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‘पांचजन्य’ में सब ठीक नहीं चल रहा

भाजपा और संघ के मुखपत्र ‘पांचजन्य’ के अंदरखाने आंतरिक राजनीति उबाल पर है. एक दूसरे को पछाड़ने का अभियान चल रहा है. कुछ लोगों ने भड़ास4मीडिया के पास एक मेल भेजकर पांचजन्य के वर्तमान संपादक बलदेव भाई शर्मा पर कई आरोप लगाए हैं. पर मेल भेजने वाले चाहते हैं कि उनके द्वारा कही गई बात उनके तरफ से नहीं बल्कि भड़ास4मीडिया के लोग खुद अपनी तरफ से प्रकाशित कर दें. किसी भी संस्थान में अंदरुनी राजनीति कम या ज्यादा तो चलती ही रहती है पर बिना तथ्यों की पड़ताल किए किसी एक पक्ष द्वारा भेजे गए मेल को हूबहू, बिना संपादित किए पब्लिश कराना उचित नहीं है. इसीलिए भेजे गए मेल को संपादित व शिष्ट करते हुए यहां प्रकाशित किया जा रहा है. साथ ही, पांचजन्य के संपादक बलदेव भाई शर्मा से बातचीत कर उनका पक्ष भी दिया जा रहा है. इस पूरे प्रकरण के प्रकाशन का उद्देश्य सिर्फ यह बताना है कि हिंदुत्व की बात करने वाले लोगों के घर के अंदर भी संपूर्ण एका नहीं है, एक दूसरे को काटने की राजनीति यहां भी खूब चलती है. -एडिटर


<p align="justify">भाजपा और संघ के मुखपत्र 'पांचजन्य' के अंदरखाने आंतरिक राजनीति उबाल पर है. एक दूसरे को पछाड़ने का अभियान चल रहा है. कुछ लोगों ने भड़ास4मीडिया के पास एक मेल भेजकर पांचजन्य के वर्तमान संपादक बलदेव भाई शर्मा पर कई आरोप लगाए हैं. पर मेल भेजने वाले चाहते हैं कि उनके द्वारा कही गई बात उनके तरफ से नहीं बल्कि भड़ास4मीडिया के लोग खुद अपनी तरफ से प्रकाशित कर दें. किसी भी संस्थान में अंदरुनी राजनीति कम या ज्यादा तो चलती ही रहती है पर बिना तथ्यों की पड़ताल किए किसी एक पक्ष द्वारा भेजे गए मेल को हूबहू, बिना संपादित किए पब्लिश कराना उचित नहीं है. इसीलिए भेजे गए मेल को संपादित व शिष्ट करते हुए यहां प्रकाशित किया जा रहा है. साथ ही, पांचजन्य के संपादक बलदेव भाई शर्मा से बातचीत कर उनका पक्ष भी दिया जा रहा है. इस पूरे प्रकरण के प्रकाशन का उद्देश्य सिर्फ यह बताना है कि हिंदुत्व की बात करने वाले लोगों के घर के अंदर भी संपूर्ण एका नहीं है, एक दूसरे को काटने की राजनीति यहां भी खूब चलती है. -एडिटर</p><hr width="100%" size="2" />

भाजपा और संघ के मुखपत्र ‘पांचजन्य’ के अंदरखाने आंतरिक राजनीति उबाल पर है. एक दूसरे को पछाड़ने का अभियान चल रहा है. कुछ लोगों ने भड़ास4मीडिया के पास एक मेल भेजकर पांचजन्य के वर्तमान संपादक बलदेव भाई शर्मा पर कई आरोप लगाए हैं. पर मेल भेजने वाले चाहते हैं कि उनके द्वारा कही गई बात उनके तरफ से नहीं बल्कि भड़ास4मीडिया के लोग खुद अपनी तरफ से प्रकाशित कर दें. किसी भी संस्थान में अंदरुनी राजनीति कम या ज्यादा तो चलती ही रहती है पर बिना तथ्यों की पड़ताल किए किसी एक पक्ष द्वारा भेजे गए मेल को हूबहू, बिना संपादित किए पब्लिश कराना उचित नहीं है. इसीलिए भेजे गए मेल को संपादित व शिष्ट करते हुए यहां प्रकाशित किया जा रहा है. साथ ही, पांचजन्य के संपादक बलदेव भाई शर्मा से बातचीत कर उनका पक्ष भी दिया जा रहा है. इस पूरे प्रकरण के प्रकाशन का उद्देश्य सिर्फ यह बताना है कि हिंदुत्व की बात करने वाले लोगों के घर के अंदर भी संपूर्ण एका नहीं है, एक दूसरे को काटने की राजनीति यहां भी खूब चलती है. -एडिटर


