प्रभात खबर, देवघर के तत्कालीन स्थानीय संपादक रवि प्रकाश और चीफ रिपोर्टर संजीत मंडल को देवघर की एक अदालत द्वारा मानहानि के मामले में एक-एक साल की कैद की सजा सुनाये जाने के मामले में रवि प्रकाश का कहना है कि वो इस फैसले के खिलाफ कोई टिप्पणी तो नहीं करेंगे, लेकिन यह फैसला न्यायसंगत नहीं है. रवि के मुताबिक वे इस फैसले के खिलाफ अपील करने जा रहे हैं. उधर, इस मामले में प्रभात खबर प्रबंधन भी अपील की तैयारी कर रहा है ताकि इस फैसले के खिलाफ दूसरे कोर्ट को बताया जाये.
ज्ञात हो कि 2005 में एएस कॉलेज, देवघर के हेड क्लर्क ने 22छात्रों के पंजीयन का पैसा नहीं जमा कराया. नतीजतन उनका एडमिट कार्ड नहीं आया. इस मामले में कॉलेज के प्रिंसिपल ने उस क्लर्क के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई. यही खबर प्रभात खबर ने पहले पन्ने पर छापी. चूंकि मामला 22 लोगों के करियर का था, लिहाजा इसे प्राथमिकता के तौर पर छापा गया. इस मामले को लेकर क्लर्क जेल भी गया. लेकिन उसने रवि और संजीत के साथ कॉलेज प्रिंसिपल को भी मानहानि का आरोपी बताकर तब सीजेएम की अदालत में पीसीआर केस नंबर 748/05 दायर कर दिया. तब से यह मामला कविता दस के कोर्ट में चल रहा था. उनके ट्रान्सफर के बाद यह केस संजीता श्रीवास्तवा के कोर्ट में आ गया.
5 साल से चल रहे इस मुकदमें में 18 मई 2006 को संज्ञान लिया गया. फिर 6 अक्टूबर 2006 को चार्ज फ्रेम किया गया. लम्बे चले इस मुक़दमे में तो अदालत को कब का ही फैसला सुना देना चाहिए था, लेकिन कल इसका फैसला सुनाया गया. अदालत ने पत्रकारों को क्लर्क विमलेन्दु नारायण की मानहानि का दोषी पाकर सजा सुना दी. लेकिन एक साल की कैद को लेकर वकीलों में भी एक मत नहीं था क्योंकि आमतौर पर ऐसे मामलों में इतनी लम्बी सजा सुनाई नहीं जाती है. फैसला सुनाने के समय देवघर कोर्ट पत्रकारों फोटोग्राफरों से भरा था.
गौतलब है कि रवि प्रकाश चर्चित युवा पत्रकार हैं, जो प्रभात खबर देवघर के अलावा पटना और रांची में भी महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं. बाद में वे जागरण समूह के टैब्लायड आई-नेक्स्ट के रांची और आगरा संस्करणों के संपादक रहे. अभी वे दैनिक भास्कर के डिप्टी एडिटर हैं और झारखण्ड प्रोजेक्ट में लगे हैं. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के रचना संचयन में सहयोगी संपादक के तौर पर काम किया था. चंद्रशेखर के साथ पूरे भारत की यात्रा कर उन्होंने भारत यात्रा पर लम्बा लेख भी लिखा. नेपाल के शाही नरसंहार औए सार्क सम्मलेन की रिपोर्टिंग कर रवि ने पहले काफी नाम कमाया है. 27 साल की उम्र में संपादक बन जाने का गौरव भी रवि के नाम है. ऐसे में पत्रकारों ने उनके करियर के लिए शुभकामनाएं दी है. उम्मीद है कि ऊंची अदालत में यह सजा खारिज कर दी जाएगी. रवि अभी रांची में रहते हैं.
uday khaware
July 2, 2010 at 1:19 pm
ravi ji ek achhe journalist hai aur ummid hai ki wo is maamle main bari ho jayenge.
uday khaware
suresh pandey
July 2, 2010 at 3:09 pm
रविप्रकाश जी के साथ पूरे मीडिया की हमदर्दी है। उम्मीद है कि न्यायिक क्षेत्र से जुड़े लोग भी इस मामले में प्रभात खबर के साथ-साथ रविप्रकाश के साथ खड़े होंगे।
suresh pandey
July 2, 2010 at 3:09 pm
रविप्रकाश जी के साथ पूरे मीडिया की हमदर्दी है। उम्मीद है कि न्यायिक क्षेत्र से जुड़े लोग भी इस मामले में प्रभात खबर के साथ-साथ रविप्रकाश के साथ खड़े होंगे।
suresh pandey
July 2, 2010 at 3:09 pm
रविप्रकाश जी के साथ पूरे मीडिया की हमदर्दी है। उम्मीद है कि न्यायिक क्षेत्र से जुड़े लोग भी इस मामले में प्रभात खबर के साथ-साथ रविप्रकाश के साथ खड़े होंगे।
chandrabhan0205
July 3, 2010 at 3:43 am
raviji lage raho..journalisto ke sath esa hona mamuli bat hai..pura desh apke sath hai..
mukesh kumar
July 3, 2010 at 8:11 am
you have don a great job keep it up. we r with u.
Mukesh Total tv
ravishankar vedoriya
July 3, 2010 at 12:03 pm
bade kaamo mai choti baat hoti rahti hai
anupam
July 4, 2010 at 8:04 am
my dear ravi
i am with you–mbd
ajay
July 11, 2010 at 7:40 am
Ravi ji & sanjeet ji ke sath jo hua. wo meed nahi thi. magar enke lawyer ko bhi bade dhang se apna pakch rakhna. es mamle ke liye jo sachmuch dosi hai. wo en journaliston se dur bhagta phir raha ha…