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प्रलोभन और चेतावनी, दैनिक जागरण से

राकेश शर्मा: वे जाल बिछा रहे, मैं फंदे तैयार करा रहा : दोस्तों, कई दिन से आपसे मुखातिब नहीं हुआ. उसकी असलियत बताता हूं. मैं चुप था, दरअसल मैं देखना चाहता था कि दुनिया क्या है? जिन लोगों ने कभी सुध नहीं ली कि पिछले छह महीनों से मैं कैसे जी रहा हूं, उन्हें अब 8 साल पुराने रिश्ते याद आ गए.

राकेश शर्मा

राकेश शर्मा: वे जाल बिछा रहे, मैं फंदे तैयार करा रहा : दोस्तों, कई दिन से आपसे मुखातिब नहीं हुआ. उसकी असलियत बताता हूं. मैं चुप था, दरअसल मैं देखना चाहता था कि दुनिया क्या है? जिन लोगों ने कभी सुध नहीं ली कि पिछले छह महीनों से मैं कैसे जी रहा हूं, उन्हें अब 8 साल पुराने रिश्ते याद आ गए.

मेरे लिए कई तरह की धमकियों के साथ ही प्रलोभन भी बहुत आ गए. भविष्य की योजनाएं भी प्रस्तुत की गई हैं, लेकिन थूक कर चाटना मेरी आदत नहीं है. इसलिए आपके साथ फिर से इस मंच पर आ गया हूं. सबसे पहले तो मैं सलूजा जी के खंडन के बारे में कहना चाहूंगा कि मैं इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल नहीं था, क्योंकि मैं तो फरीदाबाद में अपना मोर्चा संभाले हुए था. बहरहाल, जहां तक बात है सलूजा जी की तो वे अपने बड़े भाई हैं और एक नेकदिल इंसान भी. आज जिस स्थिति में वे हैं, उसके लिए दैनिक जागरण संस्थान ही पूरी तरह से जिम्मेदार है.

इन बातों को छोड़कर दोस्तों आपके साथ फिर से जुड़ता हूं. सबसे पहले 24 तारीख को कुरुक्षेत्र स्थित ही संस्थान के लोगों ने मुझसे संपर्क किया और मेरी मांग और नाराजगी के कारणों को ऊपर तक पहुंचाने का आश्वासन दिया. वे बेचारे आश्वासन ही दे सकते थे. मैं भी इस व्यवस्था का हिस्सा रहा हूं, इसलिए अपने पुराने साथियों को इस बारे में कोई दोष नहीं दूंगा.

इसके बाद चंडीगढ़ से बहन मीनाक्षी जी का फोन आया. उन्होंने मेरी कुशलक्षेम पूछने के अलावा संस्थान से त्यागपत्र देने की तुरंत ही जानकारी नहीं मिलने की अनभिज्ञता भी जताई. इस दौरान उन्होंने मुझसे पत्रकारिता के अपने पुराने जीवन में लौट आने के लिए प्रोत्साहित किया. उनका सम्मान रखते हुए मैं 26 जुलाई को चंडीगढ़ कार्यालय में उनसे मिलने गया. वे काफी व्यस्त थीं, फिर भी उन्होंने एक घंटे में ही अपनी बैठक समाप्त की और मुझसे मिलीं. उनसे बातचीत के दौरान मैंने पूरे घटनाक्रम के बारे में कई बातों की विस्तार से जानकारी दी. इस बातचीत का मुख्य केंद्र बहरहाल यही रहा कि मैं पुरानी बातों को छोड़कर यदि पत्रकारिता के जीवन में लौटना चाहूं तो वे मेरे लिए कुछ प्रयास कर सकती हैं.

