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राष्ट्रीय सहारा के कई मीडियाकर्मियों की सेलरी कटी

मजदूर दिवस के दिन राष्ट्रीय सहारा के कई पत्रकारों-मीडियाकर्मियों को सेलरी में कटौती का ‘तोहफा’ मिला है. जिन लोगों की सेलरी काटी गई है उनके नाम इस प्रकार हैं- पीयूष बंका (यूनिट हेड, राष्ट्रीय सहारा, गोरखपुर), मनोज तिवारी (स्थानीय संपादक, राष्ट्रीय सहारा, गोरखपुर), दुर्जटि मिश्रा (सिटी डेस्क इंचार्ज, राष्ट्रीय सहारा, गोरखपुर), मुकेश पांडेय (फोटोग्राफर, राष्ट्रीय सहारा, गोरखपुर), कलानिधि मिश्रा (ब्यूरो रिपोर्टर, राष्ट्रीय सहारा, लखनऊ), संजीव श्रीवास्तव (उप संपादक, राष्ट्रीय सहारा, लखनऊ) आदि.

<p> <p style="text-align: justify;">मजदूर दिवस के दिन राष्ट्रीय सहारा के कई पत्रकारों-मीडियाकर्मियों को सेलरी में कटौती का 'तोहफा' मिला है. जिन लोगों की सेलरी काटी गई है उनके नाम इस प्रकार हैं- पीयूष बंका (यूनिट हेड, राष्ट्रीय सहारा, गोरखपुर), मनोज तिवारी (स्थानीय संपादक, राष्ट्रीय सहारा, गोरखपुर), दुर्जटि मिश्रा (सिटी डेस्क इंचार्ज, राष्ट्रीय सहारा, गोरखपुर), मुकेश पांडेय (फोटोग्राफर, राष्ट्रीय सहारा, गोरखपुर), कलानिधि मिश्रा (ब्यूरो रिपोर्टर, राष्ट्रीय सहारा, लखनऊ), संजीव श्रीवास्तव (उप संपादक, राष्ट्रीय सहारा, लखनऊ) आदि.

मजदूर दिवस के दिन राष्ट्रीय सहारा के कई पत्रकारों-मीडियाकर्मियों को सेलरी में कटौती का ‘तोहफा’ मिला है. जिन लोगों की सेलरी काटी गई है उनके नाम इस प्रकार हैं- पीयूष बंका (यूनिट हेड, राष्ट्रीय सहारा, गोरखपुर), मनोज तिवारी (स्थानीय संपादक, राष्ट्रीय सहारा, गोरखपुर), दुर्जटि मिश्रा (सिटी डेस्क इंचार्ज, राष्ट्रीय सहारा, गोरखपुर), मुकेश पांडेय (फोटोग्राफर, राष्ट्रीय सहारा, गोरखपुर), कलानिधि मिश्रा (ब्यूरो रिपोर्टर, राष्ट्रीय सहारा, लखनऊ), संजीव श्रीवास्तव (उप संपादक, राष्ट्रीय सहारा, लखनऊ) आदि. गोरखपुर वालों की सेलरी में कटौती इसलिए की गई है कि इन लोगों ने सहाराश्री से जुड़े एक कार्यक्रम का कवरेज सही नहीं किया. साथ ही, जो तस्वीर प्रकाशित हुई, उसमें कैप्शन गलत था. बीते दिनों सहाराश्री सुब्रत राय सहारा का गोरखपुर में व्यापारियों ने सम्मान किया था. इस कार्यक्रम में सीईओ व एडिटर इन चीफ संजीव श्रीवास्तव व न्यूज डायरेक्टर उपेंद्र राय भी पहुंचे थे. बड़े तामझाम के साथ हुए कार्यक्रम का कवरेज जो राष्ट्रीय सहारा में अगले दिन छपा, वह प्रबंधन को पसंद नहीं आया. कई लोगों की तस्वीरें नहीं छपीं. एक कैप्शन गलत छप गया था. इस कारण पहले तो पूरे मामले की जांच हुई और जांच रिपोर्ट के बाद कई लोगों की सेलरी में से दस प्रतिशत की कटौती कर दी गई.

