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सहारा के कई वरिष्ठों की नौकरी सुरक्षित नहीं

नए प्रबंधन ने आधा दर्जन से ज्यादा लोगों को उपयोगिता साबित करने या नई नौकरी तलाशने को कहा : संजीव श्रीवास्तव और उपेंद्र राय के सहारा मीडिया की कमान संभालने के बाद से मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है. वरिष्ठों को हटाने का अभियान जारी है. चर्चाओं व अफवाहों का बाजार गर्म है. ताजी सूचना के मुताबिक सहारा के न्यूज चैनलों में कार्यरत कई वरिष्ठों को इशारा कर दिया है कि वे अगले कुछ महीनों में नया ठिकाना तलाश लें या फिर अपनी उपयोगिता साबित करें. इनमें संजय ब्रागटा, संजय पाठक, राजेश सिंह समेत कई लोगों का नाम है. बताया जा रहा है कि संजय ब्रागटा नए प्रबंधन के अनुकूल होकर उपयोगिता साबित करने की पूरी कोशिश में लगे हुए हैं. 

<p align="justify"><font color="#003366">नए प्रबंधन ने आधा दर्जन से ज्यादा लोगों को उपयोगिता साबित करने या नई नौकरी तलाशने को कहा : </font>संजीव श्रीवास्तव और उपेंद्र राय के सहारा मीडिया की कमान संभालने के बाद से मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है. वरिष्ठों को हटाने का अभियान जारी है. चर्चाओं व अफवाहों का बाजार गर्म है. ताजी सूचना के मुताबिक सहारा के न्यूज चैनलों में कार्यरत कई वरिष्ठों को इशारा कर दिया है कि वे अगले कुछ महीनों में नया ठिकाना तलाश लें या फिर अपनी उपयोगिता साबित करें. इनमें संजय ब्रागटा, संजय पाठक, राजेश सिंह समेत कई लोगों का नाम है. बताया जा रहा है कि संजय ब्रागटा नए प्रबंधन के अनुकूल होकर उपयोगिता साबित करने की पूरी कोशिश में लगे हुए हैं.  </p>

नए प्रबंधन ने आधा दर्जन से ज्यादा लोगों को उपयोगिता साबित करने या नई नौकरी तलाशने को कहा : संजीव श्रीवास्तव और उपेंद्र राय के सहारा मीडिया की कमान संभालने के बाद से मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है. वरिष्ठों को हटाने का अभियान जारी है. चर्चाओं व अफवाहों का बाजार गर्म है. ताजी सूचना के मुताबिक सहारा के न्यूज चैनलों में कार्यरत कई वरिष्ठों को इशारा कर दिया है कि वे अगले कुछ महीनों में नया ठिकाना तलाश लें या फिर अपनी उपयोगिता साबित करें. इनमें संजय ब्रागटा, संजय पाठक, राजेश सिंह समेत कई लोगों का नाम है. बताया जा रहा है कि संजय ब्रागटा नए प्रबंधन के अनुकूल होकर उपयोगिता साबित करने की पूरी कोशिश में लगे हुए हैं. 

एक अन्य जानकारी के अनुसार इनपुट को कंबाइंड करने के बाद अब एसाइनमेंट को भी कंबाइंड किया जा रहा है. सभी चैनलों के एसाइनमेंट के एक हो जाने से कई लोगों की नौकरी जाने की आशंका पैदा हो गई है.

उधर, सहारा की अंग्रेजी मैग्जीन ‘सहारा टाइम’ के एडिटर उदय सिन्हा के बारे में खबर आ रही है कि उन्होंने मैग्जीन के कर्मियों के साथ एक बैठक कर नए मैनेजमेंट का रुख मैग्जीन के प्रति अनुकूल न होने के कारण निकट भविष्य में संस्थान से विदा लेने की बात कह दी है. हालांकि इस बारे में जानकारी के लिए जब भड़ास4मीडिया ने उदय सिन्हा से संपर्क किया तो उन्होंने इसे आंतरिक मसला बताते हुए कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

नए प्रबंधन से जुड़े एक वरिष्ठ ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि किसी भी वरिष्ठ को जाने के लिए नहीं कहा गया है. सभी से बेहतर काम की अपेक्षा की जा रही है और यह अपेक्षा गलत नहीं है.

