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रजत शर्मा पर बड़े उपकार हैं अरुण जेटली के

आलोक तोमरदूरदर्शन की दक्षिणा से शुरू हुआ था इंडिया टीवी : एक टीवी चैनल स्थापित करने में करोड़ों रुपए लगते हैं और उसे चलाने में भी करोड़ों रुपये हर साल लगते हैं। दिल्ली में एक ऐसा टीवी चैनल है जिनका मालिक कश्मीरी गेट के एक अपेक्षाकृत गरीब परिवार में पैदा हुए थे।

आलोक तोमर

आलोक तोमरदूरदर्शन की दक्षिणा से शुरू हुआ था इंडिया टीवी : एक टीवी चैनल स्थापित करने में करोड़ों रुपए लगते हैं और उसे चलाने में भी करोड़ों रुपये हर साल लगते हैं। दिल्ली में एक ऐसा टीवी चैनल है जिनका मालिक कश्मीरी गेट के एक अपेक्षाकृत गरीब परिवार में पैदा हुए थे।

एक ही कमरे में दर्जनों लोग सोते थे। बात इंडिया टीवी के मालिक रजत शर्मा की हो रही है। रजत शर्मा को जिंदगी में पत्रकारिता का ब्रेक जल्दी मिला। वे प्रभु चावला के अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और दिल्ली विश्वविद्यालय के जमाने के साथी हैं। भले ही प्रभु चावला जैसा होने का इल्जाम उन पर नहीं लगाया जाता लेकिन साइकिल से आधुनिकतम कारों और भूत- प्रेत दिखा कर ही सही, सफल होने वाले टीवी चैनल की सफलता की कहानी उनसे जुड़ी है। सफलता की इस कहानी के पीछे की कहानी आपको बतानी है।

साल सन 2000 था। सरकार अटल बिहारी वाजपेयी की थी। सूचना और प्रसारण मंत्री देश के जाने माने वकील और भाजपा के ताकतवर नेताओं में से एक अरुण जेटली हुआ करते थे। रजत शर्मा जिन्होंने प्रेस इंन्फॉरमेशन ब्यूरो का कार्ड लेने के लिए ग्वालियर के एक अखबार दैनिक स्वदेश से फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र लिया था, जी टीवी के जरिए और आपकी अदालत जैसे सफल प्रोग्राम के रास्ते टीवी की दुनिया में आए थे। मगर उनका असली उद्धार उनके पुराने नेता और दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष रहे अरुण जेटली ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय के जरिए किया।

अरुण जेटली ने रजत शर्मा की कंपनी, जो वे अपनी दूसरी पत्नी रितु धवन के साथ चला रहे थे और चला रहे हैं, इंडीपेंडेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, को डेढ़ घंटे का दैनिक कार्यक्रम बनाने के लिए सन 2000 में 55 लाख रुपए प्रति माह दूरदर्शन से देने का करार कराया था। यह करार इसलिए विचित्र था कि तकनीकी साधन और कर्मचारी भी दूरदर्शन के ही काम करते थे और कई बार दूरदर्शन का ही फुटेज इस्तेमाल किया जाता था, मगर रजत शर्मा की कंपनी को 55 लाख रुपए हर महीने मिलते रहते थे।

यह राज्यसभा का रिकॉर्ड कह रहा है। महान पत्रकार और आपातकाल में रजत शर्मा से ज्यादा जेल में रहे और माफी मांग कर बाहर नहीं निकले कुलदीप नायर ने राज्यसभा के सदस्य की हैसियत से सूचना और प्रसारण मंत्री अरुण जेटली से यह सवाल पूछा। जवाब मिला था कि सप्ताह में पांच दिन सुबह सेवन टू नाइन नाम का एक समाचार कैप्सूल बनाने के लिए इंडीपेंडेंट मीडिया को 55 लाख रुपए दिए जाते थे। हिसाब लगाएं तो बीस दिन 90 मिनट प्रतिदिन यानी 1800 मिनट का यह कार्यक्रम होता था और इसके लिए 55 लाख का नियमित भुगतान दूरदर्शन से होता था। प्रति मिनट भुगतान की गिनती आप कर लीजिए क्योंकि अपना गणित ज्यादा कमजोर हैं।

