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टीवी

यहां गर्मी से बेहोश हो जाते हैं एंकर

एस1 न्यूज चैनल से एक चिट्ठी आई है. चिट्ठी के साथ एक अटैचमेंट भी है. अटैचमेंट में सेलरी देने की अर्जी है. अर्जी में पीड़ा है. पीड़ा में मजबूरी और आक्रोश दोनों शामिल हैं. पहले चिट्ठी पढ़ें. भेजने वाले ने नाम न छापने का अनुरोध किया है. उसके बाद सेलरी की गुहार से संबंधित अर्जी. चिट्ठी काफी लंबी चौड़ी है. ढेर सारी अच्छी-बुरी बातें कही गई हैं. इसीलिए चिट्ठी को संपादित कर उन्हीं अंशों को दिया जा रहा है जो प्रकाशन योग्य है. -एडिटर

एस1 न्यूज चैनल से एक चिट्ठी आई है. चिट्ठी के साथ एक अटैचमेंट भी है. अटैचमेंट में सेलरी देने की अर्जी है. अर्जी में पीड़ा है. पीड़ा में मजबूरी और आक्रोश दोनों शामिल हैं. पहले चिट्ठी पढ़ें. भेजने वाले ने नाम न छापने का अनुरोध किया है. उसके बाद सेलरी की गुहार से संबंधित अर्जी. चिट्ठी काफी लंबी चौड़ी है. ढेर सारी अच्छी-बुरी बातें कही गई हैं. इसीलिए चिट्ठी को संपादित कर उन्हीं अंशों को दिया जा रहा है जो प्रकाशन योग्य है. -एडिटर

एस1 की दास्तान

अभी तक तो विजय दीक्षित कहते आ रहे थे कि चैनल को रेवेन्यू नहीं मिल रहा है. इसलिए सेलरी समय पर देने में दिक्कत हो रही है. सच्चाई ये है कि चैनल लंगड़ी चाल चलता रहे और काले धंधे इसकी आड़ में छिपाए जाते रहे, इसीलिए इन्होंने आज तक विज्ञापन और डिस्ट्रीव्यूशन के लिए कोई आदमी अप्वाइंट नहीं किया. सारा काम राकेश निगम से ही लेने का बहाना बनाते चले आ रहे हैं. दरअसल सच्चाई ये भी है कि विजय दीक्षित ने चैनल को टुकड़ों-टुकड़ों में बेचना शुरू कर दिया है. विजय दीक्षित ने लगभग 2 करोड़ रुपये में टेलीपोर्ट साधना को बेच दिया. मगर कर्मचारियों को सेलरी नहीं दी.

एस1 के ज्यादातर कर्मचारी पांच-पांच हजार रुपये पगार ले रहे हैं. ये वो लोग हैं जो पिछले तीन-तीन सालों से इसी तरह काम कर रहे हैं. आप ही सोचिए, तीन महीने में एक बार पांच हजार रुपये पाने वाला कर्मचारी अपना परिवार कैसे चलाएगा. अधिकांश लोगों को अप्वाइंटमेंट लेटर भी नहीं दिया गया है. 5000 रुपये सेलरी वाले की सेलरी से भी हर महीने ईपीएफ के नाम पर पैसे काटे जाते हैं. लेकिन ईपीएफ में किसी का भी एकाउंट नंबर तक नहीं है. ईपीएफ वाले आज तक चेकिंग के लिए एस1 नहीं आए. एस1 में काम करने वाले ज्यादातर बाहर के शहरों और कस्बों से आए लोग हैं. हमारे पास ना खुद खाने के लिए है और ना ही पत्नी बच्चों को खिलाने के लिए. हम लोग भुखमरी झेल रहे हैं. उपर से कोशिश यह होती है कि हम अपना मुंह भी बंद रखें.

जिन लोगों ने कुछ बोलने की कोशिश की उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया. आज यहां लोग विजय दीक्षित के दो चमचों के आंतक के साए में जी रहे हैं. चैनल की मशीनों के मेंटीनेंस पर एक भी पैसा खर्च नहीं किया जाता. मशीनों में आने वाली खराबी भी कर्मचारियों के सिर पर मढ़ दी जाती है. चैनल में शूट पर जाने के लिए सिर्फ एक टूटी फूटी वैन है. उसी में रिपोर्टर और कैमरामैन को जानवरों की तरह लाद कर भेजा जाता है. विजय दीक्षित और उनका बेटा समीर दीक्षित अलग अलग मर्सिडीज में चलते हैं. स्टूडियो में 48 डिग्री के टेंपरेचर पर खबर पढ़ने के लिए एंकरों को मजबूर किया जाता है. कई बार तो एंकर बेहोश तक हो चुके हैं.

एक एंकर की तबीयत तो इतनी बिगड़ी की वो आज तक ठीक नहीं हो पाया है. पिछले तीन महीनों से उसका इलाज चल रहा है. एस1 के मैनेजमेंट ने उसकी तनख्वाह भी काटने की घोषणा कर दी है. जब कर्मचारियों के हित की बात आती है तो प्रबंधन कह देता है कि नौकरी करनी है तो करो वरना जाओ. किसी भी कर्मचारी को इएल, एमएल तक नहीं दी जाती. इस पूरी अव्यवस्था से दुखी होकर कुछ दिन पहले हम करीब 40-50 लोगों ने सारा काम बंद कर स्ट्राइक का ऐलान कर दिया.