अब इस बातचीत के दूसरे पहलू से परिचित कराता हूं. मुझे कई स्थानों से घुमा-फिराकर यह संदेश देने का प्रयास भी किया जा रहा है कि इतने बड़े संस्थान से पंगा लोगे तो हाथ मलने के सिवा कुछ हासिल नहीं होगा. दोस्तों यह पंगा तो मैं अब ले चुका. मुझ अज्ञानी को इस तरह का ज्ञान देने वाले लोगों के ज्ञान में यह वृद्धि भी जोडऩा चाहूंगा कि यदि मैंने शालीनता का दामन छोड़ा तो एक दिन में ही नानी याद दिला दूंगा.

मेरे साथ चाहे जो भी हो, दीगर बात यह है कि कंपनी का माल डकारने वाले जब जेल में चक्की पीसेंग तो क्या होगा? सत्यम के घोटाले से इस मामले में माल डकारने वाले लोग नसीहत हासिल कर सकते हैं. देश भर में कंपनी के बहुत से शेयर होल्डर हैं. इसलिए कंपनी में घोटाला करने वाले लोगों के खिलाफ सीधा केस दर्ज कराने के न्यायिक क्षेत्र देशभर में कहां-कहां बनते हैं, नक्शा लेकर पहले वे भी देख लें.

ए.सी. कमरे में बैठकर मुझे नमक हराम और थाली में छेद करने वाले की उपाधि से नवाजने वालों से विनम्र निवेदन है कि वे पहले अपनी पात्रता अवश्य जांच लें. मेरी नजर में तो जिनके पास ज्यादा माल है और जमीन-जायदाद है वे इस उपाधि के लिए मेरे से पहले लाईन में लगने के पात्र हैं.

अपनी राजनीति के लिए कंपनी को आर्थिक नुकसान पहुंचाने से भी नहीं चूकने वाले लोग नोएडा आफिस बुलाकर जी.टी. रोड बैल्ट के पत्रकारों को क्या फरमान दे चुके हैं, इसके बारे में पहले उन्हें अपनी याद्दाश्त को दुरुस्त कर लेना चाहिए. उन्हीं लोगों की चल रही दादागिरी के कारण ही आज संस्थान में घुटन का माहौल है. इन सब बातों से सबक लेने की बजाए भ्रष्टाचारियों के पोषण के लिए डटे हुए लोगों को मुफ्त में नसीहत देता हूं कि महाभारत के युद्ध से ही कुछ सबक ले लें, जिसमें धृत्तराष्ट्र ने पुत्र मोह में पूरे कौरव साम्राज्य का विनाश करवा लिया था.

उनकी जानकारी के लिए यह भी बता दूं कि भड़ास फार मीडिया के सशक्त मंच की बदौलत आज कंपनी के दशकों पुराने घोटालों के प्रमाण भी मेरे पास पहुंचने लगे हैं. ये खुले तो दादागिरी करने वालों की हालत भी पतली हो जाएगी. एक नमूना दे देता हूं कि नोएडा के स्टोर में चार जी.बी. के मेमरी कार्ड को गेट पास पर अंकित होने के बावजूद दो मेमरी के कार्ड ही क्यों दिए जाते हैं? जो माल स्टाक में ही नहीं है, वह कंप्यूटर में क्यों फीड है?

मुझे मालूम है कि इस मामले को हर स्तर पर दबाने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन दोस्तों, मुझे विश्वास है देश की न्याय प्रणाली (जिसे बदलने के लिए दैनिक जागरण ने आजकल जनजागरण अभियान छेड़ा हुआ है) के माध्यम से मैं अपने अभियान में सफल हो जाऊंगा. न्याय प्रणाली में कुछ खामियां हैं तभी तो बार-बार अदालत में पेश नहीं होने पर भी दैनिक जागरण के मालिक कोई ना कोई बहाना ढूंढ लेते हैं. कुरुक्षेत्र की अदालत में ही कई बार पेश नहीं होने पर उनके वकील को विदेश और देश के किसी अन्य भाग में होने के तर्क देते मैंने देखा है. यदि अदालत ने उनकी बातों की पुष्टि करने के लिए पासपोर्ट मंगवा लिए और मोबाइल की काल डिटेल निकलवा ली तो क्या होगा झूठ बोलकर अदालत को गुमराह करने वालों का?

