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सहारा से संजीव श्रीवास्तव गए?

संजीव श्रीवास्तवसूचना ऐसी है मिली है कि इस पर सहसा भरोसा नहीं हो पा रहा. कोई कहे कि संजीव श्रीवास्तव अब सहारा मीडिया के हिस्से नहीं रहे तो आप मान जाएंगे? बिलकुल नहीं. भड़ास4मीडिया भी इस पर विश्वास नहीं कर रहा क्योंकि वे अभी-अभी तो आए हैं, बहार बनके छाए हैं. तो ऐसे में कैसे जा सकते हैं?

संजीव श्रीवास्तव

संजीव श्रीवास्तवसूचना ऐसी है मिली है कि इस पर सहसा भरोसा नहीं हो पा रहा. कोई कहे कि संजीव श्रीवास्तव अब सहारा मीडिया के हिस्से नहीं रहे तो आप मान जाएंगे? बिलकुल नहीं. भड़ास4मीडिया भी इस पर विश्वास नहीं कर रहा क्योंकि वे अभी-अभी तो आए हैं, बहार बनके छाए हैं. तो ऐसे में कैसे जा सकते हैं?

लेकिन दुनिया और इसके नियम-कानून बहुत क्रूर होते हैं और अप्रत्याशित घटनाएं इसी दुनिया में ही हुआ करती हैं. फिर भी हम ये आशा करते हैं, दुआ करते हैं कि खबर, संजीव को लेकर उड़ी खबर, बिलकुल गलत हो. पर कई स्तरों पर कनफर्म करने के बाद नतीजा यही आ रहा है कि संजीव का सहारा से रिश्ता संभवतः टूट चुका है. सीईओ और एडिटर इन चीफ के पद पर बीबीसी से सहारा आए संजीव श्रीवास्तव को लेकर कयास, चर्चा, अफवाहों का बाजार गर्म है. मीडिया इंडस्ट्री के कई शीर्ष सूत्र कनफर्म कर रहे हैं कि संजीव श्रीवास्तव संभवतः सहारा मीडिया को अलविदा कह चुके हैं.

इन लोगों का कहना है कि ऐसा उनके अधिकारों में कटौती किए जाने के कारण हुआ है. कुछ लोगों का यह कहना है कि संजीव श्रीवास्तव को कार्यमुक्त किए जाने को लेकर सहारा प्रबंधन ने एकतरफा तौर पर फैसला कर लिया है. वहीं, कुछ बता रहे हैं कि संजीव ने बदली हुई परिस्थितियों में खुद इस्तीफा दिया है. सच्चाई क्या है, यह तो उपर वाला जाने लेकिन कहीं न कहीं ऐसा कुछ तो है जिसके कारण संजीव श्रीवास्तव के बारे में अफवाह बहुत तेजी से उड़ी हुई है.

सूत्रों के मुताबिक संजीव श्रीवास्तव और उपेंद्र राय के बीच रिश्ते ठीक नहीं चल रहे थे. कामकाज के अधिकार क्षेत्र को लेकर दोनों के बीच आपसी तनातनी थी. बताया जा रहा है कि सहारा मीडिया में संजीव श्रीवास्तव को राष्ट्रपति के रूप में लाया गया और उपेंद्र राय को प्रधानमंत्री के रूप में. सारे अधिकार उपेंद्र राय में निहित किए गए और उन्हें इसी कारण सहारा के अखबार का प्रिंटर-पब्लिशर भी बना दिया गया. सीईओ और एडिटर इन चीफ के रूप में संजीव श्रीवास्तव से ये अपेक्षा थी कि वे ब्रांड व कंटेंट की बेहतरी के प्रतीक के रूप में काम करेंगे और अन्य कार्यों में कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे. पर संजीव श्रीवास्तव ने खुद को उपेंद्र राय से ज्यादा प्रभावशाली मान लिया और लगातार ऐसे कार्य करते रहे जिससे लगने लगा कि सारे अधिकार संजीव में निहित हैं और उपेंद्र राय उनके अधीनस्थ हैं. पर सच्चाई इसके उलट थी.