‘पांचजन्य’ के नए संपादक की हो रही है तलाश : भाजपा के पूर्ववर्ती संस्करण जनसंघ के संस्थापकों में एक चिंतक पंडित दीनदयाल उपाध्याय एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी द्वारा प्रारंभ किए गए साप्ताहिक पत्र पांचजन्य के लिए नए संपादक की खोज हो रही है। गौरतलब है कि राष्ट्रवादी पत्रकारिता के सबसे बड़े पैरोकार इस अखबार के पूर्व संपादक तरूण विजय जब यहां से गए तो उन्होंने मुड़कर अखबार की ओर देखा नहीं। खबर यह भी है कि वे 8 मार्च को मुंबई में संघ के ही बैनर तले मराठी साप्ताहिक ‘विवेक’ के हिंदी संस्करण की शुरुआत करने जा रहे हैं। तरुण विजय कई अखबारों के स्तंभकार के रूप में सक्रिय हैं पर जिस अखबार ने उन्हें नाम और परिचय दिया, पिछले दो सालों से वे उस पांचजन्य के परिदृश्य से गायब हो गए हैं।

वर्तमान संपादक बलदेवभाई शर्मा के भी जाने की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। अमर उजाला से हटने के कुछ महीने बाद बलदेव शर्मा आरएसएस में अपने पुराने संपर्कों के चलते पांचजन्य के संपादक बन गए। अब वे अपनी घरेलू पत्रिका ‘ग्राम चौपाल’ के लिए भी सक्रिय हो गए हैं। पांचजन्य में आने के पूर्व वह स्वयं इस पत्रिका के सलाहकार संपादक थे किंतु तब पत्रिका आरएनआई द्वारा पंजीकृत नहीं थी। लेकिन पांचजन्य में आने के बाद उन्होंने संपादक के रूप में अपनी पत्नी हर्षलता शर्मा और बेटी को पत्रिका के संपादन का दायित्व दे दिया। उनके घर के पते से प्रकाशित हो रही मासिक पत्रिका ग्राम चैपाल को अब आरएनआई पंजीकरण प्राप्त हो गया है। पंजीकरण संख्या-101402, यूपीहिंदी-28845, गाजियाबाद है।

पांचजन्य के संपादक द्वारा घरेलू प्रकाशन में लिप्त होने की सूचना के बाद आरएसएस के प्रकाशन विभाग से जुड़े वरिष्ठ लोग गंभीर हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि पांचजन्य और आर्गनाइजर से जुड़े कुछ प्रमुख लोग पूर्व में भी अखबार के रसूख के बूते भाजपा सरकारों व सत्ता के करीबी रहे हैं। बाद में उन्हें इन अखबारों की जमी-जमाई कुर्सी से हटना पड़ा। प्राप्त समाचार के अनुसार, बलदेवभाई शर्मा पांचजन्य में संविदा नियुक्ति पर हैं और कुछ महीने बाद ही उनका कार्यकाल पांचजन्य से समाप्त होने वाला है। सूत्रों का कहना है कि पांचजन्य के प्रबंधन मंडल ने उनकी संविदा नियुक्ति को बढ़ाने से इनकार कर दिया है और नए संपादक की तलाश शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि बलदेव भाई खुद ही जाने के मूड में आ गए हैं। उधर, सूत्रों का कहना है कि पांचजन्य में संपादकीय वर्चस्व को लेकर खुला घमासान शुरू हो गया है। इसमें पांचजन्य के पूर्व संपादक के साथ हुए व्यवहार को भी एक वजह बताया जा रहा है।