यह घटना छह मई की है. विजय दीक्षित के दो चमचों ने स्ट्राइक तोड़ने की कोशिश की. आपसे विनती है कि आप हमारी चिट्ठी को छापें और ईपीएफ, लेबर कमिश्नर, प्रेस काउंसिल, एमआईबी, इनकम टैक्स तक हमारी फरियाद जरूर पहुंचा दें. हम लोगों की सेलरी से ईपीएफ और टीडीएस काटा जाता है पर हमें ये भी नहीं पता कि ये पैसा जाता कहां है.


 

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0 Comments

  1. vishesh kumar

    May 14, 2010 at 11:17 am

    एक कहावत है, ”गांड़ में नहीं गूदा तो लंका में क्यों कूदा?”. शर्म आती है कि एस1 के इंप्लाईज पर. ये लोग पांच हजार रुपल्ली के लिए एस1 में मुंह दिमाग बंद कर काम कर रहे हैं. उपर से चाहते हैं कि कोई यशवंत जी, कोई फलाने जी कोई ढेकाने जी इनकी समस्याओं को हल करा दे ताकि ये लोग आराम से रह सकें. अबे तुम लोग अपनी समस्याओं के लिए खुद क्यों नहीं लड़ते. सामने क्यों नहीं आते. तुम लोग आदमी हो या केंचुआ. शर्म आती है ऐसे पत्रकारों और मीडियाकर्मियों पर. इन जैसे कायर, नपुंसक और चिरकुट लोगों के कारण ही देश में बेईमानों, दलालों, चोरों-उचक्कों का बोलबाला है.

  2. niraj

    May 14, 2010 at 11:31 am

    patrakarita ka chhetra narak hai. esme se bhaga yaro anyatha bhukhe mare jayoge. biswas nahi karoge hamare pahchan ke kuch log pan bechkar mahine ka 50 se 60 hajar kama rahe hai.

  3. karn dev

    May 14, 2010 at 2:02 pm

    kyaaa aaap ptrakaar ho jo s1 me tike ho

  4. sushil Gangwar

    May 14, 2010 at 2:07 pm

    पापा कहते थे कि बेटा बड़ा होकर बड़ा अधिकारी बनेगा -गाडी बंगला नौकर चाकर मुफ्त में मिलेगे ? बेटे ने तो टीवी देखकर देखकर कुछ और बनने का मन बना लिया था। वह भी एक पत्रकार। आज पत्रकारिता जगत में करांति है , हर बंदा लिखना और छपना चाह रहा है । नौकरी की बात करे तो जिसका जुगाड़ है वह नौकरी कर रहा है । अगर नौकरी मिल जाये तो वेतन इतना कम की गुजारा भी न हो सके – आखिर करे तो क्या करे । इसलिए नए पत्रकारों ने नयी राह पकड़ ली है । थोडा सा पैसा और जुगाड़ है तो stingership मिल जाती है . फिर वेतन कहा से आये . कभी कभार स्टोरी टीवी पर लग जाती है तो पैसा मिल जाता है. नहीं तो उलटे सीधे काम करो। इसलिए पत्रकारिता का ग्राफ गिरता जा रहा है । आज १०० लोगो में से १५ के पास ही नौकरी है । जो लोग नौकरी कर रहे तो पेट ही पाल रहे है । मै जीवन में कितने पत्रकारों से मिला, कुछ तो वीकली , मंथली पपेर magazine और केबल चेन्नल के सहारे ही जिन्दगी बसर कर रहे है . हम दूसरे सेक्टर की बात करे तो अच्छी नौकरी और अच्छा पैसा मिल रहा है ।
    http://www.sakshatkar.com

  5. dhiraj

    May 14, 2010 at 2:25 pm

    isme kya nai bat hai abhi MP ke ek channel me bhi isliye hi hungama hua tha ki karmchariyo ka PF kat rah th lekin koi pf no nhi koi rasid nahi. jisaki khabar aap nahi chapte ho. chpte bhi ho to satahi taour par.

  6. viplava awasthi

    May 14, 2010 at 3:54 pm

    Patrakar bhaiyon…dukh to bahut hua khabar par ker…lekin aap log bhi to kam nahin ho…jine ki liye to kai raste hain …phir ye kutte ko jindagi jine ki liye majboor kyon ho…jisne aap ke aisa kiya hai uska ab ka aur future ka bhi haal dekh lena…main bhi ek samay S1 ka karamchari tha…lekin dhanyawad unko jinhone galat allegation laga ker mujhe noukri se nikal diya tha…halaqi noukri jane ke baad S1 ke hi kuch sathiyon ko bahut achha laga tha…lekin shayad wo bhool gaye the ki unke bhi din bure aa sakte hai…lekin mein hamesha har patrakar ke saath ho…aap log kanooni kadam khud uthye…jarurat parne per poori media industry aap ke saath hogi …lekin doston pahal aap karo….