दूसरी तरफ सूत्रों का कहना है कि उपयोगिता शब्द पसंद और नापसंद पर निर्भर करता है. अगर कोई आपको पसंद नहीं है तो उसे अनुपयोगी कह सकते हैं और कोई पसंद है तो उपयोगी बता सकते हैं.

सूत्रों के मुताबिक संजीव-उपेंद्र की जोड़ी मैग्जीन और न्यूज चैनलों में वरिष्ठ पदों पर अपने लोगों का लाने की तैयारी कर ली है. इसी कारण वर्तमान में जो लोग वरिष्ठ पदों पर काम कर रहे हैं उन्हें साइडलाइन करते हुए उन्हें उपयोगिता साबित करने का भाषण पिलाया जा रहा है ताकि ऐसा माहौल बन जाए जिससे ये लोग खुद ब खुद इस्तीफा देकर चले जाएं. खुद इस्तीफा दे देने से नए प्रबंधन के सिर इस्तीफा लेने का आरोप नहीं लगेगा और अपने लोगों को लाने का रास्ता भी खुल जाएगा.

अगर आपके पास भी मीडिया से जुड़ी कोई खबर है तो आप हम तक [email protected] या फिर [email protected] के जरिए पहुंचा सकते हैं. आपके नाम और पहचान का कभी खुलासा नहीं किया जाएगा

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0 Comments

  1. sandeep dasan

    February 5, 2010 at 10:12 am

    For a few months I worked in Sahara as an intern. What I gathered during those 2 and half months was that the it was the seniors who constituted the most incompetent lot in the Pariwar. I never found any middle or junior level employee unwilling to help me or for that matter any intern. On the other hand seniors particularly the HoDs never came to office on time, never stayed for more than 2-3 hrs and NEVER EVER bothered to look after their department. They always spent time in spying on other HoD and their own juniors; most of the spies being peons. If the HoD opts to run his dept through peons only god could help the dept. Whatever treatment is being meted out to the HoDs they deserve it.

  2. lall

    February 5, 2010 at 10:50 am

    Well saisd Sandeep ji.Get ready for stones and abuses from chamchas.

  3. sadanand

    February 5, 2010 at 4:18 pm

    Yashwant ji main aapko sirf Sahara ke TV channels mein jo gandagi faili hui thi uske baare mein aapke bhadas par hi prakashit ek purani report ka sandarbh dena chahunga. Kuch samay pahle kaafi saare stringer aur outstation reporters ko Noida bulakar unse resignation maanga gaya tha. In reporters mein ek reporter wo bhi the jinhone aap jaan ki parwah na karte hue Ghanshyan daku ka encounter cover hi nahi kiya tha balki jab ghanshyam bach kar nikal raha tha to police ko alert bhi kiya tha.
    Aise bahut se log jo ki HR head aur apne bosses ki tanashahi ka shikar hue un sabki bad duayen nakale ja raho seniors ko lagi hain. Aap bhale hi mazaak udaye mere karni aur phal mein vishwas ka par sach yahi hai ati hamesha varjit thi aur in HR head ne ati ki thi.

    Dhanyavaad.

  4. bhim narayan

    February 6, 2010 at 12:37 am

    yashwant ji
    sahara me kise milega sahara aur kaun hoga besahara ye tho bhagwan jane. lekin ek baat bahut saaf hai ki bade sahab ne apne worker ko bahut pyar diya jiska natija hai ki media me sahara ka danda abhi tak asar nahi dikha paya.
    sanjeev ji ne desh ke sabse acche sansthan ke liye kya planing ki hai uska asar bahut jald regional leval par dikne lagega.
    good sahara

  5. sneha

    February 6, 2010 at 4:27 am

    har nayee pahel kuch logo ko aachi lagti hai aur kuch ko khrab… agra channel ki behtari mai sanjeev ji aur upendra ji worker se best performance chatey hai to galat kya hai….akhir itni badi personality bhi sahara samay ko no 1 na bna payee to ungli subse pahle in per hi uthegi…kub sahara subka bojh uthayegi…jo mehnat karta hai kaam karta hai pramotion aur increment bhi usi ko milna chaiye…..subko ek daandi se hakne wali pratha ab khatam ho jani chaiye………sahara paranam

  6. sahab pranam !