कुलदीप नायर ने अरुण जेटली से पूछा था कि उन संस्थाओं और व्यक्तियों के नाम बताए जाएं जिन्हें दूरदर्शन से लगातार पैसा दिया जा रहा है। इनमें इंडीपेंडेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का नाम तो बता दिया गया मगर रजत शर्मा और रितु धवन का नाम नहीं बताया गया। इसके पहले राहुल देव और मृणाल पांडे को डेढ़-डेढ़ लाख रुपए महीने पर समाचार सलाहकार रखा गया था तो काफी हंगामा मचा था।

कुलदीप नायर के सवाल के जवाब में रजत शर्मा और रितु धवन का नाम तो नहीं बताया गया मगर बीएजी फिल्म्स की अनुराधा प्रसाद का नाम बता दिया गया जो कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला की पत्नी हैं और भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद की बहन भी हैं। वे रोजाना के नाम से एक समाचार बुलेटिन बनाती थीं जिसके लिए उन्हें 22 लाख रुपए प्रतिमाह मिलते थे और दूरदर्शन के ढांचे का कोई सहयोग नहीं था। असली मुफ्तखोरी तो रजत शर्मा की कंपनी ने की। इसके अलावा 31 और कंपनियों के नाम थे जिनमें से ट्रांस वर्ल्ड इंटरनेशनल 36 लाख रुपए महीने में दैनिक खेल समाचार देती थी।

दूरदर्शन के ही एक भूतपूर्व कैमरामैन प्रेम प्रकाश की कंपनी एशियन न्यूज इंटरनेशनल – एएनआई को चौदह लाख दस हजार रुपए महीने मिलते थे। रिवर बैंक स्टूडियो सप्ताह में एक कार्यक्रम बनाता था और उसे चौदह लाख साठ हजार रुपए मिलते थे। शैली सुमन प्रोडक्शन को विज्ञान पर साप्ताहिक कार्यक्रम बनाने के लिए दस लाख साठ हजार महीने मिलते थे। टीम वर्ग फिल्म्स और आईएमए के नाम की कपंनी को सप्ताह में तीन बार पंचायती टॉक शो करने के दस लाख चालीस हजार रुपए मिलते थे और वर्ल्ड रिपोर्ट नाम की कंपनी को साप्ताहिक बुलेटिन विश्व समाचारों का निकालने के लिए दस लाख रुपए महीने मिलते थे।

कुलदीप नायर ने जोर देकर अरुण जेटली से पूछा था कि 55 लाख रुपए महीने दूरदर्शन से लूटने वाली इस कंपनी के असली मालिक कौन हैं यानी किसकी जेब में यह पैसा जा रहा है? उन्होंने पूछा था कि वे तीन व्यक्ति कौन हैं जो दूरदर्शन की आउटसोर्सिंग नीति के तहत सबसे ज्यादा कमाई कर रहे हैं? जेटली ने कहा कि दस्तावेजों में सबके नाम हैं। मगर कुलदीप नायर अड़े रहे और अरुण जेटली भी कम नहीं थे इसलिए उन्होंने लिखित बयान में इन सभी कंपनियों के कार्यक्रमों की समीक्षा पेश कर दी।

उन्होंने तो यहां तक कह डाला कि वीर सांघवी, नलिनी सिंह, मृणाल पांडे, चंदन मित्रा और सईद नकवी जैसे बड़े नामों को जोड़ कर उन्होंने अच्छा काम किया हैं। मृणाल पांडे अब प्रसार भारती की मुखिया बन गई हैं और रजत शर्मा अब इंडिया टीवी चलाते हैं और लोगों को डराते हैं। चंदन मित्रा दूसरी बार भाजपा की ओर से सांसद बने हैं और सईद नकवी अपने आप में इतने बड़े पत्रकार रहे हैं कि उनकी कोई कीमत नहीं लगाई जा सकती। नाम-चेहरे सब कायम हैं। कोई दक्षिणा लेकर गुरु घंटाल बन गया तो कोई दक्षिणा पर लात मारकर गुड़-गोबर रह गया। लेकिन इतिहास का नाम कुछ दशक की कहानी पढ़ना-पढ़ाना नहीं होता। भविष्य लालचियों और घपलेबाजों का नहीं ही है, आज भले बाजारू सफलता उन्हें चकाचौंध कर रही हो, आत्ममुग्ध कर रही हो।

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लेखक आलोक तोमर देश के जाने-माने पत्रकार हैं.