  7. shivendra mishra

    May 14, 2010 at 4:45 pm

    journalism me wahi tikeka ab jiske pas jugad ho , jo chamcha ho , jo dalal ho , jo jhoot per bhi bhari ho …. her jagah to yahi hai . girls ko boys se jyada tabajjo de jati hai… wo bhi mardo — ke karan… wo hi girls tik pati hai khaskar elec. media me jo media ke vasoolo ko samajhkar har man kar majboor hokar.. glammer ke karan apna….. kam tamam kar patrakarita ke vassulo ko dhakka deti …

  8. nirbhik patrkar

    May 14, 2010 at 4:52 pm

    ye to Teen maheene me 5 hajar de bhi dete hai magar INDIA NEWS vale to oct. se stringers ka payment roke baithe hai , jab free me story mil rahi hai to paise kis bat ke bhai

  9. Sanjeev Sharma

    May 14, 2010 at 5:30 pm

    enhe media karmiyo ki vajaha se media kharab ho raha hai, phale to ye 5000 mai nokari karne ko tayar ho jate hai or fir bolte hai ki hamara shoshan ho raha hai…dekha jae to enhi jese logo ki vajaha se kuch channel maliko ko moka mil jata hai.. media employees ka shoshan karne ka, agar ye ab bhi na sudhere to enki vajaha se bakiyo ki halat or bhi kharab ho sakti hai…… plz ye khud aage aae or apna haq le…agar media mai hokar aap khud apne par ho rahe shoshan ka virod nahi kar paoge to kya jannta ki baate aage rakhoge….

  10. Sanjeev Sharma

    May 14, 2010 at 5:31 pm

    enhe media karmiyo ki vajaha se media kharab ho raha hai, phale to ye 5000 mai nokari karne ko tayar ho jate hai or fir bolte hai ki hamara shoshan ho raha hai…dekha jae to enhi jese logo ki vajaha se kuch channel maliko ko moka mil jata hai.. media employees ka shoshan karne ka, agar ye ab bhi na sudhere to enki vajaha se bakiyo ki halat or bhi kharab ho sakti hai…… plz ye khud aage aae or apna haq le…agar media mai hokar aap khud apne par ho rahe shoshan ka virod nahi kar paoge to kya jannta ki baate aage rakhoge….

  11. Prem Kumar sagar

    May 14, 2010 at 8:24 pm

    Patrkarita ko apane matlab ke liye Istemaal karane waale ke khilaaf aawaaz uthaane kaa ab sahi samay aa gaya hai. Mitro agar aap sab is ladaai ko aage badhaane chahate hain to hulog aapake saath hain, jab aapame pratibhaa hai to naukariyon ki kami nahi hai,……
    Agar aap sab isase sahmat hai to Vijay Dixit jee par pahla THAPPAD hamara hoga….

    yah hamara vaada hai aapse….

    Raj B. Singh 09711322955, 09350810224
    Prem Kumar Sagar 09582010111
    Atul Shankar Rai 09899663642

  12. Devang Rathore

    May 15, 2010 at 2:27 am

    Behad sharmanak hain ye baat aajkal jis bhi bade aadami ke pass number do ka rupeya hota hain wo ya toi news channel ya newspaper start kar deta hai .
    unhe es baat ki koi chinta nahi hoti ki unke employee ka jeevan kaise chalega bus ye log toi apni dalali main vasat rahate hain .
    sarkar ko koi kanoon bana kar aise channels aur newspapers ko band kar dena chahiye jo sirf aur sirf dalali ke liye media main aate hain.
    Devang Rathore
    09456400009

  13. lucky

    May 15, 2010 at 4:50 am

    अबे विश्वास कुमार तू जो इतनी बड़ी बड़ी बातें चोद रहा है… खुद मालिक के सामने तेरी क्या हालत रहती है हमें पता है… बेटा इस हमाम में तू भी नगा है… और सुन कूड़े का भी दिन पलटता है… आज तेरी पलटा है तो कल इन बेचारों का भी पलट जाएगा

  14. mahendra srivastava

    May 15, 2010 at 5:40 am

    अगर कमेंट लिखने में भाषा संयम रखें…. इसमें भला क्या हर्ज है।
    वैसे आप जानते ही हैं

    कौन सी बात, कब कहां कैसे कही जाती है
    ये सलीका हो तो हर बात सुनी जाती है।

  15. HC

    May 15, 2010 at 5:45 am

    मैंने इस चैनल के साथ काम किया है। आज भी एसवन की यादें एक बुरे सपने का अहसास दिलाती हैं। मेरे करियर के दो अहम साल यहां बर्बाद हुए। काश कोई ऐसी रबर होती ताकि मैं अपने करियर से एसवन के नाम को हमेशा के लिए हटा देता। यहां सीनियोरिटी की कोई परवाह नहीं की जाती। प्रोफेशनलिज्म तो बहुत दूर की बात है। चैनल चलता है चोरी की फीड पर। न्यूज रूम ऐसा कि देख कर शर्म आ जाए। जाड़ों में पसीना छूट जाता था, सोचो गर्मियों में क्या हाल होता होगा। सबसे दुख की बात, एसएन ने एक पत्रकारिता इंस्टीट्यूट खोला। 6 महीने का कोर्स, मीनिमम क्वालिफिकेशन 12वीं पास। और पढ़ाने वाले जिन्हें ‘है और हैं’ में अंतर ही नहीं पता। चमचे समय पर सेलरी उठाते हैं लेकिन कर्मचारी 3-3 महीने तक फ्री में काम करते हैं। चैनल को बिजली भी रामभरोसे मिल रही है। कभी-कभार बिजली विभाग पर लाख-दो लाख देकर मेहरबानी कर देते हैं। और जब बिजली कट जाती थी तो एक पत्रकार कर्मी से लाइट जुड़वाने के लिए बोल देते थे। इनकी हरकतों से परेशान हो आखिरकार उसने भी नौकरी छोड दी। कितनी बार बेचारा वो अपने संबंधों को इस्तेमाल करता। क्योंकि यह तो हर महीने का किस्सा था। रही बात सेलरी की, याद आता है पंजाब में इन्होंने कोई मॉल-वॉल खरीदा था तो इसकी शानदार पार्टी दी। लेकिन सेलरी के पैसे नहीं थे। 31 दिसंबर 2007 को जबरदस्त जश्न मनाया गया, लेकिन सेलरी के लिए पैसे नहीं थे। और तो और जब कोई कर्मचारी नौकरी छोड़ता था तो पैसे न देने के हजार बहाने। बस किसी तरह से पैसे मार लो। अपॉइंटमेंट लैटर कभी दिया नहीं, रूल बना दिया तीन महीने पहले नोटिस देना होगा। नहीं तो बकाया कट। न छुटिट्यों का हिसाब-किताब, न कोई सेलरी स्लिप। कुछ लोगों से पता चला कि कुछ चमचे मिलीभगत करके छोड़ गए कर्मियों के नाम पर सेलरी उठाते रहते हैं। यहां तक कि बकाया भी खा जाते थे। आज भी कई लोग बकाए के लिए चक्कर काटते मिल जाएंगे। लोगों से पता चला कि जिस बिल्डिंग में एसवन चलता है उसकी कई दुकानें गुडगांव के मॉल की तरह लोगों को कई-कई बार बेची गईं। बेचारे वे लोग आज भी चक्कर काटते होंगे। भगवान बचाए एसवन के नाम से। एसवन के रहमदाताओं से प्रार्थना है कि लोगों की आह मत लो। उनके परिवार को भी देखो। क्योंकि बुरा करने वाले का नतीजा भी बुरा होता है।