राष्ट्रीय सहारा, लखनऊ के कलानिधि मिश्रा और संजीव श्रीवास्तव की सेलरी में कटौती क्यों हुई है, यह पता नहीं चला है लेकिन सूत्रों का कहना है कि सहारा में अब छोटी-मोटी गल्तियों पर 10 प्रतिशत सेलरी काट देने का जो चलन शुरू हुआ है, उससे काम करने वाले परेशान हैं. खासकर नए निजाम के आने के बाद किसी की सेलरी बढ़ी हो या नहीं, ढेर सारे लोगों की सेलरी तरह-तरह के बहानों से काटी जा रही है.

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0 Comments

  1. Dheeraj Prasad

    May 1, 2010 at 5:39 am

    नमस्कार मित्रो — धीरज प्रसाद ( CNEB NEWS ) नॉएडा से , ( आपसे अनुरोध है की मेरी लेखनी को बिना कुछ विचारे प्रकाशित करें )
    एक बार की तनख्वाह के कट जाने पर जहाँ तक मेरा विश्वास है की उन सभी महानुभाव जनों के जीवन में अचानक ही तूफान आ गया होगा | उनहोने अपने जीवन में उतनी बार राम का नाम नहीं लिया होगा, जीतनी बार अपने साथ हुए इस अन्याय के बारे में चर्चा की होगी |
    आज के ज़माने में राम का पाठ, राम – राम, बेकार में ही मैंने अपने सभी मित्रों का मुड बिगड़ दिया, एक बार की तनख्वाह के कट जाने से फर्क पड़ता है, पर प्रत्येक दिन 100 रुपयों की सिगरेट आदि खाने पिने से फर्क नहीं पड़ता, दरवाज़े पर अगर कोई भूखा आ जाये तो क्या मजाल हम उसे दो रोटी दे दें |

    हम किसी भी संस्था से जुड़ते है, उस समय हमारे मन की केवल एक ही भावना होती है, की, बस हमारी रोटी चलती रहे,पर हम एक बात भूल जाते हैं की ठीक उसी तरह वह संस्था भी आपसे सेवा चाहती है, हममे उतनी क़ाबलियत होती है, तभी तो आप कार्य प्राप्त करने में कामयाब होते है| पर यह गलती ? हाँ यह गलती जो होती है वह हमारी लापरवाही के कारण, हम उस समय यह भूल जाते है की हम किसी की सेवा कर रोटी खाते है| पर यह विचार उस समय हमारे मान को नहीं छू पाते क्योंकि गलती होते हुए देख कर भी हम अनदेखा कर देते है,
    हमें किसी संस्था में कार्य करते हुए काफी साल बीत जाते हैं तो हमें फिर वह संस्था घर दिखाई देने लगता है, और यही भावना लापरवाही बन अपमान कराती है,अगर लगातार ही हम ऐसी गलती करने लगे तो वह दिन दूर नहीं जब जनता खुद ही हमें वोट देने भड़ास 4 मीडिया से हमारा पता मांगने लगे
    शायद मैंने कुछ फालतू ही बोल दिया, मुर्ख जान क्षमा करें |
    धन्यवाद्
    आपका मित्र
    धीरज प्रसाद – CNEB न्यूज़ — नॉएडा

  2. gujarati bhaya

    May 1, 2010 at 8:10 am

    my dear friend diraj prasad aap likte bahot acha hain. in sab mahanubav ki salary katna ek chetavni hai ki agli bar galti kari to salary nahi kategi sansthan se bahar kar diye jaoge.

