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दुख-दर्द

विज्ञापनी दबाव से सहारा के स्ट्रिंगर टेंशन में

: तीन जिलों के स्ट्रिंगरों का इस्तीफा : स्वतंत्रता दिवस के मौके के लिए विज्ञापन बटोरने का दबाव सहारा के जिला संवाददाताओं पर चरम पर पहुंच गया है. इस दबाव के कारण इस्तीफा देने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है. 15 अगस्त के लिए विज्ञापन के दबाव में उप्र के अलग-अलग जनपदों के तीन स्ट्रिंगरों ने इस्तीफा दे दिया है. ये जिले हैं- सीतापुर, लखीमपुर खीरी और हरदोई.

<p style="text-align: justify;">: <strong>तीन जिलों के स्ट्रिंगरों का इस्तीफा</strong> : स्वतंत्रता दिवस के मौके के लिए विज्ञापन बटोरने का दबाव सहारा के जिला संवाददाताओं पर चरम पर पहुंच गया है. इस दबाव के कारण इस्तीफा देने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है. 15 अगस्त के लिए विज्ञापन के दबाव में उप्र के अलग-अलग जनपदों के तीन स्ट्रिंगरों ने इस्तीफा दे दिया है. ये जिले हैं- सीतापुर, लखीमपुर खीरी और हरदोई.</p> <p>

: तीन जिलों के स्ट्रिंगरों का इस्तीफा : स्वतंत्रता दिवस के मौके के लिए विज्ञापन बटोरने का दबाव सहारा के जिला संवाददाताओं पर चरम पर पहुंच गया है. इस दबाव के कारण इस्तीफा देने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है. 15 अगस्त के लिए विज्ञापन के दबाव में उप्र के अलग-अलग जनपदों के तीन स्ट्रिंगरों ने इस्तीफा दे दिया है. ये जिले हैं- सीतापुर, लखीमपुर खीरी और हरदोई.

कई जनपदों के संवाददाताओं के एक भी विज्ञापन के कूपन नहीं कटने पर सहारा समय उप्र के कथित प्रभारी फोन पर स्ट्रिंगरों को कार्यवाही की धमकी दे रहे हैं. सहारा प्रिंट मीडिया के लिए काम करने वालों को 15 अगस्त के लिए विज्ञापन टारगेट ढाई से तीन लाख रुपये का दिया गया है और इलेक्ट्रानिक मीडिया के प्रतिनिधियों को कूपनों की एक से दो लाख रुपये मूल्य की गड्डी दी गई है. उल्लेखनीय है कि अभी एक महीने पहले ही कई जिलों में मुख्यालय से लेकर तहसील स्तर तक सहारा के कार्यालयों का उदघाटन हुआ था. प्रिंट तथा इलेक्ट्रानिक के समन्वय से एसएनबी को खबरें दी जानी थीं. पैसे बटोरने की होड़ लिए यूनिट प्रमुखों ने तहसील और ब्लाक स्तर पर पचास से एक लाख के विज्ञापन के आधार पर तीस जुलाई तक जिला प्रतिनिधियों को संवाददाता नियुक्त कर कार्यालय खोलने का आदेश दिया.

पूर्वांचल के अधिकांश जिलों में ऐसा हुआ भी. कार्यालय खुल गए. कुर्सी मेज आ गए. लेकिन उनका भुगतान कौन करेगा, इसको लेकर परेशान जिला संवाददाता सो तक नहीं पा रहे हैं. ऐसे में 15 अगस्त के लिए विज्ञापन का भार. कई जगह तो अखबार तक नहीं आता है, पर उन्हें पंचायत चुनाव, 15 अगस्त, ईद आदि के लिए विज्ञापन बटोरने को कहा जाता है. विज्ञापन की कई योजनाएं थमा दी जाती है. इससे प्रतिनिधि परेशान हैं. ऐसे में संभव है कि इस्तीफा देने का सिलसिला बढ़ जाए.  एक महीना पहले ही कार्यालय उदघाटन के नाम पर प्रत्येक जिले से तीन से पांच लाख रुपये विज्ञापन के नाम पर लिए गए. अभी से ही सभी स्ट्रिंगरों के होश उड़े हुए हैं. अब देखना है कि ब्लाक तक पहुंच चुके राष्ट्रीय सहारा के कार्यालय गली-मुहल्ले में कब खुलेंगे और बेचारे क्षेत्रीय संवाददाता किनके किनके दरवाजे से भगाए जाएंगे.

(सहारा के पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक स्ट्रिंगर द्वारा भेजी गई ई-चिट्ठी पर आधारित)

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0 Comments

  1. us

    August 12, 2010 at 5:03 am

    it’s very shameful that democracy fourth pillar is miss using its right and nobody can write or show it.