पांचजन्य की गुणवत्ता पर भी कई लोग सवाल उठा रहे हैं। लिब्राहन रिपोर्ट लीक होने के समय पांचजन्य के एक अंक में बाबरी मस्जिद के ध्वंस के संदर्भ में एक समाचार प्रकाशित हुआ जिसमें बाबरी मस्जिद के ढहाए जाने के बारे में बेसिरपैर की बातें प्रकाशित हुईं। संघ के सरसंघचालक सुदर्शन के नाम से वह सारा वक्तव्य प्रकाशित हुआ। वक्तव्य के अनुसार, बाबरी मस्जिद को तोड़ने का कार्य 5 दिसंबर की रात से ही शुरू हो गया था। 5 दिसंबर की देर रात 1 बजे तक मस्जिद को ढहाने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। अधिक जानकारी के लिए पांचजन्य, 6 दिसंबर, 2009 के पृष्ठ संख्या 2 पर प्रकाशित समाचार को देखें। इस समाचार के बारे में जैसे ही सुदर्शनजी को पता चला उन्होंने इसका खण्डन कर दिया। संघ परिवार में इस घटना के बाद पांचजन्य के नए संपादक की खोज शुरू हो गई। पांचजन्य प्रबंधन ने इस पर संपादक को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। बताते चलें कि पांचजन्य की प्रसार संख्या भी लगातार घट रही है। जानकारों के मुताबिक, हर महीने 500 से 1000 प्रतियां घट रही हैं जबकि अखबार के नए पाठकों की संख्या में वृद्धि शून्य हो चुकी है।

एक-दो ‘बदमाश’ लोग दुष्प्रचार करने में जुटे हैं, सारी बातें निराधार व बेबुनियाद- बलदेव भाई शर्मा : पांचजन्य के वर्तमान संपादक बलदेव भाई शर्मा के बारे में कही गई उपरोक्त बातों को लेकर भड़ास4मीडिया ने जब बलदेव से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि ‘ग्राम चौपाल’ पत्रिका व्यावसायिक मैग्जीन नहीं बल्कि ग्रामीण विकास को लेकर शुरू किया हुआ एक वैचारिक आंदोलन है. यह काफी पहले से प्रकाशित हो रही है. कांट्रैक्ट खत्म होने की बात पर बलदेव भाई का कहना था कि उनके साथ कोई कांट्रैक्ट नहीं हुआ है और न कोई टाइम लिमिट है. जो कुछ आरोप उन पर लगाए जा रहे हैं वे सब बेबुनियाद है. बलदेव भाई के मुताबिक एक-दो ‘बदमाश’ टाइप के लोग यह ‘बदमाशी’ कर रहे हैं. इधर-उधर की बेसिरपैर की बातें फैला रहे हैं. पहले भी ये लोग ऐसा करते रहे हैं. इनकी कही गई बातें बेबुनियाद हैं और इनका कोई अर्थ नहीं है.

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0 Comments

  1. Ashok Pandey

    March 11, 2010 at 1:54 am

    Baldev ji bade patrakar hai, unke uper kicher uchalana patrakarita ka apman hai.Mai khud bahut unnki izzat karata hu. Unhone Bhaskar ki naukri chodi thi sirf patrkariya nispakshta ka liye. Amar Ujala se hatane ka afsos Sashi ji ko bhi hai, Ab is prakaran ko yahi khatam kardena chahiya.
    Ashok Pandy

  2. Dinesh chandra mishra

    March 11, 2010 at 12:54 am

    mai to baldev sharma ji ko bhagwan se kam nahi manta. Navin joshi aur mrinal ji mujhe jab Hindustan me tang karna suru kiya to unhone hi mughe Amarujala me sr.sub banakar rakha. bahut hi imandar aur mehnati hai. unki aalochna galat hai. jab amaarujala se nikala gaya wah nirnay bhi jaldbaji me liya gaya, tab bhi mai amarujala me hi tha.
    -Dinesh

  3. karampal gill

    March 10, 2010 at 9:49 pm

    Baldev ji jaise editor aajkal kam hi milte hai. unke bhitar editor ke saath ek savendensheel insaan bhi chhipa hua hai. usulo se hatkar wo koi baat hi nahi karte, kam to karna dur ke baat hai. unke baare me galat baate band honi chhahiye.