संजीव बीबीसी व अन्य जगहों से अपने कई करीबी लोगों को सहारा ले आए. अंदरखाने संजीव व उपेंद्र के बीच में अधिकार को लेकर संघर्ष चलता रहा और इसकी झलक अन्य कर्मचारियों को भी मिलती रही. इसी कारण महीने भर पहले ही यह बात फैल गई थी कि संजीव व उपेंद्र के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है और पावर स्ट्रगल का दौर शुरू हो चुका है. सूत्रों का कहना है कि जब पानी सिर से उपर बहने लगा तो पूरा मामला सहाराश्री के पास पहुंचाया गया. सहारा श्री ने कई बार संजीव को संकेत दिया कि यहां का मीडिया अपने अंदाज में चलता है, इसकी स्वाभाविक गति में दखल नहीं देना चाहिए. बताया जा रहा है कि कुछ दिनों पहले मुंबई में हुई एक बैठक में संजीव श्रीवास्तव के अधिकारों में कटौती का फैसला लिया गया. कुछ लोगों का कहना है कि बैठक में संजीव श्रीवास्तव को कार्यमुक्त करने का फैसला लिया गया.

यह भी कहा जा रहा है कि संजीव श्रीवास्तव ने सहाराश्री सुब्रत राय सहारा से मिलकर अपनी बात रखने की कोशिश की पर उन्हें इसके लिए वक्त नहीं मिला. ऐसी जाने कितनी चर्चाएं छन-छनकर आ रही हैं. इस बारे में जानकारी के लिए जब भड़ास4मीडिया की तरफ से संजीव श्रीवास्तव को फोन किया गया तो उनका फोन नाट रीचेबल बोलता रहा. एक बार और फोन किया गया तो उनके मोबाइल पर घंटी गई लेकिन उन्होंने फोन डिसकनेक्ट कर दिया. इसके बाद उन्हें एक एसएमएस भड़ास4मीडिया की तरफ से भेजा गया जिसमें उनके इस्तीफे की सूचना के बारे में पुष्टि या खंडन करने का अनुरोध किया गया, पर उस एसएमएस का भी जवाब नहीं आया. संजीव श्रीवास्तव इस प्रकरण पर अगर कुछ भी कहना चाहते हैं तो उनका स्वागत है और उनकी बात को पूरी प्रमुखता से प्रकाशित किया जाएगा.

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0 Comments

  1. Suraj Singh

    May 5, 2010 at 8:39 am

    अगर ये खबर वाकई सच हुई, तो सहारा ग्रुप के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। क्योंकि उनके आने से काफी चीजों में बदलाव हुआ था। लोग सहारा की सभी मीडीया सर्विस को उपयोग करने लगे थे। ऐसे में यदि कोई नया शख्स इस औहदे पर आयेंगे तो कुछ समस्या जरुर होगी।
    निश्चित रुप से ऐसे समय में ये नहीं होना चाहिये था।

    सूरज सिंह।

  2. Anil

    May 5, 2010 at 10:02 am

    Boss professionals jab unprofessional organisations mein atey hain to yehi sab hota hai. Jis bande ne BBC mein kam keya ho voh Sahara jaise thake organisation mein aakar apna career he barbad karega aur kya. Anyways best wishes to Sanjeev

  3. Chandra Bhan Singh

    May 5, 2010 at 10:23 am

    Sory, the is Bad news.

  4. Pankaj kumar singh,copy editior, etv news bihar desk09951879247

    May 5, 2010 at 10:34 am

    yashvantjee khabar apusht bhale ho magar jis daur se india ka media gujar raha hai, usame aisa hone par ascharg nahin,ye wahi desh hai janha ki janta T. N. SESHAN ko hara deti hai,sanjeevjee ka kud esase chhota nain hoga,,,we nai uchai ko prapt karenge.