  16. गौरीशंकर गुप्ता

    May 15, 2010 at 8:29 am

    यशवंत जी,
    एस1 के महानुभावों की शान में हमने भी कुछ कसीदे पढे़ थे । दो बार लिखने के बाद भी आपने शामिल नहीं किए। अब पता नहीं जिनकी हकीकत को सबसे सांझा करना चाहा, आपकी उनसे सांठगांठ है या आप भी मौका देख कर चौका मारने वालों में हो।

  17. DEEPAK

    May 15, 2010 at 8:50 am

    S1 MAIN JITNE BHI LOG KAAM KAR RAHE HAI SAB KE SAB KAMCHOR HAI TABHI THO ABHI TAK TIKE HUE HAI AGAR KAAM KARNE KI LAGAN HOTI THO KAB KE YE LOG S1 CHHOD DETE
    LEKIN EK BAAT ACHHI YE HAI KE KISI NE S1 KE BAARE MAIN ITNA SAB LIKHKAR APNI BAHADURI DIKHAYI HAI
    S1 KE MALIK KO S1 KE SABHI KARMCHRIYON KE BADUA LAGEGI WO KABHI CHAIN SE NAHI JI PAAYEGA MAUT BHI NAHI AAYEGI
    WAHAN KE SARE CAMERAMAN DARPOK HAIN WO LOG YE SOCHTE HAIN KI HUMNE KUCH KIYA THO HUM NIKAAL DIYE JAAYENGE ARE YAAR BAAT THO EK HE HAIN NAA OFFICE MAIN HO YAA GHAR PAR KAAM KON SAA KARNA PADTA HAI OR THO OR OFFCE AANE KE LIYE APNA PAISA OR TIME DONO BARBAAD KAR RAHE HAIN
    ISSE ACHHAA THO YE LOG PAISE OR TIME JOB SCRCH KARNE MAIN LAGAAYE JAROORI NAHI KE MEDIA MAIN HE JOB KAROGE
    MEDIA MAIN RAHKAR KISNE TEER MAAR LIYA
    LINE CHANGE KARO OR KHUS RAHO KYUN APNE AAP KO DHOKA DE RAHE HO YE COMMENT SABKE LIYE HAI

  18. DEEPAK

    May 15, 2010 at 8:50 am

    S1 MAIN JITNE BHI LOG KAAM KAR RAHE HAI SAB KE SAB KAMCHOR HAI TABHI THO ABHI TAK TIKE HUE HAI AGAR KAAM KARNE KI LAGAN HOTI THO KAB KE YE LOG S1 CHHOD DETE
    LEKIN EK BAAT ACHHI YE HAI KE KISI NE S1 KE BAARE MAIN ITNA SAB LIKHKAR APNI BAHADURI DIKHAYI HAI
    S1 KE MALIK KO S1 KE SABHI KARMCHRIYON KE BADUA LAGEGI WO KABHI CHAIN SE NAHI JI PAAYEGA MAUT BHI NAHI AAYEGI
    WAHAN KE SARE CAMERAMAN DARPOK HAIN WO LOG YE SOCHTE HAIN KI HUMNE KUCH KIYA THO HUM NIKAAL DIYE JAAYENGE ARE YAAR BAAT THO EK HE HAIN NAA OFFICE MAIN HO YAA GHAR PAR KAAM KON SAA KARNA PADTA HAI OR THO OR OFFCE AANE KE LIYE APNA PAISA OR TIME DONO BARBAAD KAR RAHE HAIN
    ISSE ACHHAA THO YE LOG PAISE OR TIME JOB SCRCH KARNE MAIN LAGAAYE JAROORI NAHI KE MEDIA MAIN HE JOB KAROGE
    MEDIA MAIN RAHKAR KISNE TEER MAAR LIYA
    LINE CHANGE KARO OR KHUS RAHO KYUN APNE AAP KO DHOKA DE RAHE HO YE COMMENT SABKE LIYE HAI