  3. raja banaras

    May 1, 2010 at 8:19 am

    non serious logon ki tankhawah to katni hi chahiye lekin piyush banka ki salary kyon kati gai? ;D

  4. ajay verma

    May 1, 2010 at 1:33 pm

    kisi bhi tarha se selary nahi katna chaiye aagr koi galti hui hai to phehle batana chahiye

  5. jeetendra kumar singh

    May 1, 2010 at 5:07 pm

    kis paper ya news channal mai galti nahe hoti. sab jagha galti hoti hai. salary katna tab thik hai jab baar baar koi galti kar raha hai. mager ek do baar ager galti ho to warning dekar yai bata dena chahiye agli baar ager galti hogi to action liya jaiga. salary katani sai ager galti thik ho jati tab sab paper or news channal salary kaat dete. mager aisa hota hai kya.

  6. promod

    May 2, 2010 at 7:30 am

    सहाराश्री , अगर ये सही है कि सिर्फ इसलिए कटौती की गई कि जिस कार्यक्रम आप शामिल थे, उस कार्यक्रम की कवरेज सही नहीं थी। ऐसे में अब आप फिर किसी कार्यक्रम में शामिल होंगे तो रिपोर्टर छुट्टी चला जाएगा, क्योंकि वेतन काटकर आप रिपोर्टर को दंड नहीं देते हैं, ये दंड पूरे परिवार को मिलता है, क्योंकि वेतन पर पूरा परिवार निर्भर करता है।
    संजीव और उपेन्द्र तो इसी क्षेत्र से जुड़े हैं, उन्होने इस दंड को कैसे स्वीकर कर लिया, ये हैरत करने वाली बात है। बहरहाल उन्हें भी सहाराश्री को बताना हो रहा होगा कि मैने काफी सख्त कार्रवाई की है।
    बहरहाल सहारा का ये नया दौर कठिन लगता है। सहारा के पत्रकारों के साथ मेरी पूरी सहानिभूति है।

  7. Shiv Lal

    May 2, 2010 at 11:36 am

    समय के अनुसार दिनोदिन समस्या बढती जह रही है, हर कोई चाहता है की उशी के अनुसार चले, जीवन का मूल्यांकन बदल गया है, अब देशी नै सिर्फ पैसा पर नजर रखनी परेदी जो देता है उशी की सुनो, नहीं तो भूखा मरना पड़ेगा, क्यांकि जीवन का मूल्य धोखा है.

  8. Shiv Lal

    May 2, 2010 at 11:39 am

    समय के अनुसार दिनोदिन समस्या बढती जह रही है, हर कोई चाहता है की उशी के अनुसार चले, जीवन का मूल्यांकन बदल गया है, अब देशी नै सिर्फ पैसा पर नजर रखनी परेदी जो देता है उशी की सुनो, नहीं तो भूखा मरना पड़ेगा, क्यांकि जीवन का मूल्य धोखा है.

  9. sujit Thamke

    May 3, 2010 at 6:14 am

    BUSINESSMEN KE HAATH MEDIA GAI TO DESH KAA YEHI HAAL HONGA

  10. Deepak Sharma

    May 3, 2010 at 7:46 am

    Shukar hai ki sahara walo ne kewal salary kaati hai J&K mein tho Akhbaar ke maalik salary dete hi nahi hein, Sabse bada bhugatbhogi mein sabayam hu meri patni cancer rog se grasit ho gai hein aur mere akhbaar ke maliko ne mujh par yeh kirpa ki hein ki meri salary dena to door maddad tak nahin ki. Yeh sacchi patarkaarita ka inaam hein dosto.

  11. Deepak Sharma

    May 3, 2010 at 7:52 am

    Shukar hein ki Sahara walo ney sirf Salary kaati hein yaha J&K mein tho akhbaar wale salary dete hi nahi hein bhai logo kabhi galti se fahas mat jana.

  12. rahul gaziyabadi

    May 3, 2010 at 6:29 pm

    bhaiya, boss logon ki tankhwah kati hai ye koi khabar nahin hai, pata karo ki sahara sri ke is fesle ke baad in kathkne boss logon ne un garib adhinasthon ka kya haal kiya hai jinko is kawrej ki jimmewari boss logon ne sonpi thi.

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