  4. ram bahadur

    March 9, 2010 at 7:07 am

    इस प्रकरण पर चर्चा बंद होनी चाहिए। बलदेवभाई ने खुद ही स्वीकार कर लिया है कि वे पांचजन्य के साथ एक घरेलु पत्रिका/ वैचारिक आदोलन चला रहे हैं। जो समाचार ऊपर छपा है, उसमें जानकारी गलत तो नहीं ही है।

    उसने कहीं पर यह तो नहीं लिखा है कि वे महान नहीं है, ईमानदार नहीं है। श्री बलदेव शर्मा को स्पष्ट करना चाहिए कि उनके रहते पांचजन्य में बाबरी मस्जिद 5 दिसंबर को कैसे ढह गई थी। तो इस प्रकार की बात यदि राष्ट्रवाद के सबसे बड़े पैरोकार अखबार में छपेगी तो सवाल उठेंगे ही।…इसमें हल्ला क्यों।

  5. ratan

    March 9, 2010 at 6:19 am

    baldevji is honest and great editor in india.

  6. Amal Kumar Srivastava

    March 9, 2010 at 4:30 am

    mera anubhav patrkarita me keval 3 years ka hai….lakin itna jarur kahna chahuga ki PANCHJANY koi ADD ka prachar krnevala Newspaper nahi hai or na hi Aaj tak iski goodwill pr koi sawaliya nisan udhaye gaye hai.or is prakar k Newspaper ka Sampadak k bare me is tarah ki charchaye krna un naye ptrkaro ko sobha nahi deta jo abhi Baldev g se age or tajurbe dono me kafi chote hai.mera manna hai ki ak patrkar ka pahla kartavy satyta ki khoj krna hai fir use janta k samne lana hai.n ki kisi senior person k bare me ghatiya bate krna hai….to Baldev g pr ungali udhane valo se mai kahna chahuga ki pahle satya ki khoj kre tb kisi pr ungali udhaye…thanks.

  7. ram

    March 9, 2010 at 3:12 am

    बलदेव भाई ने bhadas media se बातचीत में स्वीकार कर लिया है कि वह ग्राम-चौपाल प्रकाशित कर रहे हैं. ग्राम-चौपाल के प्रकाशन को वे वैचारिक आन्दोलन का हिस्सा बता रहे हैं. माना….लेकिन एक समय में एक वैचारिक आन्दोलन संभालना ही ठीक रहता है. पांचजन्य से बड़ा वैचारिक आन्दोलन क्या ग्राम-चौपाल हो सकता है. फिर बलदेव bhai ने पांचजन्य का संपादक पद क्यों स्वीकार किया. यदि ग्राम-चौपाल चलाते रहना था.
    यह किसी अखबार के स्थापित नियमों के भी खिलाफ है कि उसका संपादक रहते हुए अपनी घर की मैगज़ीन छापी जाय. व्यवसाय चलाया जाय. दूसरों को बदमाश कह देने से अपना चरित्र पवित्र नहीं हो जाता, गलती छुपाती नहीं बल्देवजी. अपने गिरेबान में भी झांक लीजिए. पांचजन्य एक गरिमापूर्ण अखबार रहा है. उसका संपादक मिशन से जुड़ा होता है जैसे तरुण विजय, भानु प्रताप शुक्ल, देवेन्द्र स्वरुप, अटल बिहारी वाजपयी, दीनानाथ मिश्र… घर की पत्रिका के प्रकाशन की बात को स्वीकार कर आपने अच्छाई का परिचय दिया है. अब त्यागपत्र देकर और अच्छे बन जाइए और ग्राम-चौपाल के वैचारिक आन्दोलन को घर-घर पहुंचा दीजिए. फिलहाल तो आपका यह आन्दोलन कहीं दिख नहीं रहा है. सरकारी विज्ञापन बटोरने के अनेक आन्दोलन देश में चल रहे हैं, शायद उसी का हिस्सा यह भी है.

