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चैनल हेड पद से संजय मिश्र हटाए गए?

‘सहारा समय’ न्यूज चैनल से कई तरह की खबरें आ रही हैं. ढेर सारी अफवाहें उड़ रही हैं. कई चैनल हेडों के हटाए जाने की बात हवा में फैली हुई है. संजय मिश्र जो कि सहारा समय (बिहार-झारखंड) के चैनल हेड हैं, के बारे में दो तरह की खबरें आ रही हैं. एक तो यह कि उन्हें लंबी छुट्टी पर भेज दिया गया है. दूसरे यह कि उन्हें चैनल हेड पद से हटा दिया गया है.

<p align="justify">'सहारा समय' न्यूज चैनल से कई तरह की खबरें आ रही हैं. ढेर सारी अफवाहें उड़ रही हैं. कई चैनल हेडों के हटाए जाने की बात हवा में फैली हुई है. संजय मिश्र जो कि सहारा समय (बिहार-झारखंड) के चैनल हेड हैं, के बारे में दो तरह की खबरें आ रही हैं. एक तो यह कि उन्हें लंबी छुट्टी पर भेज दिया गया है. दूसरे यह कि उन्हें चैनल हेड पद से हटा दिया गया है. </p>

‘सहारा समय’ न्यूज चैनल से कई तरह की खबरें आ रही हैं. ढेर सारी अफवाहें उड़ रही हैं. कई चैनल हेडों के हटाए जाने की बात हवा में फैली हुई है. संजय मिश्र जो कि सहारा समय (बिहार-झारखंड) के चैनल हेड हैं, के बारे में दो तरह की खबरें आ रही हैं. एक तो यह कि उन्हें लंबी छुट्टी पर भेज दिया गया है. दूसरे यह कि उन्हें चैनल हेड पद से हटा दिया गया है.

इन खबरों की पुष्टि सहारा समय (बिहार-झारखंड) के कुछ लोग कर रहे हैं लेकिन खुद संजय मिश्र का कहना है कि वे अब भी चैनल हेड हैं और आफिस में मौजूद हैं. उन्होंने खुद को चैनल हेड पद से हटाए जाने की खबरों को निराधार बताया है. उधर, संजय मिश्र जैसी ही चर्चा एमपी-छत्तीसगढ़ के चैनल हेड राजेश कुमार सिंह को लेकर भी उड़ रही है.

कुछ लोग संजय कॉव को भी साइडलाइन किए जाने की बात कर रहे हैं. इन सारी चर्चाओं-अफवाहों को बल मिल रहा है शीर्ष स्तर पर हुए बदलाव से. संजीव श्रीवास्तव और उपेंद्र राय के ज्वाइन करने और सुमित राय व अनिल अब्राहम के वर्चस्व के खत्म होने के कारण माना जा रहा है कि पुराने सल्तनत के करीबी लोगों को देर सबेर साइडलाइन किया जाएगा. आज नहीं तो कल इन लोगों को महत्वपूर्ण पदों से हटाया जाएगा. संभव है, इसी आधार पर कयासबाज अफवाहों को बनाने और उड़ाने में लगे हों. 

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0 Comments

  1. rajeev

    January 21, 2010 at 10:01 am

    yaswant jee ye khabar apko badi der se mili hai.

  2. Mohit Verma

    January 22, 2010 at 4:22 am

    There were few people who were removed or left due to bad politics of Sahara….what ever the reason may be….and among them one was Shashi Ranjan..who was and is known for his reporting and PToCs….He was given the responsibility to launch Sahara Bihar Channel…He was who had established this channel…..I think at present he is one of the Regional Channel Heads…who has the capacity to bring back the glory of the channel….i think the New Sahara Management should think to bring him back….He has done wonders in Sadhna News too………what we know is that Sadhna News has limited facilities…very less compared to Sahara…but inspite of that…Sadhna News has left Sahara far behind in Bihar and Jharknad…..as a wellwisher of Sahara…I feel Mr.Ranjan should be brought back….Sahara Management should talk to him…if he aggres to come back…..I am sure he can again take the channel to new hights….This is an honest feeling…bt others should not take it otherwise….it does not mean others are not capable…..it is just a comparison….and i feel Mr.shashi Ranjan should be brought back…..