  19. anand

    May 15, 2010 at 8:57 am

    –यशंवत जी, आपको शाय़द याद होना चाहिए कि एसवन एक वक्त एनसीआर का नंबर बन चैनल रहा है। सीलिंग के वक्त जब सीरीर्फोड़ से नोएडा शिफ्ट हुआ तब दो महीनें ऑफ एयर रहने पर हमारे चेयरमेन ने सबको तनख्वा दी थी। आज जब कई मीडिया हाउस मंदी के दौर में है। तब एसवन ने ना किसी सदस्य को निकाला, बल्कि वेतन वढाने का एलान किया और पदोन्नती की घोषणा भी की।

  20. anshuman

    May 15, 2010 at 8:58 am

    ये हमारे चैनल का अंदरुनी मामला हैं। हमे बदनाम करने की साजिश की जा रही। कृपया कर ऐसी बेकार की बाते ना छापे।

  21. piyush

    May 15, 2010 at 9:00 am

    मंदी और छटनी के दौर में एसवन के चेयरमेन ने जो दरियादिली दिखाई हैं। अगर वो आप को गले नहीं उतर रही है तो बताईये। अगर ऐसा नहीं है तो आगे आप इस तरह की बकबास खबरे एसवन के बारे में नहीं छापेगें

  22. DEEPAK

    May 15, 2010 at 9:02 am

    :);):D;D>:(>:(:o

  23. s1 ka sach

    May 15, 2010 at 10:24 am

    main bhi s1 ka karmchari hoon..main manta hoon ki channel mein kayin dikkate hain.par jitna badha chadha kar yahaan unhein prastut kiya gaya hai, usse mujhe apne sahyogi karmchariyon par sharm aati hai.mujhe lag bhag 4 saal ho gaye hain s1 mein aur maine aaj tak kisi anchor ko yehaan [b]behosh hote nahi dekha[/b]..haan..mere saathiyon ko ac mein sote huye dekha hai.unke paas pehle se khabar pahunch jaati hai ki koi senior aane wala hai aur tab ve kaam karne ka naatak chalu kar dete hain. magar pichle ek mahine se ac kharab hone aur garmiyan aane ke kaaran unke aaram mein adchan aane lagi thi.

    [b]ye letter jo ki apko diya gaya hai usse pressure daal kar sign karvaya gaya hai.[/b] ye sirf kuch logo ka kaam hai jinhein s1 mein problem ke chalte, haramkhori ki itni aadat ho gayi hai ki ve kaam se kisi na kisi bahane se bhaagte hain. hafte do hafte mein aisa kuch kaand kar hi dete hain.. ye letter lekar mere paas bhi aye the aur jab maine sign karne se inkaar kar diya toh mujhe [b]’chamcha’ kaha gaya.[/b]

    mujhe s1 se kayin shikayte hain.magar ye sab shikayte ek karmchari aur anushasan ke beech hoti rehti hain aur ismein koi third party ko laane se nuksaan hi ho sakta hai.agar karmnishtha se kaam karna aur pressure mein aakar aise letter sign nahi karna ‘chamchagiri’hai toh main ‘chamcha’ hoon.
    mujhe bhi 2 mahine se salary nahi mili hai magar main apne reporter dost ki tarah apne wife ke operation ke liye nakli application nahi de sakta, aur doosre din sharab ke nashe mein dhut office nahi aa sakta.

    meri aankhon ke saamne maine apne saathiyon ko baat karte kayi baar suna hai ki salary late mil rahi hai, koi teknical faolt kar dete hain. aur aisa hua bhi hai.kitni baar mujhse kaha gaya hai ‘salary toh mil nahi rahi, tum kaam kyon kar rahe ho?chanel ko 2 din aur off air rakhenge.kaam krna nahi padega aur in logo ko(managmant) tabhi samajh ayega.’ye ghatna febrary ki hai. ab kuch s1 ke log sadhna ke saath mil kar channel band karwna chahte hain. Ye letter par na sign karne par humein chamcha kehte hain aur khud itne bade gaddar hain.

    mujhe khud ek baar ek personal kaam ki wajah se paison ki bahut zaroorat thi tab dixit sir ne apni jeb se nikal kar mujhe vo paise de diye the.aisa kayin baar hua hai ki log managment ko chhalang mar kar seedha chairman ke paas chale jaate hain apni problem lekar aur ve unki kisi bhi keemat par madad karte hain. mujhe nahi pata ye kaale dhandhe hain ya safed magar jo insaan apni zameen bech bech kar channel chala raha hai sirf isliye ki hum log sadak par na aa jayein, mujhe us insaan ke liye kaam karne mein fakr hai. Ab samay aa gaya hai in gaddaro ko haramkhori chhodne ka ya phir patrakarita chhodne ka..kyonki dono cheezein saath saath nahi chal sakti.

  24. अमित शर्मा, रिपोर्टर

    May 15, 2010 at 11:48 am

    यशवंत भाई, एसवन के कर्मचारियों की परेशानियों के बारे में जो झुठा चिठ्ठा छापा है उसके लिए धन्यवाद, लेकिन आपसे एक शिकायत है कि संचार के इस स्वरुप को आप ऐसे बरबाद ना करें। क्योंकि जो एसवन की हकीकत है उसे कोसो दूर की कहानी आपने छापी है। जहां वेतन में वृद्दि का बात थी, वहां आपने वेतन में कटौती की बात की है। जिन पांच हजार वेतन वाले कर्मचारियों की बात आप कह रहें है, तो आपको बता दूं कि ये वेतन सिर्फ उन लोगों को मिला करता था जिन्हें कुछ दिनों की ट्रेनिंग पर रखा गया था। क्या किसी को ट्रेनिंग के दौरान खर्चे के लिए पांच हजार रुपये देना आप गलत समझते हैं ? यशवंत भाई जो चिठ्ठी आपने छापी है उसका तो आपने पुरा मजबून ही बदल दिया है, शायद ये आपकी कलम का जादू है। खैर छोड़िये भाई सबको पता है कि लोग अपने पोर्टल के आर्थीक हालात सही करने के लिए क्या क्या नही करते। फिर आप भी तो उसी जमात के आदमी है शायद इन खबरों के बाद आपके पोर्टल की आर्थिक हालातों में कुछ सुधार आये आशा करता हुं।