  5. नीरज

    May 5, 2010 at 11:01 am

    संजीव श्रीवास्तव ने ना बीबीसी में कुछ किया ना सहारा जैसी कुएं में वह कुछ कर पाते. जिस दिन उन्होने सहारा ज्वाइन किया और अपने परिचितों का तांता लगाने लगेथे, लग रहा था की उनके पत्रकारिता के दिन अब भर गए है. पुण्य प्रसून वायपेयी को निकाल कर फेंक देने वाला सहारा ग्रुप कोई प्रोफेशनल कंपनी नही है. और वहां संजीव कुछ कर भी नही पाते. ऐसी परिस्थितीयों में उन्हे तो जाना ही था…

  6. ramesh singh

    May 5, 2010 at 11:17 am

    wat is so unexpected about it?….sanjeev evrybody knows is a decent journalist but did he have the experience of managing a humngous edifice like sahara news – six 24X7 channels, over three thousand employees and all kinds of pressures? No he ate much more than he was trained and experienced to chew – he was destined to fail as was his anchor predecessor, punya prasun. Why did not ZEE give any managerial position to Punyaprasun? simply bcoz he is incapable of managing things – no doubt he is a class anchor and an informed journalist but running a channel is a different ball game…
    yes the other chap – some rai – appears to be a smart alec, a chaloo banda. But chaloopan is not enough to run a channel – you need to know the business, which is complex….so…god help Sahara News…meanwhile I am sure those who were sidelined must be celeberating – the more things change in sahara, the more it remains the same…bye bye sanjeev…. upendra rai will to follow you soon and the show will go on…

  7. avanish

    May 5, 2010 at 11:43 am

    sanjeev ji ko bbc ke jarie 10 sal tak lagatar sunata raha hu. media ki kai barikio ko dekahne ka chasma bbc ne hi mujhe diya. sanjeevji aur un jaise kai ala patrkar apni reporting aur sameekhao ke jarie hamesha yuva patrkaron ko bahut kuchh sikhate rahe hai aur bbc iskaa madhaym rahi hai. lekin hindustani channels aur newspaper me jaisi workculture hai, usme bbc jaise sansthan se laute admi ka kya hashra ho sakta hai, sanjeevji iske ek udaharan hain. hindustaan ki socalled mainsream media creative aur critical logo ke lie nahi rahi. yakin ho raha hai.

  8. ravi

    May 5, 2010 at 3:20 pm

    bad news for sahara

  9. ravi

    May 5, 2010 at 3:21 pm

    sory bed news for sahara

  10. nadim akhter, Dhanbad

    May 6, 2010 at 6:54 am

    Its a very very bad news not only for Sahara, bt for media industry as well…Mr. Sanjeev is very efficient and renowned media professional..every body knows it…bt above all…HE IS VERY VERY GUD HUMAN BEING…My best wishes to Sanjeev ji…May God bless him…
    ek sher kahna chahunga…jo meri life ka mantra v hai..

    “Hum dariya hain, hamein apna hunar maloom hai,
    Jidhar chal denge, Raasta ban jaayega !!”

  11. Charulata

    May 8, 2010 at 6:12 pm

    सहारा के माडिया विभाग में कई आए और कई चले गए। लेकिन सहारा समय जैसा पहले चल रहा था, वैसा ही आज भी चल रहा है। लोग देख रहे हैं। चलाने वाले भी चला रहे हैं। लोग आ रहे है, और जा रहे हैं। संजीव श्रीवास्तव के आने से यहां कोई फर्क नहीं पड़ा, तो जाने से भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

  12. G.H.QADIR Hallaur Siddharthanagar U.P.

    May 9, 2010 at 2:19 pm

    sahara me jisne achcha kam kiya uske saath aise hi hoga chahe voh Punn Prasunn Vajpeyee ji ho ya ab Sanjeev Srivastav ji ho.

  13. Shravan

    May 10, 2010 at 6:25 am

    Kuch bhi ho sakta hai!!!!! 3 factor – Money, Position and Fixing ka nam ho gaya hai media.

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