  2. Prashant

    August 12, 2010 at 5:24 am

    हरदोई में सहारा समय न्यूज़ चैनल में दो लोग है| आमिर किरमानी और अजीत अवस्थी एक अजीत अवस्थी बाहर है इस्तीफा देने वाले नहीं दुसरे आमिर किरमानी ने अभी तक अपना इस्तीफा दिया नहीं है | कौन है आप भाई ???????? जो गलत सूचना दे रहे है जानकारी को और मजबूत करिए आमिर का नंबर है 9415175786 और अवस्थी जी का 9451424848 पता करिए फिर नई पोस्ट डालिए अखबार में भी ऐसा कुछ नहीं है अभी तक

  3. basant

    August 12, 2010 at 3:56 pm

    कमोबेश झारखण्ड और बिहार के फिल्ड रिपोर्टर के साथ भी यही हो रहा है , खाशकर झारखण्ड में इनदिनों राष्ट्रपति साशन है , यहाँ सभी नेताओं की कमाई पूरी तरह ठप्प है , लिहाजा हर नेता बिग्यापन के नाम पर कन्नी काटने लगें है , हद तो ये है की बिग्यापन के खोप के चलते सहारा समय के रिपोर्टरों का फ़ोन भी रीसिव नहीं कर रहें हैं , वोहीं दूसरी उपर से हटाने की धमकी भी दी जा रही है

  4. naren

    August 12, 2010 at 6:04 pm

    ये पांणेजी क्या लखीमपुर वाले है

  5. bhg

    August 13, 2010 at 3:21 pm

    bhai sahab kuchh log to kah rahe hai ki jo apane competitor se 10000 bhi jyada layega woh apanisabhi sahi galat batre manawa kar apane competitor ko maat de dega

  6. VIVEK VIKRAM SINGH SULTANPUR

    August 13, 2010 at 7:56 pm

    yashwantji, jub lagatar 10 varso tak lucknow-kanpur unit may news va advertiesment may no-1 rahnay waley ek swabhimani jila savandata ko ek mahila sansad sahara say hatwa sakti hai tab ab saharasri kay sahara bhavno par jagahn jagah likhe su-vicharo ko ab sahara waley gambhirta say nahi padhtay.ab sahara akhbaar nahi pujipativo ka pumplet bankar rah gaya hai.
    vivekvikram

  7. yadvendra rai gazipur

    August 13, 2010 at 8:14 pm

    VIVEK BHAI BILKUL SACHAI LIKHI APNEY.KAHI AP RAJESH BAJPAI KI TARAF ISAARA NAHI KAR RAHEY.MAI UNHEY JANTA TOU NAHI PARANTU UNKI KALAM KI DHAAR AUR RANGBAZI ITNEY DOOR GAZIPUR TAK JAROOR SUNI HAI.SAHARA MAY SANSAD KAY KAHNAY PAR NAHI VIDHAYAK KAY KAHNAY PAR VAGAIR JAANCH KARAYE ZILA PRAMUKH HATA DIYE JAATAY HAI PARANTU ABHI KUCH DINO PAHLEY LOGO NEY SRI BAJPAI KA HINDUSTAN NEWSPAPER MAY FRONT PAGE PAR BHOOL KAR MAT PINA GANGAJAL TATHAPARAK BEHTAREEN KHABAR PADHI JO BY LINE CHAPI.
    KYA RAJESHJI HINDUSTAN MAY HAI.

  8. Zeba Zaidi Lucknow

    August 13, 2010 at 8:24 pm

    yeh rajesh bajpai upendra rai ka bahut bada chamcha hai parantu anu tandon kay agay upendra rai bhi backfoot par aa gaye aur chelay ko nahi laa paye sahra may.ab yeh banda jansandesh news channel ka unnao distt ka head hai

  9. Navyug

    August 16, 2010 at 9:08 am

    Dear Mr. Upendra Rai,

    Jab tak ghise pite mohron se baazi khelenge isi tarah lanchan lagte rahenge, itihas gawah hai kabhi bhi kisi kaam karne wale ko sahara ke in purane medhkon ne tikne nahin diya hai, yahan jab bhi kisi ne achcha aur organisation ko sarvopari rakh kar kaam karna shuru kiya hai ye sare dushman ek ho kar use girane me lag jaate hain, kyonki in sabka koi na koi mai baap baitha hai.

    Sahara Parivar Shri Subrat roy ne bahut jatan , lagan aur mehnat se khada kiya hai aur iska adhaar parabanking hai, akhbar ke alawa saare division break even par hain, kyonki akhbaar me sabki apni dhapli apna raag hai, kaam par dhyan na hokar sab apni setting me lage huye hain, jab bhi yahan kisi se kaam karne ko kaha jata hai, ye saare kamchor aisa mahol banate hain jaise bada atyachar ho raha hai, ye sab Subrat Roy ji ke dayalu nature ka fayda uthate hain
    likne ko bahut kuch hai , samay milne par phir kabhi vistar se likunga

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