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संजीव के लाए लोगों का क्या होगा?

संजीव श्रीवास्तव ने बीबीसी से इस्तीफा देने के बाद सहारा मीडिया ज्वाइन किया तो तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि उनके पीछे पीछे बीबीसी व अन्य संस्थानों में कार्य कर रहे उनके खास लोग अब सहारा के हिस्से बन जाएंगे. हुआ भी ऐसा ही. कई लोग बीबीसी व अन्य जगहों से छोड़-छोड़ कर अच्छे खासे  पैकेज पर सहारा मीडिया ज्वाइन किया.

<p style="text-align: justify;">संजीव श्रीवास्तव ने बीबीसी से इस्तीफा देने के बाद सहारा मीडिया ज्वाइन किया तो तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि उनके पीछे पीछे बीबीसी व अन्य संस्थानों में कार्य कर रहे उनके खास लोग अब सहारा के हिस्से बन जाएंगे. हुआ भी ऐसा ही. कई लोग बीबीसी व अन्य जगहों से छोड़-छोड़ कर अच्छे खासे  पैकेज पर सहारा मीडिया ज्वाइन किया.</p>

संजीव श्रीवास्तव ने बीबीसी से इस्तीफा देने के बाद सहारा मीडिया ज्वाइन किया तो तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि उनके पीछे पीछे बीबीसी व अन्य संस्थानों में कार्य कर रहे उनके खास लोग अब सहारा के हिस्से बन जाएंगे. हुआ भी ऐसा ही. कई लोग बीबीसी व अन्य जगहों से छोड़-छोड़ कर अच्छे खासे  पैकेज पर सहारा मीडिया ज्वाइन किया.

श्याम सुंदर, पाणिनी आनंद, आलोक कुमार, फ्रेंकलिन, अमित प्रसाद, ऋषिकेश आदि संजीव श्रीवास्तव के कारण सहारा आए हैं. अब संजीव के जाने के बाद इन लोगों के बारे में कयास शुरू हो चुका है कि इनका क्या होगा. बताया जा रहा है कि कुछ महीनों तक इन लोगों को नहीं छेड़ा जाएगा लेकिन जो लोग काम में कमजोर हैं और सिर्फ संबंध होने के कारण यहां आ गए हैं, उनके लिए मुश्किल हो सकती है.

वैसे, सहारा का अतीत ये बताता है कि अगर बास नहीं रहे तो उनके लाए लोग धीरे-धीरे बेघर होने लगते हैं. कई लोग नई स्थितियों में अपने को ढालने और प्रबंधन के हिसाब से दूसरे लोगों को बास बना पाते हैं.  उधर, चर्चा है कि सहारा के न्यूज चैनल व अखबार में कुछ पुराने लोगों पर गाज इसलिए नहीं गिरी क्योंकि उन्हें संजीव श्रीवास्तव ने संरक्षण दे दिया था. अब उनके जाने के बाद इन पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. इनमें सहारा के नेशनल न्यूज चैनल में कार्यरत एक वरिष्ठ पत्रकार भी हैं जो काफी समय से प्रबंधन के निशाने पर हैं पर हर बार किन्ही न किन्हीं वजहों से बच जाने में सफल हो जा रहे हैं.

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0 Comments

  1. Gaurav

    May 5, 2010 at 1:33 pm

    kaun hai wo “वरिष्ठ पत्रकार” ???

  2. ramesh singh

    May 5, 2010 at 1:36 pm

    So finaly the inavitable has happend – a bit too soon though..the question is that is it necessary that every good journalist will also prove to be a good channel manager? y did sanjeev allowed himself to believe that he is well equipped, trained and experienced to run a mammoth organisation with six 24X7 news channels, as many as three thousand employees and a plethora of pressures to cope with…no, it is his own fault but, unfortunately, several others will also suffer for this, those of his cronie he drafted with mind bogling salaries
    – many of them with no experience of TV news at all.

    As for Sahara management – they are doomed to keep on experimenting – Ambikand sahay( no TV experience), Punya prasoon vajpayee( no mangement experience) and Sanjeev ( no Tv , no mangeent)..

    and then there is this upendra rai – he is smart (chaloo)…but wat is his experience to handle such behemoth…adrakh pakda diya hai, ab tamasha dekho