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दैनिक जागरण द्वारा किस तरह से प्रशासन पर दबाव बनाया जाता है, इसकी भी मुझे भली प्रकार से जानकारी है. इसलिए मेरे लिए जाल बिछाने वाले लोगों से मेरा यह विनम्र निवेदन है कि पहले वे ये जान लें कि उनके लिए कहां-कहां फंदे तैयार हैं. फिलहाल अपनी बात को यहीं समाप्त करता हूं.

आपका

राकेश शर्मा

पूर्व मुख्य संवाददाता

दैनिक जागरण

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0 Comments

  1. raj

    July 29, 2010 at 12:01 pm

    sir ji pranam. bade bhai lage raho. raste me kai rukabte aaegi. hum apke sath hai. jai hind

  2. Rishi Naagar

    July 29, 2010 at 5:12 pm

    Bhai Rakesh,
    Dont worry from these rascals…I do have certain solid documentary proofs against these mongers. I was in Jalandhar as Chief reporter from 1999 to 2007 and then as Special Correspondent at Chandigarh. You must stay and stay on…we are with you! Thanks.

  3. Rajesh

    July 29, 2010 at 9:31 pm

    Rakeshji
    Itna yaad rakhiye ki satya ki hi vijay hoti hai. yeh jagran, bhaskar wale choro ki baraat ki ab barah bajne wali hai. jaise mahabharat main pandav kam hote hue bhi isliye vijai hue kyonki veh satya ke liye sangharsh kar rahe the, usi prakaar, aap hum satya ke liye sangharsh kar vijai honge. shubhkaamnayen.
    Rajesh
    [email protected]

  4. sonu

    July 30, 2010 at 8:02 am

    RAKESH BHAYI >>
    LAGE RHO..MEDIA KE DADA ANDAR SE KHOKALE HAI.. AAPKO DBANE KI BATE UPAR SE KR RHE HAI

  5. yuva gunj

    July 30, 2010 at 11:34 am

    rakesh bahi tum akele nahi ho,
    ye samjh lena desh kaaa yuva aapke saath hai, veer tum bade chalo hum tumhare saath hain, media ke in dalalo ki chulain hilla dengain.
    jarurat paadi to dharna pardeshaan saab karengain or
    hum yuva milkaar aap jaise journalist ko salam kartain hain…

  6. Rakesh sharma bhartiya

    July 31, 2010 at 10:53 am

    Rakesh

  7. SANJAY BHATI EDITOR SUPREME NEWS

    July 31, 2010 at 6:07 pm

    Rakesh Bhai jagran k in dalalo ka aapne pura intjam kar rakha hai .lage raho ab ye bhar rahane layak to nahi hai or andar dalal nahi rahate ve bade saf dil or khudar kism k log hote hai inko vaha mat bhijvao……………………………… jagran wale jab police se sat gat kar mujh par LOOT or RANGDARI -CHAIN SKCHING ka MUKADMA KASNA KOTWALI (Gretar Noida) me darj karene k bad bhe mujhe jail nahi bhijava sake to FASALE ka Parastav leker Mere Bade Bhai or Chacha Jee k pas aane lege .DM se Supreme News ko cancil karene k leye bhe adesh karva chuke . yani DM ,SSP , sab inke ……. ye apni sari gandi harkat karke dekh chuke . par ADALAT or KANUN inke bap k nahi hai . Jagran k bharastachariyo me dam hai to aakar Do Do hat kare……/ mujhe to ye andhe k andhe hi lagte hai .

  8. ravishankar vedoriya

    August 2, 2010 at 11:06 am

    iswer sacche logo ka hamesha sath deta hai or ham bhi apke sasth hai

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