  3. raj k

    January 22, 2010 at 6:29 am

    It seems that Mr. Mohit Verma is Chamcha of Mr. Shahshi Ranjan but we know Shashi is better but not good for Channel Head. Lagta hai Shashi ji apni convesing karwa rahe hai.

  4. vinod rai

    January 22, 2010 at 7:06 am

    शशिरंजन सहारा के कई वरिष्ठ कर्तव्ययोगियों से कहीं बेहतर हैं। खबरों के पुराने आदमी हैं। अच्छी खासी परफारमेंस दे चुके हैं। फील्ड में भी लंबे वक्त तक रिपोर्टिंग करते रहे हैं और डेस्क पर भी अच्छा काम किया ही है। ये क्यों भूला जाए कि सहारा का बिहार झारखंड चैनल उन्हीं की उपज है। खैर, सहारा श्री जैसा समझें। वैसे सहारा मीडिया ग्रुप बिना पीडी (प्रभात डबराल) के चल ही नहीं सकता। ये पूरा मीडिया जगत जानता है।

  5. Rohit Raj

    January 22, 2010 at 8:02 am

    There is no doubt about Shashi Ranjan and his performance.He was removed in the tenure of PD.But dont you think it was again PD who took him along with him in Sadhna.And they have given a big ‘JHATKA’ to Sahara.

  6. राजेश

    January 22, 2010 at 2:55 pm

    पूरी बहस ही गलत दिशा में जा रही है। किसने कहा कि साधना ने बिहार में सहारा को पीछे छोड़ दिया है। कृपया टैम रिपोर्ट देखें… पिछले 4 हफ्तों में 49 फीसदी शेयर के साथ महुआ न्यूज़ बिहार में नंबर वन है जबकि 30 फीसदी के साथ ईटीवी बिहार दूसरे नंबर पर। सहारा फिर भी ठीक है… साधना तो कभी दहाई में भी नहीं पहुंचा।

  7. rajesh

    January 22, 2010 at 3:06 pm

    बहस में उलझने से पहले कृपया सभी लोग एक तथ्य के बारे में जान लें। बिहार झारखंड में महुआ न्यूज़ नंबर वन है। टैम की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले चार हफ्तों में महुआ न्यूज़ का चैनल शेयर 49 फीसदी है। दूसरे नंबर पर ईटीवी बिहार है जिसका हिस्सा करीब 30 फीसदी है। सहारा समय बिहार तीसरे नंबर पर है जबकि साधना न्यूज़ तो दहाई के आंकड़े के भी नीचे है। ये जानकारी टैम रिपोर्ट से कन्फर्म की जा सकती ह । अब आप लोग बहस को आगे बढ़ाइए…

  8. Surendra

    January 22, 2010 at 5:52 pm

    सहारा को किसी की ज़रूरत नहीं.. ज़रूरत है तो वर्क कल्चर सुधारने की..परिवार को ऑर्गेनाइज़ेशन में तब्दील करने की.. सहारा में ऐसे ऐसे दिग्गज हैं कि किसी और चैनलों के पास नहीं.. ये लोगों ने यहां से बाहर निकलकर साबित भी किया है.. नया मैनेजमेंट उम्मीदें बढ़ा रहा है..

  9. vipul

    January 23, 2010 at 2:48 am

    सुरेंद्र जी सहारा के एक दिग्गज का तो नाम लीजिए। जो नए आए हैं उन्हें छोड़कर। जो दिग्गज थे वे चले गए। और साबित करके भी उन्होंने ही दिखाया। उन्होंने सहारा में भी साबित किया था और बाहर भी साबित कर रहे हैं। सच्चाई को समझो। हां, जो ये कह रहा है कि सहारा में वर्क कल्चर सुधारने की जरूरत है वो कुछ हद तक ठीक कह रहा है। लेकिन महोदय का ये कहना गलत है कि इसे ऑर्गेनाइजेशन बनाकर ही सुधारा जा सकेगा। अरे भाई ये पहले भी परिवार ही था और तब अच्छी परफार्मेंस दी गई थी। तब सहारा के सभी चैनल शीर्ष पर थे। नेशनल चैनल भी 9 फीसदी की टीआरपी पर था। तब आईबीएन, इंडिया टीवी, एनडी आदि सभी पीछे थे इससे। जबकि डिस्ट्रीब्यूशन बहुत कम था। कम तनख्वाह के लोग थे। आज तो भारी भरकम तनख्वाहें मिल रही हैं, डिस्ट्रीब्यूशन, और इंफ्रास्ट्रक्चर पर करोड़ों खर्च किए हैं। आज भी सालाना घाटा 70 करोड़ के आसपास है। क्या छाती चौड़ी कर रहे हो यार।

  10. akash singh

    January 23, 2010 at 2:54 am

    मैं विपुल की बात से सहमत हूं। मैंने पूरी बहस देख ली है, पढ़ ली है। मैं विनोद राय की बात से भी इत्तेफाक रखता हूं। ये सही है कि प्रभात डबराल के बिना सहारा के चैनल नहीं चल सकते। उस आदमी के पास विज़न है, दिमाग है, खबरों का आदमी है वो। हम सबको ये नहीं भूलना चाहिए कि रीजनल चैनल उसी शख्स की देन हैं जो हम इतना फैल रहे हैं। मैं ये भी कहूंगा कि सहारा के सभी रीजनल चैनल हेड जो फूलते फूलते गुब्बारे हो गए हैं, वे अपने दिल से पूछें कि वे कितने बड़े पत्रकार हैं।

  11. virendra

    January 23, 2010 at 3:00 am

    राय तो सब दे रहे हैं। कोई शशिरंजन जी के बारे में लिख रहा है तो कोई प्रभात डबराल जी के बारे में। यार, प्रबुद्ध राज को भी याद करो, जिसने सहारा का नेशनल चैनल 9 फीसदी पर पहुंचाया था। प्रबुद्ध जी के जाने के बाद कई जतन हुए, पर चैनल 4 के पार पहुंचने में हांफने लगा। ज्यादा कुछ नहीं कहना। बस….पीडी का कोई substitute नहीं। न था न होगा। अगर कोई था तो सहारा वाले बताएं, अगर होगा तो साबित करो।

  12. rajesh

    January 23, 2010 at 3:11 am

    I Agree with virendra and akash. really there is no substitute of Dabral saheb. He has re-established himself in Sadhna News and proved that he is the king of reagional channels. I wish all the best for new team of sahara media.

  13. BAIBHAV

    January 23, 2010 at 4:02 am

    यशवंत भाई खबर हिट है। चर्चा और भी हिट, और टॉपिक फिट। सोचा कुछ मैं भी कह दूं। पुराना सहारियन हूं मैं भी। 4 साल कर्तव्ययोगी के तौर पर कर्तव्य निर्वहन किया है अपन ने वहां। सच्चाई ये है कि सहारा अब सिर्फ मठाधीषों का अड्डा रह गया है। काम करने वाले सभी लोग सहारा प्रणाम कर कहीं और कर्तव्य निभाने चले गए हैं। अब तो ठेलमठेल हो रही है। कुछ लोग जो काम के हैं उन्हीं की बदौलत चैनल ऑन एयर हो रखा है। उनमें गिनती के कुछ पुराने लोग हैं और कुछ नए झंडाबरदारों के साथ आए हैं। मेरी शुभकामनाएं नए टीम लीडरों को। कम से कम जर्नलिस्ट लोग आए हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि वे ठीक करेंगे। पर मठाधीषों को हटाना प्राथमिकता हो तो ही कुछ होगा।

  14. abc

    January 23, 2010 at 7:12 am

    ddddddfghjjjjj

  15. Surendra

    January 26, 2010 at 6:42 pm

    जनाब विपुल दोस्त दो आंकड़े लिखकर सहारा को समझने की शेखी बघार रहे हो.. पीडी की बात कर रहे हो ना.. पीडी ने ही इसे ऑर्गेनाइज़ेशन बनाने की कोशिश की.. फाड़ के रखता था अगला.. तभी सब राइट टाइम थे.. पीडी के जाने के बाद का आलम नहीं देखा शायद तुमने.. वर्ना ऐसा न कहते.. जहां तक सहारा में मौजूद दिग्गजों की बात है तो एक बार यहां के लोगों को सहारा नाम देना मंज़ूर कर ले बस.. फिर देखना.. शर्त लगाओ दोस्त अगर एक भी जोड़ी का दिखा तो.. और चैनलों में डींगे हांकते कल के बच्चे फेम कमा ले जाते हैं.. .यहां कम से कम पत्रकार तो हैं

  16. vibhor sharma

    January 27, 2010 at 5:51 pm

    I READ ALL COMMENT BUT STILL I M NOT SECTISFIDE BECAUSE SUM SAHARIAN HAS TODAY ALSO LIKE CHAMMACH TO MANAGMENT SO I KNOW THAT MR RAJESH KUMAR CHHANEL HEAD(MP) IS VERY GOOD PERSON AND THEY ARE ONLY ONE PERSON TO CREAT NEW NEWS CHANNEL IN NOIDA SOON THERE AFTER ALL CRICTICS HAS TELL VERY SOON MR RAJESH KUMAR SO GOOD NEWS CHANNEL HEAD VERY SOON

  17. BAIBHAV

    January 28, 2010 at 3:19 am

    सुरेंद्र बाबू तुम हो कौन. सहारियन हो क्या. और कहना क्या चाहते हो. कभी पीडी की तारीफ कर रहे हो तो कभी सहारा की बुराई. बीच में लिखते हो कि पीडी के जाने के बाद सहारा में काम का माहौल ही नहीं रहा फिर अगली पंक्ति में लिखते हो कि यहां पत्रकार हैं। आप तो कहीं से पत्रकार नहीं लगते. अपनी ही बात नहीं कह पा रहे हो। तुम्हें यही नहीं मालूम कि कहना क्या चाह रहे हो और लिख क्या रहे हो। सुधरो बाबू।

  18. Ranjeet gupta

    January 30, 2010 at 7:17 am

    sahara yani circus company yahan kisi k aane jaane se koi fark nahi padata print main jo log charan sparsh kar apni chair per kabij hain wahi rahenge yahan kaam nahi butter pasand hain.

  19. ibnebatuta

    January 30, 2010 at 8:36 am

    rajesh kumar aur rajesh jha bhi sahara mp cg ko kabbad mw bech kar jayenge

  20. hahahahahaha

    January 30, 2010 at 10:53 am

    देखिए भाई नया निजाम आया तो सबसे पहले छांटा जाएगा कि पिछले बॉस के करीब कौन लोग थे जाहिर है ऐसे लोगों पर गाज तो गिरेगी ही चाहे वो कितने ही काबिल क्यों न हों. अरे भई सवाल यहां काबिलियत का तो है ही नहीं. वरना सहारा में काम करने वाले कई लोग आज भी बेहद काबिल हैं और इतने काबिल हैं कि किसी भी पद पर कमाल करने की क्षमता रखते हैं लेकिन सहारा ने ऐसे लोगों की फिक्र कब की है जो आज करेगा. यशवंत भाई आपने जो भी लिखा है अगर सच है तो ये काफी दुखद है. संजय मिश्रा हों या राजेश कुमार इनकी काबिलियत पर संदेह करना उचित नहीं है अपने कार्यकाल में इन लोगों ने कई बार अपने चैनल को काफी ऊंचाईयां दी हैं. लेकिन सफलता या विफलता किस तराजू पर तौली जा रही है हमें ये देखना चाहिए. सहारा समय मध्यप्रदेश में राजेश कुमार चैनल हेड, राजेश झा इन्पुट हेड. अहसन अब्बास नकवी आउटपुट हेड के नेतृत्व में अच्छी टीम है और चैनल अपने प्रदेश में नंबर वन भी है ऐसे में अगर विनिंग कॉंबिनेशन से छेड़छाड़ की जाती है तो किसी भी तरह के परिणाम के लिए तैयार रहना चाहिए और मुझे तो हैरत होती है कि कोई भी आदमी चाहे वो संजीव जी या उपेन्द्र राय ही क्यों न हों इतनी जल्दी कैसे फैसला ले सकते हैं कि किसे रहना चाहिए और किसे नहीं. जाहिर है तराजू जरा दूजा किस्म का है मुझे तो इस खबर से काफी निराशा हो रही है. भाई अगर पैसा ही तराजू है तो चैनल हेड की जगह पर किसी आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए किए हुए आदमी को क्यों नहीं बैठा देते वो एक पत्रकार से तो ज्यादा पैसे आपके लिए कमा ही सकता है क्योंकि उसने ट्रेनिंग भी इसी चीज की ली है। न्यूज के आदमी को चैनल हेड बनाओगे तो पहले वाले ही क्या बुरे हैं हां उनसे पैसे की भी उम्मीद करो और इसी आधार पर काबिलियत का पैमाना तय करो तो भाई ये तो अन्याय ही है

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