    February 6, 2010 at 12:47 pm

    भुखमरी की कगार पे सहारा के stringers
    कई प्रणाम! करने के मूड में

    प्रयोगात्मक होने के झंडे गाढ़ रहे सहारा मीडिया के कुछ कर्णधारो की बदोलत चैनल के दिहाड़ी कर्त्व्ययोगी(stringers) के बुरे हाल है. चैनल पर देश की महंगाई का ढोल पीटने वाले साहबजन तो ठाठ से रह रहे है, और गुलचर्रे उड़ाने रोज प्रक्टिकल कर रहे है,पर बेरहम इन साहबों का , उन दिहाड़ी साथियो की हालत पर जरा भी दिल नहीं पसीच रहा,.जिनका महंताना साल भर से नहीं दिया गया और वो stringer भुखमरी की कगार पर खड़े है..पुराने साहबो ने खूब गुल खिलाये, अब नए आये है. यू पी , बिहार ,एम पी के stringero की हालात सबसे जायदा ख़राब है.पेमेंट के नाम पर आर्थिक तंगी के बहाने दिए जा रहे है…ऐसे मैं कुछ डिस्ट्रिक्ट stringer ने मेहनताने की राह तकते तकते अब दूसरी जगह मेहनत शुरू कर दी है….एक बार फिर जिस तरह पिछले दो महीनो में, प्रक्टिकल की बयार आई है,वो किसी दूसरी तरफ इशारा कर रही है .बेचारे stringer ‘ये पूछ पूछ कर ‘थक गए कि कब पेमेंट रिलीस होगा, कम से कम १-२ महीने का भेज दे, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं .और तो और बड़े साहब लोग जले पर नमक छिड़कने से भी बाज नहीं आ रहे ”करोडो रूपये देश के खिलाडियों को दान दे रहे है” ..जिनकी दम पर चैनल की बुनियाद टिकी है उन्ही stringers का मेहनताना मार-मार कर यहाँ के साहब अपनी जेब भरने मशगूल है…इन सब के बीच खबर है कि यू पी ,बिहार ,और ऍम पी के बुरौ सिटी stringer एक साथ इस्तीफ़ा देने वाले है… . क्योकि अभी तक तो ये लोग किसी न किसी तरह काम कर रहे थे लेकिन अब सब्र का बांध टूट रहा है.नए साहब इन-पुट आउट-पुट में ही उलझे है,लेकिन अभी तक उनको अपने दिहाड़ी मजदूरों का मन जानने की फुर्सत नहीं मिली…. ये जानते हुए भी की देश के कई bureau बंद कर दिए है और कई जगह से स्टाफ की chathnee भी…..सिर्फ इसलिए कि चैनल को घाटे से उभारा जा सके, लेकिन ये समझ में नहीं आ रहा, कि स्टाफ की कटोती, फिर कई bureau के कम हुए खर्चे की बची रकम………… आखिर हजम कौन कर रहा है.यदि यही हाल रहा तो चैनल में नटवरलाल बनकर बैठे छुपे रुस्तम कुछ महीनो मैं चैनल को बेच खायेंगे……[b][/b][u][/u]

  7. sahab pranam !