  8. Chandrabhan Singh

    March 9, 2010 at 12:37 am

    Baldev bhai ke aane ke bad PANCHJANYA or adhik nikhra hai. Kuchch badmijaj log Baldev bhai or PANCHJANYA ki Chhavi bigadna chahte lagte hai. Suchmuch PANCHJANYA bahut pavitra weekly paper hai. Eski ek pratistha hai Bhagwan dusto ko jaldi sadbudhi denge or vivad jaldi khatam hoga. : Chandrabhan Singh, Jaipur.

  9. amar singh

    March 8, 2010 at 11:36 pm

    baldevbhai amar uzala se hatae gaye the, suchna to yah mili thi ki galat khabar prakashit karne ke kaaran barkhast hue the.

    vo panchjanya ke sampaadak kaise ban gaye, mujhe to aasharya hua tha, maine amarujaala men unke saath kaam kiya tha…beete jamane ke dekhne layak piec hain janab, akhbaar men kya chap raha hai, usese itar.

  10. ram

    March 8, 2010 at 11:18 pm

    khabar sahi hai kyonki ismen jo tathya hain vah sahi hain. baldevbhai isse inkaar nahin kar sakte.

    agar koi sampaadak yah nahin tay kar sakta ki baabri maszid kab giri to kahe ka sampadak. panchjanya me chapi khabar ke lihaaz se, baldev sharma ne babri maszid ko 5 december ki raat men dhahane ka aitihaasik karya sampanna kiya hai.

    itne yogya sampaadak ko badhai. Panchjanya to market se gaayab ho gaya hai. kuch dino men patrakaarita ke itihaas men shaamil ho jayega yah akhbaar, agar ye sab chalata raha to….

  11. dukhharan prasad

    March 8, 2010 at 11:12 pm

    yahan sawaal yah nahin hai ki baldevbhai vyaktigat roop se imaandaar hain. sawaal hai ki jo aarop lage hain vah sahi hain ya nahin hain. baldev bhai ne jis prakaar se apni magzine gram-chaupal hone ki baat sweekaar kar li hai, bhale hi use magzine na kahkar aandolan bata rahe hon, isse saaf hai ki vah panchjanya ke atirikt ek patrika ke prakashan me jute hain.

    ek sampadak ke lie isse badi anaitikta kya hi. panjanya ko to vaicharik aandolan ka hissa kaha ja sakta hai lekin gram-chaupaal kis aandolan ka hissa hai. mujhe to lagta hai ki sab baazaar ke dhandhe hain, naam kuch bhi do. baldevbhai par laga aarop sahi hai aur unhone ise sweekaar kar virodhiyon ka kaam aassan kar diya hai.

  12. ashok kaushik

    March 8, 2010 at 8:44 pm

    Baldev ji anushashan pasand vyakti hain, yahi wajah hai ki unke sath kaam karna sab k bas ki baat nahi hai, khas taur per NAKARA kism k log unke samne sabse jyada preshan rahate hain… mumkin hai ki kuch nakaare logon ka group unke khilaf rajniti kar raha hai…

  13. anmol, new delhi

    March 8, 2010 at 3:31 pm

    यशवंत जी आप ही बताएये जिन लोगों का भेजा मेल आप ज्यों का त्यों पोस्ट नहीं कर पाई हैं तो जाहिर है वह शिष्ट भाषा में नहीं लिखा होगा। अब आप ही अंदाजा लगाइये जो किसी के बारे में शिष्ट भाषा का इस्तेमाल तक नहीं कर सकते वे कितने पड्यंत्रकारी होंगे। आपकी ऊपर लिखी बातों से साफ जाहिर हो रहा है कि दुष्ट हैं, ऐसे लोगों को कोई मंच नहीं देना चाहिए। ऐसे लोग समाज को दूषित करते हमेशा हैं। उनका काम ही दूसरों पर कीचड़ उछालना होता है। मैं बलदेव भाई शर्मा को एक दशक से जानता हूं। मैंने कभी भी उनके दामन पर दाग नहीं देखा है। वे किन भी परिस्थितियों में रहे हो हमेशा सत्य के साथ रहे हैं। अब आप ही बताइये अगर वे पड्यंत्रकारी और अन्य पत्रकारों की तरह होते तो आज अच्छी खासी प्रॉपर्टी के मालिक होते। वे 28 साल से पत्रकारिता में हैं, इतना समय काफी होता है कमाने के लिए। धंधेबाजों को तो कुछ साल ही काफी होते हैं। और यशवंत जी मैं अंत में आपको सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि कुछ लोगों ने आपको इस्तेमाल कर लिया है।

  14. Aarvind

    March 8, 2010 at 3:14 pm

    आज जब मीडिया एक पावर सैक्टर बन गया है, यहां बड़ी संख्या में लोग अपने स्वार्थ साध रहे हैं। बल्देव जी जैसे लोग दुर्लभ हैं जिन्होंने पत्रिकारिता को सदा सामाजिक सरोकारों से जोड़कर देखा और उसी पवित्र भावना से काम किया। उन्होंने अपने इन्हीं संस्कारों से युक्त युवाओं की एक पूरी पीढ़ी तैयार कर दी है, जिसे उन पर नाज है और जो पत्रकारिता की साख के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उनके द्वारा शिक्षित और संस्कारित कई युवा पत्रकार आज नामी

  15. yogesh

    March 8, 2010 at 3:11 pm

    यशवंत भाई आपने शुरू में जो लिखा है उससे साफ जाहिर है कि यह मेल आपको कुछ बेहद घटिया मानसिकता वाले और निहित स्वार्थी तत्वों ने भेजा है क्योंकि वे आपके मंच का दुरूपयोग करना चाहते हैं ,यहां तक कि उनकी भाषा व ऊलजलूल बातों को आपको संपादित करना पड़ा। पाञ्चजन्य और संघ को तो मैं नही जानता लेकिन बल्देव जी को जरूर जानता हंू। उनके जैसे सात्विक और साफ-सुथरे लोग आज पत्रकारिता में बिरले ही हैं। भास्कर और अमर उजाला जैसे अखबारों में करीब एक दशक तक सम्पादक रहकर उन्होंने हमेशा मूल्यों की पत्रकारिता की, अपने सस्कारों का कभी सौदा नहीं किया, न स्वार्थ साधे और न पैसा बनाया। कई घटनाएं इस बात की गवाह हैं। मुझे याद है कि आपने खुद बल्देव जी के पाञ्चजन्य ज्वायन करने पर जो खबर जारी की थी, उसकी पहली लाइन थी हिन्दी पत्रकारिता में २८ वर्षों के बेदाग करियर वाले वरिष्ठ पत्रकार बल्देव भाई शर्मा को पाञ्चजन्य का संपादक बनाया गया है। ऐसे बेदाग करियर वाले पत्रकार जब कुछ लोगों की स्वार्थपूर्ति में बाधा बनते हैं तो वे लोग उनके चरित्र हनन पर उतर आते हैं। आपसे गुजारिश है कि किसी भी संस्थान के ऐसे लोगों को आप अपने मंच को इस्तेमाल न करने दें, नहीं तो उनका और हौसला बढ़ेगा। जिस पत्रिका का आपने उल्लेख किया है, उसमे जुड़े कई लोगों को मैं जानता हंू, वे सब ग्राम विकास औरपंचायतीराज की बदहाली से क्षुब्ध हो एक अभियान शुरू करना चाहते थे, बल्देव जी ने उनके साथ जुडऩा स्वीकार किया, पत्रिका उसी अभियान का एक हिस्सा है। व्यवसाय तो छोडि़ए , बल्देव जी आवश्यकता पडऩे पर हमेशा इसमें पैसा लगाते रहे हैं कि एक अच्छे उद्देश्य के लिए ग्रामीण अंचल मेंं जाग्रति लाई जाए। उनके पाञ्चजन्य में आने के पहले से यह अभियान चल रहा है। उन पर कीचड़ उछालना बेहद शर्मनाक है।

  16. harkat

    March 8, 2010 at 1:59 pm

    aisa akhbar jitni jald band ho utna accha

  17. teervijay

    March 8, 2010 at 9:45 am

    baldev bhai jaisa editor ajj desh mean koi nahi hea. mene unse jo sikha uski he den ajj amarujala mean succes hu. unke upper bhai-bhatiza jase aroop lagane unki nahi hidutatao ki taouheen hea. aisa karenewale hiduntutav ki dhar kamjor karan cha rahe hea. sri ram unko akal de

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