  3. vineet kumar

    May 5, 2010 at 4:46 pm

    ऐसी बात हम तब किया करते हैं जब किसी परिवार का गार्जियन नहीं रह जाता। हम सबसे पहली चिंता यही करते हैं कि जानेवाला तो चला गया,अब जो है उसका क्या होगा? मीडिया इन्डस्ट्री के भीतर ये एक गंभीर समस्या है,इसे आप हल्के में नहीं ले सकते। आप सोचिए कि इसका मतलब है आपके काम को लेकर कोई पहचान नहीं है। सारा खेल लॉबी पर ही है। आपकी सारी स्थिति आपके रहनुमा से ही तय होती है। मुझे तो जब संजीव श्रीवास्तव बीबीसी छोड़कर सहारा में आए थे तभी अंदाजा हो गया था कि ये यहां बहुत दिनों नहीं रह पाएंगे। लेकिन एक-एक करके धड़धड़ जब लोग बीबीसी से आने लगे तो लगा कि मामला कुछ जमेगा। फिर उपेन्द्र राय और इनके बीच रस्साकशी के किस्से फिजा में उड़ने लगे। तब भी मैं उनके साथ आए लोगों के बारे में ही सोचता रहा। उपरी तौर पर लगता है कि मीडिया सबसे अधिक पहचान बनाने का माध्यम है लेकिन सच्चाई ये है कि इसके भीतर के लोग गहरे पहचान की संकट से जूझते हैं। आपकी पीठ पर जो बॉस का लेबल लगा है उससे अलग लेबल बताने के लिए आपको भारी मशक्कत करनी पड़ती है।..

  4. pankaj

    May 6, 2010 at 6:29 am

    संजीव श्रीवास्तव की सबसे बड़ी कमज़ोरी ये रही कि वो second line command सही लोगों के हाथ में नहीं दे सके …जो कि सशक्त होना चाहिए था … जो भी second in command रहे वो संजीव के लिये नहीं बल्कि अपनी एक अलग लॉबी बनाने में सफल रहे …

    जबसे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में मध्यम वर्ग के लोग आने लगे हैं तभी से यहां पर एक खास प्रदेश और खास जाति के लोगों का वर्चस्व बढ़ गया … पूर्व से पढ़े लिखे सामाजिक और राजनीतिक रूप से जागरूक लेकिन जातिगत समाज में परवरिश पाए लोगों का मीडिया में बोलबाला दिन ब दिन बढ़ता रहा और अक्सर ये बात भी देखने को मिली कि जाति factor lobby बनाने में ज्यादा कारगर साबित हुआ … टीवी मैनेजमेंट की बात करने वालों को शायद ये नहीं मालूम हैं कि अधिकतर लोग जो टीवी का मैनेजमेंट देख रहे हैं उन्हें भी टीवी मैनेजमेंट का कोई अनुभव नहीं था … टीवी का सारा खेल TRP निर्धारित करती है … इसके अलावा टीवी का कोई thumb rule नहीं है … निश्चित रूप से संजीव जिन लोगों को लाए वो भी काबिल पत्रकार थे लेकिन उनकी कोई पैठ सहारा में नहीं थी … वो लोग संजीव पर ही आश्रित थे …. इस खेल में बाज़ी उन लोगों ने मारी जिनकी पैठ पहले से सहारा में थी … एक बात तो साफ है कि सहारा में चाहे घड़ी की सुईयां किसी भी धातु की लगाई जाएं लेकिन मशीनरी वही रहेगी और चाभी भरने वाले भी वही रहेंगे … good luck …

  5. ramesh singh

    May 6, 2010 at 9:58 am

    pankaj babu…zahir hai ye aapka asli nam nahi hai par aapki bato sai lagta hai aap patrakar hi hai…yahi batain dhanpashuao ko kah kahkar kuch patrakar bandhu kuch samay kai liye moti moti tankhaye paa jate hain…VOI mai yahi hua(moti tankha walai channel ko pee gaye)…aur yahi sahara mai hota raha hai (chahe sahay rahai ho, punya prasoon ya sanjiv srivastav)…sabnai isi tarah ki satahi batai banakar maliko ko sammohit kiya…agar sab kuch sirf TRP hi decide karti hai to, bhai merai, Sahara samay national ki TRP bhi 8 aur 9 kai ird gird rahi hai salo tak…tab bhi loss tha aur ab bhi lagbhag utna hi loss hai jab 2 percent par hai…sahara ka UP channel to top mai raha hai…wo bhi hamesha loss mai hi kyon raha??…TV managment ka itna saraleekaran na karain boss…kayee equations banti hain tab channel khada hota hai….aap jo bhi hon naraz mat hoiyega…mera maksad sirf apni bat kahna hai…apman karna nahee…bura laga ho to maf karain plz…

  6. kapil

    May 8, 2010 at 2:27 am

    Yashwant, Please be aware of things before writing down any piece. Do you know the package of those who came in Sahara through Sanjeev. some have joined on same package as they were getting in bbc.

  7. SUJIT THAMKE

    May 25, 2010 at 1:18 pm

    SANJEEV KOUNSE KHET KI MULI HAI PUNYAPRASUNJI KO YE LOG NIKAAL SAKTE HAI TO SAJEEV KYA CHIJ HAI SAHARA KAA COUNTDOWN SHURU HUA HAI PRASUNJI RAHATEH THE TO AAJ SAHARA NO 01 HO JAATA THA

  8. Anand

    July 13, 2010 at 5:37 am

    @Ramesh, Ambikanand Sahay has loads of experience. i think u better increase your knowledge

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