAYE THE .PEOPLES ME TO VAHI NOUKRI KAR SAKTA HAI JISE APNA SWABHIMAAN KHONA HO JABSE BAJAJ SAHAB AAYE HAI TABSE PEOPLES KI BAND BAJ GAI HAI . COPIES TO BADI NAHI ULTA HASI ALAG HO RAHI HAI .
    yadi peoples ko sahi maayne me akhbaar chalana hai to bajaj sahab ko bahar ka raasta dikha de to kuch ho sakta hai nahi to aap swaym samjhdaar hai.

  7. Dr rakesh pathak

    August 22, 2010 at 4:17 pm

    yashwant ji
    pichhle kuchh din se bhadas par kisi Rakesh Pathak gwalior ke comments aa rahe hain .mujhe aapke dhyan main sirf ye baat lana hai ki ye rakesh pathak koi bhi ho sakte hain vo main nahi hoon .maine aaj se pahle kabhi kisi vishay par koi comment nahi kiya.kisi bhi vyakti vishesh par comment karna main theek bhi nahi samajhta.
    mera aapse anurodh hai ki agar mumkin ho to is baat ka khulasa aap bhadas par kar dijiye ki jo bhi comments pichhle dino rakesh pathak gwl naam se aaye hain vo Dr.rakesh pathak editor naidunia gwalior ki taraf se nahi hain .jin bhi vyaktiyon ke bare main comments aaye hain ve sab log bhi kripa karke mujh ko lekar koi galat-fahmi na banayen .maine aaj tak kabhi koi comment nahi kiya.
    yashwant ji bhavishya main aap thodi -si savadhani rakhenge aisa mujhe yakeen hai . TAKI SNAD RAHE OR VAKT PAR KAAM AAYE.
    Shukriya.
    Dr rakesh pathak
    naidunia gwalior

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Advertisement

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement