राष्ट्रीय सहारा, देहरादून के यूनिट हेड मुकेश अग्रवाल कार्यमुक्त हो चुके हैं। सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय सहारा की देहरादून यूनिट में अंदरखाने कई तरह की गड़बड़ियों की शिकायत के बाद सहारा प्रबंधन की विभिन्न जांच टीमों ने कई दौर में जांच-पड़ताल की। इन टीमों ने अपनी जांच रिपोर्ट सहारा के शीर्षस्थ नेतृत्व को सौंप दिया था। इस रिपोर्ट में सरकुलेशन और एकाउंट में गड़बड़ियां होने की बात कही गई है। मुकेश अग्रवाल पर यह भी आरोप था कि वे यूनिट हेड का जिम्मा निभाने के साथ देहरादून में अपना स्कूल भी चला रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि सहारा प्रबंधन किसी भी सहारा कर्मी से यह अपेक्षा नहीं करता कि वह यहां कार्य करते हुए कोई दूसरा निजी बिजनेस भी करे। कई तरह के मामलों को देखते हुए प्रबंधन ने मुकेश अग्रवाल पर इस्तीफे के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया था।
कल नोएडा से एचआर की एक टीम ने देहरादून जाकर मुकेश अग्रवाल का इस्तीफ ग्रहण करते हुए उन्हें कार्यमुक्त कर दिया। उधर, सहारा से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय सहारा, देहरादून में हुई गड़बड़ियों के तार नोएडा तक से जुडे़ हुए हैं। देहरादून में कई और लोगों पर भी गाज गिर सकती है। गड़बड़ियों की शिकायत जिस कर्मचारी ने की थी, उसे बाद में नौकरी से हटा दिया गया लेकिन जांच होने पर कई आरोप सही पाए गए। सहारा में जांच होने और रिपोर्ट देने व कार्रवाई करने में वक्त लगता है, इसी कारण निर्णय अब हुआ है। राष्ट्रीय सहारा के संपादकीय व प्रबंधकीय नेतृत्व में बदलाव के बाद कई मामलों पर अब निर्णय लिया जा रहा है। पहले इन मामलों को दबाने की कोशिश की जाती थी।
इस बारे में भड़ास4मीडिया ने जब मुकेश अग्रवाल से संपर्क किया तो उनका कहना था कि गड़बड़ी और घोटाले की बात बेबुनियाद है। सरकुलेशन में जिस गड़बड़ी की बात की जा रही है वह पिछले साल अगस्त महीने की बात है और उसका इस साल सितंबर महीने में कोई लेना-देना नहीं है। रही बात स्कूल चलाने की तो यह मैं सबको बता चुका था। यह सभी के संज्ञान में था। मुकेश का कहना है कि उन्होंने 31 अगस्त को मेल के जरिए कई समस्याओं को उठाया था और इन समस्याओं के दूर न होने पर इस्तीफे की पेशकश की थी। प्रबंधन ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया। वे नई व्यवस्था होने तक पद पर बने हुए थे लेकिन जब उनसे कल रिलीव होने को कहा गया तो उन्होंने अपना कार्यभार सौंप दिया। उन्होंने बताया कि समस्या कार्यप्रणाली को लेकर थी। सिस्टम ठीक करने के लिए मैंने कई बार अनुरोध किया पर कोई सुनवाई नहीं हुई।
ज्ञात हो कि मुकेश अग्रवाल सहारा से पहले अमर उजाला समूह में थे। उनकी अमर उजाला में काफी प्रभावशाली हैसियत हुआ करती थी। अमर उजाला के निदेशक अतुल माहेश्वरी के निजी सहायक रहते हुए मुकेश अग्रवाल अमर उजाला की सभी यूनिटों के प्रबंधकों व संपादकों और निदेशक के बीच समन्वय का काम करते थे। पर अमर उजाला के शीर्ष प्रबंधन से अनबन के बाद मुकेश अग्रवाल को वहां से भी जाना पड़ा था।