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0 Comments

  1. raj

    June 22, 2010 at 9:00 am

    Hum bewajah Rajat ” ji” ko kos rehe hai…asli doshi to Jaithley jaise Neta hai jo Air Condition kamro se rajneeti kerte hai. aur Jinhone Rajat ” Ji ” Jaise Mulya-Dhanya patrkaro ko poshit kiya.. Media as a ” institution” ko Jitna nuksaan Rajat “Ji ” ne pahunchaya hai..Itihaas unhe yaad rakhega..

  2. rabindra kumar

    June 22, 2010 at 9:34 am

    तोमर जी आप किसी जमाने में इंडिया टीवी के सीनियर एडिटर हुआ करते
    थे। और आपको इंडिया टीवी ने कुछ ही दिनों में गुडबांय कह दिया था। आपको नहीं लगता है कि आप कहीं न कही अपनी भड़ास निकाल रहें हैं। उन गड़े मुर्दों को उखाड़ रहे हैं जिनका आज कोई लेना-देना नहीं है। अगर आप कर सकते हैं तो आप किसी चैनल के मालिक बन जाइए।

  3. ajeet

    June 22, 2010 at 11:27 am

    Alok Tomar anokhe journalist hai, jo khabar kam khabarnisho ke bare me jyada likhate hai. Aisi ghatia soch ke liye badhai jane mane patrakar saheb.

  4. rajendra bisht

    June 22, 2010 at 12:01 pm

    achambha hota hey ki jise aap jane-mane patrakar kahte hain,wo khud bahut shayad 20 sal pahle patrakar tha.uske bad se ye jane-mane patrakar kya karte rahe.yeh mp aur dilli ke patrakar jante hain.kuntha aur hatasha mein y janab kab tal jalte rahenge.bahut kam logo ko pata hoga ki nakaabil hone ki wajah se inhe india tv se nikala gaya tha.aur ab chale batane ki rajat kya hain.hairani hoti hai aese dhingi patrakaro par.

  5. Suresh Tomar

    June 22, 2010 at 1:27 pm

    WELL DONE ALOK JI… AB THODA ARUN SHOURIE KI BEHAN PAR BHI PRAKASH DALIYE, JISE LOG NALINI SINGH KE NAAM SE JAANTE HAIN. MAHA GHATIYA SHOW AANKHON DEKHI SAALON SE BEDHADAK CHAL RAHA HAI.

  6. prashant rajawat

    June 22, 2010 at 3:13 pm

    prem parihar ko mai bakhubi janta hu, rahi bat fayde ki to apno se hi aise apicha hoti hai alok ji. mamla kabhi tum gardis kabhi ham

  7. jhaba kumar

    June 22, 2010 at 4:08 pm

    Alok ji ne jo kuchh likha hai use kahate hain patrakarita. Kya facts nikale hain…Mahine me 20 din, 90 minute ka progrrame yaani 1800 minute ke liye 55 lakh ki kamayi. Alok ji ne per minute ki kamayi nahi batayi…vo hai 3055 Rs.56 Paise. Ab Is khabar ka doosara pahloo… Ye pahaloo Alok ji ki asliyat bayan karta hai yaani peet patrakarita wali asliyat… Alok ji BAG Films ki malkin Anuradha Prasad ko lekar bahut dukhi hain ki unhen DD se unke program Rozana ke liye mahine ka sirf 22 lakh hi milta tha fir bhi Arun jaitli ne unka naam bata diya. Ab iske aankade bhi jaan lijiye. Rozana yaani hafte me paanc din ya Alok ji ke andaz me kahen to maheene me 20 din ka 30 minute ka program…yaanimahine me 600 minute ka program aur payment 22 lakh…ye aankde maine nahi diye…ye alok ji ne khud apne article me diye hai…aur in aankdon ke mutabik per minute ka payment hua 3666 Rs 67 Paise… yaani rajat sharma ki tulana me per minute 611 Rs 11 Paise Jyada. Jahan tak DD ke footage ki baat hai to main khud BAG me kaam kar chuka hun aur janta hun ki DD ke footage BAG ko bhi milate rahe hain. isliye DD ke footage ki baat bemani hai…aur ankdon ki baat karen to Alok ji ke hi mutabik Rajat Sharma ki tulana me jyada kamayi BAG ne ki hai. yahi vazah hai ki Alok ji ne hisab kamjor hone ki baat kah kar per minute ke payment ka aankda gol kar diya hai…Alok ji achchhe patrakar rahe hain…lekin shayad vo lagatar bhatakte gaye hain…Aur isi wajah se unhen salakhon ke pichhe bhi jaana pada hai…Alok ji main personaly aapka bada fan raha hun…isliye please is budhouti me to kam se kam sudhar jayiye.