    एसवन की बारें में छपी अफवाह के बाद मीडिया में काम करने वाले मेरे भाई जो कमेंट कर रहें है उनसे मेरा निवेदन है कि पहले सच्चाई जाने, और अपनी भाषा पर काबू रखें । क्योंकि किसी के दिन अच्छे या बुरे हो लेकिन बदलते जरुर है। उस दिन शायद समझ में आ जाएगा कि किसके पिछवाडे में क्या है।

  25. अमित शर्मा, रिपोर्टर

    May 15, 2010 at 11:53 am

    @s1 ka sach एसवन के बारें इतने अच्छे ख्याल रखने वाले भाई अपना नाम क्यो नही छापा। आपको जानने की बहुत इच्छा हो रही है। भाई जो भी बोलना हैं खुलकर बोलों

  26. गौरी शंकर गुप्ता

    May 15, 2010 at 12:05 pm

    सबसे पहले तो मैं उन सभी हरामखोर, नालायक, कामचोर और विभीषणों से कहना चाहुंगा कि कृपया संस्थान के कर्मचारियों के नाम का इस्तेमाल कर फेक कमेंट न करें। अगर हिम्मत है तो अपने नाम का इस्तेमाल न करें। अगर ऐसा करने का गूदा नहीं हैं तो अपना ********* बंद रखें। और ऐसे लोगों को हम भी अच्छी तरह से जानते हैं जो हमारे नाम का इस्तेमाल अपनी हरामखोरी दिखाने के लिये कर रहे हैं। उम्मीद वो इसे समझ गये होंगे। वरना हम भी आपकी इज्जत नवाजी में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

  27. sp

    May 15, 2010 at 12:25 pm

    @s1 ka sach…. प्रिय मित्र जिस तरह का कमेंट आपने लिखा है इससे आपका विभीषणी और चापलूसी का चेहरा सामने आ गया है ….. आपने इस तरह का कमेंट लिखकर अपने दोगले व्यक्तित्व पर खुद ब खुद मुहर लगा दी है…… अफसोस इस बात का है कि आपको हमने वो प्यार और सम्मान दिया जिसके लायक आप थे ही नहीं…..

  28. pankaj jha

    May 15, 2010 at 12:30 pm

    jo bhi pada sahi hai lekin vishesh ji ne jo bhi likha sahi likha hai likin upar ka jo shabd likha vo galat hai kam se kam apani bhasa ka dhiyan to rakhana chahiye ees ki jagah kuchha or hi likha dete lekin is bhasa ka upyog nahi karna chaiye kiyo ki aap ek patrakar ho

  29. vivek vajpayee

    May 15, 2010 at 12:50 pm

    यशवंत भाई कल से एसवन के बारे में आ रही खबरों के बारे में कुछ कहना चाहता हूं। ऐसी झूठी खबरों से आपके पोर्टल की विश्वसनीयता गिरती जा रही है। भाई आपसे निवेदन है कि कृपया खबर की सत्यता जाने बिना किसी के भेजने से ऊलजुलूल मनगढ़त कहानी को खबर कैसे कहा जा सकता है। भाई आपकी खबर सच्चाई से कोसों दूर है। और खबर के साथ जो लेटर दिखाया गया है उसमें मेरे साइन भी फर्जी हैं और सबसे बड़ी बात ये है कि जिस दिन का जिक्र लेटर में है उस दिन हमारी छुट्टी होती है अब छुट्टी में हमारे साइन फोन से तो हो नहीं गए। खैर आपको जो बदनामी करनी थी कर डाली लेकिन कृपया आगे से कोई खबर छापने से पहले पुष्टि कर लें तो बेहतर होगा। इसके साथ एक बात और कहना चाहूंगा आपके पोर्टल पर जिस अभद्र भाषा का प्रयोग हो रहा है उसे पढ़कर शर्म आनी चाहिए कमसे कम आप अभद्र भाषा का प्रयोग तो रोंक सकते हैं। विवेक वाजपेयी एसवन।

  30. s1 ka sach

    May 15, 2010 at 12:58 pm

    @spमुझे दुख है की तुम अब तक इस बात को समझ न पाए. हम दोगले नहीं हैं. हम सिर्फ संसथान के हैं..जिसे अपने कभी अपना समझा ही नहीं. हम अपना नाम इसलिए नहीं डालेंगे क्योंकि हम नहीं चाहते की लोग ये समझे की ये सब हमने managmant के करीब आने के लिए लिखा है.मुझे भी managmant से वही शिकायते हैं जो आपको हैं, मगर अभी हम इतने गिरे नहीं की आपकी तरह गद्दार बन जायें.अरे मालिक जब मुसीबत में होता है तो कुत्ता भी वफादारी दिखता है, उसका फ़ायदा नहीं उठाता.