    February 6, 2010 at 12:52 pm

    भुखमरी की कगार पे सहारा के stringers
    कई प्रणाम! करने के मूड में

    प्रयोगात्मक होने के झंडे गाढ़ रहे सहारा मीडिया के कुछ कर्णधारो की बदोलत चैनल के दिहाड़ी कर्त्व्ययोगी(stringers) के बुरे हाल है. चैनल पर देश की महंगाई का ढोल पीटने वाले साहबजन तो ठाठ से रह रहे है, और गुलचर्रे उड़ाने रोज प्रक्टिकल कर रहे है,पर बेरहम इन साहबों का , उन दिहाड़ी साथियो की हालत पर जरा भी दिल नहीं पसीच रहा,.जिनका महंताना साल भर से नहीं दिया गया और वो stringer भुखमरी की कगार पर खड़े है..पुराने साहबो ने खूब गुल खिलाये, अब नए आये है. यू पी , बिहार ,एम पी के stringero की हालात सबसे जायदा ख़राब है.पेमेंट के नाम पर आर्थिक तंगी के बहाने दिए जा रहे है…ऐसे मैं कुछ डिस्ट्रिक्ट stringer ने मेहनताने की राह तकते तकते अब दूसरी जगह मेहनत शुरू कर दी है….एक बार फिर जिस तरह पिछले दो महीनो में, प्रक्टिकल की बयार आई है,वो किसी दूसरी तरफ इशारा कर रही है .बेचारे stringer ‘ये पूछ पूछ कर ‘थक गए कि कब पेमेंट रिलीस होगा, कम से कम १-२ महीने का भेज दे, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं .और तो और बड़े साहब लोग जले पर नमक छिड़कने से भी बाज नहीं आ रहे ”करोडो रूपये देश के खिलाडियों को दान दे रहे है” ..जिनकी दम पर चैनल की बुनियाद टिकी है उन्ही stringers का मेहनताना मार-मार कर यहाँ के साहब अपनी जेब भरने मशगूल है…इन सब के बीच खबर है कि यू पी ,बिहार ,और ऍम पी के बुरौ सिटी stringer एक साथ इस्तीफ़ा देने वाले है… . क्योकि अभी तक तो ये लोग किसी न किसी तरह काम कर रहे थे लेकिन अब सब्र का बांध टूट रहा है.नए साहब इन-पुट आउट-पुट में ही उलझे है,लेकिन अभी तक उनको अपने दिहाड़ी मजदूरों का मन जानने की फुर्सत नहीं मिली…. ये जानते हुए भी की देश के कई bureau बंद कर दिए है और कई जगह से स्टाफ की chathnee भी…..सिर्फ इसलिए कि चैनल को घाटे से उभारा जा सके, लेकिन ये समझ में नहीं आ रहा, कि स्टाफ की कटोती, फिर कई bureau के कम हुए खर्चे की बची रकम………… आखिर हजम कौन कर रहा है.यदि यही हाल रहा तो चैनल में नटवरलाल बनकर बैठे छुपे रुस्तम कुछ महीनो मैं चैनल को बेच खायेंगे……

  8. rishi raj

    February 7, 2010 at 5:38 am

    SAHARA ME BAGAWAT PER STRINGER, DENGE FREE SEVA

    Rashtriya sahara patna unit me stringer bagawat par utre. Salary nahi badhne se khafa stringron ne cheque wapas karte hua free me kaam karne ki baat kahi hai. Source ke mutabik kai month se salary badhne ka dilasa mil raha tha. 6 feburary ko cheque milne par stringer us waqt bharak gai jab salary me badhotry nahi hone ki baat saamne aae. Reporter Pramod kumar, Amit kr, Prahlaad kr, Jiwan Jyoti, Sujeet kr, Mritunjai kr ne cheque wapas karte hua free seva dene ki peskas ki hai. Reporteron ki bagawat se Patna Unit ke reporting section ki haalat kharab hone ki aasanka jatai ja rahi hai. Kyonki reporting me adhik sankhya stringron ki hai.

  9. chintamoni bangaal

    February 11, 2010 at 3:01 pm

    sanjiv aur upendra galat kar rahe hai..agar bhadas ki khabar ko maane..wo bhi oonth ke neeche ayenge ek din..

  10. yaak

    February 16, 2010 at 12:50 pm

    jai ho sahara shree !!

    Tum sab Nahin sudharoge ………….

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