  8. Dhamanraj

    June 23, 2010 at 5:35 am

    achha laga padh kar. yeh jaan kar hairani nahi shakun milta hai ki jo jitna bada dikhta hai wo hai nahi. Ye rajat sharma ka background hi hai jiski wajah se unse achhi patrakarita ki umeed nahi kar sakte.
    Tomar saheb thoda ANI ke baare me bhi likhe. ANI ko bhi DD se kaafi chanda milta hai.

  9. sumit mishra

    June 23, 2010 at 12:40 pm

    ये सिर्फ आपकी भड़ास ही हो सकती है……..क्योंकि जो कर गुजरता है उसको सब ताने मारते है……अगर आपमें कुव्वत थी तो आप कर दिखाते………कम से कम रजत जी के चैनल ने कईयों को रोजगार दिया……..कई लोग तो इस पेशे में नौकरी नहीं देते और अगर बेचारों को नौकरी मिल भी जाए तो उन से छीन ली जाती है…….ओरों पर तोहमत लगाने से पहले बहुत कुछ सोचने की जरूरत होनी चाहिए……

  10. sandhya

    June 23, 2010 at 1:52 pm

    अलोक मेहता बहुत बड़ेपत्रकार है ये यही पर पता चला. इनका नाम वैसे कभी पत्रकारिता के लिए सुना नहीं. इनको जब भी पढ़ा इसी वेबसाइट पर पढ़ा. अलोक जी कभी अपना कुछ पत्रकार जैसा लिखा भी पढाइए.

    आप जब भी लिखते किसी के खिलाफ ही लिखते है, और जिस तरह से लिखते है फ्रस्टू लगते है. आपका हर लेख जिसके बारे में होता है उसने आपको कभी न कभी नौकरी से निकाला होता है या आप कह ले आपने उसे छोडा होता है.

    हर आदमी आगे बढ़ने के लिए साम दाम दंड भेद अपनाता है, आप भी वही कर रहे है. जिनके नाम आपने लिए उन्होंने भी यही किया. इस सब के बावजूद आप ये तो मानेंगे की उनके कार्यक्रमों में दम था. अगर दम न होता तो कोई नेता सहयोग न करता. अगर आप इतने दमदार होते तो आपको भी ये ऑफर मिलते और आप उसका मजा लूट रहे होते. और कोई और फ्रस्टू अलोक ऐसा लेख आपके लिए लिख रहा होता.

  11. govind goyal,sriganganagar

    June 24, 2010 at 1:37 am

    ye to hamesha hee aise karte hain, bade hain na. samrath ko nahi dosh gosai.

  12. आलोक तोमर

    June 26, 2010 at 11:03 am

    कुछ बच्चों ने लिखा है-वे मेरी पत्रकार के तौर पर हैसियत नहीं जानते. उनका सामान्य ज्ञान उन्हें मुबारक. वे अपने बाप से पूछ लें कोई कह कह रहा था ==झे इंडिया टीवी से बाहर कर दिया गया था तो रजत शर्मा को उन्हीं के न्यूज़ रूम में हडका कर आने वाला भी मैं हूँ. अनुराधा प्रसाद की गिनती बताने के लिए आभारी हूँ. मेरा गणित वाकई कमज़ोर है.बाकी दोस्तों से निवेदन है की सामने आकर बात करें, और औकात में रह कर करें.

  13. Mukesh Bhati

    June 28, 2010 at 11:05 am

    aalok ji, duniya main jo kaamyab nahi ho pata woh khali betha betha, kamyaab logo par keechad uchalta hai, rahi baat family background ki, to history uthakar dekh liiye-Abraham Lincoln jaise log bade poor background se aaye hai iska matlab ye to nahi ki unki soch bhi poor thi

  14. shishupal singh

    July 1, 2010 at 1:12 pm

    alok tomer ne apne jawab me shabd istemal kiya-AUKAT.. !! tajub hota hai itna bada jana mana adbudth patrakar apne jawab me kahta hai aur woh bhadas jaisi sammanit website me ki AUKAT ME RAHEN…ye likh kar alok ne bata hai ki unki ab khud kya aukaat rah gayi hai….

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