    @amit अरे कभी तुम तोह खुल कर आओ, हम भी रंग जमा देंगे

  31. HC

    May 15, 2010 at 1:06 pm

    यशवंत जी, बेहतर होगा कि आप अपने पोर्टल पर एसवन की कैसी भी खबर न छापें, चाहे वो अच्छी हो या बुरी। क्योंकि यहां के लोग पहले तो मुद्दे को सड़क पर लाते हैं फिर इन्हें लगने लगता है कुछ ज्यादा हो गया, फिर इन्हें चिंता सताने लगती है कि एस वन की बदनामी के चलते इन्हें कोई नौकरी भी नहीं देगा। मार्केट…खराब हो जाएगी। पहली बात अगर रहनुमा इतने ही बड़े दिल वाले हैं तो इन महाशयों को चिट्ठी लिखने की जरूरत क्यों पड़ी। और अगर लिखनी ही थी तो क्या नाम समेत दस्तखत करने जरूरी थे। और रही बात चैनल की बदनामी के बारे में…जर्नलिज्म बहुत छोटी से दुनिया है और एस वन के रहनुमाओं और उनकी कहानियों के बारे में सभी जानते हैं। बेहतर होगा कि अपनी लड़ाई अपने घर में लड़ें, क्योंकि सड़क पर वो लड़ाई तमाशा बन जाती है।

  32. vishesh kumar

    May 15, 2010 at 1:07 pm

    प्रिय मित्र,

    जैसी कि आपको जानकारी होगी कि युवा पत्रकार निरुपमा पाठक की पिछली 29 अप्रैल को उनके घर में ही हत्या कर दी गई थी. निरुपमा अपने एक सहपाठी और पत्रकार प्रियाभांशु से प्रेम करती थीं लेकिन निरुपमा के घरवाले दोनों के विवाह के लिए तैयार नहीं थे.

    झारखण्ड पुलिस इस मामले की जांच सही तरीके से नहीं कर रही है और मामले को उलझाने में लगी हुई है.

    निरुपमा की दुखद और स्तब्ध कर देनेवाली मौत के बाद से ही उसके सहपाठी, दोस्त, सहकर्मी, पत्रकार, बुद्धिजीवी और महिला-छात्र संगठनों के कार्यकर्ता ‘निरुपमा को न्याय’ अभियान चला रहे हैं.

    इस अभियान के तहत कल यानी 15 मई-शनिवार को शाम 5.30 बजे से प्रेस क्लब से गृह मंत्रालय के लिए एक मौन विरोध प्रदर्शन आयोजित किया जा रहा है. इसका नारा है- “क्षुब्ध हृदय है, बंद जुबान”.

    आप इस तरह के मुद्दों पर सक्रिय और लड़ते रहे/रही हैं. हमारा आपसे निवेदन है कि आप कल के इस विरोध प्रदर्शन में जरूर पहुंचे और उन मध्ययुगीन ताकतों के खिलाफ जो देश को बर्बरता की ओर खींच ले जाना चाहते हैं, अपनी आवाज बुलंद करें.

    आपका आना बहुत जरूरी है. उम्मीद है कि आपसे कल शाम प्रेस क्लब पर प्रदर्शन पर मुलाकात होगी.

    आपका,

    दिलीप मंडल, टी.के. राजलक्ष्मी, भाषा सिंह, पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ, भूपेन, विजय प्रताप, रोशन किशोर, शेफालिका शेखर, कविता कृष्णन, आनंद प्रधान, रितेश वर्मा, रणवीर, आनंद सौरभ, हिमांशु शेखर


    Anand Pradhan
    Associate Professor,Feature Communication
    Indian Institute of Mass Communication
    New JNU Campus
    Aruna Asaf Ali Road
    New Delhi-110067
    Website: http://www.iimc.gov.in
    Mobile no. 9818305418

  33. सरफराज़

    May 15, 2010 at 1:12 pm

    बड़े अफसोस की बात है उस इंसान के लिये जिसने एस1 में रहते हुए …एस1 को बदनाम करने की कोशिश की है…अगर एस1 इतना ही बुरा है तो वहा पर काम वो सहाब क्यो काम रहे है ….जिस थाली में खा रहे हो, उसी थाली में छेद कर रहे हो शर्म आनी चाहिये। मैने भी अपनी जिन्दगी के कई साल एस1 में गुजरे थे में एस1 और पुराने साथियो के साथ हुं जो एस वन में महनत से काम कर रहे है और मुझे उम्मीद है कि उनकी मेहनत एक दिन रंग जरूर लायेगी……।

  34. Prakash Gare S1 News

    May 15, 2010 at 1:20 pm

    S1 Media [b][/b] ka such lane wale shaks aap jo koi bhi hai main aap se sirf 1 baat hi kahunga….. Jab ghar main Ladia, Jhagde ya Manmutav hota hai to hum use bahar Samaj main le jakar uchala nhi karte, balki use Shanti aur Sanyam ke saath aapas main sath mailjulkar us Problem ko solve karte hai…..Is tarah S1 News bhi mere Ghar Jaisa hai aur aaj is ghar main kuch problem aa rahi hai to use hame poori media industury main na la kar aapas main hi suljana chahiye……
    Mujhe nhi pata ki apne aisa kyu kiya bt ha meri taraf se aap ko 1 salah hai………
    Zindagi main agar kuch banna ho, Kuch Hasil karna ho to hamesha Apne Dimag ki suno……. Agar Dimag se bhi koi Aawaz na aye to Ankhe band kar ke socho ….

    “kya Mere Pass Dimag Hai”

    Aur ha………

    Zindagi Ek Tasveer bhi hai aur Takdeer bhi…..
    Man chahe rango se ban jaye to Tasveer ….

    Aur unchahe rango se ban jaye to Takdeer…

    [b][/b]

  35. amit tiwari

    May 15, 2010 at 2:14 pm

    यशवंत जी मै भी एसवन में एंकर हूँ। मैं ना तो खुद कभी बेहोश हुआ और ना ही किसी को बेहोश होते देखा….

  36. s1 trainee

    May 16, 2010 at 6:13 am

    जो कुछ यहां लिखा गया है मैं उसके बारे में तो कुछ नहीं कहना चाहूंगा लेकिन मैं अपने उन सीनियर्स या जूनियर्स से, जो इस वक्त गरियाने का काम कर रहें है, उनसे कहना चाहूंगा…कि भाई अगर आप चार साल से यहां काम कर रहे हैं और आपको इस जगह पर इतनी खराबियां दिखतीं हैं तो अब तक कुछ और क्यों नहीं तलाश लिया। बहुत सारी जगह हैं बहुत सारे काम हैं…जो यहां से गए वो खुश हैं आप भी जाइये और खुश रहिए। आपको आपके चेयरमैन ने हाथ पकड़कर कर नहीं रोका हुआ है। आप में बूता है तो कुछ कर के दिखाओ। दूसरे को गरियाने से अच्छा है खुद का रास्ता बदल लो। और जिन लोगों का कोई काम नहीं है वो ही ये सब कर रहें हैँ। इन्होने भलेही पिछले छह महीनों में एक भी पैकेज ना लिखा हो लेकिन भड़ास को चिट्ठी लिखने के लिए टाइम बहुत है। जय हो आप लोगों की…and MR. vishesh kumar, तुम जो कुछ लिख रहे हो उससे तो तुम्हारी सच्चाई सामने आ रही है भाई। यहां आ जाओ और मुझसे कुछ तमीज सीख जाओ। फ्री में सिखाऊंगा।

  37. Rajeev

    May 16, 2010 at 7:51 am

    @ सरफराज़: शुक्रिया सैफी ! तुम्हारा एक कमेंट श्रीमान आलोक तोमर और उन सभी लोगों के मुंह पर करारा थप्पड़ है जो एस-वन और चेयरमैन श्री विजय दीक्षित जी पर कीचड़ उछालने की कोशिश कर रहे हैं..एक बार फिर तुम्हारा शुक्रिया..
    (आपका लिखने से औपचारिकता झलकती है, इसलिए तुम्हारा लिखा है)

  38. सरफराज़

    May 16, 2010 at 4:28 pm

    राजीव सहाब, मेरा कमेंट किसी के नाम नही है फिलहाल मेंने उन सहाब के लिये लिखा है जो फिलहाल एसवन में रहते हुए उसकी बुराई कर रहे है, माननीय दीक्षित जी को कोस रहे है उन्हे बुरा भला कह रहे है। जिस की तन्खाह भले ही देर से लेकर अपनी या अपने परिवार की गुज़र बसर कर रहे फिर उनकी बुराई कर रहे। छोड़ दे वो शख्स एसवन में नौकरी करना………….

  39. sanjeev singh

    May 16, 2010 at 4:31 pm

    yaswan ji s1 ko yha tak lane mai ravinder shaa ka haat hai uss ki bajha sai s1 ko y din dekhne pad rahe hai,our y hi haal aaj kal AZAD NEWS ka bhi ho raha hai….

  40. Dhananjay Jha

    May 17, 2010 at 7:39 am

    Dear yashwant..
    this is the time to ROCK S1 management, do one thing, invite all media peoples, we will visit to S1 channel and put pressure to management to clear salary
    aise nahi chalega ab, we journalist are not daily wages labour?
    come together to FIGHT…..

  41. DEEPAK

    May 17, 2010 at 8:11 am

    Ye pegam un sabhi logo ke liye hai jo aaj S1 ke baare main oolti sidhi baat karke uski insult kar rahe hai
    ek time par main bhi s1 main kaam karta tha or wo mera pehla channel tha jisse maine media jagat main apne ceriar ki shuruaat ki thi.
    bahut se logo ne S1 main kaam kiya or chhod diya or aaj wo sabhi log S1 ke baare main esa bol rahe hai unhe sharm nahi aati jisne tumhe kaam diya roti di
    tum uske baare main itna sab bol rahe ho
    are yaar S1 jesa bhi hai jo bhi hai use apne haal par chhod do koi majboori hogi jisse wo apne karmchariyon ko khus nahi kar paa rahe hai
    agar tumhe jyada he problam hai tho S1 ko chhod do par uske baare main ye sab mat likho
    sab ko yaad hona chaahiye ki ek time par wo ncr main no.1 channel tha
    S1 pehla channel hai jiske paas sab kuch apna hai buliding apni hai teliport apna equipment apne
    mujeh tho lagta hai S1 ko nazar lag gayi hai
    jyada kuch nahi kahunga
    bus sabhi S1 ke baare main aalochna karne wale apni jubaan par kaabu rakhe

  42. Dhananjay Jha

    May 17, 2010 at 9:17 am

    Dear Deepak..
    india is democratic country, you have no authority to say this”jubaan par kabu karo”, second thing, if S1 management have financial problem, why he run channel, clear all staff dues and shut down channel.
    Now, its a matter of labour law, if people works for S1, the management must pay him/ her? if you are journalist, support this campaign, i have doubt on your journalist ability bcoz the way you use language? Think again… and support US…

  43. Ankit

    May 18, 2010 at 5:42 am

    Bhai log abhi samay hai koi aur pesha chun lo……

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